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फिल्म ‘आखिर पलायन कब तक’ हिंदुओं को पलायन करने पर मजबूर करने वाले कानून के प्रति जागरूकता लाएगी यह फिल्म

नब्बे के दशक में जिस तरह से हिंदुओं का कश्मीर से पलायन हुआ था, उस पर बहुत कुछ लिखा व दिखाया जा चुका है.उस वक्त के जम्मू कश्मीर के हालात व हिंदुओं के वहां से पलायन को लेकर ‘द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म भी बन चुकी है. कश्मीर में जो कुछ हो रहा था, वह तो कानूनी व इंसानियत के खिलाफ था. लेकिन हिंदुओं का पलायन तो पूरे देश के कई हिस्सों से हो रहा है. और ऐसा हमारे देश के एक कानून के चलते हो रहा है. जिसकी सुनवाई कहीं नही है. इसी मुद्दे को उठाते हुए बाड़मेर, राजस्थान के एक गांव से आयी लड़की सोहनी कुमारी ने फिल्म “आखिर पलायन कब तक बनायी है. जिसका निर्देशन व लेखन मुकुल विकम ने किया है. फिल्म के कलाकारों में राजेश शर्मा, भूषण पटियाल, सोहनी कुमारी, चितरंजन गिरी जैसे कलाकार शामिल हैं। यह फिल्म 16 फरवरी को पूरे देश के सिनेमा घरों में प्रदर्शित होने जा रही है.

मंगलवार, 6 फरवरी को अधेरी, पश्चिम मुंबई के सिनेपोलिस मल्टीप्लैक्स में फिल्म “आखिर पलायन कब तक” का ट्रेलर लांच हुआ, ट्रेलर देखकर अहसास हुआ कि यह फिल्म जमीन हड़पने की कहानी है, जहां एक धर्म समुदाय को निशाना बनाया गया है. वैसे इस ट्रेलर लांच के अवसर पर छह पीड़ित परिवार भी आए हुए थे, जिन्होने अपनी व्यथा सुनायी इनकी व्यथा सुनकर अहसास हुआ कि हिंदओं के पलायन की मूल वजह हमारे देश का ‘वक्फ एक्ट 1995’ ही है, यह 1954 के बने कानून
का ही संशोधित एक्ट है, जिससे वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार मिल गए हैं.

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इतिहास में गहराई से देखने पर यही पता चलता है। भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के अनुरूप वक्फ अधिनियम 1954 में भारतीय संसद में पारित किया गया था। इस अधिनियम के पीछे का विचार अल्पसंख्यक हितों की देखभाल करना था, जिसमें वक्फ बोर्ड को दान, मस्जिदों के निर्माण के लिए भूमि आवंटित की जाएगी। तत्कालीन सत्ता प्रतिष्ठान ने सोचा कि पाकिस्तान के विपरीत, जिसने पलायन करने वाले हिंदुओं की जमीनें छीन लीं, भारत सरकार पलायन करने वाले मुसलमानों की जमीनों पर कब्जा नहीं करेगी। वह जमीनें वक्फ बोर्ड को दे दी गई। हालाँकि, 1995 में एक संशोधन ने कथित तौर पर वक्फ बोर्ड को किसी भी भूमि पर दावा करने की अनुचित शक्तियाँ दे दी हैं।

वक्फ के साथ भूमि के एक टुकड़े पर विवाद को केवल वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा ही निपटाया जा सकता है। उनके आदेश को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी चुनौती नहीं दी जा सकती। फिल्म का ट्रेलर लांच होने के बाद फिल्म की निर्माता और फिल्म में अहम किरदार निभाने वाली अभिनेत्री सोहनी कुमारी ने कहा- “यह फिल्म लोगों की आवाज है, किसी समुदाय विशेष की नही. हमारी फिल्म गलत व सही की बात करती है. हम जो गलत है, उसे गलत कहने में यकीन करते हैं. यह फिल्म बनना आज की तारीख में बहुत जरुरी है. मैं आपको एक घटना बताती हूँ, मेरे नाना जी का 96 साल की उम्र में इंतकाल हो चुका है.

उससे कुछ दिन पहले मैने उनसे कहा कि अकबर महान राजा थे. नाना जी ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे दो थप्पड़ लगाते हुए कहा- “हमें पता है यह क्या था.” सोहनी कुमारी की बतौर निर्माता “आखिर पलायन कब तक” पहली फिल्म है. जब हमने उनसे पूछा कि पहली फिल्म बनाने के लिए उन्होने यह बोल्ड विषय क्यों चुना?तब सोहनी कुमारी ने कहा- “मैं सामाजिक मुद्दे पर एक बेहतरीन फिल्म बनाना चाहती थी क्योंकि मैं अपने देश व समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहती हूँ, जैसा कि आप जानते हैं कि मैं जमीन से जुड़ी हुई हूँ, मैं बाड़मेर, राजस्थान से हूँ, गांव से मुंबई पहुंचने तक मैंने बहुत कुछ देखा है. मैं राजनीति हो या जियो पोलीटिक्स हो, हर चीज से खुद को कनेक्ट करती हूँ मैं हर युवक व युवती से कहना चाहेंगी कि उसे पता होना चाहिए कि देश में क्या हो रहा है.

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आज से बीस साल पहले क्या हुआ था, क्यों हुआ था आज से दस साल बाद क्या होने की संभावनाएं हैं. मेरी तो रूचि यह सब जानने में रहती है. जब मैने अपने स्तर पर पढ़ाई की, सोचा तो पाया कि सिनेमा में अच्छा काम हो रहा है. लोगों को फिल्में पसंद आ रही हैं. लेकिन वास्तविक घटनाओं पर फिल्मकार भी आँखे मूँदे रहता है. हमारे देश में कई खतरनाक कानून बने। हुए हैं, जिनका लोगों तक पहुँचना अनिवार्य है. हमने अपनी फिल्म ‘आखिर पलायन कब तक’ में जिस मुद्दे को उठाया है, उससे हमारी युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है. वह तो अपने ही मनोरंजन में डूबी हुई है.

मेरा मानना है कि हर युवक/युवती को मनोरंजन के साथ सच से भी वाकिफ रहना चाहिए. अन्यथा आपको कभी अहसास ही नहीं होगा कि आने वाले कल को क्या हो सकता है. वास्तव में हमारी युवा पीढ़ी लंबे समय से जिस तरह की फिल्में देखती आ रही है, उसी की उसे आदत लग गयी है. वह तो उसी परिदृश्य व माहौल में पूरी तरह से ढल चुका है. पर उसमें वह पूरी तरह से खुश हो, ऐसा भी नही है.मैं जिनसे मिलती हूँ, वह सभी बहुत ही अलग तरीके से व्यवहार करते हैं. जबकि मेरी राय में हर युवा को भारत के हर राजनीतिक व सामाजिक पहलू के बारे में पता होना चाहिए. हर युवा को जियो पोलीटिक्स के बारे में पता होना चाहिए हिए, मेरी मेरी तो इसमें काफी रूचि है. मैं बहुत कुछ पढ़ती हूँ ढेर सारे वीडियो देखती हूँ. फिल्में देखती हूँ, मैं भविष्य में भी फिल्में बनाती रहूँगी.” फिल्म में ईमानदार व सच को सच की ही तरह बयां करने वाले पत्रकार का किरदार निभाने वाले अभिनेता चित्तरंजन गिरी ने फिल्म से जुड़ने की चर्चा करते हुए कहा- “शाहिद कपूर के साथ में ‘फर्जी’ करने के बाद मुझे ऐसी फिल्म की तलाश थी.

जो शांति की बात करती हो और मेरा किरदार चुनौतीपूर्ण हो क्योकि मेरा मानना है कि जब किरदार निभाने में कठिनाई आती है, तभी अभिनय करने में मजा आता है. क्योंकि जब हम ट्रेनिंग लेते हैं, तो हमें किरदार के सारे एंगल पर शोध करना सिखाया जाता है. कई बार किरदार बहुत ज्यादा स्टीरियो टाइप होते हैं.तब सवाल उठता है कि क्या किया जाए. क्योंकि फिल्म की स्किप्ट अच्छी है, निर्देशक अच्छे हैं, फिल्म भी अच्छी बन रही है. तब हमें अपना कविंशन डालना पड़ता है. पर जब हमें कोई किरदार गहराई वाला मिलता है, मसलन -फिल्म ‘आखिर पलायन कब तक’ का किरदार है, तो यह काफी चुनौतीपूर्ण है. यह हमारे सामने चुनौती यह थी कि हमें जो बात कहनी है, वह पूरी तरह से जेन्यून तरीके से कहनी है.तो उसके लिए पहले हमें खुद इमानदार होना था. फिर किरदार की इमानदारी को समझना था. जब इन चुनौतियों का आदान प्रदान होता है तो अभिनय करने में मजा आता है.”

फिल्म’ आखिर पलायन कब तक के अपने पत्रकार के किरदार की चुनौतियों की चर्चा करते हुए चित्तरंजन गिरी ने कहा- “सच बोलना क्योंकि एक पत्रकार की जो सच्चाई है, पत्रकार जिस तरह से सच सामने लाता है, उसका काम तो सिर्फ सच को लोगों तक पहुँचाना ही है. जो भी सच है. उसे उसी तरह से लोगों के सामने रखा जाए फिल्म में मेरा एक संवाद है- “गलत को गलत नही कहोगे, तो जो नासमझ है, वह उसे ही सच समझ बैठेगा.” फिल्म के लेखक व निर्देशक मुकुल विक्रम ने कहा- “मैं अपनी फिल्म को बोल्ड नही बल्कि आज के वक्त की सबसे बड़ी जरुरत वाली फिल्म मानता हूँ, हम किसी समुदाय के खिलाफ कोई बात नहीं कर रहे हैं. हम तो देश के कानून की बात कर रहे हैं.” ‘आखिर पलायन कब तक में मुख्य खलनायक का किरदार निभाने वाले अभिनेता धीरेंद्र द्विवेदी किसी परिचय के मोहताज नही है.

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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षण हासिल करने के बाद मुंबई आकर उन्होने फिल्म ‘कमीने में बतौर सहायक निर्देशक काम किया उसके बाद ‘पान सिंह तोमर, ‘इश्किया’, ‘पीके धक धक’, भूतनाथ रिटर्न सहित कई फिल्मों व ‘छूना’ सहित कुछ वेब सीरीज में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके हैं. इस फिल्म के किरदार की चर्चा करते हुए उन्होने कहा- “मैने इस फिल्म में नकारात्मक किरदार निभाया है. जिसकी वजह से एक परिवार पीडित हो रहा है, यह परिवार लाचार है और उस परिवार की लाचारी का यह किस तरह फायदा उठा रहा है. किरदार की अपनी एक यात्रा है. उसका अपना सामाजिक व राजनीतिक दबदबा है. यह किरदार मेरी निजी जिंदगी से काफी अलग है.” धीरेंद्र द्विवेदी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- “मेरी उम्र चालिस वर्ष है. फिर भी फिल्म ‘आखिर पलायन कब तक में जिस मुददे की बता की गयी है, उस मुद्दे की जानकारी नहीं थी. अब जो मुद्दे निकलकर बाहर आ रहे हैं. मुझे पता चल रहे हैं, वह सारी जानकारियां दबायी हुई थीं.

यह भी एक दिक्कत थी. तकलीफ थी, ढेर सारे कानून ऐसे हैं, जो कि अभी भी दबे हुए हैं. ढेर सारी सरकारी नीतियां हैं, जो कि लंबे वक्त से चली आ रही हैं.न तो पत्रकारों को मालुम है और अगर उन्हें पता था तो उन्होने कभी इस कानून/मुद्दे को उजागर भी नहीं किया हमें अखबार में इस बारे में कभी पढ़ने को नही मिला हमने इस बारे में किसी समाचार चैनल पर भी नहीं सुना. आज हमें इसी तरह के दबे कानूनों के बारे में पता चलता है और हम उस पर फिल्म बना पा रहे हैं, यह स्वतंत्रता हमें मिली है. मुझे नही लगता कि कुछ समय पहले तक फिल्मकार के पास इस तरह की स्वतंत्रता थी. सच कहूँ तो आज भी उतनी स्वतंत्रता नही है. आज भी सवाल तो आते हैं. अभी कुछ देर पहले ही एक पत्रकार ने सवाल उठाया कि क्या ‘आखिर पलायन कब तक ‘प्रपोगंडा फिल्म’ है.

तो यदि हम समाज में घट रही सच्ची घटनाओं को फिल्म के माध्यम से पेश करते हैं, तो ‘प्रपोगंडा फिल्म का तमगा लगा दिया जाता है. इसका अर्थ यह कि इस तरह के लोग नहीं चाहते कि सच बयां करने वाली फिल्में बनायी जाएं पर जो हमारी नजरों के सामने हो रहा है, वही तो हम दिखा रहे हैं. इसे आपप्रपोगंडा कैसे कह सकते हैं.” फिल्म में अभिनय करने के अनुभवों की चर्चा करते हुए धीरेंद्र द्विवेदी ने कहा- “बहुत अच्छा रहा. मैने इससे पहले मुकुल विकम केसाथ एक फिल्म “रांग लीला” कर चुका हूँ, तो हम एक दूसरे की कार्यशैली से काफी परिचित थे.” फिल्म में पुलिस अफसर का किरदार निभाने वाले अभिनेता भूषण पट्टाली की यह पहली फिल्म है. ट्रेलर लांच के अवसर पर उन्होने कहा-“मैं मूलतः हिमाचल प्रदेश से हूँ और अभिनय का शौक तो बचपन से रहा है. हर बालक सिनेमा देखते हुए खुद को भी उसके हिस्से के रूप में देखने लगता है. इसीलिए मैने दिल्ली आकर अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की. मैने दिल्ली में काफी थिएटर किया.

