कपिल शर्मा के शो का हिस्सा क्यों नहीं है सुमोना चक्रवर्ती? | Why is Sumona Chakraborty not a part of Kapil Sharma’s show?

कपिल शर्मा के शो का हिस्सा क्यों नहीं है सुमोना चक्रवर्ती? वही सुमोना चक्रवर्ती जो कपिल की वाइफ बनकर आती थी, कपिल और सुमोना के बीच खूब नोकझोंक होती थी, वो अक्सर उनके होंठों का मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि नेटफ्लिक्स पर जब से कपिल का शो आया, तब से सुमोना इसमें दिखाई नहीं दी हैं, सुमोना ने इस पूरे मामले पर बहुत लंबे समय से चुप्पी साधी हुई थी, लेकिन हाल ही में उन्होंने पीटीआई को एक interview दिया है, जिसमें उन्होंने वो चुप्पी तोड़ दी है।

जब सुमोना से पूछा गया कि आखिर आप इस शो का हिस्सा क्यों नहीं है? तो उन्होंने जवाब ये दिया कि मैं जिस शो का हिस्सा थी वो तो जुलाई में बंद हो गया और वो किसी चैनल पर आया करता था। अब जो शो जिसकी आप बात कर रहे हैं, ये वो शो नहीं है। यानी सुमोना ने सीधे तौर पर ये बताने की कोशिश की है कि उन्हें इस शो के लिए approach किया ही नहीं गया।

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सुमोना आगे बताती है कि वो नीना गुप्ता से काफी प्रभावित है क्योंकि नीना गुप्ता ने जिस तरह से एक बहुत अनुभवी actress होने सबसे काम मांगने में कोई शर्म नहीं की। तो सोमोना कहती है मैं वैसे तो बहुत introvert हूँ लेकिन मैंने भी अब काम मांगना शुरू कर दिया है और ये सब मैंने नीना गुप्ता से सीखा है।

बहरहाल इन दिनों खतरों के खिलाड़ी सीजन fourteen में सुमोना चक्रवर्ती दिखाई देंगी, उसकी तैयारी कर रही है और आने वाले समय में वो टीवी पर एक नए रूप में दिखने वाली है यानी कॉमेडी करने वाली सुमोना का एक नया ही अवतार अब टीवी पर दिखाई देगा। हो सकता है ये कपिल को एक तरह से देने की कोशिश पर हो कि सुमोना सिर्फ उस कॉमेडी शो तक सीमित नहीं है बल्कि वो अपने दम पर अपनी एक अलग पहचान बना सकती है।

बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अक्सर इस बात पर सवाल करते रहते हैं कि कपिल अपनी on screen वाइफ का इतना मजाक क्यों बनाते थे? खासकर वो लोग जो women empowerment की बात करते हैं। खासकर वो लोग जो ये कहते हैं कि महिलाओं की जो image है उसे अब और सुधारे जाने की जरूरत है।

ऐसे में बहुत से लोगों को सुमोना चक्रवर्ती का ये फैसला समझ में आता जहाँ वो कपिल के शो को छोड़कर अपनी एक नई image के साथ लोगों के सामने आने वाली हैं, अब मैं आप लोगों से जानना चाहता हूँ कि क्या आप सुमोना के उनका जो स्टंट वाला अवतार होगा उसको देखने के लिए excited हैं या आपको लगता है कि उन्हें वापस कॉमेडी की तरफ जाना चाहिए।

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दारा सिंह क्यों कभी किसी से नहीं हारे? दारा सिंह की अनकही कहानी | Why did Dara Singh never lose to anyone? The untold story of Dara Singh

