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देवरा पार्ट 1 मूवी रिव्यू हिंदी | Devra Part 1 Movie Review Hindi

इंडिया में बनने वाली काफी लंबे टाइम में एक पानी के अंदर चलने वाली मास फिल्म ये कांसेप्ट सोचने में बड़ा मजेदार लग रहा है. और फिर जब फिल्म का बजट almost तीन सौ करोड़ बताया जाए और उसका फेस जूनियर एनडीआर जैसे man of masses को बनाया जाए मतलब इंडियन सिनेमा बदलने वाला है. इसका सबूत फिल्म की डे वन advance booking जो सिर्फ इंडियन market में half century पचास करोड़ का नंबर cross कर जाती है. इतना तो आजकल movies का lifetime भी नहीं होता. अरे!

फिल्म का सिर्फ डे वन बिजनेस सेंचुरी तो hundred percent मारेगा, लोग तो डेढ़ सौ करोड़ तक expect करके चल रहे दो हजार चौबीस में तेलगु सिनेमा रूल करेगा ऐसा सबको लग रहा था but पूरे तीन घंटे की फिल्म देखने के बाद सिर्फ एक बात बोलूंगी बेवकूफ बनाया गया हम लोगों को वो भी बहुत बुरे तरीके से देवरा release हो गई है तेलगु सिनेमा से निकलने वाला न्यूक्लियर बॉम्ब जिससे expectations तो ये है कि कल्कि के records crack हो जाएंगे और दिसंबर में आने वाली पुष्पा को नया target NTR बाबू set कर जाएंगे but ऐसा हुआ या फिर नहीं मेरा जवाब काफी लोगों को गुस्सा कर देगा आराम से सुनो कहानी red सी की है लाल समंदर यहाँ पानी की जगह खून रहता है, मछलियां तो अंदर हैं ही बोनस में हड्डियों का कंकाल भी रहता है. डर की कहानी है जिसके पीछे सिर्फ एक नाम देवरा, वो जो समुंद्र की रक्षा करता है और उसमें उतरने वाले बुरे लोगों का सफाया कर देता है. लेकिन इंटरेस्टिंग बात ये है कि देवरा को पिछले दस-बारह सालों में किसी ने देखा नहीं है.

देवरा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 2 दिन ₹ 95.1 Cr | Devra Box Office Collection 2 Days ₹ 95.1 Cr

तो फिर पानी के बीच जहाज पे खड़ा ये भूत किसका हो सकता है. भूत से याद आया इस कहानी में एक शैतान भी है जो ताकत में देवरा के बराबर तो है लेकिन दिमाग दस सर वाले रावण से भी तेज चलता है. देवरा और उसका डर दोनों को मिटाना है ये भैरा भैया ने मन में ठाना है लेकिन एक प्रॉब्लम है देवरा ना सही लेकिन उसकी शक्ल रोज देखनी पड़ती है। जूनियर एनटीआर मतलब जूनियर देवरा अपने पापा के प्रेशर को झेल नहीं पाया और खुद चलकर भैरा भैया की टीम में शामिल होने आया।

हीरो वर्सेज विलन का scope ही नहीं बचता है क्योंकि पापा से खुद नफरत करता है उसका बेटा तो फिर क्लाइमेक्स में ऐसा क्या हुआ जिससे सबको बाहुबली की याद आ गई। ये अचानक से पलटी मारना पसंद नहीं आया होगा ना ऐसे ही अचानक से देवरा ने पब्लिक की एक्सपेक्टेशंस के साथ पलटी मार दी है दोस्त अच्छी बातें बताऊं अंडर वाटर कमाल के हैं पानी के अंदर फाइट सीन्स बढ़िया तरीके से शूट किए हैं शिप वाला एक्शन कुछ यूनिक लगा जैसे ये वाला सीन थिएटर में देखते टाइम मजा आ गया एक्शन को बढ़िया बनाने का ट्राई तो बहुत किया है जिसमें एनटीआर ने फुल कंट्रीब्यूट किया है बस ये और एक्शन ये दोनों चीजें आप देवराज से माइनस कर दोगे ना तो फिल्म के अंदर देखने लायक कुछ भी नहीं बचेगा.

देवरा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 1 दिन रिकॉर्ड तोड़ | Devra Box Office Collection 1st Day Record Breaking

स्टोरी लाइन बहुत ज्यादा रिपिटेटिव है बहुत पुरानी लग रही है शायद देवराज नाइंटीन नाइंटी फोर में रिलीज होती तो हाँ ऑडियंस को लगता है कुछ तो अलग नया देखा है हमने बट आज के टाइम फादर सन डबल रोल वाले कैरेक्टर्स बहुत ज्यादा कॉमन हो गए हैं. लोगों को बिल्कुल मजा नहीं आता. अनलेस कहानी में ट्विस्ट आ जाता. तीन घंटे लंबी फिल्म सेम उसी पैटर्न में बनाई है जिन साउथ मूवीज का मजाक उड़ाते हैं लोग. यहां का राजा दुनिया का रखवाला कान में सुनाई दे गया होगा ये. ये लोग ये क्यों नहीं समझते सिर्फ एक आदमी को बड़ा बनाने से फिल्म प्रेडिक्टेबल हो जाती है. अब विलेन को भी हीरो के बराबर दिखाओ ना तभी तो फेस ऑफ में मजा आएगा. वैसे काफी लोग जिन्होंने फिल्म देखी है वो नोटिस कर चुके होंगे.

देवरा और बाहुबली में काफी सिमिलरिटीज हैं दोस्त. पार्ट टू हिंट भी डाला है कुछ उसी तरह है बट सॉरी टू से देवरा उस लेवल को मैच नहीं कर पाई जितना एक्सपेक्टेशन पब्लिक ने आरआरआर के बाद एनटीआर के कम बैक से लगाया था बी फॉर देवरा डी फॉर धोखा लेकिन हाँ फिल्म को थिएटर में देखते हो आप तो वन टाइम वॉच ओके है अगर इसको कोई डिजास्टर वर्स्ट फिल्म ऑफ द इयर बोलेगा तो वो भी झूठ है ओके जूनियर एनटीआर की एक्टिंग ठीक-ठाक है मतलब जैसा उनका टाइटल है मेन ऑफ मासेज वैसा कुछ फील नहीं हुआ मैं पर्सनली वेट कर रही थी आरआरआरआर टाइप के किसी मासी सीन का सैफ अली खान for तेलगु ऑडियंस सरप्राइस आएंगे. उनका इवेल स्क्रीन प्रेजेंट्स फायर है.

डायलॉग्स के बिना भी सिर्फ आँखों से एक्टिंग कर सकता है ये आदमी. और हाँ जानवी कपूर को इस फिल्म को देखते टाइम आप वैसे ही इग्नोर कर सकते हो जैसे मैंने इस रिव्यू में किया है. उनका फिल्म में इम्पोर्टेंस डबल जीरो है. तो यार देवरा एक एवरेज फिल्म है ना बहुत बढ़िया इतना ज्यादा घटिया थिएटर वॉच एक बार चल जाएगी लेकिन तीन घंटे लंबी फिल्म हर किसी से नहीं झेली जाएगी. फिल्म को पाँच में से दो स्टार्स मिलने वाले हैं. एक तो अंडर वाटर सीन मून प्लस फिश वाला इमेजिनेशन बाकी अनिरुद्ध का बीजीएम जो कहीं-कहीं पे अच्छा था. नेगेटिव में कहानी बहुत पुरानी है कुछ नया नहीं है. दूसरा सैफ वर्सेज एनटीआर का एंगल उतना ज्यादा प्रेजेंट हुआ नहीं जितना सोचा था. बाकी जबरदस्ती कैरेक्टर्स घुसा के तीन घंटे फिल्म को लंबा करना सिर्फ पार्ट टू बनाने के लालच में नोट ओके है.

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द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेलर रिव्यू | The Diary of West Bengal Trailer Review

 मैं हूँ सुहास्ती भट्टाचार्य और मैं एक बंगाली हिन्दू हूँ ये Hindu लोग अपनी धार्मिक किताबें कम पढ़ते है ना इसका हमें फायदा हो रहा है Hindu होना इतना बड़ा गुनाह है जो फैसला करेगा मुसलमान करेगा हर-हर महादेव दोस्तों ये बात किसी से छिपी नहीं है कि हमारे देश का पूर्वी राज्य वेस्ट बंगाल बुरी तरह जल रहा है। तरह-तरह की आग लगी है, धर्म के नाम पर जात-पात के नाम पर महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के नाम पर लेकिन कोई खुलकर इसके बारे में बात नहीं करता, लेकिन अब इस पर एक फिल्म आई है, नाम है द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल जो कि थर्टी एट अगस्त को रिलीज हो रही है,

मैंने हाल ही में इसका ट्रेलर देखा और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि ये एक ऐसा है जिस पर लंबे समय से फिल्म बनाए जाने की जरूरत थी लेकिन हिम्मत कोई कर नहीं रहा था लेकिन ये हिम्मत दिखाई है वसीम रिजवी ने जो इस फिल्म के प्रोड्यूसर है और अब वो धर्म परिवर्तन करके जितेंद्र नारायण सिंह भी बन चुके हैं इस फिल्म का निर्देशन किया है सनोज मिश्रा ने और ये कहानी एक सच्ची कहानी है जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी जो आपको इस बात का एहसास दिला देगी कि हमारे देश में कितना चल रहा है. फिर भी इसके बारे में कहीं बात नहीं होती. कोई हमें झकझोरने नहीं आता, कोई हमें जगाने नहीं आता.

मैंने कुछ गलत नहीं किया फिर भी तोड़ दिया – नागार्जुन 

ये फिल्म उसी सच की बात करती है. दोस्तों अगर आप देश से प्यार करते हैं. अपने भारत से प्यार करते हैं. तो मैं आपसे रिक्वेस्ट करूंगा कि ऐसे सब्जेक्ट पर बनी फिल्मों को प्रोत्साहन जरूर दीजिए. अपना प्यार जरूर दीजिए. क्योंकि ऐसे सब्जेक्ट्स सही जगह तक सही कानों और सही आंखों तक पहुंचने बहुत जरूरी होते हैं. इसका ट्रेलर जब देखा तो उसके ट्रेलर से ये बात समझ में आती है कि कितना कुछ हमारे आसपास चल रहा होता है लेकिन हम शायद सो रहे होते हैं या फिर उधर ध्यान नहीं देते

लेकिन आप सोच कर देखिए जिनके ऊपर ये जुल्मों सितम बीतते हैं जिनके ऊपर होकर गुजरती है उनकी जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए तबाह हो जाती है और ऐसा नहीं है कि इसका असर आप पर नहीं पड़ता इसका असर सब पर पड़ता है इस ट्रेलर की सबने तारीफ की है मैं पढ़ रहा था आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने की है और आचार्य रामभद्र ने इसकी तारीफ की है और बहुत सारे पत्रकार और बहुत सारे बुद्धिजीवी इसकी तारीफ कर रहे हैं और हर किसी ने ये कहा है कि आखिर क्यों नहीं पहले इस तरह की फिल्म बनाई गई, आखिर क्यों नहीं पहले इस तरह की हिम्मत की गई?

इस ट्रेलर में जो दिखाया गया है, वो आपको सोचने को मजबूर कर देगा कि क्या हमारे सीने में दिल नहीं है? क्या हम पत्थर के हो चुके हैं? क्या हम वाकई इंसान हैं? जो इतना कुछ हमारे आसपास होता रहता है और हम उस पर ना कभी रिएक्ट करते हैं, ना सोचते हैं, ना चिंता जताते हैं। क्योंकि ये आग धीरे-धीरे बढ़ रही है, इसको अगर रोका नहीं गया तो ये आग बहुत बुरी तरह फैल सकती है और इसको एड्रेस करने की, इस पर ध्यान देने की आज सबसे ज्यादा और सबसे बड़ी जरूरत है।

क्या हमारे देश में लोग पैसे के बल पर जेल के अंदर भी पिकनिक मनाते हैं?