कुल मिलाकर चौदह पंद्रह नाटकों में अभिनय किया. कुछ नाटक निर्देशित भी किए, यह 2006 से 2008 तक की बात है. उसके बाद बिजनेस और फिर मुंबई आना. अब ‘आखिर पलायन कब तक” से अभिनय जगत में कदम रख रहा। ‘आखिर पलायन कब तक” में ऐसी क्या खास बात आपको नजर आयी कि आपने इसी फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखने का निर्णय लिया? इस सवाल पर उन्होने कहा- “मुझे एक बेहतरीन कहानी व किरदार की तलाश थी.

तभी एक दिन मुकुल विकम ने मुझे यह कहानी व मेरा किरदार सुनाया मुझे इस फिल्म में एक ऐसे इंसान का किरदार निभाने के लिए कहा गया, जैसा कि मैं निजी जिंदगी में कहीं से भी नही हूँ इस किरदार में मुझे चुनौती नजर आयी, मैने अपनी तरफ से इस किरदार के माध्यम से दर्शकों के बीच अलग पहचान बना पाउं, इसकी कोशिश की है.इस किरदार को पांच छह माह तक जीने के बाद इससे छुटकारा पाना मेरे लिए काफी कठिन रहा. ” भूषण पट्टाली ने आगे कहा- मुझे लगता है कि इस तरह के विषय पर फिल्म बननी आवश्यक थी मैने तो इस फिल्म में अभिनय करते हुए इंज्वॉय किया,.

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पारम्परिक पोशाक से लेकर रेड कार्पेट के ग्लैमर तक, आकांक्षा रंजन कपूर के जलवे

आकांक्षा रंजन कपूर आज की तारीख में एक उभरती हुई बॉलीवुड तथा ओटीटी स्टार है. उन्होंने 2020 में वेब सीरीज गिल्टी के साथ डिजिटल दुनिया में अपने अभिनय की शुरुआत की थी, जिसे काफी सकारात्मक समीक्षा मिली और एक रचनात्मक के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ। अभिनय के अलावा आकांक्षा रंजन कपूर अपनी फैशन सेंसिबिलिटी और स्टाइल के लिए भी पहचानी जाती हैं। वह कई ब्रांडों के साथ जुड़ी हुई हैं, जिससे एक फैशन प्रभावकार के रूप में उनकी स्थिति काफी मजबूत हुई है।

उनके इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए कोई भी बता सकता है कि आकांक्षा को सभी ट्रेंडी चीजों से लगाव है। भव्य भारतीय लहंगों से लेकर आकर्षक नाइट आउट परिधानों तक, आकांक्षा को इसमें महारत हासिल है। पिछले दिनों आकांक्षा रंजन कपूर, पूरी तरह से काले रंग की पोशाक में दिखी जिसे उन्होने बहुत ही खूबसूरती से कैरी किया हुआ था। काले ड्रेस में कातिलाने लुक के साथ वो फैशन को रिडिफाइन करती नजर आई।

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आकांक्षा ने एक शिक ब्रालेट पहना है जिसके साथ एक मैचिंग स्कर्ट भी है. जिसे उन्होंने सेलवर ज्वैलरी और क्रिस्टल हील्स के साथ मैच किया है। आकांक्षा का यह लुक अपने दोस्तों के साथ बिताई जाने वाली नाईट पार्टी लुक के लिए बिल्कुल परफेक्ट
एक और तस्वीर में, आकांक्षा ने एक छोटी सी हरी ड्रेस पहनी है। जिस में आकांक्षा बहुत ही गजब की सेक्सी लग रही है। अपने इस ड्रेस को आकांक्षा ने एक भारी डायमंड नेकलेस और चमकीले जूते के साथ मैच किया है, आकांक्षा इस ड्रेस में पूरी तरह से खास नजर आ रही हैं।

एक फैशन गुरु की तरह आकांक्षा ने साबित किया कि सफेद स्वेटर के साथ मिनी स्कर्ट और ट्रेनर्स का मैच कभी भी गलत नहीं हो सकता है। यह कैजुअल सड़े के लिए ब्यूटीफूल लुक है आकांक्षा इस लुक को बहुत ही अच्छे से कैरी करती देखी गई है आकांक्षा का ये लुक यूथ को काफी प्रभावित कर रहा है। एक और तस्वीर में आकांक्षा रंजन कपूर एक नीले लहंगे में किसी जलपरी से कम नहीं लग रही थी। इस पोशाक में आकांक्षा का ये लुक साबित कर रहा है की आकांक्षा हर पहनावे को बहुत ही खूबसूरती से कैरी करती है और उन के ऊपर हर तरहा के कपड़े अच्छे लगते है।

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तेरी बातो में ऐसा उलझा जिया : मूवी रिव्यू

निर्माताः दिनेश वीजन, ज्योती देशपांडे, लक्ष्मण उतेकर
लेखक व निर्देशकः अमित जोशी और आराधना शाह
कलाकारः शाहिद कपूर, कृति सेनन धर्मेंद्र डिंपल कपाड़िया, राकेश बेदी, अनुभा फतेहपुरिया, राजेश शर्मा, राशुल टंडन, सुशा कपूर, ब्रजभूषण शुक्ला, आशीश वर्मा व अन्य

आए दिन नए नए वैज्ञानिक अनुसंधान हो रहे हैं। आए आए दिन इंसान की जिंदगी पर प्रभाव डालने वाली तकनीक आ रही है। रोबोट आ चुका है। और अब एआई व डीप फेक ने लोगो की नींद उड़ा दी है। ऐसे ही वक्त में लेखक व निर्देशकद्वय अमित जोशी और आराधना शाह, इंसान और रोबोट की प्रेम कहानी को फिल्म “तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया” लेकर आए हैं। मानव व रोबोट का प्रेम बंधन कुछ लोगों को आश्चर्यचकित कर सकता है, लेकिन यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे हॉलीवुड सिनेमा में अच्छी तरह से चित्रित किया जा चुका है। यूँ तो भारत में 2010 में प्रदर्शित तमिल साइंस एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘एंथिरन’ में चिट्टी नामक रोबोट के मन में सना (ऐश्वर्य) के लिए भावनाओं को दिखाया जा चुका है। मगर ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’
बहुत निराश करती है।

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कहानीः तेरी बातो में ऐसा उलझा जिया

फिल्म की कहानी के केंद्र में आर्यन (शाहिद कपूर) और उसका लंबा चौड़ा परिवार है. इसमें उसके दादा (धर्मेंद्र), माता
शर्मिला (अनुमा फतेहपुरिया), पिता (राकेश बेदी), बुआ (युशा कपूर), फूफा (ब्रजभूषण शुक्ला), चाचा (राजेश कुमार) मौसी उर्मिला (डिंपल कपाडिया) और ढेर सारे रिश्तेदार व उसका दोस्त मोंटी (आशीश वर्मा) हैं। आर्यन और उसका दोस्त दोनों रोबोट साइंटिस्ट है और यह दोनों उर्मिला की ही रोबोटिक्स कंपनी में काम करते हैं। उर्मिला की कंपनी का हेड आफिस अमरीका में है और रोबोट पर शोध वगैरह अमरीका में ही उर्मिला की कंपनी में होता है।

इधर मुंबई में आर्यन का परिवार परेशान है। क्योंकि आर्यन को शादी करने के लिए कोई लड़की पसंद नही आ रही है। वह एक बार तो सगाई छोड़कर भाग चुका है। एक दिन उर्मिला अपने नए प्रोजेक्ट को समझने के लिए आर्यन को अमरीका बुलाती है। जहां पर वह कई तरह के रोबोट से आर्यन की मुलाकात कराती है। जब आर्यन अमरीका में अपनी मौसी के घर पहुँचता है, तो वहां आर्यन की मुलाकात उर्मिला की मैनेजर सिफरा (कृति सेनन) से होती है। सिफरा यानी कि सुपर इंटेलिजेंट फीमेल रोबोट ऑटोमेशन है। मगर इस सच से अनजान आर्यन, सिफरा की आवाज और काम करने की तेजी से प्रभावित हो जाता है। आर्यन को सिफरा से प्यार हो जाता है। रात में दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाते हैं।

मतलब भारत की एक सौ चालिस करोड़ की आबादी में आर्यन को रोबोट से ही प्यार होता है। दूसरे दिन सुबह उर्मिला बताती है कि सिफरा, मानव नहीं बल्कि रोबोट (सुपर इंटेलिजेंट फीमेल रोबोट ऑटोमेशन) है। आर्यन चौक जाता है। पर अब आर्यन, सिफरा से ही विवाह करना चाहता है। उर्मिला आर्यन को समझाती है कि वह गलत कर रहा है। पर आर्यन नाराज होकर मुंबई आ जाता है। उर्मिला, रोबोट सिफरा को मुंबई आफिस भेजती है, जिससे उस पर इंसानों के साथ नए प्रयोग किए जा सके। पर आर्यन, सिफरा को लेकर अपने घर पहुँच जाता है कि वह सिफरा से विवाह करेगा। आर्यन के घर वाले सिफरा से प्रभावित होते हैं। उसके बाद क्या होता है, इसके लिए तो फिल्म देखनी पड़ेगी।

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रिव्यूः

नीरस पटकथा, उथला निर्देशन और रोबोट के साथ अपशब्दों के संवाद फिल्म को स्तरहीन बनाते हैं। माना कि समय के साथ इंसानी सोच बदल रही है। अब इंसान के लिए प्यार का मतलब साथी चाहिए, वासना नहीं। तो वहीं विज्ञान प्रगति कर रहा है। रोबोट व एआई लोगों की नौकरियां छीनकर उन्हे बेरोजगार बनाने पर आमादा है। ऐसे दौर में निर्माता दिनेश वीजन और निर्देशकद्वय अमित जोशी व आराधना शाह ने इंसान व रोबोट की अविश्वसनीय व नीरस प्रेम कहानी को अपनी इस फिल्म में लेकर आ गए। लंबे समय बाद फिल्म में परिवार की वापसी हुई है। मगर अफसोस की बात यह लोग कहानी व किरदारों के साथ जुड़ नहीं पाते। कहानी से लोग इसलिए नही जुड़ पाते, क्योंकि सच जानने के बाद एक रोबोट साइंटिस्ट / कंप्यूटर प्रोग्रामर का रोबोट से प्यार करने की बात हजम नहीं होती।

आर्यन का लुक, लंबा चेहरा, बढ़ी हुई दाढ़ी और लगातार सिगरेट पीना आदि ‘आर्यन’ की बजाय कबीर सिंह की याद दिलाता है. मतलब लेखकद्वय ने आर्यन का किरदार ही पूरी तरह से नकली गढ़ा है। हमने अभी तक रोबोट देखे नही है, मगर हमें लगता है कि फिल्मकार ने सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर रोबोट को अपनी मर्जी से इंसानो की तरह हाथ पैर चलाते, नृत्य करते, कपड़े पहनते व उतारते हुए दिखा दिया है, जो कि दर्शकों को अविश्वसनीय सा लगता है। इतना ही नही फिल्म में एक पूरा परिवार दिखाया गया है। ऐसे में आर्यन का अपने छोटे भतीजे के साथ जो संवाद है, वह अखरते हैं।

जी हाँ फिल्म में जब आर्यन और सिफरा आपस में चुंबन में लीन होते हैं, तो यह उनका छोटा भतीजा देख लेता है। इस पर आर्यन उससे कहते हैं कि “ये तो हम सिर्फ मुँह मीठा कर रहे थे, यानी कि चाचा अपने भतीजे से झूठ बोलता है। पर यह भतीजा इक्कीसवीं सदी का है। वह लड़का पलटवार करता है, ‘मुझे मूर्ख मत बनाओ। मैंने अपने माता-पिता को भी कई बार ऐसा ही करते देखा है। क्या एक पारिवारिक फिल्म में इस तरह के दृश्य होने चाहिए। यदि यह एडल्ट फिल्म होती तो…एक बार माफ किया जा सकता था। जिस बाल कलाकार ने इस दृश्य को देखा व निभाया है, उसके मन मस्तिष्क पर पड़ने वाले असर के बारे में सोचना तो फिल्मकारों ने छोड़ दिया है और शायद पैसे के लालच में अब बाल कलाकार के माता पिता को भी कोई फर्क नही पड़ता। पर यहां तो सेंसर बोर्ड भी चुप… कहने का अर्थ यह कि यह फिल्म लेखक, निर्देशक व निर्माता का दीमागी दिवालियापन ही है… फिल्म में ऐसा कुछ नही है, जिसके लिए दर्शक सिनेमाघर जाना चाहे

अभिनयः

आर्यन के किरदार में शाहिद कपूर शुरूआती दृश्यों में अपने कबीर सिंह के अवातर में ही नजर आते हैं। उसके बाद बढ़ी हुई दाढ़ी के माध्यम से वह अपने सपाट चेहरे की कमजोरी को कुछ हद तक छिपा ले जाते हैं। पर उनका अभिनय निराश करता है। लेकिन उनकी डांस परफार्मेस की सराहना करनी पड़ेगी। कृति सेनन दस साल बाद भी जहां की तहां है। उनके अभिनय का विस्तार नही हुआ। उनके अभिनय में रोबोट वाली बात कही नजर नही आती। धर्मेंद्र और डिंपल कापड़िया प्रभावित करती है। गुशा कपूर, राजेश
कुमार या कबीर बेदी जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों के हिस्से करने के लिए कुछ रहा ही नहीं।

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क्यों जुड़ रही हे आज युवा पीढ़ी रणबीर कपूर के हर किरदार से?