दारा सिंह का पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था, उन्हें बचपन से ही कुश्ती का बहुत शौक था, एक मजबूत कद काठी के दारा सिंह ने कुश्ती की दुनिया में ना सिर्फ भारत का नाम ऊंचा किया बल्कि उनके बारे में सबसे दिलचस्प बात ये है कि पचास के दशक में एक मुकाबले में दारा सिंह ने अपने से कहीं ज्यादा वजनी ऑस्ट्रेलिया के किंगकॉन्ग को पहले तो रिंग में पटकनी दी और फिर उन्हें उठाकर रिंग के बाहर ही फेंक दिया, उस वक्त सिंह का वजन एक सौ तीस किलो का था जबकि किंग कोंग दो सौ किलो के थे।

1983 में उन्होंने अपने जीवन का अंतिम मुकाबला जीता और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति यानि जहर सिंह के हाथों अपराजय पहलवान का ख़िताब अपने पास बरकरार रखते हुए कुश्ती से सम्मान पूर्वक सन्यास ले लिया। यानि वो कभी हारे नहीं और दुनिया भर के पहलवानों को धूल चटाते रहे। क्योंकि दारा सिंह जब भी अखाड़े में होते थे, सामने वाला पहलवान चाहे कितना भी बलवान क्यों ना हो दारा से उसका कोई मुकाबला नहीं होता था।

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1947 में दारा सिंह ने भारतीय स्टाइल की कुश्ती में मलेशियाई चैंपियन त्रिलोक सिंह को हराकर कुआलमपुर में मलेशियाई कुश्ती चैंपियनशिप जीती। पांच साल तक फ्री स्टाइल रेसलिंग में दुनिया भर के पहलवानों को चित्त करने के बाद दारा सिंह भारत आकर nineteen fifty four में भारतीय कुश्ती के champion बन गए। दारा सिंह ने ही एक तरह से पूरी दुनिया में भारतीय कुश्ती को पहचान दिलाई।

दारा सिंह और सरदारा सिंह ने मिलकर पहलवानी शुरू कर दी थी और धीरे-धीरे गाँव के दंगलों से लेकर शहरों में कुश्तियों का वो आयोजन करते उन्हें जीतते अपने गाँव का नाम रोशन करते और भारत में अपनी अलग पहचान बनाते कुछ इस तरह से हुई थी दारा सिंह की शुरुआत और एक वक्त ऐसा भी था जब अमेरिका के विश्व चैंपियन को उन्होंने हरा दिया था और उसके बाद वो चैंपियन कहलाए थे दारा सिंह ने साल 1959 में पूर्व चैंपियन पूर्व विश्व चैंपियन जॉर्ज गाजियांका पराजित करके कॉमनवेल्थ की विश्व चैंपियनशिप जीती थी

1968 में वो अमेरिका के विश्व चैंपियन पराजित करके freestyle कुश्ती के विश्व चैंपियन बन गए और उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पांच सौ से भी ज्यादा मुकाबलों में उन्होंने कभी हार का मुँह देखा ही नहीं यानि दारा सिंह हारना नहीं जानते थे इसीलिए कहा जाता है कि हमेशा अपराजय रहे दारा सिंह यानी जिसे कोई हरा नहीं सका इसके बाद उन्होंने कॉमनवेल्थ देशों का दौरा भी किया और विश्व चैंपियन किंग कांग को परास्त कर दिया दारा सिंह ने उन सभी देशों का एक-एक करके दौरा किया जहाँ फ्री कुश्तियां लड़ी जाती थी

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आखिरकार अमेरिका के विश्व चैंपियन उनतीस मई उन्नीस सौ अड़सठ twenty nine में nineteen sixty eight के दिन पराजित करके वो freestyle कुश्ती के विश्व चैंपियन बन गए 1983 में उन्होंने अपराजय पहलवान के रूप में कुश्ती से संन्यास ले लिया जिस वक्त उन्होंने संन्यास लिया वो अपराजय कहलाए उन्हें किसी ने नहीं हराया था दारा सिंह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि कुश्ती के दिनों से ही उन्हें फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया था

उनके बारे में ये भी कहा जाता है कि पर्दे पर कमीज शर्ट उतारने वाले वो पहले हीरो थे सिकंदर ए आजम और डाकू मंगल सिंह जैसी फिल्मों से carrier शुरू करने वाले दारा सिंह आखरी बार इम्तियाज अली की फिल्म में करीना कपूर के दादा जी बनकर दिखाई दिए थे साल दो हजार सात का किस्सा है।

