मैदान मूवी रिव्यू हिंदी- फुटबॉल पर बनी एक बेहतरीन फिल्म | Maidan Movie Review Hindi-A great film made on football

मैदान मूवी रिव्यू हिंदी- फुटबॉल पर बनी एक बेहतरीन फिल्म | Maidan Movie Review Hindi-A great film made on football

Movie आखिर कैसी बनी है दरअसल काफी सारे लोगों ने ah मैदान movie को देख लिया है और जो reviews निकलकर सामने आए है वो इस movie को लेकर काफी positive बातें कर रहे है positive reviews का सीधा सीधा मतलब ये है कि इसके साथ release होने वाली है उसके सामने मैदान कहीं ना कहीं ground को मजबूत करने की कोशिश कर रही है क्योंकि बड़े भैया छोटे मियाँ एक complete entertainment वाली मसाला movie है और इस तरह की movies को Indian audience कुछ ज्यादा ही प्यार देती है देखिए मैदान की अगर हम बात करें तो हम सभी को कही ना कही super heroes की कहानियाँ जो है वो पसंद होती है चाहे आप Superman की बात कर ले Batman की बात कर ले Spider-Man की बात कर ले Shaktiman की बात कर ले Junior जी की बात कर ले आपको पसंद होती है superhero हमारे बीच रहने वाले आम से दिखने वाले लोग ही होते है जिनके पास हमसे थोड़ी सी ज्यादा ताकत होती है जो हर एक मुश्किल के करने के लिए सबसे आगे खड़े मिलते हैं।

जिनके लिए मुश्किल से मुश्किल चीज मुमकिन होती है, जिंदगी की भागदौड़ में हम काल्पनिक कहानियों में असल में इतना खो जाते हैं कि असल जिंदगी के सुपरहीरोज पर हमारा ध्यान जाता ही नहीं है। और ऐसे ही एक अनजाने सुपरहीरों की कहानी को फिल्म मैदान के साथ लेकर आ रहे हैं अजय देवगन बड़े पर्दे पर बात करें अगर हम मैदान की कहानी की तो हमारे देश के इतिहास में ऐसे कई लोग रहे जिन्होंने हमें दुनिया की नजरों में जगह दी।

एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया जिसकी उम्मीद ने कभी की ही नहीं थी और ऐसे ही एक शख्स थे सैयद अब्दुल रहीम रहीम साहब ही वो शख्स है जिन्होंने भारत की कई फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में उसका पहला gold medal दिलवाया था उनकी हिम्मत और जज्बे पर बनी फिल्म मैदान काफी धमाकेदार है इस फिल्म में फुटबॉल के साथ-साथ politics अह रोमांच और emotions की काफी अच्छे तरीके से नुमाइंदगी करी गई। फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है साल उन्नीस सौ बावन से फुटबॉल के मैच को भारत के खिलाड़ी नंगे पैर खेल रहे हैं।

किसी के पैर में लगती है तो कोई दूसरे खिलाड़ी को tackle करने में पीछे रह जाता है इसी तरह भारतीय टीम मैच हार जाती है कलकत्ता के federation ऑफिस में भारतीय फुटबॉल टीम की हार का ठीकरा सैयद अब्दुल रहीम मतलब अजय देवगन के सिर पर फोड़ा जाता है रहीम कहते हैं कि अगर हार की जिम्मेदारी उनकी है तो अपनी टीम का चुनाव भी वो खुद करेंगे इसके बाद वो निकल पड़ते हैं देश भर में अपनी टीम के लिए बेस्ट खिलाड़ियों की तलाश करने कलकत्ता से लेकर सिकंदराबाद, केरल और यहाँ तक कि पंजाब तक घूम-घूम कर रहीम अपनी टीम तैयार करते हैं इस टीम में पीके बैनर्जी मतलब चून्नी गोस्वामी, सिंह मतलब कि दविंदर गिल तुलसीदास, बलराम और कई सारे बढ़िया खिलाड़ी इनको शामिल कर लेते हैं।