रणबीर कपूर वास्तव में एक रॉकस्टार हैं, फ़िल्म ‘वेक अप सिड’, ‘ये जवानी है दीवानी’, ‘तमाशा’, ‘ब्रह्मास्त्र’ और ‘एनिमल’ जैसी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के माध्यम से हमारी आज की पीढ़ी के सार को पकड़ते हुए वे ऐसे-ऐसे किरदारों को चित्रित करते रहें हैं जो अक्सर भ्रमित और खोए से नजर आते हैं, जिससे युवा वर्ग, खुद को उनके किरदारों से जोड़ पातें हैं।

जिस तरह अमिताभ बच्चन अपने समय के एंग्री यंग मैन थे और शाहरुख खान 90 के दशक में रोमांस का प्रतिनिधित्व करते थे, रणबीर में, हमारी आज की पीढ़ी का सितारा बनने की क्षमता है, और हो भी क्यों न, उनका व्यक्तित्व ही इतना आकर्षक है।
वे भूमिकाओं की अपनी बेहतरीन पसंद के लिए जाने जाते हैं, एक रोमांटिक हीरो से लेकर समाज के दबाव से जूझ रहे किसी भी कॉमन व्यक्ति तक, वे सब तरह की भूमिकाएं निभाते हैं, और वह यह सब सहजता से करते हैं।

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रणबीर कपूर सादा और सरल अभिनय करने में माहिर हैं। उन्होंने स्कूल ऑफ विजुअल आर्ट्स और ली स्ट्रासबर्ग थिएटर एंड फिल्म इंस्टीट्यूट जैसे अभिनय स्कूलों में अपनी कला सीखी। उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में सफल होने के लिए सिर्फ दिखावे या मांसपेशियों पर भरोसा नहीं किया, और 2007 में भंसाली की फिल्म ‘सांवरिया’ से अभिनय की शुरुआत करने से पहले निर्देशक संजय लीला भंसाली के सहायक के तौर पर उनके सेट पर काम भी किया।

अपने अब तक के करियर में, रणबीर कपूर ने विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाईं, एक रोमांटिक भूमिका से लेकर जीवन की चुनौतियों से जूझते व्यक्ति में आसानी से बदलाव किया। वह सिर्फ एक खूबसूरत चेहरा नहीं है; उनमें गंभीर अभिनय क्षमता है।
हालिया फ़िल्म “एनिमल” की भारी सफलता के बाद, जिसमें उन्होंने एक जटिल किरदार निभाया था, रणबीर कपूर को अब आज के एंग्री यंग मैन के रूप में सराहा जा रहा है। उन्होंने अपने कौशल से दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करते हुए खुद को एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में साबित किया है। अब, 16 साल बाद, उनकी पहली फिल्म के निर्देशक, संजय लीला भंसाली, उनके साथ फिर से काम करने को उत्सुक हैं, लेकिन बिल्कुल अलग तरह की भूमिका में।

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भंसाली की नई फिल्म “लव एंड वॉर” में रणबीर कपूर के साथ विक्की कौशल और आलिया भट्ट भी होंगे। यह फिल्म युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित एक प्रेम त्रिकोण है। भले ही यह एक्शन से भरपूर प्रेम कहानी है, लेकिन चरित्रों के बीच की एक्टिविटीज ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि रणबीर का किरदार ग्रे शेड्स वाला है, जिसका मतलब है कि वह पूरी तरह से अच्छा या बुरा नहीं है। यह निश्चित रूप से एक चुनौतीपूर्ण भूमिका है जिसके लिए सिर्फ एक महान अभिनेता की आवश्यकता है। यह चुनौतीपूर्ण भूमिका रणबीर और भंसाली दोनों को उत्साहित करता है।

फिल्म की खबर विक्की कौशल ने इंस्टाग्राम पर साझा की, जिसमें उन्होंने भंसाली और बाकी कलाकारों के साथ काम करने को लेकर अपना उत्साह व्यक्त किया। ऐसा कहा जाता है कि भंसाली की पिछली डीप पीरियड ड्रामा के विपरीत, यह फिल्म एक ताज़ा प्रेम कहानी है, जिसे वे कुछ समय से बहुत गहराई से खंगाल रहें हैं।

अब देखना यह है कि जब संजय लीला भंसाली जैसे फ़िल्म मेकर किसी खास कलाकार पर दृष्टि टिकाते हैं तो उस कलाकार की मान्यता कितनी और बढ़ जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज की तारीख में रणबीर कपूर की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की और वाहवाही हो रही है और भारतीय सिनेमा जगत, चाहे वह बॉलीवुड हो या दक्षिण भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री, सभी रणबीर कपूर को लेकर फ़िल्म बनाने को उत्सुक हैं।

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एलविश यादव का थप्पड़ मारते हुए विडियो वायरल

Elva यादव का एक video viral हो रहा है, वो एक जगह से निकल रहे  हैं, पीछे से एक शख्स उन्हें कुछ बोलता है, उनके कानों में वो  शब्द पड़ते हैं, वो पीछे पलटते हैं और उसके बाद सीधे गाल पर एक  थप्पड़ रसीद कर देते हैं, उनके साथ में पुलिस भी दिखाई दे रही  है, बाकी सब लोग शांत थे और बाद में अब अलवेश यादव का ये कहना है  कि उस शख्स ने उन्हें कोई गंदी गाली दी थी जो उनके कान में पड़  गई और उसके बाद वो खुद को संभाल नहीं पाए।

देखिए, इस video को  देखने के बाद तमाम तरह के Reactions आ रहे हैं। ज्यादातर  लोगों का कहना है, एल्विश ने जो किया वो कोई भी यही करता अगर  उसके साथ ऐसा होता क्योंकि एल्विश celebrity है तो उनका  उनका जो थप्पड़ है ये वायरल हो गया और इस पर वीडियो बन गए और उस  पर तमाम बातें हो रही है। कुछ का ये कहना है कि अह एल्विश इस  तरीके की गरम मिजाजी के लिए मशहूर रहे हैं। ऐसे में कोई नई  बात नहीं है। और कुछ ये भी कह रहे हैं कि अक्सर जो celebrities  होते हैं,

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जो नामचीन चेहरे होते हैं, वो अपने साथ bodyguard  इसीलिए लेकर चलते हैं कि अगर कुछ बात हो भी जाए तो उनका bodyguard  निपट ले, उन्हें खुद ही कोई Action ना लेकिन यहाँ अलविश यादव  ने खुद ही एक्शन लिया है। सबके सामने बाकायदा थप्पड़ मारा है।  अब जिस शख्स ने कुछ कहा उसका कहा हुआ तो कहीं रिकॉर्ड नहीं हुआ।  लेकिन हाँ ये जरूर रिकॉर्ड हो गया कि अलविश ने कैसे react  किया। अक्सर इस तरह के जो मामले होते हैं उसमें आप अपने आस-पास  एक और controversy खड़ी कर लेते हैं और खासकर अगर आप बिग बॉस  जैसे शो के winner रहे हैं तो लोगों को आपसे यही उम्मीद भी  होती है कि आप यही करेंगे क्योंकि बिग बॉस के घर में भी तो  यही होता रहा है।

अब सवाल ये है कि इस तरीके जो अह बिग बॉस  Participants हैं या winners हैं या ऐसी public personalities जो  हैं जो कि बिग बॉस में जाती रही हैं उनका जब इस तरीके का पब्लिक  में behavior होता है उससे क्या पहचान बनती है उस शो की भी और उस  Personality की भी और हैरानी की बात ये है कि ऐसे लोगों को सोशल  मीडिया पर काफी सारे लोग फॉलो भी करते हैं तो जाहिर है बहुत सारे  लोग ये भी कह रहे हैं कि अलविश ने जो किया वो बिल्कुल सही किया  लेकिन क्या हमारे देश की कानून की किताब ये कहती है कि आप सड़क  पर जा रहे हैं आपको किसी ने गाली दी और आपने उसके गाल पर थप्पड़  रसीद कर दिया क्या वो शख्स पुलिस स्टेशन जा सकता है आप कैसे साबित  करेंगे कि किसी ने कुछ कहा था हालांकि ये बात भी अपनी जगह है  कि अगर कोई ठीक-ठाक शांतिपूर्ण तरीके से निकल रहा है तो अह वो  क्यों ही पीछे पलटेगा और क्यों ही किसी को जाकर किसी के गाल पे  थप्पड़ मारेगा, वो भी एक अनजान शख्स के जिसको वो जानता नहीं और  वो अह उसका नाम तक नहीं जानता। अब ऐसे में कई तरह की बहस हो रही  है, यहाँ इस वीडियो को बनाने का मकसद आप लोगों से सवाल पूछना है  कि क्या एलविश ने जो किया वो सही किया?

या इसके अलावा भी वो कुछ  कर सकते थे, क्या वो अपने साथ मौजूद किसी बॉडीगार्ड को या किसी  उनको अ कंपनी कर रहे किसी व्यक्ति को ये कह सकते थे कि इस  शख्स ने ऐसा क्यों कहा? क्या उससे जाकर कुछ पूछ सकते थे, क्या  बातचीत होनी चाहिए, या सीधे जाकर गाल पर थप्पड़ मार देना कहीं  एलविश को तो कटघरे में खड़ा नहीं करता खासकर जब आप एक public  Personality हैं public figure हैं तो आपसे उम्मीदें कुछ अलग  तरह की रहती हैं जबकि सभी इंसान समान हैं लेकिन होता यही है कि  अगर आप public figure बन जाते हैं तो आपसे लोगों की उम्मीदें  कुछ अलग हो जाती हैं लेकिन Depend ये भी करता है कि आपके इस  तरह की public figure हैं अगर आप Bigg Boss में जीतने वाले या  Bigg Boss में participate करने वाले एक youtuber है तो लोगों को  पता होता है कि आप इसी तरीके से React करेंगे।

आपने जब ये video  देखा तो आपके मन में क्या ख्याल आया कि आपको अलविश ने जो किया  बिल्कुल सही किया या इसके अलावा वो कुछ कर सकते थे या फिर मैं  सवाल को इस तरह से पूछना चाहूँगा कि अगर ईश्वर ना करें आपके साथ  ऐसा होता है तो आप किस तरह से रिएक्ट करेंगे क्या ये रियेक्ट  करने का तरीका बिल्कुल सही है या इसके अलावा और कोई तरीका हो सकता  था।

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रकुल प्रीत सिंह रामायण में नितेश तिवारी की शूर्पणखा की भूमिका निभाएंगी

बॉलीवुड का एक नाम रकुल प्रीत सिंह और इस वजह से चर्चा में है क्योंकि उनकी इसी महीने शादी हो रही है लेकिन एक और वजह मिल गई है रकुलप्रीत को चर्चा में आने के लिए और वो वजह जुडी हुई है नितेश तिवारी की आने वाली फिल्म रामायण से जी हाँ सही पहचाना आपने रामायण में रोल करने वाली है रकुलप्रीत सिंह ऐसा कहा जा रहा है लेकिन सीता का नहीं मंदोदरी का भी नहीं बल्कि रावण की बहन शूप्रणखा का और सुनने में आया है कि इसके लिए उन्होंने अपना स्क्रीन टेस्ट दिया है आप सभी जानते हैं कि इस फिल्म में वीर कपूर राम बने हैं।

साईं पल्लवी सीता बनी है, सनी देओल को हनुमान जी का रोल ऑफर किया गया है। केजीएफ स्टार यश के रावण बनने की खबर है और विजय सेतुपति के बारे में कहा जा रहा है कि वो विभीषण बन सकते हैं और इन सबकी मंडली में अब रकुलप्रीत सिंह भी दिखाई दे सकती हैं, अगर सब कुछ सही रहा और उनका स्ट्रीम टेस्ट अप्रूव हुआ। तो वो शूपनखा का किरदार अदा कर सकती है, वैसे बहुत कम लोगों को ऐसा लगेगा कि रकुलप्रीत सिंह को देखकर शूपनखा का नहीं आता है। बहरहाल ये महीना ऐसा है कि उनकी शादी का जिक्र हर तरफ है इसलिए इस बारे में कोई comment ना करना ही बेहतर होगा फिर भी किरदार तो किरदार होते हैं, शक्ल देखकर offer नहीं होते, अक्सर आपकी कई तरह की suitability उसमें check की जाती है।