भूत शर्मा जायेगा : ब्लड इश्क़ मूवी रिव्यू | Bhoot Sharma Jayega: Blood Ishq Movie Review

आज से ठीक पांच साल पहले दो हजार उन्नीस में एक ऐसी फिल्म आई थी जिसे बॉलीवुड में हमेशा के लिए फिल्म में शामिल कर लिया गया और मर्दों को शिकार बनाने का फॉर्मूला बदल दिया गया। नाम ये सारी आशिकी काम बॉलीवुड के नियमों के खिलाफ जनता के दिलों में इतना कमाना सस्पेंस थ्रिलर के गेम में दर्शकों को चैलेंज कर देना। वो वही अभिनेता भूषण पूरी तरह से अब बंधक आ गए हैं काफी समय बाद लेकिन साथ में पता चला कि किसे लेकर आए हैं?

आपकी और आपकी गर्लफ्रेंड दादी जी त्रिया की पसंदीदा गैलरी वधू टीवी से लेकर स्ट्रेट सिनेमा वाले तक भूतिया स्टाइल में वापसी। और जब सिनेमा में भूत की बात होती है तो एक नाम हमेशा उसके साथ फेविकोल की तरह चिपका होता है, गेस करोगे, है ना? विक्रम भट्ट भाई किसी ईसाइन खुद भूत-प्रेत भी मठाधीश हैं, कहीं पंथ के रोमांटिक आत्मा इंसानों वाली फिल्म में डाल दिया तो इतना के ले-देने हो जाएंगे। राज उन्नीस तेईस और ये लिस्ट दो हजार चौबीस तक बहुत लंबी हो गई है, लेकिन विक्रम सर की यही बात सबसे अच्छी है, उन्होंने अपने टैलेंट पर कभी घमंड नहीं किया।

बिगबॉस का असली विलन कौन है? । Who is the real villain of Bigg Boss?

तभी तो फिर से कमबैक कर रहे हैं, एक और ऐसी फिल्म के साथ देखने के बाद इंसान तो क्या, भूत भैया को भी फेस बना लेना चाहिए। फिल्म का नाम है ब्लडिश, डरो मत, अभी तो सिर्फ नाम बताया है, आगे जो काम किया या फिर स्कैंडल स्टार किया वो भी बताऊंगी। अच्छी बात ये है कि थिएटर जाने का प्लान बिल्कुल नहीं लिया गया है, क्योंकि पिक्चर देखने के लिए बस हॉटस्टार का घर पे सब्सक्रिप्शन होना है। अच्छा अगर याद होगा तो ठीक है एक साल पहले सेम इसी समय परीक्षा वधु नी अविका गौर ने नौतीन ट्वेंटी यूनिवर्स में कदम रखा था।

बोलतीं ट्वेंटी हॉर्स ऑफ द हार्ट भाई ने कुछ भी फिल्म में थिएटर्स के आउटफुल हाउस का बोर्ड लगाया था, झूठ नहीं बोल रही हूं, मैं खुद वहां मौजूद थी क्योंकि बाहर से आप बहुत कम एक्टिंग कर रहे थे लेकिन विक्रम भट्ट सिनेमा के फैन आज भी हैं जिंदा है ये शख्स कौन है कहां से आता है ये राजा मुझे नहीं पता हां तो विक्रम भट्ट सर ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है क्योंकि बाकी एक्टर्स, डायरेक्टर, साउथ या फिर हॉलीवुड में किसी भी फिल्म को ढूंढते हैं लेकिन विक्रम सर तो अपनी ही पुरानी फिल्मों के बड़े इतने फैन हैं कि बच्चे साल भले ही चले गए हों लेकिन मजाल है कि कहानी में कुछ बदल जाए वही पुरानी कॉपी बेस्ड तो यार ये ब्लडी जो फिल्म है उसका ना टाइटल बदल के आप उन्नीस बीस हॉरर्स ऑफ द हार्ट रख के असंबद्ध फिल्म को इस्तेमाल कर दोगे ना लोगों को समझ में भी नहीं आएगा।

भूत बनाम इंसान की लड़ाई का जो पुराना फॉर्मूला है उसमें हमेशा एडल्ट सीन होते हैं, डर गया तेल लेने के बारे में आप काम सूत्र के बारे में जरूर जानें। तो एक लड़की है यार की याददाश्त हो गई है मिसेज बैकवर्ड कुछ भी याद नहीं है बस साथ में एक लड़का है जो खुद को इसका पति बताता है। लेकिन हाँ अमीरी भयंकर वाली है ये दोनों साथ में रहते हैं सात समंदर पार स्कॉटलैंड का एक सुंदर लेकिन शांत प्रकार के छोटे से द्वीप पर पे मुसीबत ये है घर के नीचे जाने वाली नाव तक वाला एक गुप्त कमरा उसकी चाबी पास नहीं है लेकिन लॉक बहुत मोटा है लगा है का मतलब अंदर कुछ तगादा छुपा है. हीरो हीरोइन का क्लैश होता है शांत करने के लिए दोनों का रेसलिंग का मैच होता है।

भूत शर्मा जायेगा : ब्लड इश्क़ मूवी रिव्यू | Bhoot Sharma Jayega: Blood Ishq Movie Review

हारा कौन नहीं पता लेकिन जीत रोमांस की होती है। लेकिन इससे पहले की हीरोइन नई जिंदगी को सच भूत खोजने के लिए अपने पतिदेव के प्यार में उन्हें घर में दिखाई देने लगती है। एक महिला आत्मा है जो बिना फूल के वही सफेद पे दिखाई देती है जहां कुछ देर पहले उसका कुश्ती मैच हुआ था। भूल गए तो नहीं गए ना?

कुल मिलाकर टेंशन ये बात है कि नई जिंदगी तो तब शुरू होगी जब पुरानी वाली हकीकत पता चलेगी दोस्ती का फायदा उठाके पतिदेव को छुपा रहे हैं भाई फिल्म देखो कैसी है वो शायद मुझे बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि वाइज को तो सिर्फ इशारा करना काफी होता है मैं तो पूरा निबंध आपको सुना रहा हूं लेकिन हां इसकी वजह से बॉलीवुड का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में लिखा जा रहा है पूछोगे नहीं क्यों भाई सच बोल रही हूं आपकी तारीफ से ज्यादा फालतू फिल्म आपने आज तक नहीं आंकी होगी मतलब दस आंकड़े नब्बे भी नहीं पूरी सौ प्रतिशत फिल्म वीएफएक्स से बनाई गई है

याद है वो रिची हेलीकॉप्टर आइलैंड में घर **** शूटिंग के लिए पैसे बर्बाद करने तक कार्टून से ग्रीन स्क्रीन पे चला के शूट कर लिया था सब कुछ। मुझे तो लगा था ये अविका गौरव और गौरव ये दोनों असली हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर घर बैठे-बैठे की शूटिंग चल रही है।

सबको मेरे ज्यादा काम करने से प्रॉब्लम है ! अक्षय कुमार | Everyone has a problem with me working too much! Akshay Kumar

आप लोग फाल्टू में ओम रावत को इतना बुरा अच्छा प्रदर्शन हो गया था, जिसमें सारे इल्जाम का दावा हो गया था, जबकि रियल ट्रेजर तो इस फिल्म का रहस्य है, आपको यकीन नहीं होगा कि आंखों के अंदर पे लॉकेट के शोकेस पिक्चर से तो कोई उम्मीद पहले ही नहीं थी, लेकिन भट साहब की फिल्मों का संगीत कितना प्रतिष्ठित हुआ था। लेकिन यहां तो कान में भी किसी ने वो हरा वाला बम चला दिया हो ऐसा कुछ भी बज रहा है, कुछ भी गाए जा रहे हैं, रोमांस में मयायत वाले गाने हैं।

पित्री अविका की शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया गया है, लोग वास्तव में उनका सम्मान करते हैं, जो शायद अब बचेगा नहीं, ऐसी फिल्में करने के बाद। और भगवान के लिए भूल गए कि ब्लॉसम पूरी ने ये **** आशिक के बाद कभी कमबैक करने की कोशिश की थी। मैंने तो उनकी कोई फिल्म नहीं देखी, कहां देखी। रिव्यू चाहिए तो सलमान भाई के स्टाइल में बोलो यार, खुद पे एक एहसान करना कि इस फिल्म से अकेले हो सके खुद को दूर कर देना। बाकी शरीर तुम्हारा है, पतलाना चाहता हो तो पतला लो।

बार्बी बन अपने जलवे बिखेरे सोनाक्षी ने | Sonakshi spread her charm as Barbie

क्यों जीते ये फिल्मी सितारे | Why do these movie stars win?

इस बार पंद्रह celebrities लोकसभा चुनाव में उतरे थे जिनमें से ग्यारह celebrities ने जीत हासिल की है जीतने वालों में कंगना रनौत हेमा मालिनी, शत्रुनुन सिन्हा, रवि किशन, मनोज तिवारी ये सारे शामिल हैं, जबकि भोजपुरी स्टार पवन सिंह और निरहुआ बुरी तरह हार गए हैं। इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत हेमा मालिनी को मिली है, जो दो लाख तिरानवे हजार चार सौ सात वोटों जीती हैं वहीं दूसरी तरफ राजबर और निरहुआ जैसे actors बुरी तरह मात खा गए।

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी को उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट से भाजपा का टिकट मिला था। उनके सामने थे कांग्रेस के नेता मुकेश धनगर। हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा का टिकट हासिल करने वाली कंगना रनौत ने कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह को हराया टीएमसी की तरफ से पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा के नेता एसएस अहूलवालिया को fifty nine से हराया है।

टेलीविज़न के पॉपुलर शो रामायण में भगवान श्री राम की भूमिका निभाकर फेमस हुए एक्टर अरुण गोविल ने उत्तर प्रदेश के मेरठ से जीत हासिल की। भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरे अरुण गोविंद ने समाजवादी पार्टी नेता सुनीता वर्मा को दस हजार पांच सौ पचासी वोटों से हरा दिया।

कुत्तों की तरह ट्रीट करते हैं: उर्फी जावेद | Treats us like dogs: Urfi Javed

एक्टर और प्ले बैक सिंगर सुरेश गोपी ने भी केरल की त्रिशूल सीट से चुनाव जीता है उनके खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता वी एस सुनील कुमार थे north east Delhi की बात करें तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उतरे मनोज तिवारी ने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को हराया है। मनोज एक लाख अड़तीस हजार सात सौ अठहत्तर वोटों के अंतर से जीत गए हैं।

भाजपा की तरफ से उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के नेता काजल निषाद को हराकर भोजपुरी स्टार रवि किशन ने जीत हासिल की है। एक्ट्रेस सायोनी घोष पश्चिमी बंगाल के जाधवपुर से चुनाव में उतरी थी उन्होंने भाजपा नेता अनिर्बान गांगुली को दो लाख अठावन हजार दो सौ एक वोट से मात दी। बंगाली सिनेमा की actress शताब्दी रॉय ने भाजपा नेता देवतनु भट्टाचार्य को भारी मतों से मात दी।