गुजरे जमाने की अभिनेत्री मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बड़ी हिट मानी जाती थी दारा की फिल्म जग्गा के लिए भारत सरकार से उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी दिया गया बाद में उन्होंने television serials में भी काम किया दारा सिंह ने हिट रामायण जो रामानंद सागर की रामायण थी उसमें हनुमान जी का किरदार निभाया था तो ये है पहलवान दारा सिंह जी की कहानी अगर आपको ये कहानी पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए।

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टाइगर श्रॉफ हुवे बेकार, तो बहन कृष्णा ने लिया टीवी डेबू का फैसला

एक तरफ टाइगर श्रॉफ है जिन्हें लगातार इस बात के लिए कोसा जा रहा है कि वो सिर्फ इस बात के लिए कि जैकी श्रॉफ के बेटे हैं बहुत गलत इस्तेमाल कर रहे हैं अपने नाम का लगातार फ्लॉप पे फ्लॉप फिल्में दे रहे हैं और आज नौबत ये है कि उनके पास काम नहीं है।

ऐसे में करण जौहर आते हैं सामने और उन्हें एक फिल्म ऑफर करते हैं। अब उनकी जो बहन है कृष्णा श्रॉफ उनका भी television पर debut होने जा रहा है यानी nepotism की बीमारी जो अभी तक बड़े पर्दे तक सीमित थी अब वो टीवी पर भी आ रही है। कृष्णा श्रॉफ को खतरों के खिलाड़ी सीजन 14 में मौका मिला है बतौर contestant रोहित शेट्टी के साथ स्क्रीन शेयर करने का इसमें जितने भी contestants हैं उनमें से किसी को भी कृष्णा श्रोफ जानती नहीं है

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और हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया उन्होंने कहा कि जब मेरे पास ये ऑफर आया जो कि मेरे पास दो साल पहले भी आ चुका था तब मैंने मना कर दिया था क्योंकि मैं तैयार नहीं थी इस खेल के लिए लेकिन अब मैं खुद को तैयार कर चुकी हूँ मैंने जब कंटेस्टेंट्स के नाम देखे तो मैं इनमें से किसी को नहीं जानती थी और मुझे लगता है कि ये काफी कुछ exciting होने वाला है फिर उनसे सवाल पूछा गया nepotism को लेकर तो कृष्णा ये कहना है कि हाँ nepotism है और मैं मानती हूँ कि इससे होता क्या है कि हमसे expectations बढ़ जाती है

क्योंकि हम एक particular personality के बेटा या बेटी है और इस वजह से हमारे लिए जो आगे की journey है वो काफी difficult हो जाती है लेकिन Krishna Shroff का ये कहना है कि वो अपना पूरी कोशिश करेंगे अपना पूरा दमखम लगाएँगे कि खतरों के खिलाड़ी के जरिए वो दर्शकों के बीच अपनी पहचान बना पाए।

लेकिन आप ये सोचिए कि एक वक्त था जब ये कहा जाता था कि बॉलीवुड फिल्मों में मौका मिलता है। बड़े-बड़े स्टार किड्स को लेकिन अब टीवी shows में भी मौका मिलने लगा है यानी आप ये देखिए कि nepotism का विस्तार हो रहा है वो बॉलीवुड तक सीमित नहीं है वो टीवी डेब्यू के लिए भी आप क्योंकि आप nepocate हैं क्योंकि आप स्टार किड हैं इसलिए आपको मौका दिया जा रहा है।

मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि इस पूरे scenario में जहाँ एक तरफ जैकी श्रॉफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं ये कहते हुए कि जो मेरे manorisms हैं जो मेरा स्टाइल है जो मेरी बातें हैं उन्हें कोई कॉपी ना करें। दूसरी तरफ उनके बेटे टाइगर श्रॉफ को काम नहीं मिल रहा।