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मुझे ऐसा लगता है कि नितेश तिवारी की जो रामायण है ये एक ऐसा प्रोजेक्ट होने वाला है, जो रिलीज के बाद लोगों को एक नई तरह से रामायण से जुड़ने का मौका देगा और इसको कहने की मेरे पास वजह अह ये सबसे है कि आदि पुरुष में जो गलतियां हुई है जाहिर है। नितेश तिवारी बहुत फुक-फुक कर कदम रख रहे होंगे, वो जानते हैं कि उन्होंने किस subject को हाथ लगाया है, इस समय देश में वैसे भी राम नाम की लहर है। वैसे इस देश में राम नाम की लहर कब नहीं रही लेकिन हाँ जब से प्राण प्रतिष्ठा हुई है अयोध्या में हर किसी के मन में एक अलग तरह का भाव है।

और मैं अह इस बात को इस तरह से भी लेता हूँ कि बॉलीवुड अब कहीं ना कहीं अपनी अह सुधार की दिशा भी देख रहा है क्योंकि अह इतना तो अह पिछले कुछ समय के दौरान समझ सकते हैं, जब से आदि पुरुष वाला मामला हुआ या तमाम तरह की जो बॉलीवुड के बारे में बातें कही गई, चाहे वो nepotism को लेकर हो, चाहे वो गैंग सिस्टम को लेकर हो कि अब बॉलीवुड के जो फिल्म मेकर्स हैं, वो फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं, क्योंकि उनको मालूम है, कि ऐसा कुछ नहीं है, कि वो जनता के सामने कुछ भी रख देंगे और वो चल जाएगा। और अगर नहीं चला तो घाटा करोड़ों का होता है।

इस वक्त रणवीर कपूर से उम्मीदें भी काफी हैं। रणवीर कपूर को जब मैंने अह अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उस वक्त भी मैंने ये सवाल उठाया था और अब क्योंकि वो राम बनेंगे इसलिए सवाल और बड़ा हो जाता है कि ये वही रणबीर कपूर है जिन्हें बीफ खाने की वजह से उन्होंने ऐसा स्टेटमेंट दिया था और फिर उन्हें अह उज्जैन में भगवान श्री महाकाल के मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया था लेकिन उसके बाद वो अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में भी दिखाई देते हैं। फिर वो भगवान राम का किरदार भी अब प्ले करने जा रहे हैं बॉलीवुड की अब तक की fun of the big biggest बजट वाली रामायण फिल्म में तो क्या हमारे दर्शकों की सोच भी बदली है? क्या हम बहुत हमारी जो अह याददाश्त है वो बहुत छोटी रहती है, क्या हम चीजों को बहुत जल्दी भुला देते हैं या हमने आगे बढ़ना सीख लिया है या हमने मौका देना सीख लिया है।

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भक्षक मूवी रिव्यू हिंदी | Bhashak Movie Review Hindi

पहली बात तो ये है कि ये फिल्म आपको अंदर तक झकझोर देती है। एक पत्रकार होने के नाते और एक आम आदमी होने के नाते या हर उस शख्स होने के नाते जिसे दूसरों के दर्द में अपनी तकलीफ दिखती है, आप इस फिल्म को जरूर देखें क्योंकि ये फिल्म आपको बताती है कि आप इंसान कहलाने का हक्क तभी रखते हैं, जब आप सामने वाले के दर्द को अपने शरीर के भीतर महसूस कर सकें। और एक होने के नाते, एक नागरिक होने के नाते अपने उस कर्तव्य को समझ पाएं। अपनी उस जिम्मेदारी का एहसास कर पाएं जिस जिससे आप बंधे हुए हैं। अगर आप इस देश में रहते हैं या आप किसी भी देश में क्यों ना रहते हों। वहां आसपास रहने वाले, किसी के साथ अगर अन्याय हो रहा है, नाइंसाफी हो रही है और आप चुपचाप उसे बस होते हुए देख रहे हैं, तो यकीन मानिए उस शख्स पर नाइंसाफी करने वाले, उस शख्स पर अन्याय करने वाले से कहीं नहीं है आप।

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यही इस फिल्म का संदेश है। बिहार के मुजफ्फरपुर shelter home में जो कुछ हुआ दो हजार अठारह की घटना है उस पर ये आधारित है लेकिन मैं इस बात को मानता हूँ कि वो कोई पहली अकेली ऐसी घटना नहीं थी और हम जितने बड़े देश में रहते हैं। निश्चित तौर पर हमारे आसपास कई और जगहों पर कई तरह के अन्याय और नाइंसाफियां हो रही हैं। कुछ के बारे में हम जानते हैं, आँखें बंद कर लेते हैं। एक दर्शक के नाते, एक पाठक होने के नाते, रीडर होने के नाते हम अक्सर ऐसी खबरों को ढूंढते हैं जो हमें मजा देती हैं, छटखारा देती हैं, हमारे लिए गॉसिप होती हैं। हम अक्सर ऐसी खबरें जो किसी के दर्द पर आधारित हैं।

किसी की नाइंसाफी पर आधारित हैं, हम उनसे नजरें फेर लेते हैं क्योंकि हमें लगता है कि हमारी जिंदगी में दुःख-दर्द काफी है। और हमें तो अखबार इसलिए पढ़ना है ताकि हम छटखारा ले सकें। यूट्यूब या फेसबुक इसलिए देखना है, ताकि हमें उसमें मजा आए। ये जो मजा ढूंढने कोशिश है ये तब तक चला करती है जब तक हमारे किसी अपने या हमारे खुद के साथ ही कुछ गलत ना हो जाए और तब हमें ये ख्याल आता है कि हाँ न्यूज़ तो इसलिए होती है समाचार तो इसलिए होते हैं पत्रकार तो इसलिए होते हैं कि वो किसी के दर्द की बात करें लेकिन जब हम ढूंढते हैं एक दर्शक होने के नाते एक पाठक होने के नाते तो हम भी उस मजे की ही तलाश कर रहे होते हैं। कुछ हद तक हम आज के समाचार चैनलों पर ये ठीकरा फोड़ सकते हैं कि देखो हमको क्या दिखाया जाता है लेकिन क्या ये हमारे लिए, आम दर्शकों के लिए नहीं बनता। कि हम देखना क्या चाहते हैं?

तो ये सवाल ऐसा है कि जिसका जवाब हमें ढूंढने की जरूरत है, भक्षक अगर नहीं देखी है, जरूर देखिए, भक्षक देखकर ना सिर्फ आप उस सच्ची घटना के बारे में जान पाएंगे बल्कि हमारे आसपास जो कुछ हो रहा है न्यूज़ coverage के नाम पर एक दर्शक के तौर पर, एक पत्रकार के तौर पर, एक आम नागरिक के तौर पर, आप बहुत कुछ इस फिल्म में देख पाएंगे, मुझे ऐसा लगता है, कि इस फिल्म का देखा जाना सबके लिए इसलिए भी जरूरी ताकि हम खुद को ये अहसास दिला पाएं कि अगर हम दावा करते हैं कि हम इंसान हैं तो फिर इंसान कहलाने का हक़ हमें तभी मिलता है, जब हम अपने आस-पास हो रहे अन्याय और नाइंसाफियों में उस दर्द को महसूस करें कि अगर वो हमारे साथ होता तो कैसा लगता? भक्षक देखने लायक फिल्म है, मैं इसे अपनी तरफ से पूरे नंबर दे रहा हूँ, और अगर आपने फिल्म देख ली है, तो मुझे बताइए कि ये फिल्म आपको कैसी लगी?

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संदीप रेड्डी वांगा ने अब शाहरुख खान को “कुत्ते की मौत” वाले बयान का दिया जवाब

फिल्म animal के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा लगातार चर्चा में बने हुए हैं, फिल्म के हिट होने के बाद भी इससे जुड़े विवाद खत्म हो नहीं रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया users से लेकर बॉलीवुड के celebrities तक ने वांगा की फिल्मों की आलोचना खुलकर की है। ऐसे में डायरेक्टर साहब जो है एक-एक करके सबको जवाब दे रहे हैं। कभी किरण राव पर बोलते हैं, कभी जावेद अख्तर पर बोलते हैं। और अब उन्होंने शाहरुख खान पर भी एक तंज कसा है। असल में शाहरुख़ खान ने एक event में कहा था कि मैं एक आशावादी इंसान हूँ और ख़ुशी भरी कहानियां, खुशियाँ भरी कहानियां सुनाता हूँ जिस जिस किरदार मैं निभाता हूँ, वो अच्छा काम करते हैं, वो लोगों को उम्मीदें देते हैं, खुशियां देते हैं।

अगर मैं बुरा आदमी बनता हूँ, तो मैं कोशिश करता हूँ कि वो खूब सारी तकलीफ में रहे। कुत्ते की मौत मरे। क्योंकि मैं मानता हूँ कि अच्छे को अच्छा ही मिलता है और मैं विश्वास करता हूँ कि बुराई करने वाला पीछे लात खाने का हकदार होता है, मुझे ईमानदार किरदार निभाने चाहिए, जो लोगों को सपने देखने की हिम्मत दें, मुझे चुपचाप मेहनत करते रहना चाहिए और इस उम्मीद के साथ कि जिंदगी कहीं मेरा पत्ता ना काट दें। अब इस पर आ गया है, सिद्धार्थ खनन एक रेडियो पर्सनालिटी हैं, उनके साथ बातचीत में संदीप रेड्डी बांगा ने कहा कि जिसे शाहरुख खान की कही हुई बात पर मतलब अब मान रहे हैं लोग कि तंज है कहते हैं लोगों को समझ नहीं आता कि glorify करने का मतलब क्या होता है,

वो चाहते हैं कि hero climax में आकर lecture दें जहाँ वो अपनी सारी गलतियों को माने और वो उम्मीद करते हैं कि hero कुत्ते की मौत मर जाए। संदीप रेड्डी बांगा ने शाहरुख खान के साथ भविष्य में काम करने की इच्छा भी जताई है, उन्होंने बताया कि वो और शाहरुख से दो बार मिले हैं लेकिन कभी साथ काम करने को लेकर उनसे बात नहीं हुई। मांगा ने कहा कि मैं शाहरुख के साथ काम करना चाहता हूं, हर हीरो के लिए कोई ना कोई मेरा आईडिया रहता ही है। हिंदी में मैं जरूर शाहरुख खान और रणवीर सिंह के साथ काम करूंगा।

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अब यहां अगर हम बात कर लें संदीप रेड्डी वांगा की, तो संदीप रेड्डी वांगा जिस तरीके से अपने आप को defend कर रहे हैं, और बार-बार इस बात को साबित करने में लगे हैं, कि उन्होंने एनिमल जैसी फिल्म बनाकर एक बहुत बेहतरीन काम किया है, और अब वो एनिमल पार्क भी ला रहे हैं, उससे ऐसा लगता है, मुझे कि वो अब अपनी इस एनिमल वाली गलती को, मैं गलती इसलिए कह रहा हूँ कि जब आप जो कोई भी डायरेक्टर अपनी एक काम को रिपीट करता है, वो गलती होती है। फिर आप बेचने के धंधे में आ जाते हैं, फिर आप सब कुछ बेचने लगते हैं, जब एक चीज चल गई तो फिर आपको बेचनी ही बेचनी है और फिर क्या करते हैं आप? एक मसाला जो बिक रहा है, आपने वैसा ही मसाला दोबारा तैयार किया और उसको लेकर आ गए, तो क्या संदीप रेड्डी वांगा बार-बार animal की तारीफ करके और बार-बार उन लोगों पर हमला बोलकर जो कि animal की success को गलत बताते हैं, या animals से इत्तेफाक नहीं रखते, एनिमल जैसा सिनेमा नहीं देखना, ये कहीं ना कहीं इस बात का इशारा दे रहे हैं कि ये बार-बार ऐसी फिल्में बनाएंगे क्योंकि ये कबीर सिंह बना चुके हैं।

credit-social media

अब ये एनिमल की तारीफ कर रहे हैं, एनिमल पार्क आने वाली है, क्या उस सब में भी यही सब होगा? तो क्या एक जैसी फिल्में बनाने वाला कोई भी डायरेक्टर खुद को क्रिएटिव कह सकता है? पहला सवाल, दूसरा, अगर आप एक तरह का मनोरंजन बार-बार रखते हैं, तो क्या आप समाज में विशेष तरह की सोच को ले जाना चाहते हैं? क्या आप समाज को एक दिशा देना चाहते हैं? क्या आप समाज में वैसे टॉकिंग पॉइंट्स ढूंढ रहे हैं? क्या आप बहुत बड़े खतरे के साथ खेल रहे हैं? क्या ऐसा करते करते आप अपनी creativity को खोते जा रहे हैं? और क्या ऐसा करते-करते आप एक समाज में गलत मिसाल पेश कर रहे हैं?

