अभिषेक बच्चन को nepotism का फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ

अभिषेक बच्चन को nepotism का फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ

बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन का आज forty eight birthday है अभिषेक उन star kids में शुमार है जिन पर अपने parents का stardom बहुत भारी पड़ा। युवा, गुरु, मनमर्ज़ियां जैसी फिल्मों में उनके acting talent की तारीफ तो हुई लेकिन अपने पिता अमिताभ बच्चन से तुलना ने उनके acting career को वहां तक नहीं पहुंचने दिया जिसके वो हकदार थे। अभिषेक बच्चन ने साल दो हजार में फिल्म refugees अपना debut किया था, जो फ्लॉप रही थी, दो हजार चार तक उनकी back to back बीस फिल्में आई जिनमें से सत्रह फ्लॉप रहीं। इसके बाद अभिषेक बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा। दो हजार बीस से अभिषेक ने ओटीटी का रुख किया और खुद को ना सिर्फ एक्टिंग में साबित किया बल्कि ओटीटी पर रिलीज हुई दसवीं के लिए award भी जीता। इसके बाद उन्हें फिल्म घूमर में भी देखा गया और अब जूनियर बच्चन के पास तीन बड़ी फिल्में हैं।

वो एक्टिंग के अलावा बिजनेस पर भी फोकस कर रहे हैं, उन्होंने कबड्डी टीम जयपुर पिंक पैंथर में दो हजार चौदह में invest किया था, जिसका valuation करीब सौ करोड़ के लगभग है। अभिषेक की networth दो सौ अस्सी करोड़ रुपए के आस-पास है। अभिषेक बच्चन का जन्म fifth february nineteen seventy सिक्स के दिन मुंबई में हुआ था। नौ साल की उम्र में उन्हें dyslexia हो गया। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को शब्द लिखने और समझने में परेशानी होती है। वो slow learner होते हैं और जल्दी कोई चीजें नहीं सिख पाते। इसी बीमारी पर आमिर खान ने एक फिल्म बनाई थी तारे जमीन पर। अभिषेक बच्चन की पढ़ाई मुंबई के जमुना बाई नर्सरी स्कूल, बॉम्बे स्कॉट स्कूल यहाँ पर हुई। इसके अलावा वो दिल्ली के वसंत विहार और स्विट्जरलैंड के एग्लॉन कॉलेज में भी पढ़े हैं।

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फिर वो ग्रेजुएशन के लिए बॉससॉन यूनिवर्सिटी भी गए थे लेकिन डिग्री पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़कर मुंबई वापस लौट आए। दरअसल उन्नीस सौ निन्यानवे के आसपास अमिताभ बच्चन बेहद बुरे दौर से गुजर रहे थे और दिवालिया हो गए थे उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड कर्ज में drub गई थी ये एक production distribution event management company थी कंपनी के कर्ज में डूबने के बाद बिग बी ने अभिषेक को वापस इंडिया बुला लिया क्योंकि उनके पास आर्थिक तंगी वजह से अभिषेक को वहां पढ़ाने तक के पैसे बचे नहीं थे। इसका जिक्र अभिषेक ने खुद एक इंटरव्यू में करते हुए कहा था मेरे पिता को अपने स्टाफ से पैसे मांगने पड़ रहे थे ऐसे में मुझे अंदर से ये बात खाई जा रही थी कि मैं उनके साथ कैसे नहीं हूं मेरे पापा को तुरंत कॉल करके कहा पापा मुझे नहीं लगता कि मुझे कॉलेज में होना चाहिए बल्कि मुझे कॉलेज छोड़कर सिर्फ आपके पास आना चाहिए और किसी भी तरह आपकी मदद करनी चाहिए जब मेरे पापा को ये तक नहीं पता था कि उन्हें डिनर भी नसीब होगा या नहीं तो मैं वहां बॉस्टन में बैठा नहीं रह था इसके बाद अभिषेक वापस मुंबई आ गए और फिल्म मेजर साहब के प्रोडक्शन के काम देखने लगे।