ये स्थिति आ चुकी है हर फिल्म फ्लॉप हो रही है। इस सबके बीच की जो बेटी है वो ah Bollywood की जगह TV में debut कर रही है तो आपको क्या लगता है क्या है ये scenario ये scenario क्या बताता है और इस पूरे ah scenario से आप क्या समझते है एक तरफ पिता जो कहता है कि मेरी नकल करना बंद करो मेरी नकल करके अपने रोटी रोजगार का इंतजाम करना बंद करो

दूसरी तरफ बेटा है जो लगातार flop पे flop दे रहा है और बेटी है जो Bollywood की जगह TV में debut करने के लिए तैयार है वो भी खतरों का खिलाड़ी जैसे शौक से तो क्या मामले को देखते हुए? क्या आपको लगता है कि nepo kids की राह मुश्किल हुई है, आसान हुई है या अब उन्होंने थोड़ा सा सीन चेंज कर दिया है, वो बॉलीवुड की तरफ नहीं जाते बल्कि टीवी और ओटीटी के रास्ते अपना कमाई का जरिया ढूंढ रहे हैं.

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जूनियर एनटीआर की मजेदार कहानी : बायोग्राफी

साउथ के सुपरस्टार जूनियर एनटीआर जिनका पूरा नाम है नंद मुरि तारक रामाराव जूनियर उनकी कहानी आज आप इस वीडियो में सुनने जा रहे हैं ninety four केजी के वजन वाले जूनियर एनटीआर को एक जमाने में मोटा कहकर बदसूरत कहकर ट्रोल किया जाता था पर आज वो इतने फिट हैं कि उनकी गिनती सबसे फिट telego actors में की जाती है।

जूनियर एनटीआर फिल्म लोक परलोक से लेकर और अभी हाल ही में आई आरआरआर तक कई सारी फिल्मों में अपना physical transformation दिखा चुके हैं। अब तक इकत्तीस फिल्मों में काम कर चुके जूनियर एनटीआर बहुत जल्द ऋतिक रोशन की फिल्म वार टू में दिखने वाले हैं यानी इस फिल्म से उनका बॉलीवुड डेब्यू हो जाएगा।

जूनियर एनटीआर की कहानी शुरू होती है twentieth मई nineteen eighty three से बीस मई उन्नीस सौ तिरासी का वो दिन जब फिल्म एक्टर और पॉलिटिशन नंदमूरी, हरिकृष्ण के घर उनका जन्म हुआ। उनके दादा, दिग्गज तेलुगू एक्टर फिल्म मेकर और आंध्रप्रदेश के पूर्व चीफ मिनिस्टर एनटी रामाराव थे।

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जूनियर एनटीआर को प्यार से तारक भी बुलाया जाता है, उन्होंने सिर्फ आठ साल की उम्र में nineteen ninety one में रिलीज हुई फिल्म ब्रह्मऋषि विश्व मित्र से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने एक्टिंग की शुरुआत की थी अपने दादा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में तारक ने राजा भरत का रोल राजा भरत के बचपन का रोल प्ले किया था।

तारक की दूसरी फिल्म nineteen ninety seven में रिलीज हुई रामायणम थी जिसमें उन्होंने चौदह साल की उम्र में प्रभु श्री राम का रोल प्ले किया था, इस फिल्म को बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म के नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही तारक ने डांस की ट्रेनिंग भी ले ली फिर मात्र अठारह साल की उम्र में साल दो हजार एक में रिलीज हुई फिल्म से बतौर लीड एक्टर उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत कर दी साल दो हजार एक में ही रिलीज हुई स्टूडेंट नंबर वन बतौर लीड एक्टर एनटीआर की पहली सुपर हिट फिल्म बन गई ये एस एस की भी फिल्म थी अब तक अपने करियर में ने राजमोली के साथ सिमहाद्री, लोक परलोक और आरआरआर समेत चार फिल्मों में काम किया है।

