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सलार मूवी रिव्यू हिंदी | Salaar movie review Hindi

अगर हॉलीवुड मूवीज देखते हो तो क्रिस्टिफर नोलन का नाम पक्का सुना होगा उनकी फिल्मों का टिकट बुक करना माने दूसरी दुनिया में जाने का जहाज पकड़ना थिएटर्स के दरवाजे खुलते ही हम नई दुनिया में पहुंच जाते हैं ठीक वैसा ही कुछ-कुछ मिलता-जुलता काम करते हैं मास्टरमाइंड केजीएफ के बारे में जब सोचोगे तो ऐसा लगेगा साल दो साल उसमें रह के आए हैं

हम लोग अपने पड़ोसी का नाम नहीं पता होगा लेकिन केजीएफ की बड़ी माँ को सब जानते हैं और इसी वजह से काफी लोगों ने बोल दिया था कि जो जादू केजीएफ ने किया है वो दोबारा कभी रिपीट नहीं होगा ऐसा सिनेमा एक बार फिर से नो चांस लेकिन क्या आप यकीन करोगे अगर मैं आपसे बोलूँ प्रशांत नील ने इस बार खुद प्रशांत नील को ही हरा दिया है क्योंकि सलार की रेस

वहां से शुरू हुई जहाँ पे केजीएफ खत्म हो जाती है। इस लेवल का एक्शन सिनेमा मैंने तो आज तक नहीं देखा बॉस. ना तो बॉलीवुड में ना तो साउथ में और ना ही हॉलीवुड में सब कुछ फेल हो गया सर. और सबसे बेस्ट चीज इस मारधाड़ का एक मतलब है एक रीजन है. एक डिटेलिंग वाली कहानी है इस फिल्म में जिसके लिए ये एक्शन किया जा रहा है. महाभारत अपने

इंडियन हिस्ट्री का सबसे उसको नए जमाने में कैसे सुनाया जाएगा, बस वही दिखाया है प्रशांत टील ने। दुर्योधन को चाहिए थी राजा की कुर्सी लेकिन सामने वाले दुश्मन की ताकत बहुत ज्यादा थी उनके साथ खुद भगवान थे। अब ऐसे में लड़ाई होती तो दुर्योधन बुरी तरह हार जाता, टुकड़े-टुकड़े करके मारा जाता। लेकिन जब वाकई युद्ध हुआ तो लड़ाई जितना सोचा था, उससे

बहुत ज्यादा लंबी चल गई क्योंकि दुर्योधन के साथ कोई और भी था। बोलो कौन? महावीर कर्ण जो दोस्ती में ऐसे बंधे थे कि अपने दोस्त को पूरी दुनिया जिताने का वादा कर दिया। और ताकत ऐसी कि भगवान भी ताली बजाते-बजाते थक जाएं। लेकिन नील साहब ने इस कहानी में छोटा सा ट्विस्ट डाल के पूरे महाभारत की शक्ल को ही बदल दिया। क्योंकि इस लड़ाई में कर्ण

दुर्योधन के पीछे नहीं बल्कि आमने-सामने खड़े हो गए हैं। जान देनी नहीं है, एक-दूसरे की जान लेनी पड़ेगी, ये महाभारत पैन से नहीं, तलवार से लिखी जाएगी, एकदम लाल। अब जितना झटका आपको ये एक लाइन सुन के लगा है, उसको प्रशांत नील ने खतरनाक स्टोरी टेलिंग के साथ present किया है, जिसमें बहुत सारे छुपे हुए हैं।

केजीएफ और केजीएफ टू में काफी लोग शिकायत करते हैं कि मास्क, मास्क, मास्क कहानी तो कुछ स्पेशल नहीं है, उनकी सारी शिकायत सलार के बाद दूर हो जाएंगी। बॉस जिस प्रभास के साथ आपको इश्क हुआ था ना पूरे आठ साल पीछे बाहुबली के टाइम वो literally अब वापिस आ गया है, comeback नहीं ये तो next इनिंग्स की शुरुआत है,

जो पता नहीं कितना लंबा चलेगी। क्या जबरदस्त transformation किया है, प्रभास ने from आदि पुरुष to salar. ऐसा screen presence जिसके सामने पूरा Indian cinema बच्चे जैसा लगता है, सलार में एक sequence है, जिसमें काली माता का reference दिया गया है, वहां तो प्रभास ने जो godly अवतार लिया है। literally theatre में हर के रोंगटे खड़े हो गए थे

