आजकल देशभक्ति वाली फिल्मों को लोग ज्यादा भाव नहीं दे रहे. स्पेशली अगर वो बायोपीक मूवी हो तो और भी नहीं लेकिन जहाँ मैं ये बोल रहा हूँ वहीं अभी एक ऐसी फिल्म आई है जो रियल लाइफ से इंस्पायर्ड भी है पेट्रोटिक भी है. और बायोपीक भी है. स्वातंत्र्य वीर सावरकर आई है थिएटर में वो भी एक दिन पहले इक्कीस की रात को ही मैंने ये शो देख लिया और सरप्राइजिंगली थिएटर हॉल अच्छा खासा हाउसफुल था. व्हिच वास एक्चुअली अनएक्सपेक्टेड फॉर मी तो आइए फटाफट बात कर लेते हैं.
देखो इसमें कोई डाउट नहीं है कि रणदीप हुडा एक बहुत अच्छे एक्टर है. पर इस फिल्म में वो नेक्स्ट लेवल चले गए हैं भाई साहब. इस मूवी में आपको उनके अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं. एंड काला पानी की सजा के लिए जो डेडिकेशन के साथ खुद का मेकओवर किया है ना भाई. बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की है ना, हैट्स ऑफ टू दिस गाय, बट हर बार आपको महसूस होता रहेगा कि यार ये बार-बार एक पर्टिकुलर पॉलिटिकल पार्टी पे ऊँगली रही है और लिटरली कांग्रेस का मजाक बनाया तो बनाया बट सामने से गांधी जी का भी मजाक बनाने से नहीं डरे हैं मेकर्स हर बार जब गांधी जी सामने आए उनको ऐसा रिप्रेजेंट किया है कि he is ए ट्रेटर he Has no मोरल वैल्यू उनको कोई पड़ी ही नहीं है लोगों की बस अहिंसा-अहिंसा करके खुद का काम आगे लेकर गए एंड लिटरली फिल्म स्टार्ट होते ही आपको बताया जाता है कि आपको आजादी की कहानी बस अहिंसा के साथ जोड़कर दिखाई गई है लेकिन ये वो कहानी नहीं अब इसके पीछे कांग्रेस बीजेपी का क्या एजेंडा है वो तो आप लोग ही जानो पर बात अगर content की करें तो first half बहुत ही ज्यादा Slow है भाई मेरे बाजू वाले को मैंने first half में ऐसे ही पूछ लिया कि अब तक कैसी लगी तुमको मूवी?
वो बोला opener जैसी लगी भाई मैं उसमें भी सोया था और इसमें भी serious jokes apart Second half में जब काला पानी की सजा दिखाई जाती है वो अच्छा खासा चालीस से पैंतालीस मिनट का कुछ Sequence होगा पूरा-पूरा वो इस पूरे का सबसे बेहतरीन sequence था कि कैसे सावरकर जी को अंधेरे कोठरी में रखा जाता था, उनपे कैसे जुल्म हुए वगैरह-वगैरह? I Can’t explain it आप चाहो तो मूवी देख सकते हो। और पता है क्या ऐसे freedom fighters वालों की movies देखकर ना जिसमें गांधी जी, सावरकर नेताजी को दिखाया जाता है। वो एकदम ऐसे goosebums दे देते हैं।
एक बात और कहना चाहूंगा कि बहुत से ऐसे dialogues हैं जिसमें लोग भर-भर के तालियां बजा रहे थे। यकीन नहीं होता तो ये सुनो जिससे ये तो समझ में आता है कि लोगों को कहीं ना कहीं पसंद आई है Movie but I failed कि बहुत लंबी थी यार ये and literally it Failed कि हाँ भाई मूवी तीन घंटे की है जिसके वजह से बहुत से Scenes या घटनाएं ऐसी थी जिसको वो अच्छे से सामने नहीं ला पाए क्योंकि again it’s a biopic और पूरे जीवनी को तीन घंटे में समाना it’s not a joke I failed कि मूवी की जगह पर ये अगर series होती तो और भी ज्यादा कमाल कर सकती थी इतनी सारी घटना हैं जिसके लिए आपको खुद इतिहास का हिस्सा बनना पड़ेगा I mean इतिहास को अच्छे से पहले से ही पढ़ना होगा तब जाकर बहुत से Scene पल्ले पड़ेंगे क्योंकि I Also failed के सब कुछ दिखाने के चक्कर में वो plot को create करना ही भूल गए या build up को ही सीधा skip कर दिया।
पूरे movie में सिर्फ एक ही गाना हैं वो भी Second half में जोकि again अच्छी बात हैं but honestly अगर आप कांग्रेस को सपोर्ट करते हो तो आप मूवी को hate करने वाले हो और बीजेपी को सपोर्ट करते हो तो इस फिल्म की भर-भर के तारीफ करोंगे बाकी it’s your कॉल movie को किस नजरिए से देखना है एक Biopic and historical movie के नजरिए से या propaganda but Overall as a content point of View ये एक अच्छी कोशिश थी जहाँ Veer Savarkar जी के अनसुने संघर्ष को दिखाया गया है बस उसी के लिए and Randeep Hooda के Acting performance के लिए इस Movie को तीन stars।