चारों ही फिल्में सुपरहिट रही हैं। दो हजार दो में रिलीज हुई आदि और सिमहाद्री की सफलता ने जूनियर एनटीआर को अपने फैंस के बीच काफी पॉपुलर बना दिया। साल दो हजार चार तक तो जूनियर एनटीआर की फैन फोलोइंग इतनी जबरदस्त हो गई थी कि इस साल रिलीज हुई फिल्म अंधरा वाला के ऑडियो लॉन्च इवेंट पर उस जमाने में करीब दस लाख लोग एक जगह पर इकट्ठा थे।

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ये सिर्फ उनको देखने आए थे जूनियर एनटीआर को इस फिल्म के बाद से ही जूनियर एनटीआर को मास हीरो और young टाइगर जैसे title मिलने लगे। जहाँ एक तरफ अह जो फैंस है वो जूनियर एनटीआर और उनकी फिल्मों को अपना रहे थे, पसंद कर रहे थे, वहीं कई ऐसे लोग भी थे, जो उनके look और उनके weight के चलते उन्हें काफी ट्रोल किया करते थे। अह जूनियर एनटीआर को सबसे ज्यादा ट्रोल किया गया, दो हजार छह में release हुई उनकी फिल्म राखी के लिए। इस फिल्म की शूटिंग उनका वजन करीब सौ किलो तक बढ़ गया था।

फिर लोक परलोक के लिए उन्होंने अपना बीस किलो वजन कम किया। जूनियर एनटीआर ने अपनी इस इमेज और लुक को पहली बार दो हजार सात में रिलीज हुई फिल्म राजा मौली की आई थी फिल्म लोक परलोक, इससे उन्होंने बदला और इस फिल्म के लिए उन्होंने पहली बार बीस किलो वजन घटा लिया। फिल्म हिट रही और जूनियर एनटीआर के नए look को भी खूब पसंद किया गया।

इसके बाद तो जूनियर एनटीआर लगातार फिल्मों में अपना लुक चेंज कर अब तक हर फिल्म में घुंघराले वालों में नजर आए जूनियर एनटीआर दो हजार तेरह में रिलीज हुई फिल्म बादशाह में पहली बार straight air look में नजर आए ये फिल्म भी उनकी सुपरहिट रही अगस्त दो हजार अठारह में इकसठ साल की उम्र में जूनियर एनटीआर के पिता का एक रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया वो एक दोस्त की प्राइवेट सेरेमनी अटेंड करने जा रहे थे हादसे के वक्त वो बिना सीट बेल्ट के कार चला रहे थे इसी हाईवे पर दो हजार चौदह में जूनियर एनटीआर के जानकी राम का भी एक्सीडेंट हुआ था

जिसके बाद उनकी भी मौत हो गई थी इससे पहले दो हजार नौ की बात है सत्ताईस मार्च दो हजार नौ उस वक्त तेलुगू दर्शन के इलेक्शन कैंपेन से लौटते वक्त जूनियर एनटीआर की कार का भी एक्सीडेंट हुआ था ये एक्सीडेंट इतना भयानक था कि वो अपनी एसयूवी से निकलकर बाहर गिर गए थे उनका इलाज फिर सिकंदराबाद के कृष्णा इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज में किया गया दो हजार अठारह में अपने पिता की मौत के बाद जूनियर एनटीआर ने चार साल लंबा ब्रेक लिया इसके बाद अपने चहिते डायरेक्टर राज अमौली की फिल्म आरआरआर से कमबैक किया उनका कमबैक कितना शानदार रहा आप जानते ही है

इस फिल्म में भी अपने लुक के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है और सिक्स पैक ऐप्स लुक में नजर आए दो हजार ग्यारह में लक्ष्मी प्रणीति से वो शादी कर चुके हैं दो उनके बच्चे हैं परिवार भरा पूरा है और पूरी दुनिया में अलग-अलग हिस्सों में जहाँ भी भारतीय लोग रहते हैं वो जूनियर एनटीआर से बहुत प्यार करते हैं अगर आपको जूनियर एनटीआर की ये कहानी अच्छी लगी है तो उसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं.