और बैठने का नाम भी नहीं ले रहे थे प्रभास इस फिल्म में टाइम बॉम्ब की तरह है जब तक टाइमर चालू है सब कुछ नॉर्मल लेकिन जैसे ही टाइमर खत्म इनका कैरेक्टर फटता है और सब कुछ फाड़ के रख देता है लिटरली थिएटर नहीं स्टेडियम में बैठ के फिल्म देखी है मैंने एक्शन का लेवल never seen before है ,

और प्रभास का उसमें presence एक deadly combination तैयार करता है जिसको तीन नहीं लगातार तीस घंटे देख सकती हूँ मैं एक छोटे से मामूली dialogue वाले scene को भी iconic बनाने की power रखता है प्रशांत नील का elevation factor क्या जबरदस्त imagination है नो कम्पटीशन पूरी फिल्म चेस के गेम की तरह है,

जिसमें प्रभास राजा के सामने खड़े होने वाले वजीर के जैसे है लेकिन बाकी गोटियां भी इस खेल का पूरा हिस्सा है. बहुत सारे छोटे-छोटे लेकिन दमदार characters है जिनकी हेल्प से आपके दिमाग में बैठ जाए ऐसे scenes तैयार किए जाते है. सलार एक one man शो वाली पिक्चर नहीं है और यही चीज इसको केजीएफ के comparison में बड़ा और detailed बनाती है.

जैसे पृथ्वीराज का character इस फिल्म में बहुत important है और पार्ट टू में ये बंदा क्या-क्या कर सकता है. प्रभास पृथ्वीराज का जो क्लाइमेक्स में एक्शन है उसको देखने के बाद आपको लिओ, विक्रम, कहती, पुष्पा ये सब बच्चों वाली मूवीज लगने लगेंगी। क्योंकि आप ये मान लो प्रभास इस फिल्म में है ही नहीं अंदर सिर्फ सलार मिलेगा जिसके हाथों में तलवार हर दो मिनट में किसी ना किसी के दो टुकड़े कर रही होगी।

तो भैया मेरी तरफ से सलार को मिलेंगे पांच में से पूरे साढ़े चार स्टार्स। नंबर 1 elevation प्रभास की एंट्री इंटरवल सीन वो काली माता sequence और climax जिंदगी भर याद रहेगा। नंबर 2 सिर्फ एक्शन के दम पर फिल्म नहीं बेचना बल्कि कहानी से एक्शन को describe करना। नंबर 3 प्रभास का comeback और godly screen presence, fire है fire, पार्ट टू में इंडियन सिनेमा के सारे records खत्म।

नंबर 4 प्रशांत नील डायरेक्शन, goosebumps, violent cinema इसको बोलते हैं और आधा स्टार कमाल का cast selection, सारे actors अपने रोल के साथ justice करते हैं।

सलार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन डे 2 | Salaar Box Office Collection Day 2

डंकी बॉक्स ऑफिस कलेक्शन डे 2 | Dunki box office collection day 2

डंकी मूवी रिव्यू हिंदी | Dunki Movie Review Hindi

Raju Hirani ने सबको पागल बना दिया ticket खरीदा हमने एक picture का लेकिन theater के अंदर पूरी दस फिल्में एक साथ दिखाई गयी है film number one Chak De India के जैसा impossible असंभव बस फर्क ये है कि यहाँ हॉकी नहीं डंकी से हार-जीत का फैसला किया जाएगा. वहाँ भी हम अंग्रेजों से लड़ गए थे इज्जत कमाने के लिए तो यहाँ भी एसआरके एंड टीम अंग्रेजों को उनकी औकात दिखाने का मन बना रहे हैं.

फिल्म नंबर two डीडीएलजे के जैसा रोमांस भी है अंदर हीरो हीरोइन को भगा के ले जाना चाहता है. पराए देश अपनी मोहब्बत को पूरा करने कभी सोचा था किसी ने तीस साल बाद डीडीएल जे का राज कैसा दीखता होगा? जवाब बॉस राजूई रानी ने दिया है और शर्ट लगा लो एक बार फिर से इसके प्यार में पड़ जाओगे तुम.

और कमाल की बात तापसी ने भी सिमरन को कड़ी टक्कर दी है ये भाभी नंबर one और two temporary है। मन्नू के साथ जो इश्क हुआ वो permanent होगा। ऐसा लगता है राजू हिरानी कोई talent वाली मशीन चलाते हैं जो किसी भी actor के अंदर से उसका असली talent खींच लेती है। SRK का come back तो पहले ही हो गया था

लेकिन डंकी तापसी की वापसी करा दी है। फिल्म नंबर तीन स्वदेश के जैसा एक patriotic subject भी है अपने देश के लिए प्यार। ये बोल के नहीं बता सकता कोई सिर्फ महसूस कर सकते हो आप डंकी जैसी फिल्में देखकर। और राजू हिरानी का सिनेमा देश भक्ति दिखाने के लिए झंडे का सहारा नहीं लेता बल्कि उसको एक character की तरह है जिसके लिए आप फील करने लगते हो फीलिंग से याद आया फिल्म नंबर चार मुन्ना भाई के जैसे इमोशनस दोबारा जीने का टाइम आ गया है.