वो सेट पर छोटे-मोटे काम भी किया करते थे जैसे चाय बनाना, लाइटिंग देखना वगैरा-वगैरा इसी दौरान अभिषेक को फिल्मों में दिलचस्पी हो गई और उन्होंने एक्टर बनने का फैसला ले लिया लेकिन आगे उनका सफर आसान नहीं था। एक इंटरव्यू में अभिषेक ने कहा मैं हमेशा से ही मूवी स्टार बनना चाहता था इसलिए मैंने कई डायरेक्टर से मुलाकात की पर उनमें से कोई भी अमिताभ बच्चन के बेटे को लांच करने की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था फिर और मेरे एक दोस्त ने मिलकर एक script लिखने का फैसला किया पर वो फिल्म पर वो script कभी पूरी नहीं हो पाई फिर एक दिन मैं अपने पापा के साथ फिल्मफेयर awards में पहुंचा और वहां से मेरी लाइफ change हो गई अभिषेक ने बताया बीस साल पहले जब फिल्मफेयर awards हुआ करते थे तो actors को एक महीने पहले से ही तय करना होता था कि वो event पर क्या पहनेंगे।

अभिषेक बच्चन

उस दौर में कोई rent पर या फ्री में आउटफिट्स नहीं देता था, हमें खुद खरीदने होते थे, उस दिन कोई शाम की शिफ्ट में शूटिंग भी नहीं करता था। पूरी industry उस award नाइट में शामिल होती थी, चाहे कोई nominate हुआ हो या ना, ना हुआ हो जब इनके पापा ने कहा कि Filmfare Awards में उनके साथ जाएँगे तो ये सोचने लगे कि क्या पहनेंगे फिर इनको लगा कि ज्यादा कपड़े तो है नहीं कोई नए outfit support भी नहीं कर सकते तो उस वक्त बुरा दौर तो चल ही रहा था तो कोशिश करते है कि कुछ ऐसा पहने जो मतलब पता ना चले फिर Abhishek को idea आया कि मेरे पास पहनने के लिए कुछ formal तो था नहीं तो मुझे लगा jeans T-shirt पहनकर जाना अच्छा नहीं रहेगा फिर मैंने उस award function में वो शेरवानी पहन ली जो मैंने कुछ साल पहले अपनी बहन Shweta की शादी में पहनी थी उस साल JB Dutta को film border के लिए best director का award मिला और जब वो stage से नीचे उतर रहे थे तब उन्होंने मुझे देखा दिन बाद उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया और फिर मुझे फिल्म ऑफर कर दी।

ये फिल्म रिफ्यूजी थी जो साल दो हजार में रिलीज हुई फिल्म में अभिषेक के opposite करीना कपूर ने डेब्यू किया था। दोनों की जोड़ी को तो पसंद किया गया लेकिन फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई। एक इंटरव्यू में अभिषेक ने फिल्म की मेकिंग से जुड़े किस्से भी शेयर किए थे उन्होंने बताया था कि जब वो कच्छ में रिफ्यूजी की शूटिंग के लिए पहुंचे थे तो वहां आसपास के गांव के लोग उन्हें देखने के लिए काफी excited थे, वो कह रहे थे कि अमिताभ बच्चन का बेटा आया है। ये सब देखकर वो काफी nervous हो गए और एक सीन के लिए सत्रह बार retakes लेने पड़े। अभिषेक ने बताया था कि मेरे और कुलभूषण खरबंदा के बीच एक scene फिल्माया जाना था मुझे उस scene में can में पानी भरना था और फिर आगे जाना था। short में आगे था कि वो मुझसे मेरा नाम पूछते हैं और मुझे नाम बताना था नाम refugee मुझे लगा कि बस हो गया मैं खुद को बॉस समझ रहा था और मैं crew से कह रहा था कि मुझे पता है कि कैसे करना है अपनी immature arrogance में मैंने आगे के scene को ध्यान से देखा तक नहीं।