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यही वो टीम है जिसके साथ खून पसीने की मेहनत कर रहीम एशियन गेम्स में gold medal जीतना चाहते हैं। federation में बैठे शुभांकर जैन गुप्ता, रहीम साहब को पसंद नहीं करते और टॉप न्यूज़ पेपर के senior journalist रॉय चौधरी मतलब कि गजराज राव रहीम को भारतीय फुटबॉल टीम के coach की position से बेदखल करने के लिए एडी चोटी का लगाते हुए दिखते है इस मंजिल में ढेरों कांटे है एक से बढ़कर एक चुनौतियां है और दुश्मन जब घर के अंदर ही बैठा हो तो मंजिल तक पहुँचना तो थोड़ा और ज्यादा मुश्किल हो जाता है ऐसे में किस तरह Syed Abdul Rahim और उनकी football team Asian Games nineteen sixty-two के स्वर्ण पदक तक पहुँचेगी यही कुछ फिल्में आपको देखने के लिए मिलेगा दरअसल बीते कुछ समय से हमने बहुत सी sports drama और sports bio पे फिल्में देखी लेकिन किसी में भी वो बात नहीं थी जो कि आपके रोंगटे खड़े कर दे हाँ एक हद तक हमको वो भाग मिलकर वो चीज देखने के लिए मिली थी।

लेकिन वो सब फिल्में भी आई और चली गई। मैदान में वो सब कुछ है जो एक बढ़िया दिल को खुश कर देने वाली और रुला देने वाली sports biopic मूवी में होना चाहिए। ये मूवी पहले कुछ seen से ही आपको अपने साथ बांध लेती है। फिर आप रहीम साहब के और रहीम साहब आपके हो जाते हैं। वो अपनी टीम जोड़ना चाहते हैं और आप उनके सफर में उनके साथी बनकर सब कुछ देखना चाहते हैं। उनका हंसता खेलता परिवार, उनकी नौकरी की चुनौतियां और खिलाफ होने वाली साजिश सब आपके अलग-अलग emotions उजागर करती हैं। खिलाड़ियों के गोल पर आप तालियां बजाते हैं तो उन्हें चोट लगने पर परेशान भी होते हैं। रहीम की बेबसी देखकर आपका दिल दुखता है और उनका दर्द आपकी आँखों में आंसू भी ला देता है।

बात करें अगर हम लोग एक्टिंग की परफॉर्मेंस की तो मैं यहां पर सबसे पहले गजराज राव की बात करना चाहूंगा। उनका किरदार इतना खराब है कि आपको उसे देखकर गजराज राव से आपको नफरत हो जाएगी आपको मन करेगा कि इसके मतलब गाल पर लपाड़े ही लपाड़े मन करेगा कि बट्टे से इस आदमी का मुंह क्यों नहीं पूछ लिया जाता? मतलब ये आपको इस तरह का character feel कराएँगे और यही दिखाता है कि Ajrao कितने बढ़िया actor है

उन्होंने अपने किरदार को इतने कमाल तरीके से पकड़ा है कि आपको हर एक scene में उनसे नफरत होगी उनके किरदार रहीम को किसी तरह चैन नहीं लेने देते लेकिन जब उसे उसका सबक मिलता है तो माशाअल्लाह मज़ा ही आ जाता है football team के खिलाड़ियों के roll में चैतन्य शर्मा Ravinder Gill, Sushant Gindade, Tejas, Ravi Shankar, Rishabh Joshi, Amandeep Thakur, Madhur Mittal, Mandeep Singh सारे actors ने कमाल का काम किया है आपने इनका खेल आपको ये feel नहीं होगा की यार आप कुछ नया देख रहे है अपने खेल से वो हर एक scene को जोश से ही भर देते है परदे पर football खेलते दिखने के लिए सभी ने काफी मेहनत भी करी है और ये बात आप उनकी performance में साफ तौर पर देख सकते है इसी के साथ casting directors की भी तारीफ करनी चाहिए

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Ravi Ahuja और उनकी team ने एक से बढ़कर एक actors को खिलाड़ियों के रूप में लिया है कुछ नए और कुछ जाने माने चेहरों को इस film में दिखाना काफी represent था Rahim की पत्नी के role में Priyamani का काम काफी अच्छा है उन्होंने अपने छोटे से role को बखूबी निभाया है इसके अलावा film से जुड़े दूसरे actors ने भी अपने किरदारों के साथ काफी हद तक justice किया है अब बात आती है इस फिल्म के हीरो की देखिए अजय देवगन एक बहुत ही उम्दा कलाकार है बढ़िया actor है ये हम सभी जानते है उन्होंने कई अलग-अलग किरदारों को निभाया है वो सिंघम का रोल भी आसानी से कर लेते है और गोपाल बनकर दर्शकों को हंसा भी लेते है

