हड़ताल मृदंग हुकत lyrics in hindi
हड़ताल मृदंग lyrics | hartal mridang song
हड़ताल मृदंग हुकत song download| hartal meaning lyrics
हड़ताल मृदंग एक शिव आराधना है जो वर्तमान में ट्रेंडिंग कर रहा हे. हड़ताल मृदंग को गुजरती भासा में गया गया हे यह मूलतः संस्कृत में लिखा गया है , हड़ताल मृदंग पूरा गाना लिरिक्स के सांथ यंहा दिया गया है जिसे आप पढ़ सकते है , सुन सकते है , और अपने हिसाब से कम्पोस कर सकते है। हड़ताल मृदंग हुकत स्तुति काफी ज्यादा ऊर्जा से भरपूर है इसे सुनने और गाने से आपके अंदर नई ऊर्जा का संचार होता हे। हड़ताल मृदंग सम्पूर्ण लिरिक्स के सांथ निचे दिया गया है –
परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे, भभके गण भूत भयंकर भुतळ, नाथ अधंखर ते नखते, भणके तळ अंबर बाधाय भंखर, गाजत जंगर पांह गते ; डमरुय डडंकर बाह जटंकर, शंकर ते कईलास सरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।1
हडडं खडडं ब्रह्मांड हले, दडडं दडदा कर डाक बजे, जळळं दंग ज्वाल कराल जरे, सचरं थडडं गण साज सजे; कडके धरणी कडडं कडडं, हडडं मुख नाथ ग्रजंत हरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।2
हदताळ मृदंग हुहूकट, हाकट धाकट धीकट नाद धरं, द्रहद्राह दिदीकट वीकट दोकट, कट्ट फरंगट फेर फर; धधडे नग धोम धधा कर धीकट, थेंकट घोर कृताळ धरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।3
नट तांडवरो भट देव घटां नट उलट गूलट धार अजं, चहँ थाक दुदूवट दूवट खेंखट, गेंगट भू कईलास ग्रजं; तत तान त्रिपुरारि त्रेकट त्रुकट, भूलट धुहर ठेक भरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।4
सहणाई छेंछ अपार छटा, चहुथ नगारांय चोब रडे, करताल थपाट झपाट कटाकट, ढोल धमाकट मेर धडे; उमया संग नाट गणं सरवेश्वर, ईश्वर थईततां उचरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।5
पहरी गंगधार भेंकार भुजंगाय, भार अढारिंय वृक्ष भजे, गडताळ अपार उठे पडघा, गढ सागर त्रीण ब्रह्मांड ग्रजे; हदभार पगांय हिमाचळ हालत, हालत नृत्य हजार हरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।6
हड़ताल मृदंग हुकत pdf
हड़ताल मृदंग lyrics in hindi
हड़ताल मृदंग हुकत रिंगटोन
हड़ताल मृदंग हुकत रिंगटोन डाउनलोड
हड़ताल मृदंग श्लोक
बह अंग परां धर खाख अडंबर डंबर सुर नभं दवळा, डहके डहकं डहकं डमरु बह, डूहक डूहक थे बनळा; हदपाळ कराळ विताळरी हाकल, पाव उपाडत ताळ परे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।7
ब्रह्मादिक देख सतं भ्रमना भर, सुर तेत्रीशांय पाव सबे, खडडं कर हास्य ब्रह्मांड खडेडत, अंग उमा अरधंग अबे; जग जावण आवण जोर नचावण, आवत काग तणे उपरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण, कामप्रजाळण नाच करे।।8
।। छप्पय ।।
करत नाच कइलास, पास लहि भूत प्रमेश्वर। ओपत नभ आभास, खास मध भाल खयंकर ।। वार करण विश्वास, दास कुळ कमळ दिवाकर। परम हिम चहुं पास, वास समशान विशंभर।। दड दड दड डमरु बजे हास्य करत खड खड सु हर। “काग” को संकट ‘धहवा’ कजू धम धम पद भर ‘गरलधर’
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