मुन्ना भैया के बिना मिर्जापुर में मजा कैसे आएगा? धड़कन के बिना दिल किस काम का भाई? तो बॉलीवुड ने मेरी आपकी सुन ली, मिर्जापुर की ऐसी की तैसी, मुन्ना भैया ने comeback किया है, एक दूसरी जगह पे और सच बोलूं दो घंटे पागल हो जाओगे तुम। मटगांव एक्सप्रेस नाम की फिल्म Release हुई है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन जो फिल्म देखकर आएगा, वो सच में इसका lifetime वाला बन जाएगा, हम लोग इंतजार कर रहे हैं हेरा फेरी Three और Bhool Bhulaiyaa three जैसे sequels का यकीन मानो दोस्त ये फिल्म कॉमेडी में उन सब से बहुत आगे निकल जाएगी।
कहानी एक सपने की है, गोवा का सपना जिसको स्कूल से लेकर कॉलेज तक तीन दोस्तों ने अपने दिल में संभाल के रखा है। और जब पूरे सत्रह साल बाद ये सपना पूरा होता है, तो गोवा इन तीन दोस्तों के साथ एक चौथा character भी जाता है, एक सुंदर-सा लाल काला बैग। बैग के अंदर क्या है, यही सोचते हो, लाल बैग के अंदर लाल गांधी जी और काले रंग की एक बंदूक खिलौने वाली नहीं है, गोलियों से फुल लोडेड और एक सी सुंदर सी चाबी और ये चाबी जिस कमरे के दरवाजे पे लगे ताले को खोलती है उसके अंदर क्या हो सकता है?
गेस करो, गेस करो, मौका है, दस्तूर है, गोवा है, पैसा है, बंदूक है, किसी चीज की कमी नहीं लगती. हाँ, ड्रग्स वो भी इस कहानी में बहुत जल्दी एंट्री मारते हैं. पहले गोवा आ नहीं पा रहे थे और अब गोवा से जा नहीं सकते. क्योंकि अपने हीरो लोग गोवा पुलिस की आँखों में अब सबसे बड़े विलन बन चुके हैं. देखते ही उड़ा दो. क्या कहानी में का वेट कर रहे हो? एक रास्ता है बचने का. उसके लिए आपको अपना जेंडर चेंज करना पड़ेगा. साड़ी पहन के जी ले सिमरन अपनी जिंदगी।
भाई scam nineteen ninety two जैसे शो के बाद अगर इस बंदे को बॉलीवुड में काम नहीं मिला तो आप समझ जाओ दुनिया में कुछ भी ईमानदारी से नहीं किया जाता। या फिर मिर्जापुर से करोड़ों लोगों को अपने नाम के आगे इज्जत से भैया लगाने पे मजबूर करने वाली Acting के बाद भी मुन्ना भैया गायब कैसे हो गए। और ये तीसरा चेहरा ninety nine percent लोग तो इनको पहचानते भी नहीं है। Romance चाहिए ना बॉलीवुड से जा के लैला-मजनू देखो जिंदगी में भूल ना पाओ ऐसा सिनेमा। animal का ये चेहरा तो कोई नहीं भुला होगा, रणवीर भी डर जाए एहसास लेकिन इतना टाइम क्यों लगा इस चेहरे को पब्लिक के सामने लाने में? सोचो इतना सारा अंडर रेटेड टैलेंट जब किसी एक फिल्म में एक साथ इस्तेमाल किया जाएगा तो वो फिल्म ज्वालामुखी बन के नहीं फटेगी तो बोलो और क्या होगा? मडगांव एक्सप्रेस वो सिनेमा है जिसको कई सालों से हम लोग धमाल, गोल-माल, हेरा फेरी इन सब के बाद अपनी नई जनरेशन को बताने के लिए ढूंढ रहे थे.
और हैरान करने वाली बात जानते हो, एक तरफ जहाँ बड़े नाम वाले डायरेक्टर्स अपनी खुद की फ्रेंचाइज बर्बाद करने पे तुले हैं. इस बार एक एक्टर ने बाकी डायरेक्टर्स को सिखाया है कि एक प्योर कॉमेडी फिल्म बनाते कैसे कुणाल खेमु सर इनके नाम के आगे सर लगाने का रीज़न है ये फिल्म क्या जबरदस्त पागलपन का सिनेमा बनाया है बिना सर पैर वाला हंसी मजाक भी नहीं और वलगल जोक्स का सहारा लेकर उसको कॉमेडी बोलना ये पाप भी नहीं किया सिर्फ और सिर्फ फनीर राइटिंग के दम पर मडगांव एक्सप्रेस आपको पूरे दो घंटे हंसा हंसा के पागल करने की शक्तियां रखती है फिल्म की कहानी बहुत जोरदार है वैसे खूब सारे ट्विस्टर्स डाले हैं जो फिल्म के क्लाइमेक्स को एकदम Unpredictable सा कर देते हैं एकदम फ्रेश और different Experience है हॉलीवुड की एक फिल्म है द हंगओवर नाम से कॉमेडी का भगवान बोलते हैं उसको।
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अगर इंडिया से किसी फिल्म को चुनना पड़ेगा ना handover को tribute देने के लिए तो मडगांव एक्सप्रेस का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। टॉप level कॉमेडी cinema. भरमार है भाई पूरे दो घंटे situational कॉमेडी की scenes ऐसे बनाए हैं जहाँ कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ती आप सोचकर ही उसको दिमाग से हंसने लगते हो। दिमाग से याद आया इस फिल्म को अगर hundred percent Enjoy करना है तो दिमाग घर पे छोड़कर आ जाओ सिर्फ ताली पीटने के लिए साथ में एक दोस्त को लेकर चले जाना।
और हाँ family के साथ भी देख सकते हो ये इस फिल्म का सबसे बड़ा achievement है। एकदम कॉमेडी है कुछ भी उल्टा-सीधा एक Dialogue तक नहीं salute है। फिल्म को मेरी तरफ से पाँच में से पूरे चार stars मिलेंगे सर सबसे पहले कुणाल खेमों का Direction क्या scene सोचे हैं यार और कैसे present किया wow दूसरा इतने सारे under rated Actors को इकट्ठा करके उनकी शक्तियों का सही इस्तेमाल करना सोचो नोरा फतेह की acting एकदम Top level तक चली गई तीसरा फिल्म की writing सच में बहुत funny है भाई dialogues बिल्कुल डबल Meaning नहीं है pure कॉमेडी Clean कॉमेडी चौथा फिल्म का Climate जबरदस्त है सिर्फ फन नहीं वहाँ पे thrill भी है Suspense भी है तगड़ा वाला नेगेटिव बस एक छोटी सी शिकायत, थोड़ा सा फिल्म को लंबा करते, गोवा की डिटेल्स और ज्यादा दिखाते, गोवा सुन के जो दिमाग में आता है उसका कम इस्तेमाल किया, भाई प्लीज आईपीएल तो बहुत लंबा चलेगा, थोड़ा सा टाइम निकालकर विद फैमिली, चले जाना थिएटर, शर्त लगा सकती हूँ मैं, इतना पहले कभी नहीं हंसी होगे तुम.
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