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दो हिस्सों में बनेगी रणबीर की रामायण | Ranbir’s Ramayan will be made in two parts

रणबीर कपूर की जो फिल्म है रामायण पहले ये खबर आई थी कि इसे करीब तीन हिस्सों में बनाया जाएगा लेकिन अब जो ताजा खबर आ रही है वो ये बताती है कि रणबीर कपूर की ये जो फिल्म है ये तीन नहीं बल्कि दो हिस्सों में बनाई जाएगी और इससे भी बड़ी खबर ये है कि इन दोनों हिस्सों की शूटिंग एक साथ हो रही है जी हाँ आमतौर पर होता ये है कि अगर पहला पार्ट हिट हो जाता है उसके बाद दूसरे पार्ट की शूटिंग शुरू होती है लेकिन इस बार इन दोनों पार्ट्स को एक साथ शूट किया जा रहा है

कहने का मतलब ये है कि Sunny Deol जो बने है Hanuman जी, Lara Dutta जो बनी है Kaikeyi, Sai Pallavi जो बनी है Sita और Ranbir Kapoor जो बने है Ram वो एक साथ दोनों parts को shoot करेंगे और करीब साढ़े तीन सौ दिनों में यानी साल भर के अंदर दोनों parts की shooting complete हो जाएगी और उसके बाद एक साल के difference से इन दोनों parts को release किया जाएगा और पहले ये खबर आयी थी कि इन्हें तीन parts में बनाया जा रहा है और उसमें ये कहा गया था कि shooting का time बहुत लंबा होगा लेकिन अब ये कहा जा रहा है कि साढ़े तीन सौ दिनों के इसकी शूटिंग पूरी कर ली जाएगी।

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रणबीर कपूर इसमें राम बने हैं और कहा ये जा रहा है कि रणबीर कपूर की काफी इंटेंस ट्रेनिंग चल रही है इससे पहले इनके pictures सामने आ गए थे जो लोगों ने कहा था कि ये pictures जानबूझकर release किए गए हैं। अब कुल मिलाकर मामला ये है कि साढ़े तीन सौ दिनों के अंदर ऐसा होगा कि पहला पार्ट शूट होगा और उसी के साथ हो सकता है same डे भी second part भी शूट होता रहे यानी कुल मिलाकर साढ़े तीन सौ दिनों के अंदर ये दोनों parts बनकर तैयार हो जाएंगे।

Mega project है करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। देख ये है कि हमारे देश की जनता इस वाली रामायण को स्वीकारती है या नहीं। बार-बार ख्याल आता है आदि पुरुष का जो कि सैकड़ों करोड़ की लागत से लगी थी लेकिन दर्शकों ने उसे नकार दिया क्योंकि उसके जो डायलॉग लिखे गए थे वो बहुत ही गलत तरीके से लिखे गए थे उसके बाद मनोज को कुछ समय के लिए देश छोड़कर भी जाना पड़ा। वो बहुत समय तक लोगों के सामने नहीं पड़े क्योंकि लोगों को उन्हें देखते ही गुस्सा आने लगा था।

तो उम्मीद है कि आदि पुरुष से सबक लेंगे। नितेश तिवारी और ऐसा फिल्म में कुछ नहीं करेंगे जिससे लोगों की भावनाएं हूँ क्या आप रणबीर कपूर को राम के रोल में देखने के लिए excited है? ये आपको अभी भी लगता है कि अपने beef वाले बयान की वजह से रणबीर कपूर को इस रोल में cast नहीं किया जाना चाहिए था मैं आपको याद दिला दूँ ये वही रणबीर कपूर है जिन्हें ब्रह्मास्त्र के वक्त उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर में entry से रोक दिया गया था बाद में यही रणबीर कपूर अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर का जब उद्घाटन हुआ तो वहाँ पर दिखाई दिए थे