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सैफ अली खान और करीना कपूर नेपोटिज्म पर क्या बोले

बॉलीवुड में nepotism और स्टार kids को मिलने वाले favour की debate आज से करीब सात साल पहले शुरू हुई थी पर ये topic अभी भी खबरों में बना रहता है। अब बॉलीवुड के सबसे popular couples में से करीना और सैफ ने इस बारे में खुलकर बात की है। इस couple ने अपने दोनों बच्चों तैमूर और जेह और खुद को मिलने वाले अह सोशल मीडिया पर coverage पर खुलकर बात की और वो ये मानते हैं कि उन्हें जिस तरह का attention मिलता है वो कई बड़े नाम actors को भी नहीं मिलता। अब अपने बच्चों को मिलने वाले इस attention पर इस couple ने ये कहा है कि ये सब इसलिए होता है क्योंकि आम public उसमें दिलचस्पी ले रही है। साथ ही वो ये भी कहते हैं कि किसी भी एक्टर के नाम में किसी भी फिल्मी परिवार का surname लगे होने से कितना फायदा मिलता है।

ये भी एक बहुत बड़ा subject है क्योंकि आपके पास surname तो कोई भी हो सकता है जाहिर है सबका कोई ना कोई surname होता है लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं होता कि आप में talent है और आप कामयाब होंगे। ये फैसला तो दर्शक करते हैं। अब उन्होंने लेकिन मैं नाम ले लेता हूँ अभिषेक बच्चन को देख लीजिए। अच्छा करीना इसमें कहती है कि सोशल मीडिया के दौर में स्टार जैसा कुछ ज्यादा मैटर नहीं करता लोग बहुत excited होते हैं, तस्वीरें देखते हैं, आपके चालीस मिलियन follower हैं, तीस हजार likes मिलते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप स्टार हैं, आपको ये साबित भी करना पड़ता है और ये सिर्फ आप अपने काम से साबित कर सकते हैं, स्टार किड्स को फिल्मों में शुरुआत में तो आसानी से काम मिल जाता है। सैफ ने इसका उदाहरण दिया और कहा देखिए audience और जो आम लोग हैं वो स्टार किड्स में कितना इंटरेस्ट लेते हैं?

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उदाहरण आप देखिए जो आई थी अभी लोग इसके बारे में कितनी बात कर रहे थे उनकी लगातार तस्वीरें ली जा रही थी फॉलो किया जा रहा था अगर कल कोई उनमें से किसी के साथ फिल्म बनाना चाहता है तो इसमें कोई rocket science नहीं है लेकिन बिल्कुल बनाना चाहेगा लेकिन आपको ये तय करना पड़ेगा कि attention क्यों मिल रही है और कहाँ से मिल रही है। सैफ ने अपना भी उदाहरण दिया कि लोग स्टार किड्स को लेकर काफी crazy होते हैं। उन्होंने कहा कि तैमूर तायकोंडो सीख रहा था और लोग उसकी फोटो ले रहे थे। इंटरनेट पर उसकी रील्स बनी हुई है हमें इसका attention अभी चाहिए नहीं।

हम स्टार किड नहीं बनाते हम तो बच्चे पैदा करते हैं। लेकिन ये जो फोटोग्राफर्स और जो पेपराजी हैं ये उन्हें स्टार किड और स्टार बना देते हैं और करीना ने ये भी कहा कि जनता में एक नेचुरल excitement होता है कि अच्छा ये उसका बेटा है ना जिसको हम इतने साल से फिल्मों में देख रहे हैं। अब इधर सैफ और करीना ने तैमूर के एक्टिंग में आने को लेकर भी मजेदार बातें की करीना ने कहा कि शायद तैमूर एक्टर नहीं बनेगा।

अपने बड़े बेटे के इंटरेस्ट के बारे में सैफ ने ये बताया कि अभी वो एक lead guitarist है और अर्जेंटीना से फुटबॉल player बनना चाहता है, वो अर्जेंटीना जाना चाहता है ताकि फुटबॉलर बन सके इब्राहिम की बात कर रहे थे वो और करीना ने ये बताया गया इस इंटरव्यू में कि तैमूर अभी दुनिया के बेस्ट फुटबॉल प्लेयर्स में से एक लियोन मेस्सी बनना चाहते हैं और इस इंटरव्यू में करीना और सैफ ने ये भी शेयर किया कि जल्द ही वो दोनों साथ में प्रोजेक्ट भी करने जा रहे हैं जिसके लिए वो बहुत ज्यादा excited हैं, तो कुल मिलाकर अगर आप इस interview को ध्यान से देखें तो इसमें यही बात कही गई है और जिसको मैं भी किसी हद तक मानता हूँ कि स्टार किड को स्टार बनाने वाली जनता है। आपके ऊपर थोपा नहीं जाता, आप देखते हैं, आपके हाथ से कर लाइक नहीं कराया जाता, आप करते हैं आपके हाथ से पकड़कर सब्सक्राइब नहीं किया जाता, आप करते हैं। मार्केट में तो बहुत कुछ बिकता है।

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पर आप अपने घर क्या ला रहे हैं, ये आपका फैसला होता है। आप बाजार को इसका दोष नहीं दे सकते कि फलां चीज बहुत बिक रही है, इसलिए मैं ले आया, फलां चीज हर दुकान पर रखी थी, इसलिए मैं ले आया, तो इसको लेकर मैं हमेशा कहूंगा, हाँ, undue advantage लेते हैं, लिया जाता है। और जैसे इस हाथ की पांच उंगलियां हैं, आपके हाथ में भी पांच उंगलियां होंगी, जो बराबर हैं तो ठीक वैसा ही स्टार किड के ऊपर है, कुछ वाकई बहुत talented निकले हैं, रणबीर कपूर देख लीजिए, अलिया बट देख लीजिए, स्टार किड है फिर भी talented है और कुछ ऐसे भी है जो नहीं चले। मिथुन चक्रवर्ती के मिमों को देख लीजिए।

उस हिसाब से जैकी श्रॉफ के टाइगर श्रॉफ को देख लीजिए। टाइगर श्रॉफ अभी तक खुद को स्थापित नहीं कर पाए हैं, बहुत सारी फिल्में उन्हें मिल जाती हैं, क्योंकि उनका एक अलग तरह का वर्ग है, जो उसे फॉलो करता है, उनकी बॉडी वगैरह को लेकिन as an actor वो खुद को prove नहीं कर पाए, तो ऐसे बहुत सारे लोग हैं star kid है उन्हें काम भी मिल रहा है वरुण धवन है अभी proof करना बाकी है।

अर्जुन कपूर है proof करना बाकी है। फिल्में मिल रही है एक non face है दीखते है लोग जानते है लेकिन क्या कभी आपने किसी को अर्जुन कपूर की तारीफ करते सुना उनकी acting की या वरुण धवन की acting की तारीफ करते सुना या टाइगर श्रॉफ की acting की तारीफ करते सुना, नहीं सुना ना रणवीर कपूर की acting की तारीफ होती है आलिया भट्ट की होती है क्योंकि उनमें वाकई talent है। तो कहीं ना कहीं ये हमारे देश की जनता पर निर्भर करता है ये सिर्फ बोलने वाली हैं कि मीडिया ने पॉपुलर कर दिया। हाँ अपना काम करते हैं वो इस बात की फीस लेते हैं कि आपके सामने particular चेहरा वो एक रेगुलर इंटरव्यू पर रखते हैं। बाकायदा वो उसका पैसा लेते हैं और वो काम करते हैं। अभी आपके ऊपर है कि आप प्रभावित हो रहे हैं। सामने वाला आपको प्रभावित कर रहा है।

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साउथ की 10 न्यू धमाकेदार मूवी हिंदी डब | 10 new movies of South Hindi dubbed

आप सब दोस्तों के लिए साउथ की दस न्यू धमाकेदार मूवीज लेकर जो यार भाई हिंदी डब में यूट्यूब पर available है और यकीन मानिए भाई इनमें आप लोगों को एक्शन, थ्रीलर, ड्रामा, एडवेंचर और सांस दोस्तों फंटासी देखने को मिलने वाला है और लव स्टोरी भी।

1 अंगना ओ आथाई

दो हजार बीस में रिलीज की गई एक थ्रीलर ड्रामा बेस्ड मूवी है। सिक्स पॉइंट सेवन कैम्प रेटिंग दी गई है जिसके स्टारकास्ट में आप लोगों को देखने को मिल जाएंगे चेतना, पायल और सांस दोस्तों वीराना अब यार इसमें स्टोरी दिखाई जाती है एक गांव की जहाँ पर अजीबोगरीब तरीके से मर्डर्स हो रहे हैं। अब इसके पीछे किसका हाथ है? आखिर क्या चल रहा है वहां पे ये देखना होगा। क्योंकि यार आगे वहाँ पर लिखा होता है कि आज किसकी मौत होने वाली है अब बहुत ही interesting कहानी है try जरूर करना मजा आएगा.

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2 गुंटूर काराम

दो हजार चौबीस में रिलीज की गई एक एक्शन ड्रामा मूवी है मूवी का ऐबरेटिंग है सिक्स पॉइंट टू की जिसमें आप लोगों को महज बाबू सांसद लीला मीनाक्षी कहा सुनने को मिल जाएंगे। तो यार एक ऐसा नॉर्मल सा लड़का दिखाया गया है जोयर भाई अपने परिवार से थोड़ा सा दूर रहता है। लेकिन भाई साहब यहाँ पर स्टोरी में थोड़े से चेंजेज आते हैं जब यार उस परिवार पे तकलीफ आती है। अब उस परिवार की को कैसे अपने ऊपर लेकर एक बंदा उसको सॉल्व करता है। इसी चीज को गया है तो try जरूर करना मजा आएग.

3 इंकार

इंकार मूवी यार भाई दो हजार तेईस में release की गई एक mystery ड्रामा movie है five पॉइंट two की ever rating दी गई है रितिका, संदीप lets cast में है। तो एक लड़की है जो यार भाई एक कार में फंस जाती है पांच लड़कों के साथ अब यार वहां से ये कैसे निकल के survive कर पाती है ये आप लोगों को try करना है भाई लोग भाई यकीन कीजिए आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे जब इस मूवी का जो है वो सुनोगे तो तो भाई एक बार आप लोग ट्राई करना और मुझे कमेंट कर बताना कि आप लोगों को कैसी लगी?

4 अदाई अदाई

दो हजार उन्नीस में release की गई एक बेहतरीन thriller एक्शन मूवी है। सिक्स पॉइंट वन की एम रेटिंग दी गई है अमला पोल राम्या इडिक्टा कास्ट में है। स्टोरी स्टार्ट होती है हम लोग देखते हैं एक लड़की की कहानी जो एक आईने फैक्ट्री में फंस जाती है जी दोस्तों आपने सही सुना आइना फैक्ट्री में अब यार भाई इसको यहाँ पर किसने छोड़ा है इसके past में ऐसा क्या हुआ था जो इसके साथ इतना खतरनाक हुआ है ये आप लोगों को try करने में बहुत ज्यादा interesting लगने वाला है तो आप लोग एक बार अपना कीमती समय try जरूर देना.

5 हसीन दिलरुबा  

अजीबो-गरीब love story और भाई साहब thriller movie ये है हसीन दिलरुबा। हसीन दिलरूबा नाम सुनकर आपको गाना का नाम याद आ रहा होगा but यार यकीन कीजिए एकदम mystery love story वाली movie है दो हजार इक्कीस में release की गई है five point two की rating दी गई है तापसी विक्रांत मेहसी relex cast में है और हर्षवर्धन राणे भी अब ये स्टोरी स्टार्ट होते हैं हम लोग देखते हैं एक शरीफ से लड़के की एक अजीबो गरीब लड़की से शादी होती है और उस लड़की को पसंद बिल्कुल नहीं करता अब आगे आपको देखना है क्या होने वाला है जब यार बीच में कोई और आ जाता है जी हाँ दोस्तों फिर आप लोग यकीन नहीं कर सकते.

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6 बंदिश

बंदिश दो हजार बीस में release की गई एक romantic ड्रामा movie है eight point सिक्स कीम रेटिंग दी गई है श्रेया, रितिका रणदीप शेक्षा cast में है तो खैर मूवी की जो स्टोरी cast है वो आप लोगों को बहुत ही अच्छी लगने वाली है लेकिन यार मुझे जो interesting चीज लगा वो है भाई साहब इसके गाने बहुत ही अच्छे है जिसमें आप लोगों को try कर सकते हो लेकिन भाई साहब movie भी बहुत ही अच्छी है जिसकी story आप लोगों को unique लग सकती है but थोड़े से chances है कि movie आपको bore लगे लेकिन यार भाई यकीन कीजिए आपको मजा पूरा आएगा

7 तू झूठी में मक्कार

दो हजार तेईस में release की गई एक romantic कॉमेडी मूवी है सिक्स of the टाइम की रेटिंग दी गई है रणवीर, श्रद्धा और दोस्तों अभिमाव देखने को मिल जाएंगे। अब यार भाई स्टोरी स्टार्ट होते ही हम लोग देखते हैं कि लड़का-लड़की की लव स्टोरी जो है भाई एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं लेकिन भाई साहब अचानक से लड़की चाहती है कि लड़के को वो छोड़ दे क्योंकि यार कुछ problems आई हुई हैं लेकिन वो डायरेक्ट बोल नहीं सकती। जी हाँ दोस्तों आपने सही समझा डायरेक्ट बोल नहीं सकती। तो वो उससे बोलना आती है अब यार इसके पीछे क्या क्या रहा मांझरा है और कितना ज्यादा interesting और comedy होने वाली है try कीजिए मजा आएगा भाई लोग

8 दृश्यम 2

दृश्यम टू दो हजार बाइस को release की गई एक mystery thriller based मूवी है eight पॉइंट टू की एम रेटिंग दी गई है अजय अक्षय और सांस दोस्तों तब वो देखने को मिल जाएंगे। अब यार स्टोरी स्टार्ट होती है भाई साहब आप लोगों को पता है फर्स्ट पार्ट में क्या हुआ था। अब ये सेकंड पार्ट है जहाँ पर आप लोगों को यूनिक स्टोरी के साथ-साथ आप लोगों को जरा हट के स्टोरी दिखाई जाती है। अब यार इसकी जो स्टोरी लाइन है वो मुझे बहुत ही अच्छी लगी। क्योंकि यार जो फर्स्ट पार्ट है का सेकंड पार्ट ही आप लोगों को यहाँ पर स्टोरी लैंड में चिपकाया गया है। जो बहुत ज्यादा इंटरेस्टिंग लगता है और भाई साहब ट्रेलर है तो आप लोग एक बार समय देना अपना भाई.