Actress ने तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर पश्चिम बंगाल की वीरभूमि से चुनाव लड़ा था। बांग्ला actress रचना बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की हुगली सीट जीती है, वो तृणमूल कांग्रेस की तरफ से चुनाव में उतरी थी, उनके सामने थी लॉकेट चाटर्जी। बंगाली सिनेमा में देव नाम से पहचाने जाने वाले एक्टर अधिकारी दीप ने भी पश्चिम बंगाल की घटाल सीट जीत ली है तृणमूल कांग्रेस की तरफ से चुनाव में उतरे एक्टर के सामने भाजपा नेता हिरन मॉय चट्ट उपाध्याय थे सीनियर एक्टर राज बब्बर हरियाणा के गुरुग्राम से चुनाव में उतरे थे उनके सामने भाजपा नेता राव इंद्रजीत सिंह खड़े हुए थे और राव इंद्रजीत सिंह ने राज बब्बर को seventy five thousand वोटों से मात दी है।

भोजपुरी स्टार पवन सिंह बिहार की सीट से निन्यानवे हजार दो सौ छप्पन वोटों से चुनाव हार गए है वो से निर्दलीय मैदान में उतरे थे सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजा राम सिंह को जीत हासिल हुई और भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चुनाव में उतरे यादव निरहुआ भी एक लाख इकसठ हजार पैंतीस वोटों से हार गए हैं। उनके सामने सपा नेता धर्मेंद्र यादव खड़े हुए थे।

दोस्तों इस बार हमने देखा कि पॉलिटिकल पार्टीज ने हमेशा की तरह बड़े चेहरों का इस्तेमाल किया, लोगों को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने के लिए हेमा मालिनी के बारे में कहा जा रहा था कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी, पचहत्तर के करीब होती जा रही है, कहा ये भी गया था कि वो इशा देओल को तैयार कर रही है, फिर ये कहा गया कि शायद कंगना रनौत को वो सीट मिलेगी, लेकिन उन्हें ही वो सीट मिली और बहुत शानदार जीत उन्होंने दर्ज की है हेमा मालिनी की फैमिली से ही आने वाले सनी देओल जो कि पिछली बार सांसद बने थे गुरदासपुर सीट से बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ कि वो पॉलिटिक्स के लिए नहीं बने हैं

क्योंकि ना तो वो गुरदासपुर गए ना उन्होंने वहाँ के लोगों का दर्द जाना और एक बहुत ही खराब example पेश किया और इस वजह से काफी थू-थू भी हुई सनी देओल की तो इस बार जो celebrities जीते हैं उनसे हम एक ही request करेंगे कि अगर आप जीत गए हैं तो तमीज से तरीके से अपनी जिम्मेदारियों नहीं तो जो लोकतांत्रिक देश है भारत इसका ये जो सिस्टम है इसकी बेइज्जती करने की कोशिश ना करें अगर जनता ने आपको प्यार दे दिया है।

रामदेव के बाद अब फसेंगे कई बॉलीवुड सितारे, भ्रामक विज्ञापन मामले में | After Ramdev, now many Bollywood stars will be trapped in misleading advertisement case

मिस्टर एंड मिसेज माही रिव्यु

इस फिल्म की लेंथ है दो घंटे अठारह मिनट ये फिल्म महेंद्र जो कि राजकुमार राव प्ले कर रहे हैं और महिमा जो कि जानवी कपूर प्ले कर रही है इन दोनों की है दोनों का निकनेम माही है और दोनों को एक ही समय पर क्रिकेट से काफी लगाव रहता है लेकिन समय का दस्तूर उन्हें कहीं और खींच लेता है महेंद्र बन्ना क्रिकेट चाहता था लेकिन बन नहीं पाता जबकि महिमा पैरेंट्स के मन मुताबिक डॉक्टर बन जाती है।

तो महेंद्र और महिमा एक दूसरे से मिलते हैं, दोनों के ख्यालात मिलने लगते हैं और दोनों आपस में शादी कर लेते हैं। महिमा अपने पति महेंद्र को दोबारा क्रिकेट में वापस आने के लिए कहती है। महेंद्र मैदान पर वापसी करता भी है लेकिन उसका रिद्धम पहले जैसा नहीं है। अह तभी वो देखता है कि उसकी वाइफ यानी महिमा भी अह बहुत अच्छा क्रिकेट खेल लेती है। महेंद्र फिर खुद क्रिकेटर बनने का सपना छोड़कर महिमा को कोचिंग देने है वो महिमा का स्टेट टीम में selection भी करा देता है।

अरनमनाई 4 मूवी रिव्यु: एक ऐसी बुरी आत्मा की कहानी है जो पहले किसी को मारती है फिर उसी का रूप लेती है!

समय के साथ-साथ महेंद्र अपनी बीवी की सफलता से insecure होने लगता है उसे लगता है कि महिमा तो famous हो गई लेकिन वो वहीं का वहीं रह गया दोनों के बीच इसी बात को लेकर रिश्ते खराब होते हैं अब दोनों की लाइफ इस करवट बदलती है ये आपको फिल्म देखने में पता चलेगा लेकिन जानवी कपूर ने अपनी एक्टिंग से इस फिल्म में निराश किया है पूरी फिल्म में उनके expression लगभग एक जैसे हैं थोड़ी confuse सी भी लग रही हैं फिल्म में उन्होंने क्रिकेटर का रोल निभाया है

लेकिन क्रिकेटर वाली बात उनमें दिखती और एक क्रिकेटर के रोल में ढलने के लिए शायद ऐसा लगता है कि उन्हें थोड़ी और प्रैक्टिस करनी चाहिए थी राजकुमार राव ने भी थोड़ा बहुत संभालने की कोशिश की है लेकिन ज्यादातर जगह वो भी बोरिंग लगते हैं और हर सीन में ऐसा लगता है वो रो रहे हैं ये फिल्म काफी हद तक predictable है कहानी बहुत सपाट है डायरेक्टर शरण शर्मा थोड़ा भी इंटरेस्ट अह इसे थोड़ा-सा भी interesting नहीं बना पाए हैं

और डायलॉग्स बहुत कमजोर हैं क्रिकेट का sequence भी बिल्कुल नकली सा लगता है इस फिल्म में कुमुद मिश्रा और जरिना वहाब जैसे एक्टर्स भी दिखेंगे लेकिन उनसे director ने कोई खास काम लिया नहीं है Kabhi Khushi Kabhie Gam का जो गाना है देखा Tenu पहली बार उसे इस film में recreate किया गया है ये film का पहला और आखरी अच्छा गाना आप इसे कह सकते है ah sports background पर बनने वाली फिल्में ah जो होती है उनके गाने बड़े energy देने वाले होते है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है

कोई जोश खरोश भी नहीं दिखता अगर आपके पास खाली समय है करने को कुछ नहीं है तो आप ये film देख सकते है खासकर अगर आप Rajkummar Rao के fan है तो उन्हें देखने जा सकते है लेकिन इस film देखकर आपको निराशा ही हाथ लगेगी क्योंकि ये फिल्म उतनी असरदार नहीं है, आपको लगेगा कि जैसे नमक कम है। शिकंजी में जैसे चीनी कम लगती है, कई बार धुला-धुला सा लगता है,

तो वो असर आएगा आपको, ये लगेगा कि आपने ये फिल्म क्यों देखी, शायद ना देखते तो समय बच जाता, लेकिन फिर भी अगर आप देखने जाना चाहते हैं, तो देखने जाइए, लेकिन बहुत सारी उम्मीदें लेकर मत जाइएगा। क्योंकि अगर आप बहुत सारी उम्मीदें लेकर जाते हैं, तो आपकी उम्मीदें धुल जाएँगी। दोस्तों, अगर आप भी ये फिल्म देख चुके हैं, तो मेरे साथ आप शेयर कर सकते हैं. मुझे इंतजार रहेगा आप लोगों के कमेंट्स पढ़ने का. और साथ ही आप हमें बता सकते हैं कि आगे आप और किस तरह का कॉन्टेंट हमारे प्लेटफार्म पर देखना चाहेंगे.

राक्षस से डर गए रणवीर सिंह! | Ranveer Singh scared of the monster!

अरनमनाई 4 मूवी रिव्यु: एक ऐसी बुरी आत्मा की कहानी है जो पहले किसी को मारती है फिर उसी का रूप लेती है!

एक तमिल फिल्म का हिंदी संस्करण भी आज रिलीज हुआ है, अरन मनाए चार में तमन्ना भाटिया आपको दिखाई देती हैं, सुंदर-सी दिखाई देती हैं, लेकिन कुल मिलाकर अगर आप इस फिल्म को बहुत ज्यादा उम्मीदें लेकर देखने जा रहे हैं, तो मेरा ये सुझाव है, बहुत ज्यादा उम्मीदें लेकर मत जाइए, तमिल में इसने बहुत अच्छा कारोबार किया है, तो हो सकता है आपकी उम्मीद ऐसी हो जाए कि शायद ये फिल्म बहुत कमाल की हो, लेकिन ये फिल्म इतनी कमाल की नहीं है।

बहुत सुस्त सी शुरुआत होती है, मैं कहानी नहीं करूंगा, क्योंकि हॉरर है, आपका मज़ा खराब होगा लेकिन मैं आपको समग्र अनुभव बताता हूँ फिल्म थोड़ी सी सुस्त शुरू होती है फिर धीरे-धीरे आप फिल्म की कहानी में बस जाते हैं फिर आपको मज़ा भी आने लगता है थोड़ी सी यात्रा आपको अच्छी भी लगती है और बीच में कॉमेडी के तत्व भी हैं जो कुछ खास तरह के लोगों को भी पसंद आएंगे जैसे कुछ लोग जेठालाल टाइप की कॉमेडी अगर पसंद करते हैं तो उन्हें वो अच्छी गुल लेकिन अगर आप बहुत अच्छी कॉमेडी के शौकीन रहे तो आपको थोड़ा बचना होगा

कुल मिलाकर अगर आप बिलकुल खाली है कोई काम नहीं है और आपका मन है कुछ भी देखने का जाए थोड़ा सा आनंद ले सकते हैं लेकिन हाँ कई जगह पर आपको लगेगा कि यहाँ गाना क्यों डाल दिया यहाँ अचानक हिरोइन डांस क्यों करने लगी फिर बहुत सी चीजें आपको प्रेडिक्टेबल सी लगेंगी शॉर्ट में बताऊँ तो ये एक ऐसी बुरी आत्मा की कहानी है जो पहले किसी को मारती है फिर उसी का रूप लेती है फिल्म घर पर रखकर जाने वाली फिल्म है हॉरर थ्रिलर वाला जॉनी है,

दो हिस्सों में बनेगी रणबीर की रामायण | Ranbir’s Ramayan will be made in two parts

लेकिन बहुत कुछ कमाल की आप उम्मीद नहीं कर सकते हैं एक सवाल इस फिल्म को देखने के बाद जहन में जरूर आता है कि जो तमिल दर्शक है क्या ये कुछ भी देखता है क्योंकि हाल के दिनों में हमने कुछ बहुत अच्छी दक्षिण भारतीय फिल्में भी देखी हैं, खासकर तेलुगु फिल्में भी बहुत अच्छी देखी हैं, लेकिन ये जो तमिल फिल्म है, अगर आप बहुत ज्यादा दिमाग लगाएंगे तो निराश होने वाली है

टाइम पास के मिसली से देखना चाहते हैं और अगर नहीं भी देखेंगे तो आपके जीवन में कुछ ऐसा नहीं होगा कि आपने अरन नहीं बनाया है तो फैसला आप कहेंगे मैंने आपको बताया है कि बहुत कमाल की सिनेमा नहीं है, लेकिन हां टाइमपास के लिए अच्छा है, खासकर उन लोगों के लिए जो साउथ की फिल्मों के शौकीन हैं, ठेठ दक्षिण भारतीय फिल्में हैं जिनमें कुछ हीरो ऐसे बाकी डरावने तत्व हैं जो ठीक-ठीक से हैं।

