अक्षय कुमार इतना सारा काम क्यों करते हैं? क्या अक्षय कुमार ज्यादा काम करते हैं, ज्यादा फिल्में करते हैं? इसीलिए उनकी फिल्में फ्लॉप हो जाती हैं? क्या अक्षय कुमार अपनी फिल्म के कैरेक्टर में पूरी तरह से समां नहीं पाते? ये तमाम बातें हैं जो अक्षय कुमार के बारे में कही जाती रही हैं? हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने इन सारे सवालों का जवाब दिया है, अक्षय कुमार गलाता को दिए गए, इस इंटरव्यू में कहते हैं कि मैं तो पहली बार हूँ कि किसी शख्स को ये प्रॉब्लम हो जाए कि आप ज्यादा काम क्यों करते हैं, ज्यादा काम करना तो अच्छी बात है।
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लोगों मेरे ज्यादा काम करने से क्यों प्रॉब्लम होती है। अब इसकी सफाई ये है अक्षय कुमार साहब कि लोगों को आपके ज्यादा काम करने से बिल्कुल प्रॉब्लम नहीं है, आप चार नहीं चालीस फिल्में कीजिए लेकिन लोगों की समस्या वहां पर शुरू होती है जब आप एक फिल्म करते हैं। और क्योंकि आप बहुत सारी फिल्में कर रहे होते हैं, उन्हें जल्दी-जल्दी खत्म कर रहे होते हैं तो आप किसी भी फिल्म के एक कैरेक्टर में पूरी तरह से समा नहीं पाते हैं, उसके साथ justice नहीं कर पाते हैं, इंसाफ पाते हैं और इसीलिए लोगों की आपसे शिकायत होती है कि आप इतनी फिल्में क्यों करते हैं? असल में लोगों की प्रॉब्लम ये नहीं है कि आप ज्यादा फिल्में कर रहे हैं लोगों की प्रॉब्लम ये है कि आप जो इतनी ज्यादा फिल्में कर रहे हैं शायद इसी वजह से आप किसी भी फिल्म के कैरेक्टर में समा नहीं पाते हैं उदाहरण के लिए लोगों ने पृथ्वीराज देखी और लोगों ने कहा कि पृथ्वीराज में तो आप अक्षय कुमार ही लगते रहे आप पृथ्वीराज लग ही नहीं पाए शायद उसका कारण ये रहा होगा कि आपने बहुत जल्दबाजी में उस फिल्म को खत्म किया साल में दिन तो तीन सौ पैंसठ है आप उसमें एक फिल्म पे लगा या चार पे लगा दीजिए या चालीस पर लगा दीजिए। तो ये कारण है।
असल में लोगों को आपकी ज्यादा फिल्में आने से कोई प्रॉब्लम नहीं है। सवाल ये है कि वो फिल्में फ्लॉप ना हो। क्योंकि जब फिल्में फ्लॉप होती है तो प्रोड्यूसर का पैसा भी डूबता है। लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरता है। उन फ्लॉप फिल्मों को भी देखने कुछ लोग तो जाते ही हैं, अपनी मेहनत की कमाई खर्च करते ही हैं, अपना समय खर्च करते ही हैं। आपकी बेल बॉटम फ्लॉप हुई, लक्ष्मी बॉम्ब फ्लॉप हुई, मिशन रानीगंज फ्लॉप हुई बड़े छोटे मियाँ तो इतनी बड़ी फिल्म थी वो फ्लॉप हो गई। तो लोग जब ये कहते हैं सेल्फी आपकी फ्लॉप हुई थी, वो भी remake थी तो लोगों का कहने का मतलब ये होता है कि selected काम कीजिए, आप इतने सा लो से काम कर रहे हैं।
आप इतने समय से लोगों को जानते हैं, इस मीडियम को समझते हैं तो जब सब कुछ आपको पता है तो फिर ये गलती क्यों होती है? दूसरा अक्षय कुमार ने इस इंटरव्यू में बात की है, reviewers के बारे में जो आलोचक होते हैं, critics होते हैं, उनके बारे में। उनका ये कहना है कि कोई अगर अच्छा critic है और अच्छी से रिव्यु करता है और सच में कोई कमी बताता है तो मैं उसे स्वीकार भी करता हूँ लेकिन आजकल ये भीड़ बढ़ गई है। तो हम किस-किस को सुने? बात आपकी सही है। मुझे लगता है अक्षय कुमार साहब आपको सिर्फ जनता की सुननी चाहिए। किसी क्रिटिक को मत सुनिए। किसी आलोचक को मत सुनिए। जनता अगर देखना चाहेगी।