9 मिशन रानीगंज

दो हजार बीस सॉरी दोस्तों दो हजार तेईस में रिलीज की गई एक thriller ड्रामा based मूवी है seven पॉइंट two की एम रेटिंग दी गई है अक्षय परणीति रवि है। यार अगर आप लोग एक ट्रू स्टोरी पर based बहुत ही अच्छी यूनिक स्टोरी के साथ आप लोग कोई ऐसी मूवी try करना चाहते हो जो यार app आपको enjoy कराए तो ये आप को बेस्ट ऑप्शन होने वाला है. क्योंकि यार अक्षय कुमार ने इतनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है भाई लेकिन यार क्या करें जब किस्मत खराब चल रहा हो तो भाई कुछ भी सही नहीं होता. तो आप लोग इसे ट्राई कर सकते हो भाई लोग मजा आएगा भाई लोग.

10 हौसला रख

हौसला रख दो हजार इक्कीस को release की गई एक romantic कॉमेडी मूवी है सेंड पॉइंट थ्री की रेटिंग दी गई है जिसके स्टारकास में सिन्हा और सोनम और सांस दोस्तों शहनाज गिल और आप लोगों को देखने को मिल जाएंगे दिलजीत अब यार भाई इसमें एक लाइव स्टोरी दिखाई गई है जिसमें यार एक लड़का एक लड़की से प्यार करता है और शादी करता है और भाई साहब उसकी एक बच्ची हो जाती है या फिर बच्चा हो जाता है अब वो लड़की निकल लेती है छोड़ के उसे। अब यार वो लड़का और फिर से मिलता है उसे प्यार हो जाता है। और भाई साहब उसका बीच में फिर पहली वाली लड़की आ जाती है भाई साहब कितनी खतरनाक स्टोरी है समझ सकते हो ट्राई जरूर करना। तो बस भाई लोग आज के लिए इतना ही वीडियो आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताना। देखो यार भाई कुछ दिनों से डिस्टर्ब चल रहा हूँ क्योंकि यार जो मेरा मेन चैनल है वहां पर भाई बहुत सारा मतलब बवाल मचा हुआ है। अब क्यों किस लिए है तो मुझे समझ नहीं आ रहा है जैसे ही सॉल्व होता है देखते हैं वहां पर क्या होता है।

पूनम पांडे ने बनाया अपनी मौत का तमाशा निधन की खबर फैलाकर सोशल मीडिया पर किया ड्रामा

कपिल शर्मा ने कार डिजाइनर दिलीप छाबड़िया पर केस दर्ज कराया

कॉमेडियन और एक्टर कपिल शर्मा ने जो कार डिजाइनर है दिलीप छाबड़िया उन पर एक बहुत बड़ा केस किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दिलीप छाबड़िया ने उनसे अवैध रूप से पैसे निकलवाए। और उनके करीब पांच करोड़ इकतीस लाख रुपए उन्होंने अभी तक लौटाए नहीं है। एक मोहम्मद हामिद है जो कपिल के representative है और उन्होंने money laundering में दिलीप के खिलाफ ये मामला दर्ज करवा दिया है और उसमें कहा ये गया है कि दिलीप ने कपिल के अलावा भी कई सारी फिल्मी personalities को धोखा दिया है। हामिद बताते है कि कपिल शर्मा ने दिसंबर दो हजार सोलह में customize vanity ban order देने के लिए कार डिजाइनर दिलीप छाबड़िया से संपर्क किया था।

उस समय वैनिटी वैन की कीमत टैक्स को हटाकर करीब साढ़े चार करोड़ रूपए की थी मार्च दो हजार सत्रह में के नाइन प्रोडक्शन और दिलीप छाबड़िया की डीसी डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक डील हुई और कपिल शर्मा ने दिलीप को पांच करोड़ इकतीस लाख रुपए का भुगतान कर दिया टैक्स के साथ। हामीद बताते हैं कि डीसी डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड जो कि दिलीप छाबड़िया की कंपनी है उन्होंने कपिल को वैनिटी वैन नहीं दी उन्होंने पांच करोड़ इकतीस लाख रूपए भी वापस नहीं किए जब हामीद ने vanity van की delivery में हुई देरी के बारे में पूछा तो दिलीप ने उन्हें बताया कि interior का सारा सामान खरीद लिया है बस गोदाम में रखा है। मतलब किसी तरीके से वो टालमटोल करते रहे।

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हामीद ने वैन का current status जानने के लिए उनकी पुण्य ब्रांच का दौरा भी किया जहाँ दिलीप ने अपनी आर्थिक तंगी के बारे में बताकर उनसे और पैसे मांग लिए। इसके बाद उन्होंने कॉमेडियन को करीब fifty four lakhs twenty thousand के आसपास का एक और quotation भेजा और कहा इसमें और पैसा लग रहा है। जब दिलीप ने कपिल से पैसे मांगे के मन में शक पैदा हुआ। कपिल ने दिलीप छाबड़िया से इस बारे में पूछा तो उन्होंने ठीक तरह से कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद दिलीप ने कपिल को मेल भेजने शुरू किए, दिलीप ने कपिल पर बैन का सही समय पर निरीक्षण ना करने का आरोप लगा दिया। उन्होंने बताया कि यही वजह है कि इस वजह से वैन में डिलीवर नहीं कर पा रहा अब दिलीप छाबड़िया के इस behaviour से कपिल को car designer के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाना पड़ा इसके बाद कपिल ने eighteenth अप्रैल twenty nineteen को उनकी firm को वसूली का कानूनी नोटिस भेजा।

ऐसे में छाबड़िया ने कपिल से पैसे के लिए अवैध तरीके अपनाए, उन्होंने कभी गैर डिलीवरी वैनिटी वैन के लिए मनमाना पार्किंग शुल्क दे दिया। तो कभी अह किसी कंपनी के लोन की मांग की, फिर कहा किसी vendor को payment देना है, मतलब कुल मिलाकर वो टालमटोल भी करते रहे और कपिल से और पैसा मांगते रहे। अब इनके खिलाफ दिलीप छाबड़िया के खिलाफ एक मामला दर्ज हो चुका है। ईडी में और charge sheet दायर हो रही है। अह तीन एफआईआर और हुए हैं और ईडी ने दिलीप छाबड़िया और उनकी कंपनी पर अपने personal गेम के लिए और नाजायज तरीकों से उस पैसे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया इसके अलावा सभी शिकायत कर्ताओं को अह इसमें और कुछ शिकायतकर्ता भी आ गए हैं जिसमें करीब इन्होंने कुल अठारह करोड़ रूपए से ज्यादा का चुना लगाया हुआ है और अब ये कहा जा रहा है कि इस पूरे मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है अभी seventh फरवरी को दिलीप छाबड़िया के खिलाफ अह समन जारी हुआ था।

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अब इसकी जो next hearing है वो twenty सिक्स फेब्रुअरी को हो रही है। तो आप देखिए कुल मिलाकर दिलीप छाबड़िया का वक्त में काफी नाम रहा है और बहुत सारे बॉलीवुड celebrities जो हैं अपनी कार अपनी vanity van इनसे डिजाइन कराते रहे हैं लेकिन इन्होंने कपिल के साथ ये पांच करोड़ का जो गेम किया अब इसकी वजह से इनके पुराने गेम भी निकलकर सामने आ गए और अब ये कहा जा रहा है कि ये जो दिलीप छाबड़िया हैं इन पर ईडी कार्यवाही करेगा। इन्होंने सीधा-सीधा ये money laundering का मामला है कि आप किसी से पैसा लेते हैं vanity van बनाने के लिए उसे vanity van आप deliver नहीं करते और पैसों को आप घुमाना शुरू करते हैं।

और ऐसा आप एक शख्स के साथ नहीं बल्कि कइयों के साथ कर रहे हैं लंबे समय से कर रहे हैं। बहुत सारे बॉलीवुड के celebrity ऐसे हैं जो cash में भी डील करते हैं। सारे नहीं करते हैं, कुछ करते हैं। तो अब ईडी की राइडार पर दिलीप छाबड़िया आ चुके हैं, एक जमाने में celebrity कार डिजाइनर ये कहलाते थे लेकिन अब हालत ये है कि ये लोगों के पैसे मारने पर उतारू हो गए हैं। और एक बार फिर से कपिल इस वजह से चर्चा में आ गए हैं। हालांकि के चर्चा में होने का दूसरा कारण ये भी है कि अब वो नेटफ्लिक्स पर शिफ्ट हो गए हैं।

तो जाहिर है नेटफ्लिक्स पर जब सुनील गोवर के साथ जब शो शुरू होगा तो उसका एक अलग ही जलवा होगा लेकिन उससे पहले ये एक नया रायता फैला हुआ है जैसे कपिल समेटने की तैयारी में है, क्या सोचते हैं आप इस तरह के जो celebrity अह के साथ पैसा लोग ठगने का काम करते हैं, फिर कैश को इधर से उधर घुमाते हैं, आपको लगता है लोग देश के साथ भी गद्दारी कर रहे हैं क्योंकि ultimately ये पैसा देश का है। और आप बचाते हैं, लोगों से बचाते हैं, लोगों की आंखों में धूल झोंकते हैं और फिर पैसे को इधर-उधर घुमा देते हैं। फिर हमारी ईडी जैसी एजेंसीज इनके पीछे लगती हैं और एक बार फिर से बॉलीवुड का नाम बदनाम होता है, हालांकि दिलीप छाबड़िया पूरी तरह से बॉलीवुड का पार्ट नहीं है, लेकिन हाँ, उनका काफी काम जो है, वो बॉलीवुड के लोगों के साथ में रहा है।

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सेंसर बोर्ड ने रोबोट और इंसान के किस पर चलाई कैंची : शहीद कपूर कृति सेनन

एक फिल्म आ रही है तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया इसमें खबर ये है कि शाहिद कपूर एक ऐसे लड़के का किरदार निभा रहे हैं जिससे एक एआई रोबोट से प्यार हो जाता है और ये जो एआई रोबोट है कृति सेनॉन है और इस फिल्म में एक  36 seconds लंबा एक hot kissing सीन है जिसको सेंसर बोर्ड ने काटकर  9 seconds का कर दिया है। कुल मिलाकर मामला ये है कि अब ऐसी फिल्में बनने जा रही हैं in fact बन रही हैं release होगी बहुत जल्दी जहाँ एक इंसान को प्यार हो जाता है रोबोट से और फिर वो कर लेता है और उसके बाद किस तरह की दिक्कतें शुरू होती है। तो अभी तक कहा जाता था ना कि AI जो है वो लोगों की नौकरियाँ खा रहा है मतलब professional life में दिक्कतें पैदा कर रहा है लेकिन अब personal life में भी AI घुस रहा है और वो दिक्कतें पैदा करेगा ah क्या ये robots से होने वाली शादियाँ टिकेगी?

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क्या ये AI robot से होने वाली शादियाँ जो इंसानी शादियों में problem होती है उनसे एक next level होगा ah ये तमाम बातें हैं इसका title भी कुछ ऐसा है तेरी बातों में ऐसा उलझा तो अक्सर जो लोग अकेले रहते हैं वो काफी interact करते हैं AI जो machinery हमारे आसपास available है जैसे Alexa वगैरह तो अह ये एक अलग तरह का experiment होगा मुझे लगता है कि पिछले तीन सालों के दौरान जिस तरह से तेज़ी से develop हुआ है अह एआई technology और अब इंसानी रिश्तों में भी एआई आ गया यानी अभी तक तो हम सिर्फ बात कर रहे थे कि हमारी नौकरियां खाने वाला है इंसानों की नौकरियां खाने वाला है लेकिन अब पर्सनल लाइफ में भी दखल शुरू हो गया है

AI का तो काफी interesting होगा इसको देखना फिर Shahid Kapoor काफी time के बाद आ रहे है इसमें एक romantic roll में तो देखते है कैसी होती है film सबके साथ इस बात का भी इंतज़ार रहेगा कि अगर ये film पसंद की जाती है लोग इसको पसंद करते है तो हो सकता है इंसान और AI के relation पर और भी कई ऐसी फिल्में बनेगी क्योंकि आपको मालूम है Bollywood का एक formula ये होता है कि जब कुछ hit हो जाता है तो फिर उसको repeat करते है लेकिन ये काफी interesting होगा देखना और हो सकता है आने वाले समय में ah इंसान और के बीच में जो भी रिश्ता बनेगा चाहे वो professionally हो, personally हो, कैसे जिंदगी बदलेगी, कैसे सोच बदलेगी, कैसे approach बदलेगी?