कौन बेवफा? हार्दिक या नताशा: पूरी कहानी जो आप जानना चाहते हो | Who is unfaithful? Hardik or Natasha: The whole story you want to know

बिहार के काल्पनिक शहर सीतामढ़ी के बैकग्राउंड में चलती रहती है: भैय्या जी

भैया जी ये मनोज वाजपेयी के करियर की सौवीं फिल्म है। और इस फिल्म में उन्होंने काफी एक्शन किया है लेकिन क्या ये फिल्म वाकई आपको थिएटर में जाकर देखनी चाहिए। दो घंटे पंद्रह मिनट इसकी ड्यूरेशन है। और इस फिल्म की कहानी बिहार के काल्पनिक शहर सीतामंडी के बैकग्राउंड में चलती रहती है।

मनोज वाजपेयी ने इस फिल्म में रामचरण त्रिपाठी का किरदार निभाया है। जिसे प्यार से लोग भैया जी कहते हैं। तो भैया जी जो ये एक जमाने में बिहार की पॉलिटिक्स में खूब दबदबे वाले इंसान थे। उनके फावड़े ने हजारों कुकर्मियों को इस संसार से मुक्त कर दिया था। लेकिन भैया जी अब सब कुछ छोड़कर शादी करके बिल्कुल शरीफों की तरह जिंदगी जीना चाहते हैं।

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इस बीच उनके छोटे भाई की दिल्ली में हत्या हो जाती है। अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए भैया जी बिहार से दिल्ली आते हैं और शुरू होता है एक नया खेल। इसमें कोई शक नहीं कि मनोज वाजपेयी ने अपनी दमदार acting और action से खूब किया है और इससे पहले उन्हें ऐसे एक्शन अवतार में कभी देखा भी नहीं गया अपने किरदार के साथ उन्होंने पूरी तरह से इंसाफ करने की कोशिश की है।

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मनोज बाजपई की लेडी लव बनी जॉया हुसैन कहीं ना कहीं एक्शन सीन में उन पर भारी भी पड़ती दिखती है तो वहीं नेगेटिव भूमिका में सुविंदर, विक्की, जतिन गोस्वामी ये अपना कोई असर नहीं छोड़ पाते हैं। विपिन शर्मा अपने किरदार से दर्शकों को गुदगुदाने की थोड़ी कोशिश करते हैं लेकिन वो थोड़ा सा बनावटी लगता है इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है फिल्म का डायरेक्शन इस फिल्म से पहले मनोज वाजपेयी को लेकर एक फिल्म आई थी सिर्फ एक बंदा काफी है उसी फिल्म का डायरेक्शन कर चुके अपूर्व सिंह कारकी ने इसका डायरेक्शन किया है

फिल्म की कहानी काफी कमजोर है बदले की भावना पर आधारित इस तरह की कई कहानियां दर्शक पहले कई बार देख चुके हैं फिल्म की पटकथा भी स्क्रिप्ट भी शुरू से लेकर अंत तक वह ढीली है फिल्म शुरू होने के एक मिनट के बाद से ही इस बात का अंदाजा हो जाता है कि कहानी आगे क्या मोड़ लेगी यानी है मतलब प्रेडिक्ट कर सकते हैं आप कि क्या होने वाला है?

फिल्म के गिने-चुने डायलॉग्स को अगर छोड़ दें तो सारे डायलॉग्स भी घिसे पिटे से लगते हैं फिल्म की कहानी में बिहारी टच है और दिल्ली हरियाणा का टच दिखाया गया है लेकिन फिल्म के एक्शन सीन्स देखकर ऐसा लगता है कि साउथ की कोई फिल्म आप देख रहे हैं वो चल रही है आपके सामने सिनेमैटोग्राफी भी कोई खास नहीं है फिल्म की कहानी बिहार के बैकग्राउंड की है इसलिए फिल्म के गीत भोजपुरी सिंगर से गवाए गए हैं ये एक अच्छी कोशिश है लेकिन मनोज तिवारी के गाए गीत बाग़ के करेजा और कौन जनम के बदला के अलावा कोई भी गीत ऐसा नहीं है जो आपको असर छोड़ पाए आप पर और फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी कुछ खास नहीं है

तो अगर आप मनोज वाजपेयी के फैन हैं और उन्हें पहली बार एक बहुत जबरदस्त एक्शन अवतार में देखना चाहते हैं तो आप ये फिल्म देख सकते हैं और अगर थोड़ा इंतजार करना चाहे तो इंतजार कर सकते हैं थोड़े समय बाद ये फिल्म ओटीटी पर भी आ सकती है तो आपको तय करना है कि आप फिल्म कहाँ देखने जाएं अगर नहीं देखेंगे तो बहुत ज्यादा मिस नहीं करने वाले हैं लेकिन अगर हार्डकोर फैन हैं तो आप जाकर देख सकते हैं, अपने पैसे के आप मालिक हैं। तो अगर आपने फिल्म देख ली है तो मुझे भी बताइए कि कैसी लगी आपको ये फिल्म? मुझे इंतजार रहेगा आपके कमेंट्स पढ़ने का।

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मैदान मूवी रिव्यू हिंदी- फुटबॉल पर बनी एक बेहतरीन फिल्म | Maidan Movie Review Hindi-A great film made on football

Movie आखिर कैसी बनी है दरअसल काफी सारे लोगों ने ah मैदान movie को देख लिया है और जो reviews निकलकर सामने आए है वो इस movie को लेकर काफी positive बातें कर रहे है positive reviews का सीधा सीधा मतलब ये है कि इसके साथ release होने वाली है उसके सामने मैदान कहीं ना कहीं ground को मजबूत करने की कोशिश कर रही है क्योंकि बड़े भैया छोटे मियाँ एक complete entertainment वाली मसाला movie है और इस तरह की movies को Indian audience कुछ ज्यादा ही प्यार देती है देखिए मैदान की अगर हम बात करें तो हम सभी को कही ना कही super heroes की कहानियाँ जो है वो पसंद होती है चाहे आप Superman की बात कर ले Batman की बात कर ले Spider-Man की बात कर ले Shaktiman की बात कर ले Junior जी की बात कर ले आपको पसंद होती है superhero हमारे बीच रहने वाले आम से दिखने वाले लोग ही होते है जिनके पास हमसे थोड़ी सी ज्यादा ताकत होती है जो हर एक मुश्किल के करने के लिए सबसे आगे खड़े मिलते हैं।

जिनके लिए मुश्किल से मुश्किल चीज मुमकिन होती है, जिंदगी की भागदौड़ में हम काल्पनिक कहानियों में असल में इतना खो जाते हैं कि असल जिंदगी के सुपरहीरोज पर हमारा ध्यान जाता ही नहीं है। और ऐसे ही एक अनजाने सुपरहीरों की कहानी को फिल्म मैदान के साथ लेकर आ रहे हैं अजय देवगन बड़े पर्दे पर बात करें अगर हम मैदान की कहानी की तो हमारे देश के इतिहास में ऐसे कई लोग रहे जिन्होंने हमें दुनिया की नजरों में जगह दी।

एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया जिसकी उम्मीद ने कभी की ही नहीं थी और ऐसे ही एक शख्स थे सैयद अब्दुल रहीम रहीम साहब ही वो शख्स है जिन्होंने भारत की कई फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में उसका पहला gold medal दिलवाया था उनकी हिम्मत और जज्बे पर बनी फिल्म मैदान काफी धमाकेदार है इस फिल्म में फुटबॉल के साथ-साथ politics अह रोमांच और emotions की काफी अच्छे तरीके से नुमाइंदगी करी गई। फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है साल उन्नीस सौ बावन से फुटबॉल के मैच को भारत के खिलाड़ी नंगे पैर खेल रहे हैं।

किसी के पैर में लगती है तो कोई दूसरे खिलाड़ी को tackle करने में पीछे रह जाता है इसी तरह भारतीय टीम मैच हार जाती है कलकत्ता के federation ऑफिस में भारतीय फुटबॉल टीम की हार का ठीकरा सैयद अब्दुल रहीम मतलब अजय देवगन के सिर पर फोड़ा जाता है रहीम कहते हैं कि अगर हार की जिम्मेदारी उनकी है तो अपनी टीम का चुनाव भी वो खुद करेंगे इसके बाद वो निकल पड़ते हैं देश भर में अपनी टीम के लिए बेस्ट खिलाड़ियों की तलाश करने कलकत्ता से लेकर सिकंदराबाद, केरल और यहाँ तक कि पंजाब तक घूम-घूम कर रहीम अपनी टीम तैयार करते हैं इस टीम में पीके बैनर्जी मतलब चून्नी गोस्वामी, सिंह मतलब कि दविंदर गिल तुलसीदास, बलराम और कई सारे बढ़िया खिलाड़ी इनको शामिल कर लेते हैं।

बडे मिया छोटे मिया एडवांस बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 3 दिन | Bade Miyan Chote Miyan Advance Box Office Collection 3 Days

यही वो टीम है जिसके साथ खून पसीने की मेहनत कर रहीम एशियन गेम्स में gold medal जीतना चाहते हैं। federation में बैठे शुभांकर जैन गुप्ता, रहीम साहब को पसंद नहीं करते और टॉप न्यूज़ पेपर के senior journalist रॉय चौधरी मतलब कि गजराज राव रहीम को भारतीय फुटबॉल टीम के coach की position से बेदखल करने के लिए एडी चोटी का लगाते हुए दिखते है इस मंजिल में ढेरों कांटे है एक से बढ़कर एक चुनौतियां है और दुश्मन जब घर के अंदर ही बैठा हो तो मंजिल तक पहुँचना तो थोड़ा और ज्यादा मुश्किल हो जाता है ऐसे में किस तरह Syed Abdul Rahim और उनकी football team Asian Games nineteen sixty-two के स्वर्ण पदक तक पहुँचेगी यही कुछ फिल्में आपको देखने के लिए मिलेगा दरअसल बीते कुछ समय से हमने बहुत सी sports drama और sports bio पे फिल्में देखी लेकिन किसी में भी वो बात नहीं थी जो कि आपके रोंगटे खड़े कर दे हाँ एक हद तक हमको वो भाग मिलकर वो चीज देखने के लिए मिली थी।

लेकिन वो सब फिल्में भी आई और चली गई। मैदान में वो सब कुछ है जो एक बढ़िया दिल को खुश कर देने वाली और रुला देने वाली sports biopic मूवी में होना चाहिए। ये मूवी पहले कुछ seen से ही आपको अपने साथ बांध लेती है। फिर आप रहीम साहब के और रहीम साहब आपके हो जाते हैं। वो अपनी टीम जोड़ना चाहते हैं और आप उनके सफर में उनके साथी बनकर सब कुछ देखना चाहते हैं। उनका हंसता खेलता परिवार, उनकी नौकरी की चुनौतियां और खिलाफ होने वाली साजिश सब आपके अलग-अलग emotions उजागर करती हैं। खिलाड़ियों के गोल पर आप तालियां बजाते हैं तो उन्हें चोट लगने पर परेशान भी होते हैं। रहीम की बेबसी देखकर आपका दिल दुखता है और उनका दर्द आपकी आँखों में आंसू भी ला देता है।