तो वो फिल्म आपकी जरूर देखेगी। हाल ही में बारहवीं फेल भी आई थी, बहुत छोटे बजट की फिल्म थी, विक्रांत मेसी उसमें थे, छह महीने तक वो थिएटर में चलती रही। अब आप याद करके बताइए कि आपकी ऐसी कौन सी पिछली फिल्म थी जो कई हफ्ते या कई महीने तक थिएटर में चली है। जबकि आप तो इतनी सारी फिल्में करते हैं। जानते हैं इसका जवाब क्या होगा? इसका जवाब ये होगा कि जब आप कम काम करते हैं तो आप फोकस रहने लगते हैं। फिर आप क्वालिटी देने लगते हैं। आजकल आप क्वांटिटी दे रहे हैं। फिल्में बहुत आती हैं, बहुत फ्लॉप होती हैं।
पैसा शायद आप कमा रहे होंगे, लेकिन लोगों का विश्वास नहीं कमा पा रहे हैं, तो ध्यान उस पर अगर देंगे तो बेहतर होगा क्योंकि वैसे भी आप इतने सा लो से काम कर रहे हैं, इतने समय से काम कर रहे हैं, आपको पता होना चाहिए कि किसी भी फिल्म में अगर ज्यादा आप ध्यान लगाएंगे ज्यादा focus करेंगे तो वहां character अच्छा निकलकर आता है। फिर लोगों को आपसे ये शिकायत नहीं होगी कि अरे अक्षय कुमार की फिल्म देखी पर मजा नहीं आया तो अगर आप लोगों से ये उम्मीद करते हैं कि लोग आपके नाम पर अपनी महीने भर की जो मेहनत की कमाई है उसका कुछ हिस्सा आपके तीन घंटे की फिल्म पर खर्च करें तो उसके लिए आप भी थोड़ा committed हो जाइए और आप भी इस बात का भरोसा दिलाइए कि हाँ अब मैं selected फिल्म करूंगा पूरा ध्यान दूंगा और मेरी ये कोशिश रहेगी कि अगर मेरे नाम पर कोई भी पैसा लगा रहा है, चाहे वो प्रोड्यूसर हो, दर्शक हो, या और कोई हो तो मैं उसे अपना पूरा बल लगाकर और अपनी इच्छा से और अपनी पूरी ताकत से उस रोल को निभाऊंगा।
देखिए आपने वो गुटखे वाला ऐड भी किया था। जाहिर है गुटके वाला ऐड किया था आपने पैसे के लिए किया था आपने पैसा लिया ऐड किया आप जानते थे कि आपकी फिटनेस फ्रीक वाली इमेज है और लोग इसकी वजह से भड़केंगे। लोग भड़के फिर आपने हाथ जोड़कर माफी मांगी और ऐड वापस ले लिया लेकिन कुछ समय तो वो ऐड चला कुछ पैसा तो आपके पास आया आप बहुत कुछ जानते थे आप बुद्धिमान हैं अंदर व्यापार की भी समझ है। इसीलिए आपने ये फैसला लिया। यहाँ क्या हुआ? आपने वो ऐड भी कर लिया, उस ऐड के पैसे भी ले लिए, जनता के सामने माफ़ी भी मांग ली और उस ऐड को हटाकर ये बता भी दिया कि आप जनता की बहुत ज्यादा कद्र करते हैं, अक्षय कुमार साहब हम सब इतनी अक्ल रखते हैं, हम सबको इतनी समझ है।
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और अगर कोई रिव्युर कोई आलोचक या चलिए सबको हटा दीजिए, कोई अगर आपका आम दर्शक भी आपकी फिल्म देखकर ये कहता है ना कि भाई मजा नहीं आया तो आपको seriously लेना चाहिए। क्योंकि ये जो आम हैं आप इन्हीं के लिए फिल्में कर रहे हैं और जो प्रोड्यूसर आप पर पैसा लगाते हैं वो इन्हीं आम दर्शकों की वजह से पैसा लगाते हैं कोई भी प्रोड्यूसर आपके ऊपर इसलिए पैसा नहीं लगाता कि आपकी फिल्म को क्रिटिक्स पसंद करेंगे आपकी फिल्म को आम दर्शक पसंद करेंगे इसलिए आप पर पैसा लगाया जाता है लेकिन अफसोस की बात है कि लगातार आपकी बहुत सारी फिल्में फ्लॉप