नोटिस किया आपने आज बॉलीवुड में ninety nine परसेंट actors ऐसे हैं जिनके लिए एक्टिंग सबसे जरुरी नहीं है। फिल्में तो मिल जाती है। हीरो हीरोइन बनने का सपना easy है। लेकिन इनके बीच में competition किस बात पे होता है पता है कौन सबसे बड़ा और सबसे असरदार PR promotion करवा सकता है। आर्शीज नाम की फिल्म आई जिसमें बड़े-बड़े स्टार किड्स को लांच किया वो भी ज़ोया अख्तर ने career set होना चाहिए था लेकिन public ने पानी में जूते भिगा के मारे। और देखो अब उस फिल्म का नामोनिशान ऐसे मिटा दिया जैसे वो कभी बनी ही नहीं थी। किसी फिल्म के बारे में बात ना भी एक तरीके का पीआर होता है सर। जैसे इस हफ्ते अमेजॉन prime पे release हुई है फिल्म ए वतन मेरे वतन और पीआर का असर देखिए शायद दस लोग भी नहीं जानते होंगे इस नाम से कोई फिल्म बनी होगी। यार ओटीटी का जमाना है फिल्म को लोगों तक आसानी से पहुंचा सकते हो even थिएटर जा के पैसे खर्च करने का tension भी नहीं लेना है।
टेंशन लेना है तो इस बात का कि सारा अली खान इस फिल्म में lead रोल कर रही है। समझदार समझ गए होंगे कि इसमें डरने वाली बात कौन सी है। छह साल में नौ फिल्में as lead actress और काफी लोग इस बात से agree करेंगे हर अगली फिल्म के सारा का सारा performance और ज्यादा डरावना हो गया है। जरा हट के जरा बचके ने खुद सारा को बचाया था emotional subject middle class की relatable कहानी और विक्की कौशल की acting सारा की acting छुप गई। और अब एक हफ्ते में दो बड़ी-बड़ी movies पहले मर्डर मुबारक और अब ए वतन मेरे वतन जिसने भी देखा उसका सारा का सारा mood खराब कर दिया है। एक patriotic फिल्म जो real life freedom fighter की struggle दिखाती है। specially वो कहानी जो बहुत कम लोग जानते है। ऐसी फिल्म के फेल होने के chance सिर्फ एक percent होते है। और वही एक percent ढूंढ निकाला है इस के makers ने क्योंकि ना तो ये फिल्म किसी angle से patriotic लगती है और ना ही किसी angle से motivational feel होती है।
अंग्रेजों के नाक के नीचे से एक band radio system चला के पूरे देश को एक साथ जोड़कर आंदोलन की तैयारी करना अपनी जान दांव पे लगा के उषा मेहता definitely इस फिल्म से हजार गुना ज्यादा बेहतर tribute deserve करती है जिसको देखने के बाद लोग उनको याद रखे ना कि हमेशा के लिए भूल जाए। और भाई जिस फिल्म में खुद इमरान हाशमी जैसा actor आपके support के लिए पीछे खड़ा है वैसे ही lead actress का काम fifty percent easy हो जाना चाहिए इन एक्टर्स को क्या दोष देना जब राइटर्स ने पहले ही उनके हाथों में कागज़ की तलवार पकड़ा दी थी. रियल लाइफ कहानी मौजूद होने के बाद भी कुछ नहीं दिखाया. यकीन करोगे आप फिल्म का क्लाइमिक्स चल रहा था. लास्ट के तीस मिनट बचे हुए थे फिर भी जो हुआ वो मैं आपको तीन शब्दों में बता सकती हूँ. कहानी थी ही नहीं. ये जो डायरेक्टर है इस फिल्म के कनन अय्यर इन्होंने एक थी डायन नाम की हॉरर फिल्म बनाई थी जो गिनी चुनी बॉलीवुड फिल्मों में है जो कहानी से पब्लिक को डराती है. सोचो वहाँ डायन शब्द पे एक पूरी मनगढ़ंत कहानी बना दी दो घंटे की लेकिन यहाँ रियल लाइफ फ्रीडम जिंदगी में बताने लायक कुछ नहीं मिला।
चलो फिर भी कहानी नहीं होती तो चल जाता अगर lead character को अच्छे से present करने वाला कोई दमदार actor मिल जाता लेकिन हुआ है उसका एकदम उल्टा। जहाँ पे सारा को कुछ नहीं बोलना होता वो scene फिर भी जैसे तैसे गुजर जाता है लेकिन जब emotional feel कराना है गुस्से वाले heavy dialogues वहाँ पे हंसी आएगी आपको। ये लव आजकल के टाइम से नोटिस किया है मैंने loud scenes जो होते हैं ना उसमें सारा के सारे expressions totally wrong चले जाते हैं। आपने भी देखा है क्या? इस फिल्म में freedom fighter तो वो कहीं से नहीं लग रही मुझे वो खुद एक्टिंग से सबसे बड़ी जंग लड़ रही हैं एक पावरफुल सब्जेक्ट को भी फीका कर दिया। supporting cast अच्छी थी भाई specially ये लापता लेडीज से जो स्पर्श आने लगे हैं धीरे-धीरे मेन सिनेमा में ये बंदा लंबी race का घोड़ा है।
तो यार मेरी तरफ से ए वतन मेरे वतन को पाँच में से मिलेंगे सिर्फ एक स्टार वो भी टॉपिक सिलेक्शन उषा मेहता को चुनकर दुनिया के सामने लाना गुड जॉब। नेगेटिव में बहुत सारी शिकायतें हैं चालीस बता सकती हूँ but सिर्फ चार का टाइम है आराम से सुन लो। तो सबसे बड़ी खुद सारा अली खान जो इस कैरेक्टर में एकदम मिस्फिट है नहीं होगा acting पे काम करना पड़ेगा दूसरा writers जो इस फिल्म के असली गुन्हेगार है भाई कहानी तो दिखाओ फिल्म के बाद जा के book थोड़ी पढ़ेंगे हम तीसरा इमरान हाशमी और स्पर्श जैसे actors को waste मारना director का vision समझ नहीं आया चश्मा बदलिए नंबर बढ़ गया है आपका और चौथा literally भाई मुझे समझ नहीं आया ये फिल्म nineteen forties में सेट है या फिर दो हजार चौबीस में सारे characters model लग रहे थे वो आजादी का टाइम feel नहीं हुआ।