बात करें अगर हम लोग एक्टिंग की परफॉर्मेंस की तो मैं यहां पर सबसे पहले गजराज राव की बात करना चाहूंगा। उनका किरदार इतना खराब है कि आपको उसे देखकर गजराज राव से आपको नफरत हो जाएगी आपको मन करेगा कि इसके मतलब गाल पर लपाड़े ही लपाड़े मन करेगा कि बट्टे से इस आदमी का मुंह क्यों नहीं पूछ लिया जाता? मतलब ये आपको इस तरह का character feel कराएँगे और यही दिखाता है कि Ajrao कितने बढ़िया actor है

उन्होंने अपने किरदार को इतने कमाल तरीके से पकड़ा है कि आपको हर एक scene में उनसे नफरत होगी उनके किरदार रहीम को किसी तरह चैन नहीं लेने देते लेकिन जब उसे उसका सबक मिलता है तो माशाअल्लाह मज़ा ही आ जाता है football team के खिलाड़ियों के roll में चैतन्य शर्मा Ravinder Gill, Sushant Gindade, Tejas, Ravi Shankar, Rishabh Joshi, Amandeep Thakur, Madhur Mittal, Mandeep Singh सारे actors ने कमाल का काम किया है आपने इनका खेल आपको ये feel नहीं होगा की यार आप कुछ नया देख रहे है अपने खेल से वो हर एक scene को जोश से ही भर देते है परदे पर football खेलते दिखने के लिए सभी ने काफी मेहनत भी करी है और ये बात आप उनकी performance में साफ तौर पर देख सकते है इसी के साथ casting directors की भी तारीफ करनी चाहिए

मैदान एडवांस इंडियन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन | Maidan Advance Indian Box Office Collection

Ravi Ahuja और उनकी team ने एक से बढ़कर एक actors को खिलाड़ियों के रूप में लिया है कुछ नए और कुछ जाने माने चेहरों को इस film में दिखाना काफी represent था Rahim की पत्नी के role में Priyamani का काम काफी अच्छा है उन्होंने अपने छोटे से role को बखूबी निभाया है इसके अलावा film से जुड़े दूसरे actors ने भी अपने किरदारों के साथ काफी हद तक justice किया है अब बात आती है इस फिल्म के हीरो की देखिए अजय देवगन एक बहुत ही उम्दा कलाकार है बढ़िया actor है ये हम सभी जानते है उन्होंने कई अलग-अलग किरदारों को निभाया है वो सिंघम का रोल भी आसानी से कर लेते है और गोपाल बनकर दर्शकों को हंसा भी लेते है

लेकिन शायद बहुत लंबे वक्त के बाद उन्हें किसी ऐसे serious और emotion से भरे हुए role में देखा गया है सैय्यद अब्दुल रहीम के role के साथ उन्होंने पूरा न्याय किया है और परदे पर अजय को देखते हुए आपको लगेगा कि अगर रहीम साहब को कभी सामने से देखने का मौका मिलता तो ऐसे ही होते फिल्म के पहले में आप रहीम बने अजय देवगन को खुशी और जोश में देखते हैं interview के बाद जो होता है उसमें वो एकदम अलग इंसान बन जाते हैं उनका जुनून, उनका दर्द, उनका हौसला, हिम्मत सब कुछ आपको अपने अंदर महसूस होता है और ये वही अजय देवगन है जो बीते कई सा लो से हमने पर्दे पर नहीं देखा था

मतलब मुझको इनकी मूवी याद आती है दीवानगी जिसमें ये में थे और एक विलन के तौर पर उनके काम में काफी सराहा भी गया था और पिछले कुछ सालों में इन्होंने ऐसा कोई किरदार निभाया भी नहीं है लेकिन इस मूवी को देखकर वाकई में दिल खुश होता है की जो धड़कने है वो तेज होती चलती जाती है और मूवी के आखिर में अजय आपको रुला ही देते है ऐसा ना जाने कितने सालों से हुआ नहीं है ये बहुत आसानी से अजय देवगन की बेस्ट परफॉरमेंस में से ये कही जा सकती है अजय देवगन की तरह डायरेक्टर अमित रविंद्र शर्मा ने भी साबित कर दिया कि वो बधाइयों जैसी फिल्म से आपको हसाना और मैदान जैसी फिल्म से आपको रुलाना और गर्व महसूस करवाना जानते है फिल्म की राइटिंग टीम आकाश चावला, सिद्धांत मगो और अनुराग जॉय के साथ-साथ रितेश शाह ने काम किया और बहुत रिसर्च करके इस मूवी की कहानी को लिखा है टीम की लिखाई के साथ पूरा न्याय भी करते हुए अमित शर्मा ने पूरी मूवी को फ्रेम टू फ्रेम बुन दिया है.

तुषार कान्ति दे और अंशुमन सिंह ठाकुर का काम वाकई में बढ़िया है. स्पोर्ट्स सेगमेंट के ने बेमिसाल तरीके से करी है. मतलब आप आज की तारीख में देखेंगे कि इंडियन सिनेमा जो हो रहा है उसमें कहीं ना कहीं बड़ा कारण ये भी है कि जब जहाँ पर जो सही रहता है उसको मौका दिया जाता है. और ऐसे में अगर आपको फॉरेनर्स की मदद लेनी पड़ी तो उसमें कोई गुरेज नहीं आपका काम अच्छा होना चाहिए. तीन घंटे लंबी को देखते हुए आप थकान महसूस नहीं करेंगे बल्कि इसे और देखना चाहेंगे इस फिल्म को देखते हुए वैसी ही फीलिंग आती है जैसे पहली बार कहीं ना कहीं देखकर आई थी रहमान का म्यूजिक भी इस मूवी में कमाल का है मिर्ज़ा से लेकर दिल नहीं तोड़ेंगे तक सभी गाने स्क्रीन प्ले में परफेक्ट फिट होते हैं लेकिन रहमान की आवाज में जाने दो गाना आपकी आंखें नम कर देगा फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी काफी बढ़िया है सा लो से इस फिल्म का इंतजार किया जा रहा है बोनी कपूर इस मूवी से जुड़े हुए हैं तो कहा जा रहा है कि भाई इस मूवी में शोर शोर success के सारे गुण हैं ऐसे में देखना ये है कि ये movie public को किस तरीके से पसंद आएगी। लेकिन इस movie को देखकर इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि देर आए लेकिन दुरुस्त आए।

बड़े मिया छोटे मिया vs मैदान 1 दिन एडवांस बॉक्स ऑफिस कलेक्शन | Bade Miyan Chote Miyan vs Maidan 1st Day Advance Box Office Collection

The Wages of Fear मूवी रिव्यू हिंदी | The Wages of Fear Movie Review Hindi

सोचिए कि आपको एक ऐसा task दिया गया है जिसे आप अगर complete कर लेते है तो भी आपकी जान जाएगी और अगर आप इस task को complete नहीं कर पाते है तो भी आपकी जान चली जाएगी तब आपको कैसा लगेगा तो कुछ ऐसे ही अनोखे concept के ऊपर बनाई गयी है आज की ये complete movie जी हाँ हम बात करने जा रहे है The Wages of Fear movie के बारे में जिसे finally release कर दी गयी है Netflix पर मूवी हिंदी और इंग्लिश दोनों lines में release की गई है और इसे हो सके तो आप अपने family के साथ बिल्कुल भी ना देखें। मूवी की स्टोरी based है thriller and के ऊपर तो चलिए जानते हैं

थोड़ा बहुत इस मूवी की स्टोरी के बारे में मूवी की शुरुआत होती है फ्रैंक से जिसे एक खुफिया एजेंसी एक खतरनाक task देती है task कुछ ऐसा रहता है कि उन्हें एक ट्रक लेकर जाना है एक खतरनाक explosive उस ट्रक में लोड करना है और उस ट्रक को ड्राइव करके लगभग पाँच सौ किलोमीटर दूर जाकर छोड़ देना है लेकिन उस ट्रक में इतने खतरनाक exclusive रखे जाने वाले होंगे जो कि थोड़ी सी हरकत से भी बहुत बड़ा धमाका कर सकती है लेकिन लास्ट तक फ्रैंक्स इस task को किस तरह complete करता है even वो किलोमीटर की journey किस तरह पूरी करता है, ये सारी की सारी चीजें इस मूवी में दिखाई गई है।

गॉडज़िला एक्स कोंग द न्यू एम्पायर मूवी रिव्यू हिंदी|Godzilla X Kong The New Empire Movie Review Hindi

even इस journey को पूरा करते वक्त उसके ऊपर कितने सारे हमले होते हैं और कितने लोग उन्हें मारना चाहते हैं, ये सारी की सारी चीजें इस मूवी में दिखाई गई है। यानी कि आप ये भी कह सकते हैं कि ये journey एक खतरनाक journey है। जिसे complete करना सच में नामुमकिन है, लेकिन फ्रेंड्स इस नामुमकिन journey को किस तरह पूरा करता है, ये तो आपको इस मूवी को देखने के बाद ही पता चलने वाली है। तो मूवी पूरी तरह से action पैक है, यानी कि मूवी की starting से लेकर मूवी की तक आप अच्छा खासा एक्शन enjoy करने वाले हैं लेकिन स्टोरी की जहाँ तक बात है, स्टोरी बहुत ही ज्यादा सिंपल है।

यानी कि स्टोरी आपको उतनी भी ज्यादा strong नहीं लगने वाली होगी। एक सिंपल सी स्टोरी एक journey और इस journey को complete की जाती है, पूरे मूवी में, लेकिन इस journey को complete करते वक्त उनके सामने बहुत सारे problems आते हैं, और उन सभी problems को वो किस तरह solve करते हैं, even उनके team में एक गद्दार भी रहता है, जो कि उन्हें धोखा देता है, लेकिन धोखा देने के बाद उस गद्दार का क्या होता है, ये सारी की सारी चीजें इस मूवी में आप जान पाएंगे।

लेकिन movie में थोड़ी बहुत खामियाँ भी है क्योंकि इस movie में जितने भी सारे action दिखाए गए है वो action आपका ध्यान अपनी तरफ नहीं खींच पाएँगे movie की action बहुत ही ज्यादा आपको normal लगने वाली होगी और movie की story भी बहुत ही ज्यादा simple लगने वाली होगी लेकिन overall ये complete movie एक अच्छा खासा thrill पैदा करती है क्योंकि आपका ध्यान थोड़ा बहुत जरूर खींचेगी क्योंकि ये thrill पैदा होती है कि इस journey को last तक किस तरह complete की जाती है और explosive ठीक तरह से अपने destination तक पहुँच पाती है या फिर नहीं पहुँच पाती है

यही thrill इस movie को आपको छोड़ने नहीं वाली है। तो अब बात करते हैं इस मूवी की रेटिंग के बारे में तो अगर मैं इस मूवी को रेटिंग दूँ तो मैं ऐसे रेटिंग दूंगा five में two पॉइंट nine स्टार क्योंकि ये मूवी रही मेरे लिए काफी हद तक अच्छी लेकिन इस मूवी में बहुत सारी ऐसी भी चीजें हैं जो कि इस मूवी को थोड़ा बहुत weak जरूर कर देती है।

इस मूवी को देखने के बाद ही आपको पता चलेगा कि मूवी में असल में बहुत सारी खामियां है जिसकी वजह से ये मूवी थोड़ी बहुत दर्शकों का ध्यान नहीं खींच पा रही होती है। तो अगर आप सोच रहे हैं कि इस मूवी को हम देखें या ना देखें तो मूवी देखना ना देखना पूरी तरह से आपके ऊपर डिपेंड है लेकिन अगर आप एक्शन मूवी देखना पसंद करते हैं तो आपके लिए ये मूवी almost perfect मूवी है।