देखो कॉमेडी वगैरह ऐसे डायरेक्ट बातों में नहीं मिलेगी आपको डायलॉग्स कुछ ऐसे फनी नहीं है. लेकिन सिचुएशन ऐसी बनाई जाती है कि आपको सीन को सोचकर ही हंस पड़ते हो. दिमाग वाली हंसी जो याद रहेगी. बाकी सेंटी करने वाला सोनू निगम का एक गाना भी है जिसको सुनकर बेचारा पत्थर भी पिघल जाए.

और विक्की कौशल का छोटा सा दमदार कैमियो भी है अंदर जो सच में आपके इमोशंस को वो मौत का झूला रोलर कोस के राइट पे लेकर जाएगा फिल्म नंबर पाँच पीके के जैसा एक real लाइफ सोशल issue भी उठाया गया है हम जैसे नॉर्मल लोगों के बीच से डंकी का असली मतलब तो आप थिएटर में ही समझोगे लेकिन जिस तरीके से ये फिल्म इस प्रोब्लेम के बारे में बताती है

आपको पीके की याद पकाएगी भेड़ चाल का जमाना है सबको इंग्लैंड जाना है जैसे भगवान के नाम पे सबको पैसा चढ़ाना है लेकिन किसी ने पूछा क्यों किस लिए क्या जरूरत ईरानी साहब ने पूछ लिया है एक बार फिर से फिल्म नंबर छह three idiots इसके जैसा climax शायद दोबारा कभी नहीं बन सकता ऐसा राजू भाई के सामने कोई बोल सकता है क्या?

वो था ना रोते-रोते हंसना सीखो हंसते-हंसते रोना और ये फर्स्ट टाइम हमने experience किया था three Idiots में ठीक वैसा ही कारनामा डंकी में भी रिपीट हुआ है जब फिल्म एंडिंग की तरफ पहुंचती है आप एक तरफ खुश हो लेकिन सीन ऐसा है कि आंसू बह जाएगा अपने आप और हाँ वो थ्री इडियट्स वाले वायरस भी डंकी की शोभा बढ़ा रहे हैं

लेकिन इनका ज्यादा इस्तेमाल किया नहीं फिल्म के अंदर फिल्म नंबर सात बाज़ीगर का वो फेमस डायलॉग तो याद ही होगा हार के जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं डंकी में भी एक ऐसा ही जबरदस्त मजेदार ट्विस्ट है जहाँ आपका दिमाग हिल जाएगा और अपने आप ताली बजाने में लग जाएगा। मतलब आँखों के सामने धोखा देना कोई राजू से सीखे।

जो आप देख रहे हो वो होगा नहीं और जो होगा वो किसी को दिखेगा नहीं। अरे एक जगह पे तो राजू साहब ने ऐसा खेल किया है कि सामने किसी की लाश जा रही है और आपको अंदर हंसी आ रही है। मतलब tragedy को कॉमेडी बनाना कमाल है। और जो फिल्म नंबर आठ है ना इसका नाम सुन के शायद काफी लोग खुश नहीं होंगे, बात जीरो की कर रही हो।

एक जो फैमिली ड्रामा create हुआ था ना वहां पे same to same वैसा ही एक flavour डंकी को taste करने पे भी आएगा। family फिल्म जो हम बोलते हैं राजू जिसमें चैंपियन है उन्होंने लिटरली डंकी के अंदर एक फैमिली वाला एंगल भी क्रिएट किया है.

पंजाब वाली एनर्जी और शाहरुख खान की भारी-भारी आवाज साथ में परिवारों को संभालने की जिम्मेदारी जीरो वाली यादें पक्का आएंगी. फिल्म नंबर नौ हैरी मैड सज्जन मुझे पता है काफी लोगों का दिल फिर से दुखा रही हूँ मैं लेकिन मेरा काम है ये दो लोगों पे फोकस करके पूरी कहानी को क्रिएट करना और उनके बीच की बातों पे नाइंटी परसेंट फिल्म खत्म करना.