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तो उसको लेकर काफी कुछ हो सकता है, जो आने वाले time में हो। अह मुझे लगता है कि काफी interesting subject है। अह हो सकता है इसको accept करने में लोगों को time लगे। क्योंकि वैसे तो हमारी personal लाइफ में तो फिलहाल अभी उतना नहीं आया लेकिन अब professional लाइफ में तो आ चूका है, बहुत सारे लोग हैं जो अह इस बात की शिकायत करते हैं कि अब से काम होगा तो इंसानों की होगी लेकिन हाँ देखिए अब आप personal रिश्तों में भी घुस रहा है तो personal रिश्तों में जब घुसेगा AI तो कैसे आपके जीवन कैसे आपकी लाइफ को बदलेगा? ये तमाम बातें हैं जो देखने समझने वाली हैं क्या आप लोग भी अह इस तरह के subject पे बना content देखना पसंद करेंगे, क्या आपको लगता है कि content चलेगा?

आप इस बारे में अपनी जो भी राय रखते हैं मेरे वीडियो के नीचे कमेंट करके बता सकते हैं, मैं personally काफी excited हूँ कि किस तरह से इसको portray किया गया है, कितना हम देख पाएंगे में एआई रोबोट को और कैसे वो react करता है बातों पर तो ये तमाम चीजें हैं जो interesting होंगी फिलहाल एक रोबोट और इंसान के बीच का अ kissing सीन भी समझ में नहीं आया है sensor को और उसको भी छोटा कर दिया गया है यानी काफी कुछ है आने वाले समय में जो बहुत सारे लोगों को excite करने वाला है.

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फिल्म फाइटर के मेकर्स को एयर फोर्स से मिला नोटिस | Makers of film Fighter received notice from Air Force

Film fighter : Deepika Air Force dress पहने हुए एक दूसरे को kiss करते नजर आते हैं। अब इंडियन एयर force के असम में posted एक wing commander स्वामीदीप दास हैं उन्होंने scene पर आपत्ति जताई है और star cast और डायरेक्टर को नोटिस भेज दिया है। wing commander स्वामीदीप दास का कहना है कि किसिंग सीन में ऋतिक रोशन दीपिका पादुकोण का एयर फाॅर्स की uniform में kiss करना ये uniform का अपमान है। उनका कहना है कि एयर फाॅर्स की uniform सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं है बल्कि हमारे देश की रक्षा के लिए त्याग, अनुशासन और अटूट समर्पण की निशानी है। seen में actors को इंडियन एयर force के सदस्य के रूप में देखा जा सकता है और उनका uniform में ये हरकत करना गलत है।

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legal notice में ये भी कहा गया है कि इस पवित्र प्रतीक का इस्तेमाल फिल्म में romantic angle दिखाने के लिए करना भी गलत है। ये हमारे देश की सेवा में जवानों द्वारा किए गए बलिदान की गरिमा का अवमूल्यन भी करता है। साथ ही uniform में खराब व्यवहार को सामान्य बनाता है जो हमारी सीमाओं की सुरक्षा करने वालों को सौंपी गई जिम्मेदारी के खिलाफ एक खतरनाक मिसाल कायम करता है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि एयर फ़ोर्स की यूनिफार्म पहने अफसरों का public में romantic होना सिर्फ नियमों का ही उल्लंघन नहीं है बल्कि उनके किरदारों और professional व्यवहार को भी गलत तरीके से दिखाता है। एयर फ़ोर्स के जवानों से अनुशासन और मर्यादा की उम्मीद की जाती है, ये सीन उन्हें अपनी यूनिफॉर्म और ड्यूटी के प्रति गैर जिम्मेदाराना और अनादर पूर्ण भी दिखाता है। विंग कमांडर स्वामी दीप दास ने फाइटर के मेकर से इस सीन को हटाने की मांग की है, साथ ही उन्होंने कहा है कि मेकर्स को एयर फोर्स और उसके जवानों से दुनिया के सामने माफ़ी मांगनी चाहिए।

उनका ये भी कहना है कि फिल्म मेकर्स लिखित में दें कि भविष्य में वो एयरफोर्स के जवानों और यूनिफार्म का इस तरह से अनादर नहीं करेंगे। मैं आपको याद दिला दूँ, कि इससे पहले अह करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस से भी एक फिल्म एयर फाॅर्स पर बनी थी जाह्नवी कपूर उसमें थी और उसमें भी अह उसमें भी काफी ऐसे सीन थे जिसको लेकर एयरफोर्स ने आपत्ति जताई थी तो बॉलीवुड की तरफ से बार-बार इस तरह की जो गलतियां हो रही है वो ना सिर्फ आम लोगों के बीच बॉलीवुड की छवि खराब करता है बल्कि एक तरह से ये भी बताता है कि वो हमारी जब सेना या उनके काम करने के तौर तरीकों पर जो फिल्में बनाते हैं उसके बारे में वो कितने लापरवाह हैं।

किस हद तक ध्यान नहीं दिया जाता है कि वो लोग आहत हो जाते हैं और क्यों नहीं इस फिल्म को एयरफोर्स की किसी कमेटी को दिखाया गया इन्फेक्ट पिछली बार भी जब बात हुई थी तो ये कहा गया था कि जो फिल्म आयी थी I am sure Gunjan ही उसका नाम था Gunjan Saxena तो उस वक्त भी कहा गया था कि air force में किसी को film दिखाई नहीं गयी अब इस बार फिर से ऐसा हुआ यानी गलती repeat हुई है क्या लगता है आपको ah किस तरीके का ah एक action होना चाहिए Bollywood के ऊपर क्योंकि अगर इस तरह से हमारी सेना और सेना में काम करने वाले लोगों का आप अगर अपमान करते हैं तो उनकी तरफ से कौन बात करेगा और क्या लगता है आपको कि क्या अब तक होना चाहिए था जो नहीं हुआ है और आपको क्या वाकई लगता है कि बहुत हल्के में लिया जाता है हमारे अह सेना और सेना के जो atmosphere में जो कुछ भी है उसको जब ये लोग फिल्मों में दिखाते हैं।

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क्या संदीप वंगा एनिमल मूवी की सफलता के बाद कुछ भी बोलने लगे?

Animal बनाने वाले जो डायरेक्टर हैं संदीप रेड्डी वांगा वो अपने काम को लेकर कुछ ज्यादा ही obsist हो गए हैं। तो शायद आप एकदम से यकीन ना करें लेकिन अभी जो एक incident हुआ है जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने ये जो animal जैसी फिल्म है जो कि adult फिल्म है उसके adult scene edit करके वो फिल्म उन्होंने अपने बेटे को दिखाई है जो सात साल का है और उसको वो फिल्म बड़ी पसंद आई है। मैं ये देख रहा हूँ कि जब से animal फिल्म आई है, animal फिल्म के बारे में एक तरह से वकालत करते दिखाई दे रहे हैं, उसके जो साहब हैं। अब ये कहीं ना कहीं मुझे लगता है कि अगर ऐसी गलतियां वो बार-बार करते रहे तो हो सकता है कि वो एक तरह के type cast होकर रह जाए, फिर एक ही तरह का सिनेमा बनाए और जो success animal को मिली है, कहीं ऐसा ना हो कि वो उसे repeat करने के चक्कर में वैसा ही सिनेमा बनाने लगे, क्योंकि जिस तरह से वो वकालत कर रहे हैं, अपने ही काम की, उन्होंने जावेद अख्तर साहब के लिए भी कह दिया कि उनको तो कुछ आता नहीं है। उनकी तो लेखनी बहुत बेकार है।

मतलब इस तरीके के statements बार-बार आ रहे हैं और जैसा कि उनका ये कहना है कि मैं अपने बेटे को दिखा चुका हूँ मैंने adult scene edit करके दिखाई थी, उसे बड़ी अच्छी लगी, मतलब लगातार वो इस बात को बार-बार साबित करने पर तुले हुए हैं कि उन्होंने एक बहुत बेहतरीन सिनेमा बनाया है। यहीं से डायरेक्टर की गलती शुरू होती है। जैसे ही आप अपने किसी एक काम को लेकर इतने obsist हो जाते हैं, तो ऐसा लगने लगता है कि आपका जो अगला फिल्म होगा या अगला होगा आप उसको लेकर भी इतने ही obsessed हो जाएँगे और फिर आप वही गलती करेंगे जो ज्यादातर ज्यादातर directors करते हैं कि आप उस काम को repeat करने लगते हैं और वहीं पर आपकी जो जिंदगी है वो रुकने लगती है। मुझे ऐसा लगता है जिस तरह से Sandeep Reddy बार बार ये कह रहे हैं कि मेरी film बड़ी अच्छी है। सबको पसंद आ रही है।

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मेरे बेटे को पसंद आयी, इसको पसंद आयी, उसको पसंद आयी, उसको पसंद नहीं आयी, उसको कुछ आता नहीं, Javed Akhtar को कुछ नहीं आता, मतलब जो कुछ आता है, वो Sandeep Reddy को आता है और अगर कोई उनकी फिल्म पसंद नहीं करता तो वो व्यक्ति ही गलत है। ऐसा ही स्टेटमेंट कुछ समय पहले तेजस को लेकर कंगना राणावत ने भी दिया था पर उनका काफी माहौल उड़ा था। देखिए फिल्म जो है creativity है। creativity की कोई definite परिभाषा नहीं है। same creativity किसी को पसंद आ सकती है, किसी को नहीं आ सकती है। animal ज्यादातर लोगों को पसंद आई इसलिए उसने अच्छा धंधा किया। कुछ फिल्में पसंद नहीं आती है। लेकिन जो डायरेक्टर होता है वो कोशिश उतनी करता है जो फिल्में नहीं चलती उनमें भी मेहनत उतनी होती है।

लेकिन काम को लेकर आप इस बात पर अड़ जाए कि यही काम सबसे अच्छा है और जो इसको नहीं मान रहा है वो आदमी ही गलत है, तो कहीं ना कहीं ये दिखने लगता है कि आप ये गलती दोबारा करेंगे, आपने कबीर सिंह बनाई, animal बनाई, अब मुझे कोई हैरानी नहीं होगी कि अब ये जो फिल्म बनाएंगे संदीप। उसमें अपने आप को इस हद तक repeat करेंगे success पाने के लिए या ये साबित करने के लिए कि वो जो करते हैं वो सबसे सही होता है। वो वहाँ पर औंधे मुंह गिर पड़ते हैं। तो creativity अगर हर बार नयापन रहे, innovation रहे, तब तो ये अच्छा है, लेकिन अगर आप किसी एक चीज पर अड़ जाते हैं तो फिर आपको पता है क्या होता है? तो संदीप के साथ ऐसा ना हो, आप लोगों को क्या लगता है? संदीप रेड्डी, वांगा के इस तरह के बयान सुनकर आपको क्या लगता है, कि वो बार-बार ये साबित करने पर क्यों तुले हैं कि उन्होंने जो सिनेमा बनाया है, वो बहुत बेहतरीन सिनेमा है और उससे अच्छा सिनेमा बनाना संभव नहीं है।

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अभिषेक बच्चन को nepotism का फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ

बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन का आज forty eight birthday है अभिषेक उन star kids में शुमार है जिन पर अपने parents का stardom बहुत भारी पड़ा। युवा, गुरु, मनमर्ज़ियां जैसी फिल्मों में उनके acting talent की तारीफ तो हुई लेकिन अपने पिता अमिताभ बच्चन से तुलना ने उनके acting career को वहां तक नहीं पहुंचने दिया जिसके वो हकदार थे। अभिषेक बच्चन ने साल दो हजार में फिल्म refugees अपना debut किया था, जो फ्लॉप रही थी, दो हजार चार तक उनकी back to back बीस फिल्में आई जिनमें से सत्रह फ्लॉप रहीं। इसके बाद अभिषेक बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा। दो हजार बीस से अभिषेक ने ओटीटी का रुख किया और खुद को ना सिर्फ एक्टिंग में साबित किया बल्कि ओटीटी पर रिलीज हुई दसवीं के लिए award भी जीता। इसके बाद उन्हें फिल्म घूमर में भी देखा गया और अब जूनियर बच्चन के पास तीन बड़ी फिल्में हैं।

वो एक्टिंग के अलावा बिजनेस पर भी फोकस कर रहे हैं, उन्होंने कबड्डी टीम जयपुर पिंक पैंथर में दो हजार चौदह में invest किया था, जिसका valuation करीब सौ करोड़ के लगभग है। अभिषेक की networth दो सौ अस्सी करोड़ रुपए के आस-पास है। अभिषेक बच्चन का जन्म fifth february nineteen seventy सिक्स के दिन मुंबई में हुआ था। नौ साल की उम्र में उन्हें dyslexia हो गया। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को शब्द लिखने और समझने में परेशानी होती है। वो slow learner होते हैं और जल्दी कोई चीजें नहीं सिख पाते। इसी बीमारी पर आमिर खान ने एक फिल्म बनाई थी तारे जमीन पर। अभिषेक बच्चन की पढ़ाई मुंबई के जमुना बाई नर्सरी स्कूल, बॉम्बे स्कॉट स्कूल यहाँ पर हुई। इसके अलावा वो दिल्ली के वसंत विहार और स्विट्जरलैंड के एग्लॉन कॉलेज में भी पढ़े हैं।