द गोट लाइफ मूवी रिव्यू हिंदी | The Goat Life Movie Review Hindi

द गोट लाइफ मूवी रिव्यू हिंदी | The Goat Life Movie Review Hindi

अपना देश तो अपना ही देश होता है लेकिन दोस्तों बहुत बार ऐसी भी मजबूरी आ जाती है जिसकी वजह से हमें हमारा देश छोड़कर दूसरे देश income करने के लिए जाना पड़ता है और इसी income के चक्कर में ना जाने कितने भारतवासी कुछ खतरनाक trap में फंस जाते हैं। जहाँ पर उनकी जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है। तो दोस्तों आज हम जिस movie के बारे में बात करने जा रहे हैं। इस movie में भी आपको कुछ ऐसे ही दृश्य नजर आने वाले होंगे।

जिसमें आप देख पाएँगे एक सीधा साधा गाँव का लड़का जो कि विदेश जाता है पैसा कमाने के लिए लेकिन वो कुछ लोगों के हाथ में पड़ जाता है और उसकी जिंदगी नर्क से भी ज्यादा बदतर हो जाती है। जी हाँ दोस्तों मैं बात करने जा रहा हूँ the गुट लाइफ मूवी finally release कर दी गई है। मूवी चाहे तो आप अपने पूरे family के साथ बैठकर देख सकते हैं। तो दोस्तों चलिए जानते हैं थोड़ा बहुत इस मूवी की स्टोरी के बारे में तो दोस्तों मूवी की शुरुआत होते ही पृथ्वी राज से। जो कि गाँव में छोटे-मोटे काम कर रहे होते हैं और अपने परिवार को चला रहे होते हैं।

योद्धा टीजर रिव्यू हिंदी। Yodha teaser review Hindi

लेकिन गाँव में जैसा कि होता है बहुत बार कुछ ऐसे लोगों को देखा जाता है जो कि विदेश जाते हैं और बहुत सारा कमाकर अपने देश वापस आ जाते हैं। जिसे देखकर गाँव के कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो कि सोचते हैं कि हम एक बार विदेश जाएंगे पैसा कमाएंगे और अपनी जिंदगी आराम से बिताएंगे और इसी चक्कर में वो अपनी जमीन जायदाद सब कुछ बेच देते हैं सिर्फ visa पाने के लिए visa उन्हें मिल भी जाता है और वो विदेश चले जाते हैं लेकिन विदेश जाने के बाद वो कुछ ऐसे हाथों में पड़ जाते हैं।

जिसकी वजह से उनकी जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। आप ये भी कह सकते हैं कि वो जिंदा रहते हुए भी जिंदा लाश की तरह बने रहते हैं। तो दोस्तों ही घटना पृथ्वीराज जी के साथ भी इस मूवी में घटती है। वो एक गल्फ कंट्री में चले जाते हैं और गल्फ कंट्री में जाते ही वो कुछ ऐसे लोगों के हाथ में पड़ जाते हैं, जहाँ पर से उनका निकलना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो रहा होता है, उनकी तकलीफें इस मूवी में देखने लायक है।

मूवी में पृथ्वीराज जी का काम अब सच में salute करने वाले हैं। क्योंकि पृथ्वीराज जी की एक्टिंग, इस मूवी में आपको सच में amazing लगने वाली है। पृथ्वीराज जी की इस मूवी में एक्टिंग देखने के बाद आपके आँख में आँसू आना एकदम से नॉर्मल बात होने वाली है, दोस्तों।

एक्टिंग के मामले में पृथ्वी इस मूवी को पूरी तरह से blockbuster बना देते हैं। मूवी में आप पृथ्वीराज जी को नवाब के character में देखने वाले हैं। नवाब जो कि एक ऐसा इंसान है जो कि विदेश जाकर किसी भी तरह से पैसा कमाना चाहता है और अपना एक घर बनाना चाहता है गाँव में जैसे कि हर एक व्यक्ति का सपना होता है ऐसा ही सपना नवाब जी का भी है लेकिन वहाँ पर जाते ही वो कुछ ऐसे लोगों के हाथ में पड़ जाते हैं जहाँ पर उन्हें सिर्फ बकरियां ही चरानी होती है।

Bhagavanth Kesari मूवी रिव्यू हिंदी डब | Bhagavanth Kesari Movie Review Hindi Dubbed

वो लास्ट तक बकरियों से इतना ज्यादा लगाव कर बैठते हैं कि वो बकरियों को छोड़कर आना भी नहीं चाहते हैं लेकिन वो उस जगह से निकलना भी चाहते वो उस जगह से बचकर निकल तो जाते हैं लेकिन एक बड़ा रेगिस्तान उनके सामने रहता है जिसे पार करना शायद ही किसी इंसान के लिए possible होगा। तो दोस्तों इस मूवी में आप देखने वाले हैं कि पृथ्वीराज यानी कि नवाब किस तरह अपनी गोट लाइफ जीता है यानी कि बकरी चराने वाली लाइफ किस तरह जीता है और किस तरह वो रेगिस्तान से survive करता है।

और last तक वो घर पहुंचने में कामयाब हो पाता है या फिर नहीं हो पाता है ये तो आपको इस मूवी को देखने के बाद ही पता चलने वाली है। हॉलीवुड में आपने बहुत सारी survival movies देखी होंगी लेकिन दोस्तों यकीन इस मूवी को आप हॉलीवुड से भी अगर compare करते हैं तो भी ये मूवी हॉलीवुड से भी best मानी जाएगी क्योंकि पृथ्वी राज जी इस मूवी में पूरी तरह से जान डाल देते हैं। तो दोस्तों अब बात करते हैं इस मूवी की rating के बारे में।

तो दोस्तों अगर मैं इस मूवी को रेटिंग दूँ तो मैं इसे रेटिंग दूंगा five में four point five स्टार क्योंकि मेरे लिए मूवी रही काफी हद तक interesting मूवी में एक सच्ची घटना को ही दिखाने की कोशिश की गई है कि साधारण इंसान विदेश जाकर अगर किसी बुरे हाथ में पड़ जाए तो उनकी लाइफ कैसी होती है।

वो लाइफ actual में नर्क से भी बत्तर होती है और ये चीज इस पूरे मूवी में बखूबी दिखाई गई है। दोस्तों अगर आप सोच रहे हैं कि इस मूवी को हम देखें या ना देखें तो दोस्तों इस मूवी को आप जरूर देखिए, मूवी में सीखने लायक बहुत कुछ है और पृथ्वीराज जी की acting आपको सच में बहुत ही ज्यादा emotional भी करने वाली होगी।

गॉडज़िला एक्स कोंग द न्यू एम्पायर मूवी रिव्यू हिंदी|Godzilla X Kong The New Empire Movie Review Hindi

गॉडज़िला एक्स कोंग द न्यू एम्पायर मूवी रिव्यू हिंदी|Godzilla X Kong The New Empire Movie Review Hindi

गॉडजीला एक्स कोम the न्यू umpire finally ये मूवी Release कर दी गई है गॉडशिला और कोम की मूवी मुझे पहले से ही बहुत ही ज्यादा Interesting लगती है क्योंकि इन दोनों की fight में ज्यादातर Innocent लोग मारे जाते हैं और पूरा का पूरा शहर तबाह हो जाता है। तो fight अगर होती है तो innocent people तो मारे जाएंगे ही तो वो बात हम छोड़ते हैं अब थोड़ा focus करते हैं गॉडशिला एक्स कोंग द न्यू Umpire मूवी पर मूवी Finally release कर दी गई है। मूवी हिंदी और इंग्लिश दोनों Language में release की गई है। मूवी बहुत ही ज्यादा फ्रेश है यानी कि इस मूवी में किसी उल्टा-पुल्टा scene नहीं है और मूवी अपने family के साथ बैठकर आराम से देख सकते हैं।

पटना शुक्ला मूवी रिव्यू: सामाजिक मुद्दे पर प्रकाश डालती रवीना की फिल्म

अब बात करते हैं इस मूवी की स्टोरी के बारे में तो इस स्टोरी की अगर हम बात करें तो हर एक मूवी में आपने देखा होगा कि कोंग और गॉडशिला एक नए दुश्मन को खत्म कर रहे होते हैं। बहुत ज्यादा fight करते हैं। बहुत सारी तबाही मचाते हैं। पूरा का पूरा शहर तबाह हो जाता है। और जब पूरा का पूरा शहर तबाह हो जाता है। तब जाकर वो विलन माना जाता है गौड़चिला और कोंग के हाथ। तो finally फिर से कुछ ऐसे ही concept के ऊपर बनाई गई है। गॉडशिला एक्स कोंग द न्यू Empire. लेकिन इस में थोड़ी-बहुत different चीजें भी दिखाने की कोशिश की गई है और असल में ये different चीजें क्या हैं और असल में ये new umpire क्या है? ये सारी की सारी चीजें आपको इस मूवी को देखने के बाद ही पता चलने वाली है। मूवी स्पेशली उन्हें बहुत ही ज्यादा पसंद आने वाली है। जो कि मूवी में किसी भी तरह की स्टोरी नहीं खोजते हैं और सिर्फ action देखना बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि इस मूवी में starting से लेकर End तक सिर्फ आपको action ही नजर आने वाला होगा यानी कि इस मूवी को जब आप देखने बैठेंगे तो आपको सिर्फ action देखते हुए ही ये पूरी की पूरी मूवी बितानी होगी Others किसी भी चीज की आप उम्मीद बिल्कुल भी ना रखें।

मूवी की शुरुआत होती है फिर से कोंग से जो कि इस पर एक नए विलेन से लड़ने के लिए तैयार है और असल में ये विलन कौन है और किस तरह कॉंग पर ये भारी पड़ जाता है पहले और दूसरी बार ये किस तरह कौन से हारता है ये सारी की सारी चीजें आपको इस मूवी को देखने के बाद ही पता चलने वाली है लेकिन इस मूवी में थोड़ी बहुत खामियां भी है जैसे कि इस मूवी में गॉड शिला को बहुत ही कम रोल दिया गया है यानी कि आप ये भी कह सकते हैं कि कौन इस पर अक्षय कुमार बन चुके हैं जो कि छोटे-छोटे एक्टर्स का रोल काट लेते हैं इस बार कोंग ने गॉडशिला का रोल बहुत ही ज्यादा काटा है क्योंकि गोड शिला को अब सिर्फ starting में देखने वाले हैं और last में एक अच्छे खासे fight में देखने वाले हैं बीच के समय में गॉडशिला Holiday मनाने के लिए चला जाता है और बाकी complete मूवी में आप सिर्फ किंग कोंग को ही देखने वाले हैं। किंग कांग किस तरह न्यू empire को खोजता है किस तरह Fight करता है किस तरह घायल होता है ये सारी की सारी चीजें इस मूवी में सिर्फ कोंग के बारे में ही दिखाई गई है।

even last में Gaud Zilla सिर्फ Kong की मदद करने के लिए आता है तो स्टोरी बहुत ही ज्यादा simple है इस मूवी की समझने के लिए आपको किसी भी तरह का दिमाग खर्च करने की कोई जरूरत नहीं है। यानी कि इस मूवी को आराम से बैठिए और मारामारी देखना शुरू कीजिए और मारधाड़ देखते-देखते ये मूवी कब खत्म हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा। तो अब बात करते हैं इस मूवी की रेटिंग के बारे में। तो अगर मैं इस मूवी को रेटिंग दूँ तो मैं इसे रेटिंग दूंगा फाइव में थ्री पॉइंट टू स्टार क्योंकि मूवी में एक्शन के अलावा इस मूवी में समझने लायक कुछ भी नहीं है। तो उम्मीद करता हूँ कि आज का ये Review आपको पसंद आया होगा।