लेकिन शायद बहुत लंबे वक्त के बाद उन्हें किसी ऐसे serious और emotion से भरे हुए role में देखा गया है सैय्यद अब्दुल रहीम के role के साथ उन्होंने पूरा न्याय किया है और परदे पर अजय को देखते हुए आपको लगेगा कि अगर रहीम साहब को कभी सामने से देखने का मौका मिलता तो ऐसे ही होते फिल्म के पहले में आप रहीम बने अजय देवगन को खुशी और जोश में देखते हैं interview के बाद जो होता है उसमें वो एकदम अलग इंसान बन जाते हैं उनका जुनून, उनका दर्द, उनका हौसला, हिम्मत सब कुछ आपको अपने अंदर महसूस होता है और ये वही अजय देवगन है जो बीते कई सा लो से हमने पर्दे पर नहीं देखा था

मतलब मुझको इनकी मूवी याद आती है दीवानगी जिसमें ये में थे और एक विलन के तौर पर उनके काम में काफी सराहा भी गया था और पिछले कुछ सालों में इन्होंने ऐसा कोई किरदार निभाया भी नहीं है लेकिन इस मूवी को देखकर वाकई में दिल खुश होता है की जो धड़कने है वो तेज होती चलती जाती है और मूवी के आखिर में अजय आपको रुला ही देते है ऐसा ना जाने कितने सालों से हुआ नहीं है ये बहुत आसानी से अजय देवगन की बेस्ट परफॉरमेंस में से ये कही जा सकती है अजय देवगन की तरह डायरेक्टर अमित रविंद्र शर्मा ने भी साबित कर दिया कि वो बधाइयों जैसी फिल्म से आपको हसाना और मैदान जैसी फिल्म से आपको रुलाना और गर्व महसूस करवाना जानते है फिल्म की राइटिंग टीम आकाश चावला, सिद्धांत मगो और अनुराग जॉय के साथ-साथ रितेश शाह ने काम किया और बहुत रिसर्च करके इस मूवी की कहानी को लिखा है टीम की लिखाई के साथ पूरा न्याय भी करते हुए अमित शर्मा ने पूरी मूवी को फ्रेम टू फ्रेम बुन दिया है.

तुषार कान्ति दे और अंशुमन सिंह ठाकुर का काम वाकई में बढ़िया है. स्पोर्ट्स सेगमेंट के ने बेमिसाल तरीके से करी है. मतलब आप आज की तारीख में देखेंगे कि इंडियन सिनेमा जो हो रहा है उसमें कहीं ना कहीं बड़ा कारण ये भी है कि जब जहाँ पर जो सही रहता है उसको मौका दिया जाता है. और ऐसे में अगर आपको फॉरेनर्स की मदद लेनी पड़ी तो उसमें कोई गुरेज नहीं आपका काम अच्छा होना चाहिए. तीन घंटे लंबी को देखते हुए आप थकान महसूस नहीं करेंगे बल्कि इसे और देखना चाहेंगे इस फिल्म को देखते हुए वैसी ही फीलिंग आती है जैसे पहली बार कहीं ना कहीं देखकर आई थी रहमान का म्यूजिक भी इस मूवी में कमाल का है मिर्ज़ा से लेकर दिल नहीं तोड़ेंगे तक सभी गाने स्क्रीन प्ले में परफेक्ट फिट होते हैं लेकिन रहमान की आवाज में जाने दो गाना आपकी आंखें नम कर देगा फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी काफी बढ़िया है सा लो से इस फिल्म का इंतजार किया जा रहा है बोनी कपूर इस मूवी से जुड़े हुए हैं तो कहा जा रहा है कि भाई इस मूवी में शोर शोर success के सारे गुण हैं ऐसे में देखना ये है कि ये movie public को किस तरीके से पसंद आएगी। लेकिन इस movie को देखकर इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि देर आए लेकिन दुरुस्त आए।

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