मुझे पता ही नहीं था कि ये dialogue असल में तीन का है जैसे ही कैमरा रोल हुआ तो मैंने lines deliver करनी शुरू की अपनी lines खत्म करने के बाद मैं डायरेक्टर के मुँह से कट सुनने का इंतजार कर रहा था लेकिन उन्होंने कट नहीं कहा क्योंकि सीन खत्म नहीं हुआ था सब परेशान हो गए कि आगे की lines क्यों नहीं बोल रहा है। ऐसे में अह जेपी दत्ता ने फिर से take करवाया लेकिन बात बनी नहीं। अभिषेक ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करें? उन्होंने ना तो रिहर्सल की और ना ही उन्हें पता था कि डायलॉग क्या है, अभिषेक बोले मैंने अपने चारों तरफ देखा वहाँ गाँव वालों की भीड़ लग हुई थी ऐसे में मैं कांपने लगा उस वक्त रीना रॉय और अनुपम खेर जैसे कई actors मौजूद थे मैं डर के मारे सोचने लगा कि ये सब मेरे पापा को फोन करेंगे और कहेंगे कि अमित जी ये तो गया इसको वापस बुला लूँ काफी कोशिशों के बाद करीब सत्रह रिटेक लेकर ये सीन शूट हुआ अपने परिवार की legacy पर अभिषेक ने एक interview में कहा भी था मेरा surname मेरे लिए बहुत मायने रखता है मैं पूरी तरह कोशिश करता हूँ कि मैं अपने पिता का नाम रोशन कर सकूँ और उन्होंने जो मिसाल कायम की है उसे आगे ले जा सकूँ मैं आज जो कुछ भी हूँ वो अपने surname की वजह से ही हूँ इस surname के साथ जो शोहरत और फेम आज जुड़ी है वो मेरे दादा जी और मेरे पिताजी ने कमाई है surname को संभालना आसान नहीं है।

रिफ्यूजी पिटने के बाद अभिषेक की दो हजार से दो हजार चार के बीच करीब बीस फिल्में आई जिनमें से सत्रह फ्लॉप हो गई। दो हजार चार में वो फिल्म धूम में दिखे जो एक ब्लॉकबस्टर हिट हुई इसके बाद वो धूम के दोनों sequels धूम टू और धूम थ्री में भी नजर आए। ये दोनों फिल्में भी हिट रही। अभिषेक ने बंटी और बबली ब्लफ मास्टर और गुरु जैसी कई हिट फिल्में भी दी है। उन्होंने अपने करियर में तकरीबन सत्तर फिल्मों में काम किया है। दो हजार पांच के बाद वो कभी अलविदा ना कहना लागा चुन्नी में दाग, झूम, बराबर, झूम दिल्ली सिक्स, खेले हम जी जान से, पा, गेम और प्लेयर्स जैसी फिल्मों में दिखे जिनमें से कई फ्लॉप रही और कुछ ठीक-ठाक चली। अमिताभ बच्चन के बेटे होने की वजह से लोगों की अभिषेक को लेकर ये धारणा रही है कि उनका अह career संवारने में उन्हें मदद मिली होगी, पिता से हालांकि अभिषेक के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं है।

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उन्होंने एक बार कहा था कि सच्चाई ये है कि उन्होंने कभी किसी का फोन तक नहीं उठाया उन्होंने मेरे लिए कभी कोई फिल्म नहीं बनाई इसके उलट मैंने उनके लिए फिल्म पा produce की लोगों को समझना चाहिए कि एक धंधा है पहली फिल्म के बाद अगर उन्हें आप में कुछ दिखता नहीं है या फिल्म नंबर्स नहीं ला पाती है तो आपको अगली फिल्म नहीं मिलती और यही जिंदगी का कड़वा सच है अभिषेक ने एक इंटरव्यू में कहा था मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि इंडस्ट्री कैसे काम करती जब मेरी फिल्में नहीं चलती तो मुझे पता होता है मैं जानता हूँ कि मुझे किन फिल्मों से replace कर दिया गया मैं उन फिल्मों के बारे में जानता हूँ जो बन ही नहीं पाई जो शुरू तो हुई लेकिन उनके पास बजट नहीं था और ये इसलिए हुआ क्योंकि उस वक्त dependable नहीं था भले ही मैं अमिताभ बच्चन का बेटा था।