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पटना शुक्ला मूवी रिव्यू: सामाजिक मुद्दे पर प्रकाश डालती रवीना की फिल्म

पटना शुक्ला की शुरुवात होती हे तन्वी शुक्ला की मिडिल क्लास फैमली से, मिसेज शुक्ला जिला न्यायलय में वकील हैं, शुरुवात एक जांगिया के कैस से होती हैं, जो मिसेज शुक्ला जीत जाती है। मिसेज शुक्ला का एक बच्चा भी है जिसे वो बहुत प्यार करती है।

रिंकी BSc की छात्र है और कॉलेज द्वारा उसे फेल कर दिया है परंतु रिंकी को लगता हे की उसे 60% नंबर मिलना चाहिए। रिंकी मिसेज शुक्ला के पास कोर्ट केस करने जाती है और यूनिवर्सिटी पर केस कर देती है। यही से मेन कहानी सुरु होती है। रिंकी एक ऑटो ड्राइवर की लड़की हे और उसके परीक्षा के लिए काफी तैयारी की है और उसे कॉन्फिडेंट है की वह फेल नही हो सकती।

मडगांव एक्सप्रेस मूवी रिव्यू हिंदी , मिर्जापुर के मुन्ना भ्य्या यन्हा दिखेंगे|Madgaon Express movie review in Hindi

कोर्ट में कैसे का फैसला एक समिति बनाने पर आता है, जो रिंकी के पक्ष में नहीं आता, जिससे दुखी होकर वह अपने हाथ की नस काट लेती हैं, मिसेज शुक्ला फिर से कैसे में लग जाती है।

मैसेज शुक्ल यूनिवर्सिटी के नंबर के स्कैम और उसके स्कीम के बारे में और ज्यादा जांच पड़ताल करती है जिसमें वह एक पत्रकार से मिलती है जो मिसेज शुक्ला को यूनिवर्सिटी की गड़बड़ी के बारे में बताता है जिसमें गरीबों के बच्चों के नंबर के साथ में खिलवाड़ किया जाता है, मिसेज शुक्ला पूरा सिस्टम समझ जाती है और कैसे की तैयारी करती है। मिसेज शुक्ला वहां के लोकल पॉलीटिशियन से मिलती है जिनसे मिलकर उसे पता चलता है की उनके लड़के की मार्कशीट हीं पिंकी की मार्कशीट से बदली गई है, बड़े रसूखदार  होने के कारण वह शुक्ला को एक ऑफर देता है जिसमें कीपिंग की पूरी पढ़ाई का खर्च वह उठाने के लिए तैयार है परंतु  शुक्ला एक्सेप्ट नहीं करती है।

अब लड़ाई एक दलित छात्र और एक राजनेता के बीच शुरू हो जाती है, रघुवीर सिंह अपनी पूरी ताकत लगा देते है, मिसेज शुक्ला को परेशान किया जाता है उनका घर तोड़ दिया जाता है। इन सब के बीच पटना शुक्ला की हालत खराब हो जाती हे और पटना शुक्ला को उनके पिता जी बताता है की उसकी खुद की मार्कशीट खरीदी गई है,

जिसे जान कर पटना शुक्ला को काफी दुख होता है और जिससे उसकी मार्कशीट बदली गई थी उनसे मिलती है। और कोर्ट आने को बोलती है। कोर्ट में पटना शुक्ला अपने सांथ हुवे पूरे मामले की जानकारी देती है।

कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुवे जज साहब फैसला सुनाते है,जो रिंकी के पक्ष के आता है, जिससे सामाजिक मुद्दे पर प्रकाश डालती रवीना की फिल्म शिक्षा तंत्र की पोल खोलती है और मुझे लगता है हर व्यक्ति को इसे देखना चाहिए।

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मडगांव एक्सप्रेस मूवी रिव्यू हिंदी , मिर्जापुर के मुन्ना भ्य्या यन्हा दिखेंगे|Madgaon Express movie review in Hindi

मुन्ना भैया के बिना मिर्जापुर में मजा कैसे आएगा? धड़कन के बिना दिल किस काम का भाई? तो बॉलीवुड ने मेरी आपकी सुन ली, मिर्जापुर की ऐसी की तैसी, मुन्ना भैया ने comeback किया है, एक दूसरी जगह पे और सच बोलूं दो घंटे पागल हो जाओगे तुम। मटगांव एक्सप्रेस नाम की फिल्म Release हुई है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन जो फिल्म देखकर आएगा, वो सच में इसका lifetime वाला बन जाएगा, हम लोग इंतजार कर रहे हैं हेरा फेरी Three और Bhool Bhulaiyaa three जैसे sequels का यकीन मानो दोस्त ये फिल्म कॉमेडी में उन सब से बहुत आगे निकल जाएगी।

कहानी एक सपने की है, गोवा का सपना जिसको स्कूल से लेकर कॉलेज तक तीन दोस्तों ने अपने दिल में संभाल के रखा है। और जब पूरे सत्रह साल बाद ये सपना पूरा होता है, तो गोवा इन तीन दोस्तों के साथ एक चौथा character भी जाता है, एक सुंदर-सा लाल काला बैग। बैग के अंदर क्या है, यही सोचते हो, लाल बैग के अंदर लाल गांधी जी और काले रंग की एक बंदूक खिलौने वाली नहीं है, गोलियों से फुल लोडेड और एक सी सुंदर सी चाबी और ये चाबी जिस कमरे के दरवाजे पे लगे ताले को खोलती है उसके अंदर क्या हो सकता है?

स्वातंत्र्य वीर सावरकर मूवी रिव्यू हिंदी: आजादी की कहानी बस अहिंसा के साथ जोड़कर दिखाई गई | Swatantra veer savarkar movie review in Hindi

गेस करो, गेस करो, मौका है, दस्तूर है, गोवा है, पैसा है, बंदूक है, किसी चीज की कमी नहीं लगती. हाँ, ड्रग्स वो भी इस कहानी में बहुत जल्दी एंट्री मारते हैं. पहले गोवा आ नहीं पा रहे थे और अब गोवा से जा नहीं सकते. क्योंकि अपने हीरो लोग गोवा पुलिस की आँखों में अब सबसे बड़े विलन बन चुके हैं. देखते ही उड़ा दो. क्या कहानी में का वेट कर रहे हो? एक रास्ता है बचने का. उसके लिए आपको अपना जेंडर चेंज करना पड़ेगा. साड़ी पहन के जी ले सिमरन अपनी जिंदगी।

भाई scam nineteen ninety two जैसे शो के बाद अगर इस बंदे को बॉलीवुड में काम नहीं मिला तो आप समझ जाओ दुनिया में कुछ भी ईमानदारी से नहीं किया जाता। या फिर मिर्जापुर से करोड़ों लोगों को अपने नाम के आगे इज्जत से भैया लगाने पे मजबूर करने वाली Acting के बाद भी मुन्ना भैया गायब कैसे हो गए। और ये तीसरा चेहरा ninety nine percent लोग तो इनको पहचानते भी नहीं है। Romance चाहिए ना बॉलीवुड से जा के लैला-मजनू देखो जिंदगी में भूल ना पाओ ऐसा सिनेमा। animal का ये चेहरा तो कोई नहीं भुला होगा, रणवीर भी डर जाए एहसास लेकिन इतना टाइम क्यों लगा इस चेहरे को पब्लिक के सामने लाने में? सोचो इतना सारा अंडर रेटेड टैलेंट जब किसी एक फिल्म में एक साथ इस्तेमाल किया जाएगा तो वो फिल्म ज्वालामुखी बन के नहीं फटेगी तो बोलो और क्या होगा? मडगांव एक्सप्रेस वो सिनेमा है जिसको कई सालों से हम लोग धमाल, गोल-माल, हेरा फेरी इन सब के बाद अपनी नई जनरेशन को बताने के लिए ढूंढ रहे थे.

और हैरान करने वाली बात जानते हो, एक तरफ जहाँ बड़े नाम वाले डायरेक्टर्स अपनी खुद की फ्रेंचाइज बर्बाद करने पे तुले हैं. इस बार एक एक्टर ने बाकी डायरेक्टर्स को सिखाया है कि एक प्योर कॉमेडी फिल्म बनाते कैसे कुणाल खेमु सर इनके नाम के आगे सर लगाने का रीज़न है ये फिल्म क्या जबरदस्त पागलपन का सिनेमा बनाया है बिना सर पैर वाला हंसी मजाक भी नहीं और वलगल जोक्स का सहारा लेकर उसको कॉमेडी बोलना ये पाप भी नहीं किया सिर्फ और सिर्फ फनीर राइटिंग के दम पर मडगांव एक्सप्रेस आपको पूरे दो घंटे हंसा हंसा के पागल करने की शक्तियां रखती है फिल्म की कहानी बहुत जोरदार है वैसे खूब सारे ट्विस्टर्स डाले हैं जो फिल्म के क्लाइमेक्स को एकदम Unpredictable सा कर देते हैं एकदम फ्रेश और different Experience है हॉलीवुड की एक फिल्म है द हंगओवर नाम से कॉमेडी का भगवान बोलते हैं उसको।

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अगर इंडिया से किसी फिल्म को चुनना पड़ेगा ना handover को tribute देने के लिए तो मडगांव एक्सप्रेस का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। टॉप level कॉमेडी cinema. भरमार है भाई पूरे दो घंटे situational कॉमेडी की scenes ऐसे बनाए हैं जहाँ कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ती आप सोचकर ही उसको दिमाग से हंसने लगते हो। दिमाग से याद आया इस फिल्म को अगर hundred percent Enjoy करना है तो दिमाग घर पे छोड़कर आ जाओ सिर्फ ताली पीटने के लिए साथ में एक दोस्त को लेकर चले जाना।

और हाँ family के साथ भी देख सकते हो ये इस फिल्म का सबसे बड़ा achievement है। एकदम कॉमेडी है कुछ भी उल्टा-सीधा एक Dialogue तक नहीं salute है। फिल्म को मेरी तरफ से पाँच में से पूरे चार stars मिलेंगे सर सबसे पहले कुणाल खेमों का Direction क्या scene सोचे हैं यार और कैसे present किया wow दूसरा इतने सारे under rated Actors को इकट्ठा करके उनकी शक्तियों का सही इस्तेमाल करना सोचो नोरा फतेह की acting एकदम Top level तक चली गई तीसरा फिल्म की writing सच में बहुत funny है भाई dialogues बिल्कुल डबल Meaning नहीं है pure कॉमेडी Clean कॉमेडी चौथा फिल्म का Climate जबरदस्त है सिर्फ फन नहीं वहाँ पे thrill भी है Suspense भी है तगड़ा वाला नेगेटिव बस एक छोटी सी शिकायत, थोड़ा सा फिल्म को लंबा करते, गोवा की डिटेल्स और ज्यादा दिखाते, गोवा सुन के जो दिमाग में आता है उसका कम इस्तेमाल किया, भाई प्लीज आईपीएल तो बहुत लंबा चलेगा, थोड़ा सा टाइम निकालकर विद फैमिली, चले जाना थिएटर, शर्त लगा सकती हूँ मैं, इतना पहले कभी नहीं हंसी होगे तुम.