डंकी में भी तापसी एसआरके की बातें उतनी ही जरूरी है उतनी ही लंबी-लंबी भी है लेकिन वो जो बोल रहे हैं वो उतना रियल फील नहीं है। इस बातचीत को अगर थोड़ा-सा कट कर देते ना और बाकी फन वाला साइड जैसे थ्री इडियट्स में आमिर करीना को लिमिटेड यूज किया था बाकी मौज मस्ती भी थी

वो थोड़ा डंकी के साथ इशू है जबकि बाकी सपोर्टिंग एक्टर्स जिसमें सुनील ग्रोवर के भैया जी भी हैं और सेक्रेट गेम्स वाले मथु हैं इन दोनों का परफॉरमेंस फिल्म के अंदर सबसे जबरदस्त है लेकिन थ्री इडियट्स में जैसे राजू फरहान को यूज किया ना वो इस बार लव स्टोरी के चक्कर में कट हो गया और भैया आखरी में फिल्म नंबर दस इसके बिना दो हजार तेईस कैसे खत्म होगा जवान शाहरुख खान टू पॉइंट ओ का सोलिड नहीं गलत मत समझो डंकी में उसके जैसा एक्शन मारधाड़ नहीं है।

लेकिन जैसे वो फिल्म एसआरके की कम और डायरेक्टर एटली के दिमाग से ज्यादा निकली थी उनके style का सिनेमा था शाहरुख उनके इशारों पे चल रहे थे ठीक वैसे ही डंकी भी राजू हिरानी की फिल्म है उन्होंने एसआरके factor का इस्तेमाल किया है अपने हिसाब से लेकिन फिल्म सिर्फ एसआरके की नहीं है।

एक रेडियो के साथ फिल्म को शुरू करना और इंग्लैंड के टावर को पंजाब की छत पे ला के खत्म करना ये राजू हिरानी का सिनेमा है completely first half में तो वही पुराने राजू हिरानी है मौज मस्ती गाना बजाना लेकिन में हिरानी साहब ने कुछ नया try किया है action adventure patriotism तो अगर आप सिर्फ शाहरुख-शाहरुख करने के लिए फिल्म देखना चाहते हो तो sorry ऐसा कुछ खास नहीं है अंदर वो हीरोगिरी नहीं मिलेगी content मिलेगा।

अब यहाँ पे दो मोटी-मोटी शिकायतें भी है मेरे पास जिनको छुपाना बेईमानी होगी। राजू हिरानी से थोड़ा और ज्यादा एक्सपेक्ट करते हो आप और पता है फिल्म में कमी कहां रह गई? डंकी क्या है हम समझ गए वो कैसे होता है ये भी पता चल गया लेकिन उसके आफ्टर effects मतलब लंदन के बाद की कहानी वो थोड़ी अधूरी लगी मुझे।

पता नहीं क्यों ऐसा लगा में फिल्म बस climax की तरफ भागना चाहती है जल्दी-जल्दी जबकि first half में सब कुछ feel करवाया गया था आराम से टाइम दे के और दूसरी शिकायत फिल्म की राइटिंग थोड़ी average टाइप की है कुछ लोग बोल रहे थे ट्रेलर के बाद कि राजू सर को डंकी दस साल पहले रिलीज करनी चाहिए थी दो हजार तेरह में ये सब बातें सुनकर और ज्यादा हंसी आती थी

लेकिन दो हजार तेईस के हिसाब से सच में फिल्म की राइटिंग थोड़ी आउटडेटेड सी है डायलॉग और मजेदार होने चाहिए थे। तो भैया डंकी को मेरी साइड से पाँच में से पूरे चार स्टार मिलेंगे। पहला कॉन्सेप्ट एकदम हट के बनाया छत पे जहाज पूरी फिल्म बना दी बताओ।

दूसरा एक फैमिली ड्रामा, फैमिली से निकलना और फैमिली के लिए खत्म करना, राजू हिरानी सिनेमा जिंदाबाद। तीसरा performances बढ़िया है। एसआर के फुल पावर, तापसी comeback, विक्की surprise factor और ये दोनों डिनर में desert ।

चौथा राजू हिरानी को राजू हिरानी क्यों बोलते हैं, रोना, हंसना, गाना, एक्शन, रोमांस, ट्विस्ट एंड टर्न जो मांगोगे वो मिलेगा। नेगेटिव में ऊपर वाली दो शिकायतें आप सुन ही चुके हो, बार-बार बोलने से कुछ बदल थोड़ी जाएगा। ऊपर वाली टिप याद है ना? दूसरी टिप ये कि डंकी दोस्तों के साथ नहीं फैमिली देखो, वो हंसेंगे, आप proud feel करोगे, ठीक है?