अभिषेक के उतार-चढ़ाव भरे फिल्मी career में ओटीटी थोड़ी-सी राहत लेकर आया है उन्होंने वेब series ब्रीफ से ओटीटी डेब्यू किया था इस वेब सीरीज के दूसरे सीजन में भी वो नजर आए थे। दो हजार इक्कीस फिल्म बिग बुल में उन्होंने हर्षद मेहता की भूमिका निभाई इसके अलावा वो लूडो बॉब विश्वास और दसवीं जैसी फिल्मों में भी दिखे जो ओटीटी पर रिलीज हुई थी इन सभी में अभिषेक के एक्टिंग टैलेंट की तरह आपकी तारीफ हुई उन्हें दो हजार बाईस में हुए फिल्म फेयर ओटीटी अवार्ड्स में बेस्ट मेल एक्टर का भी अवार्ड मिला दो हजार तेईस में अभिषेक की फिल्म घूमर रिलीज हुई थी जोकि फ्लॉप रही फिल्म में केवल सात करोड़ रुपए कमाए थे अब अभिषेक तीन फिल्मों में काम कर रहे हैं एक है डांसिंग डैट और एक सरकार की entitled है और अजय देवगन की फिल्म भोला two है। और अभिषेक ने ये भी कहा था कि कबड्डी team में invest करना मेरे लिए अँधेरे में तीर मारने जैसा था लेकिन ये risk लेने से उन्हें फायदा हुआ क्योंकि अब उनकी कबड्डी team की valuation करीब सौ करोड़ के आसपास है और शुरुआत में उन्हें अंदाजा नहीं था कि ये सब कितना सही होगा। ये कितना सही नहीं होगा।

दो हजार चौदह में pro कबड्डी league में इनकी team पहली बार शामिल हुई थी जब उनसे पूछा गया कि आप इस business को लेकर sure नहीं थे तो आपने team खरीदने का मन बना लिया तो उन्होंने कहा मुझे सिर्फ इतना भरोसा था कि लोग ये मैच देखना चाहेंगे अब इसे आप मेरी गट फीलिंग कह सकते हैं तो कुछ इस तरह गट फीलिंग के भरोसे रहते हैं अभिषेक बच्चन सरनेम उन्हें भारी लगता है पिता के काम से तुलना होना उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत है लेकिन फिर भी टिके हुए हैं और अभिषेक बच्चन कहीं ना कहीं ये साबित कर रहे हैं कि सिर्फ स्टार किड होने से success नहीं मिल जाती

हम अक्सर बॉलीवुड के बारे में बहस करते हैं nepotism को लेकर लेकिन अभिषेक बच्चन के विषय में कहा जाए असल में एक तरह से बहुत neutral हो के बोला जाए तो उन्हें इस बात का फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है कि वो अमिताभ बच्चन के बेटे हैं उनकी बच्चन surname का जो भारीपन है वो वो समझ सकते हैं कि उनसे जो उम्मीद की जाती है कि उनकी delivery उनका काम उनके पिता की तरह होगा और जाहिर-साहिर है जो उस स्तर का नहीं है और इसीलिए वो कई बार मात खा जाते हैं, क्या सोचते हैं आप अभिषेक बच्चन के बारे में और क्या वाकई industry में nepotism है और क्या इस बात की guarantee लेकर आता है कि आपको success मिलेगी। अभी हाल ही में पढ़ रहा था कि Johnny Walker के बेटे नासिर खान ने भी कहा है, उन्हें काम चाहिए। तो क्या वाकई किसी बड़े स्टार का बेटा होना आपको काम दिला देता है। काम से छोड़िए, क्या आपको success दिला देता है?

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