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स्वातंत्र्य वीर सावरकर मूवी रिव्यू हिंदी: आजादी की कहानी बस अहिंसा के साथ जोड़कर दिखाई गई | Swatantra veer savarkar movie review in Hindi

आजकल देशभक्ति वाली फिल्मों को लोग ज्यादा भाव नहीं दे रहे.  स्पेशली अगर वो बायोपीक मूवी हो तो और भी नहीं लेकिन जहाँ मैं ये  बोल रहा हूँ वहीं अभी एक ऐसी फिल्म आई है जो रियल लाइफ से  इंस्पायर्ड भी है पेट्रोटिक भी है. और बायोपीक भी है.  स्वातंत्र्य वीर सावरकर आई है थिएटर में वो भी एक दिन पहले  इक्कीस की रात को ही मैंने ये शो देख लिया और सरप्राइजिंगली थिएटर  हॉल अच्छा खासा हाउसफुल था. व्हिच वास एक्चुअली  अनएक्सपेक्टेड फॉर मी तो आइए फटाफट बात कर लेते हैं.

देखो  इसमें कोई डाउट नहीं है कि रणदीप हुडा एक बहुत अच्छे एक्टर है. पर  इस फिल्म में वो नेक्स्ट लेवल चले गए हैं भाई साहब. इस मूवी  में आपको उनके अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं. एंड काला पानी की  सजा के लिए जो डेडिकेशन के साथ खुद का मेकओवर किया है ना भाई.  बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की है ना, हैट्स ऑफ टू दिस गाय, बट हर बार  आपको महसूस होता रहेगा कि यार ये बार-बार एक पर्टिकुलर पॉलिटिकल  पार्टी पे ऊँगली रही है और लिटरली कांग्रेस का मजाक बनाया  तो बनाया बट सामने से गांधी जी का भी मजाक बनाने से नहीं डरे  हैं मेकर्स हर बार जब गांधी जी सामने आए उनको ऐसा रिप्रेजेंट  किया है कि he is ए ट्रेटर he Has no मोरल वैल्यू उनको कोई  पड़ी ही नहीं है लोगों की बस अहिंसा-अहिंसा करके खुद का काम  आगे लेकर गए एंड लिटरली फिल्म स्टार्ट होते ही आपको बताया जाता  है कि आपको आजादी की कहानी बस अहिंसा के साथ जोड़कर दिखाई गई  है लेकिन ये वो कहानी नहीं अब इसके पीछे कांग्रेस बीजेपी का  क्या एजेंडा है वो तो आप लोग ही जानो पर बात अगर content की करें  तो first half बहुत ही ज्यादा Slow है भाई मेरे बाजू वाले को  मैंने first half में ऐसे ही पूछ लिया कि अब तक कैसी लगी तुमको  मूवी?

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वो बोला opener जैसी लगी भाई मैं उसमें भी सोया था और  इसमें भी serious jokes apart Second half में जब काला पानी की  सजा दिखाई जाती है वो अच्छा खासा चालीस से पैंतालीस मिनट का कुछ  Sequence होगा पूरा-पूरा वो इस पूरे का सबसे बेहतरीन sequence  था कि कैसे सावरकर जी को अंधेरे कोठरी में रखा जाता था, उनपे  कैसे जुल्म हुए वगैरह-वगैरह? I Can’t explain it आप चाहो तो  मूवी देख सकते हो। और पता है क्या ऐसे freedom fighters वालों  की movies देखकर ना जिसमें गांधी जी, सावरकर नेताजी को दिखाया  जाता है। वो एकदम ऐसे goosebums दे देते हैं।

एक  बात और कहना चाहूंगा कि बहुत से ऐसे dialogues हैं जिसमें लोग  भर-भर के तालियां बजा रहे थे। यकीन नहीं होता तो ये सुनो जिससे  ये तो समझ में आता है कि लोगों को कहीं ना कहीं पसंद आई है  Movie but I failed कि बहुत लंबी थी यार ये and literally it  Failed कि हाँ भाई मूवी तीन घंटे की है जिसके वजह से बहुत से  Scenes या घटनाएं ऐसी थी जिसको वो अच्छे से सामने नहीं ला पाए  क्योंकि again it’s a biopic और पूरे जीवनी को तीन घंटे में  समाना it’s not a joke I failed कि मूवी की जगह पर ये अगर series  होती तो और भी ज्यादा कमाल कर सकती थी इतनी सारी घटना हैं  जिसके लिए आपको खुद इतिहास का हिस्सा बनना पड़ेगा I mean  इतिहास को अच्छे से पहले से ही पढ़ना होगा तब जाकर बहुत से  Scene पल्ले पड़ेंगे क्योंकि I Also failed के सब कुछ दिखाने के  चक्कर में वो plot को create करना ही भूल गए या build up को  ही सीधा skip कर दिया।

पूरे movie में सिर्फ एक ही गाना हैं वो भी  Second half में जोकि again अच्छी बात हैं but honestly अगर  आप कांग्रेस को सपोर्ट करते हो तो आप मूवी को hate करने वाले हो  और बीजेपी को सपोर्ट करते हो तो इस फिल्म की भर-भर के तारीफ  करोंगे बाकी it’s your कॉल movie को किस नजरिए से देखना है एक  Biopic and historical movie के नजरिए से या propaganda but  Overall as a content point of View ये एक अच्छी कोशिश थी जहाँ  Veer Savarkar जी के अनसुने संघर्ष को दिखाया गया है बस उसी  के लिए and Randeep Hooda के Acting performance के लिए इस  Movie को तीन stars।

जे एन यू जंहागीर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय टीज़र

फिल्म जो real life freedom fighter की struggle दिखाती है: ऐ वतन मेरे वतन मूवी रिव्यू

नोटिस किया आपने आज बॉलीवुड में ninety nine परसेंट actors ऐसे हैं जिनके लिए एक्टिंग सबसे जरुरी नहीं है। फिल्में तो मिल जाती है। हीरो हीरोइन बनने का सपना easy है। लेकिन इनके बीच में competition किस बात पे होता है पता है कौन सबसे बड़ा और सबसे असरदार PR promotion करवा सकता है। आर्शीज नाम की फिल्म आई जिसमें बड़े-बड़े स्टार किड्स को लांच किया वो भी ज़ोया अख्तर ने career set होना चाहिए था लेकिन public ने पानी में जूते भिगा के मारे। और देखो अब उस फिल्म का नामोनिशान ऐसे मिटा दिया जैसे वो कभी बनी ही नहीं थी। किसी फिल्म के बारे में बात ना भी एक तरीके का पीआर होता है सर। जैसे इस हफ्ते अमेजॉन prime पे release हुई है फिल्म ए वतन मेरे वतन और पीआर का असर देखिए शायद दस लोग भी नहीं जानते होंगे इस नाम से कोई फिल्म बनी होगी। यार ओटीटी का जमाना है फिल्म को लोगों तक आसानी से पहुंचा सकते हो even थिएटर जा के पैसे खर्च करने का tension भी नहीं लेना है।

रणवीर ने दिया फरहान को झटका

टेंशन लेना है तो इस बात का कि सारा अली खान इस फिल्म में lead रोल कर रही है। समझदार समझ गए होंगे कि इसमें डरने वाली बात कौन सी है। छह साल में नौ फिल्में as lead actress और काफी लोग इस बात से agree करेंगे हर अगली फिल्म के सारा का सारा performance और ज्यादा डरावना हो गया है। जरा हट के जरा बचके ने खुद सारा को बचाया था emotional subject middle class की relatable कहानी और विक्की कौशल की acting सारा की acting छुप गई। और अब एक हफ्ते में दो बड़ी-बड़ी movies पहले मर्डर मुबारक और अब ए वतन मेरे वतन जिसने भी देखा उसका सारा का सारा mood खराब कर दिया है। एक patriotic फिल्म जो real life freedom fighter की struggle दिखाती है। specially वो कहानी जो बहुत कम लोग जानते है। ऐसी फिल्म के फेल होने के chance सिर्फ एक percent होते है। और वही एक percent ढूंढ निकाला है इस के makers ने क्योंकि ना तो ये फिल्म किसी angle से patriotic लगती है और ना ही किसी angle से motivational feel होती है।

अंग्रेजों के नाक के नीचे से एक band radio system चला के पूरे देश को एक साथ जोड़कर आंदोलन की तैयारी करना अपनी जान दांव पे लगा के उषा मेहता definitely इस फिल्म से हजार गुना ज्यादा बेहतर tribute deserve करती है जिसको देखने के बाद लोग उनको याद रखे ना कि हमेशा के लिए भूल जाए। और भाई जिस फिल्म में खुद इमरान हाशमी जैसा actor आपके support के लिए पीछे खड़ा है वैसे ही lead actress का काम fifty percent easy हो जाना चाहिए इन एक्टर्स को क्या दोष देना जब राइटर्स ने पहले ही उनके हाथों में कागज़ की तलवार पकड़ा दी थी. रियल लाइफ कहानी मौजूद होने के बाद भी कुछ नहीं दिखाया. यकीन करोगे आप फिल्म का क्लाइमिक्स चल रहा था. लास्ट के तीस मिनट बचे हुए थे फिर भी जो हुआ वो मैं आपको तीन शब्दों में बता सकती हूँ. कहानी थी ही नहीं. ये जो डायरेक्टर है इस फिल्म के कनन अय्यर इन्होंने एक थी डायन नाम की हॉरर फिल्म बनाई थी जो गिनी चुनी बॉलीवुड फिल्मों में है जो कहानी से पब्लिक को डराती है. सोचो वहाँ डायन शब्द पे एक पूरी मनगढ़ंत कहानी बना दी दो घंटे की लेकिन यहाँ रियल लाइफ फ्रीडम जिंदगी में बताने लायक कुछ नहीं मिला।

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चलो फिर भी कहानी नहीं होती तो चल जाता अगर lead character को अच्छे से present करने वाला कोई दमदार actor मिल जाता लेकिन हुआ है उसका एकदम उल्टा। जहाँ पे सारा को कुछ नहीं बोलना होता वो scene फिर भी जैसे तैसे गुजर जाता है लेकिन जब emotional feel कराना है गुस्से वाले heavy dialogues वहाँ पे हंसी आएगी आपको। ये लव आजकल के टाइम से नोटिस किया है मैंने loud scenes जो होते हैं ना उसमें सारा के सारे expressions totally wrong चले जाते हैं। आपने भी देखा है क्या? इस फिल्म में freedom fighter तो वो कहीं से नहीं लग रही मुझे वो खुद एक्टिंग से सबसे बड़ी जंग लड़ रही हैं एक पावरफुल सब्जेक्ट को भी फीका कर दिया। supporting cast अच्छी थी भाई specially ये लापता लेडीज से जो स्पर्श आने लगे हैं धीरे-धीरे मेन सिनेमा में ये बंदा लंबी race का घोड़ा है।

तो यार मेरी तरफ से ए वतन मेरे वतन को पाँच में से मिलेंगे सिर्फ एक स्टार वो भी टॉपिक सिलेक्शन उषा मेहता को चुनकर दुनिया के सामने लाना गुड जॉब। नेगेटिव में बहुत सारी शिकायतें हैं चालीस बता सकती हूँ but सिर्फ चार का टाइम है आराम से सुन लो। तो सबसे बड़ी खुद सारा अली खान जो इस कैरेक्टर में एकदम मिस्फिट है नहीं होगा acting पे काम करना पड़ेगा दूसरा writers जो इस फिल्म के असली गुन्हेगार है भाई कहानी तो दिखाओ फिल्म के बाद जा के book थोड़ी पढ़ेंगे हम तीसरा इमरान हाशमी और स्पर्श जैसे actors को waste मारना director का vision समझ नहीं आया चश्मा बदलिए नंबर बढ़ गया है आपका और चौथा literally भाई मुझे समझ नहीं आया ये फिल्म nineteen forties में सेट है या फिर दो हजार चौबीस में सारे characters model लग रहे थे वो आजादी का टाइम feel नहीं हुआ।

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