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फिर वो ग्रेजुएशन के लिए बॉससॉन यूनिवर्सिटी भी गए थे लेकिन डिग्री पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़कर मुंबई वापस लौट आए। दरअसल उन्नीस सौ निन्यानवे के आसपास अमिताभ बच्चन बेहद बुरे दौर से गुजर रहे थे और दिवालिया हो गए थे उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड कर्ज में drub गई थी ये एक production distribution event management company थी कंपनी के कर्ज में डूबने के बाद बिग बी ने अभिषेक को वापस इंडिया बुला लिया क्योंकि उनके पास आर्थिक तंगी वजह से अभिषेक को वहां पढ़ाने तक के पैसे बचे नहीं थे। इसका जिक्र अभिषेक ने खुद एक इंटरव्यू में करते हुए कहा था मेरे पिता को अपने स्टाफ से पैसे मांगने पड़ रहे थे ऐसे में मुझे अंदर से ये बात खाई जा रही थी कि मैं उनके साथ कैसे नहीं हूं मेरे पापा को तुरंत कॉल करके कहा पापा मुझे नहीं लगता कि मुझे कॉलेज में होना चाहिए बल्कि मुझे कॉलेज छोड़कर सिर्फ आपके पास आना चाहिए और किसी भी तरह आपकी मदद करनी चाहिए जब मेरे पापा को ये तक नहीं पता था कि उन्हें डिनर भी नसीब होगा या नहीं तो मैं वहां बॉस्टन में बैठा नहीं रह था इसके बाद अभिषेक वापस मुंबई आ गए और फिल्म मेजर साहब के प्रोडक्शन के काम देखने लगे।

वो सेट पर छोटे-मोटे काम भी किया करते थे जैसे चाय बनाना, लाइटिंग देखना वगैरा-वगैरा इसी दौरान अभिषेक को फिल्मों में दिलचस्पी हो गई और उन्होंने एक्टर बनने का फैसला ले लिया लेकिन आगे उनका सफर आसान नहीं था। एक इंटरव्यू में अभिषेक ने कहा मैं हमेशा से ही मूवी स्टार बनना चाहता था इसलिए मैंने कई डायरेक्टर से मुलाकात की पर उनमें से कोई भी अमिताभ बच्चन के बेटे को लांच करने की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था फिर और मेरे एक दोस्त ने मिलकर एक script लिखने का फैसला किया पर वो फिल्म पर वो script कभी पूरी नहीं हो पाई फिर एक दिन मैं अपने पापा के साथ फिल्मफेयर awards में पहुंचा और वहां से मेरी लाइफ change हो गई अभिषेक ने बताया बीस साल पहले जब फिल्मफेयर awards हुआ करते थे तो actors को एक महीने पहले से ही तय करना होता था कि वो event पर क्या पहनेंगे।

अभिषेक बच्चन

उस दौर में कोई rent पर या फ्री में आउटफिट्स नहीं देता था, हमें खुद खरीदने होते थे, उस दिन कोई शाम की शिफ्ट में शूटिंग भी नहीं करता था। पूरी industry उस award नाइट में शामिल होती थी, चाहे कोई nominate हुआ हो या ना, ना हुआ हो जब इनके पापा ने कहा कि Filmfare Awards में उनके साथ जाएँगे तो ये सोचने लगे कि क्या पहनेंगे फिर इनको लगा कि ज्यादा कपड़े तो है नहीं कोई नए outfit support भी नहीं कर सकते तो उस वक्त बुरा दौर तो चल ही रहा था तो कोशिश करते है कि कुछ ऐसा पहने जो मतलब पता ना चले फिर Abhishek को idea आया कि मेरे पास पहनने के लिए कुछ formal तो था नहीं तो मुझे लगा jeans T-shirt पहनकर जाना अच्छा नहीं रहेगा फिर मैंने उस award function में वो शेरवानी पहन ली जो मैंने कुछ साल पहले अपनी बहन Shweta की शादी में पहनी थी उस साल JB Dutta को film border के लिए best director का award मिला और जब वो stage से नीचे उतर रहे थे तब उन्होंने मुझे देखा दिन बाद उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया और फिर मुझे फिल्म ऑफर कर दी।

ये फिल्म रिफ्यूजी थी जो साल दो हजार में रिलीज हुई फिल्म में अभिषेक के opposite करीना कपूर ने डेब्यू किया था। दोनों की जोड़ी को तो पसंद किया गया लेकिन फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई। एक इंटरव्यू में अभिषेक ने फिल्म की मेकिंग से जुड़े किस्से भी शेयर किए थे उन्होंने बताया था कि जब वो कच्छ में रिफ्यूजी की शूटिंग के लिए पहुंचे थे तो वहां आसपास के गांव के लोग उन्हें देखने के लिए काफी excited थे, वो कह रहे थे कि अमिताभ बच्चन का बेटा आया है। ये सब देखकर वो काफी nervous हो गए और एक सीन के लिए सत्रह बार retakes लेने पड़े। अभिषेक ने बताया था कि मेरे और कुलभूषण खरबंदा के बीच एक scene फिल्माया जाना था मुझे उस scene में can में पानी भरना था और फिर आगे जाना था। short में आगे था कि वो मुझसे मेरा नाम पूछते हैं और मुझे नाम बताना था नाम refugee मुझे लगा कि बस हो गया मैं खुद को बॉस समझ रहा था और मैं crew से कह रहा था कि मुझे पता है कि कैसे करना है अपनी immature arrogance में मैंने आगे के scene को ध्यान से देखा तक नहीं।

मुझे पता ही नहीं था कि ये dialogue असल में तीन का है जैसे ही कैमरा रोल हुआ तो मैंने lines deliver करनी शुरू की अपनी lines खत्म करने के बाद मैं डायरेक्टर के मुँह से कट सुनने का इंतजार कर रहा था लेकिन उन्होंने कट नहीं कहा क्योंकि सीन खत्म नहीं हुआ था सब परेशान हो गए कि आगे की lines क्यों नहीं बोल रहा है। ऐसे में अह जेपी दत्ता ने फिर से take करवाया लेकिन बात बनी नहीं। अभिषेक ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करें? उन्होंने ना तो रिहर्सल की और ना ही उन्हें पता था कि डायलॉग क्या है, अभिषेक बोले मैंने अपने चारों तरफ देखा वहाँ गाँव वालों की भीड़ लग हुई थी ऐसे में मैं कांपने लगा उस वक्त रीना रॉय और अनुपम खेर जैसे कई actors मौजूद थे मैं डर के मारे सोचने लगा कि ये सब मेरे पापा को फोन करेंगे और कहेंगे कि अमित जी ये तो गया इसको वापस बुला लूँ काफी कोशिशों के बाद करीब सत्रह रिटेक लेकर ये सीन शूट हुआ अपने परिवार की legacy पर अभिषेक ने एक interview में कहा भी था मेरा surname मेरे लिए बहुत मायने रखता है मैं पूरी तरह कोशिश करता हूँ कि मैं अपने पिता का नाम रोशन कर सकूँ और उन्होंने जो मिसाल कायम की है उसे आगे ले जा सकूँ मैं आज जो कुछ भी हूँ वो अपने surname की वजह से ही हूँ इस surname के साथ जो शोहरत और फेम आज जुड़ी है वो मेरे दादा जी और मेरे पिताजी ने कमाई है surname को संभालना आसान नहीं है।

रिफ्यूजी पिटने के बाद अभिषेक की दो हजार से दो हजार चार के बीच करीब बीस फिल्में आई जिनमें से सत्रह फ्लॉप हो गई। दो हजार चार में वो फिल्म धूम में दिखे जो एक ब्लॉकबस्टर हिट हुई इसके बाद वो धूम के दोनों sequels धूम टू और धूम थ्री में भी नजर आए। ये दोनों फिल्में भी हिट रही। अभिषेक ने बंटी और बबली ब्लफ मास्टर और गुरु जैसी कई हिट फिल्में भी दी है। उन्होंने अपने करियर में तकरीबन सत्तर फिल्मों में काम किया है। दो हजार पांच के बाद वो कभी अलविदा ना कहना लागा चुन्नी में दाग, झूम, बराबर, झूम दिल्ली सिक्स, खेले हम जी जान से, पा, गेम और प्लेयर्स जैसी फिल्मों में दिखे जिनमें से कई फ्लॉप रही और कुछ ठीक-ठाक चली। अमिताभ बच्चन के बेटे होने की वजह से लोगों की अभिषेक को लेकर ये धारणा रही है कि उनका अह career संवारने में उन्हें मदद मिली होगी, पिता से हालांकि अभिषेक के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं है।

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उन्होंने एक बार कहा था कि सच्चाई ये है कि उन्होंने कभी किसी का फोन तक नहीं उठाया उन्होंने मेरे लिए कभी कोई फिल्म नहीं बनाई इसके उलट मैंने उनके लिए फिल्म पा produce की लोगों को समझना चाहिए कि एक धंधा है पहली फिल्म के बाद अगर उन्हें आप में कुछ दिखता नहीं है या फिल्म नंबर्स नहीं ला पाती है तो आपको अगली फिल्म नहीं मिलती और यही जिंदगी का कड़वा सच है अभिषेक ने एक इंटरव्यू में कहा था मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि इंडस्ट्री कैसे काम करती जब मेरी फिल्में नहीं चलती तो मुझे पता होता है मैं जानता हूँ कि मुझे किन फिल्मों से replace कर दिया गया मैं उन फिल्मों के बारे में जानता हूँ जो बन ही नहीं पाई जो शुरू तो हुई लेकिन उनके पास बजट नहीं था और ये इसलिए हुआ क्योंकि उस वक्त dependable नहीं था भले ही मैं अमिताभ बच्चन का बेटा था।

अभिषेक के उतार-चढ़ाव भरे फिल्मी career में ओटीटी थोड़ी-सी राहत लेकर आया है उन्होंने वेब series ब्रीफ से ओटीटी डेब्यू किया था इस वेब सीरीज के दूसरे सीजन में भी वो नजर आए थे। दो हजार इक्कीस फिल्म बिग बुल में उन्होंने हर्षद मेहता की भूमिका निभाई इसके अलावा वो लूडो बॉब विश्वास और दसवीं जैसी फिल्मों में भी दिखे जो ओटीटी पर रिलीज हुई थी इन सभी में अभिषेक के एक्टिंग टैलेंट की तरह आपकी तारीफ हुई उन्हें दो हजार बाईस में हुए फिल्म फेयर ओटीटी अवार्ड्स में बेस्ट मेल एक्टर का भी अवार्ड मिला दो हजार तेईस में अभिषेक की फिल्म घूमर रिलीज हुई थी जोकि फ्लॉप रही फिल्म में केवल सात करोड़ रुपए कमाए थे अब अभिषेक तीन फिल्मों में काम कर रहे हैं एक है डांसिंग डैट और एक सरकार की entitled है और अजय देवगन की फिल्म भोला two है। और अभिषेक ने ये भी कहा था कि कबड्डी team में invest करना मेरे लिए अँधेरे में तीर मारने जैसा था लेकिन ये risk लेने से उन्हें फायदा हुआ क्योंकि अब उनकी कबड्डी team की valuation करीब सौ करोड़ के आसपास है और शुरुआत में उन्हें अंदाजा नहीं था कि ये सब कितना सही होगा। ये कितना सही नहीं होगा।

दो हजार चौदह में pro कबड्डी league में इनकी team पहली बार शामिल हुई थी जब उनसे पूछा गया कि आप इस business को लेकर sure नहीं थे तो आपने team खरीदने का मन बना लिया तो उन्होंने कहा मुझे सिर्फ इतना भरोसा था कि लोग ये मैच देखना चाहेंगे अब इसे आप मेरी गट फीलिंग कह सकते हैं तो कुछ इस तरह गट फीलिंग के भरोसे रहते हैं अभिषेक बच्चन सरनेम उन्हें भारी लगता है पिता के काम से तुलना होना उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत है लेकिन फिर भी टिके हुए हैं और अभिषेक बच्चन कहीं ना कहीं ये साबित कर रहे हैं कि सिर्फ स्टार किड होने से success नहीं मिल जाती

हम अक्सर बॉलीवुड के बारे में बहस करते हैं nepotism को लेकर लेकिन अभिषेक बच्चन के विषय में कहा जाए असल में एक तरह से बहुत neutral हो के बोला जाए तो उन्हें इस बात का फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है कि वो अमिताभ बच्चन के बेटे हैं उनकी बच्चन surname का जो भारीपन है वो वो समझ सकते हैं कि उनसे जो उम्मीद की जाती है कि उनकी delivery उनका काम उनके पिता की तरह होगा और जाहिर-साहिर है जो उस स्तर का नहीं है और इसीलिए वो कई बार मात खा जाते हैं, क्या सोचते हैं आप अभिषेक बच्चन के बारे में और क्या वाकई industry में nepotism है और क्या इस बात की guarantee लेकर आता है कि आपको success मिलेगी। अभी हाल ही में पढ़ रहा था कि Johnny Walker के बेटे नासिर खान ने भी कहा है, उन्हें काम चाहिए। तो क्या वाकई किसी बड़े स्टार का बेटा होना आपको काम दिला देता है। काम से छोड़िए, क्या आपको success दिला देता है?

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