हुई है ज्यादा काम करना ही काफी नहीं होता है सही काम करना भी उतना ही जरूरी होता है अगर आप बहुत ज्यादा काम कर रहे हैं और सही से नहीं कर पा रहे हैं तो जनता तो आपसे पूछेगी कि आपने ये क्या किया ये फ्लॉप फिल्म आपने क्यों दी और आप इस इंडस्ट्री में कोई नए नहीं है आप पिछले तीन दशकों से फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव है लगभग तीस साल से ऊपर का समय हो चूका है आपको फिल्मों में काम करते हुए और अगर आप अभी भी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि आपको कैसी फिल्में करनी चाहिए कौन सा रोल करना चाहिए कैसे आपको उस रोल में समा जाना चाहिए तो फिर कहीं कुछ या तो गड़बड़ है या आप जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं।
क्योंकि आपको मालूम है बहुत सारे लोग फिल्में बनाने की इच्छा रखते हैं आपको लेकर इसलिए आप धड़ाधड़ एक के बाद एक फिल्में साइन करते चले जाते हैं। आपको आपका मेहनताना मिलता चला जाता है। लेकिन दर्शकों को वो नहीं मिलता जिसका वो इंतजार करते हैं। आप ये भी जानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का मौका मिलना आजकल आसान नहीं है। बहुत सारे टैलेंटेड एक्टर्स हैं। शायद उनमें से कुछ आपसे भी ज्यादा टैलेंटेड होंगे। लेकिन उनको वो मौका नहीं मिल रहा है क्योंकि industry एक close circuit है।
यहाँ हर किसी को एंट्री नहीं है। आप भाग्यशाली हैं कि आपको मौका मिला है और अगर आप भाग्यशाली बुद्धिमान हैं, व्यापार को समझते हैं, कलाकार हैं तो फिर क्यों ना आप अच्छा काम करें जिससे लोग सराहें क्रिटिक्स को छोड़ दीजिए, जाने दीजिए, क्रिटिक्स की वजह से तो वैसे भी फिल्में ना चलती हैं ना फ्लॉप होती फिल्में चलती हैं आम दर्शकों की वजह से विनोद चोपड़ा ने जब बारहवीं फिल्म बनाई तो उन्हीं की पत्नी जो कि बहुत अच्छी बड़ी क्रिटिक हैं अनुपमा चोपड़ा उन्होंने कह दिया था ये फिल्म नहीं चलेगी लेकिन उनके कहने से क्या हुआ वो फिल्म चली क्यों?
क्योंकि दर्शकों को पसंद आई तो बात यहाँ दर्शकों की हो रही है अगर दर्शक आपको पसंद करेंगे आपका सिनेमा चलेगा आपकी फिल्म जाएगी अभी जो सरफिरा आई है आपकी आज रिलीज हुई है देखते हैं दर्शक इसे कितना पसंद करते हैं क्रिटिक्स को पढ़ना छोड़ दीजिए मत देखिए रिव्युज लेकिन जब आप अपने स्तर से कोई गलती कर रहे हैं तो उसको तो स्वीकारिए क्या आप इस बात को मानते हैं कि ज्यादा फिल्में करने की वजह से आप पूरी तरह से फोकस नहीं रह पाते किसी एक फिल्म पर किसी एक कैरेक्टर पर और इस वजह से गलतियां होती हैं फिर आप उन एक्टर्स के बारे में क्या कहेंगे जो सालों महीनों लगाकर एक ही फिल्म पर काम करते हैं
क्योंकि अगर आप साल में चार फिल्में ला रहे होते और चारों की चारों आपकी हिट हो रही होती तब इस बात को समझा जाता कि हाँ आप सारी फिल्मों पर बराबर फोकस दे रहे हैं लेकिन फिल्में आपकी आ रही हैं लेकिन लगातार पिट भी रही हैं तो आपसे ये सवाल क्यों ना पूछा जाए कि आप इतना काम करते तो हैं पर वो किसी तरह से सार्थक नहीं होता, फेल क्यों हो जाता है? काम ज्यादा करना ही जरूरी नहीं होता है? काम को सही जगह तक पहुँचाना भी जरूरी होता है.
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