तो वैसे public memory short होती है लोग ये कहते हैं कि लोग बहुत जल्दी भूल जाते हैं हिंदुस्तान के तो क्या हिंदुस्तान के लोग एक beef खाने वाले actor को भगवान राम के रोल में देख पाएंगे देखना पसंद करेंगे क्या वो उनके dialogues पर तालियां बजाएंगे क्या उनके मन में वो श्रद्धा आ पाएगी? ये तमाम सवाल हैं जिनके जवाब मैं आपसे जानना चाहता हूँ साथ ही मैं आपसे ये भी जानना चाहता हूँ कि एक साथ दो पार्ट में जो बन रही है रामायण क्या ये उतनी curiosity लोगों के बीच पैदा कर पाएगी?

सनी देओल को हनुमान जी के रूप में देखना और साईं पल्लवी को सीता जी के रूप में देखना। क्या आपको लगता है वाकई ये फिल्म वो कर पाएगी? जिस जिस शिद्दत से इसे बनाया जा रहा है, जितनी लागत से इसे बनाया जा रहा है।

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क्या है बॉलीवुड से तवायफों का रिश्ता? कितनी हीरोइन का रहा हे तवायफों से कनेक्शन?

बॉलीवुड में इन दिनों संजय लीला भंसाली की वेब series हिरा मंडी काफी चर्चा में है। तवायफों की कहानी को बताती सीरीज को काफी पसंद भी किया जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी सिनेमा में कई ऐसी अभिनेत्रियां रही हैं जिनका ताल्लुक तवायफों की फैमिली से रहा है। नर्गस और सायरा बानो जैसी actress ने पर्दे पर खूब राज किया लेकिन इस बात को बहुत कम लोग जानते होंगे कि इन अभिनेत्रियों का ताल्लुक असल में तवायफ फैमिली से रहा है।

आइए आपको बॉलीवुड एक्ट्रेस के बारे में बताते हैं जो किसी ना किसी तरीके से तवायफों के खानदान से जुड़ी रही हैं। सबसे पहले बात करते हैं नर्गिस की। जी हाँ, इस लिस्ट की शुरुआत हम नर्गिस से करना चाहेंगे। नर्गिस, जो संजय दत्त की माँ थी। वही नर्गिस की माँ जगदन बाई थी, जो मुस्लिम थी और कोलकाता की मशहूर तवाइफ ही थी, जिनका जिक्र राइटर मोहन देसाई ने भी अपनी किताब में किया है, बताया जाता है कि जगदन बाई भारत को कोठे से मिली पहली महिला संगीतकार थी, जगदन बाई की माँ, दलिप्पा बाई मशहूर तवायफ थी

वो इलाहाबाद के कोठे पर बैठा करती थी नर्गिस की माँ की परवरिश कोठे पर ही हुई थी और संगीत उनके खून में बसा हुआ था उनका तवायफ बनने का किस्सा भी काफी पुराना है इंटरनेट पर उपलब्ध वीडियो के मुताबिक बताया जाता है कि बाई की माँ यानी कि दलीपा बाई का बाल विवाह हुआ था। और जब उनकी विदाई हुई तो डाकुओं ने उनपर हमला कर दिया।

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इस दौरान उनके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई और सब कुछ लूट लिया गया इस हादसे के बाद जब वो जैसे तैसे ससुराल तो वहाँ के लोगों ने उन्हें अभागन करार दे दिया कि ये दुर्भाग्यशाली है। उन्हें लोग प्रताड़ित करते थे और एक दिन नाटक मंडली गाँव से होकर गुजर रही थी उनकी नजर दलीपा बाई पर पड़ी क्योंकि वो गाना अच्छा गाती थी घर वालों से तंग आ चुकी दलीपा बाई भी उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गई फिर जैसे ही वो इलाहबाद पहुंची तो नाटक मंडली में उन्हें कोठे पर बेच दिया

जिसके बाद वो वहां से कभी निकल नहीं पाई लेकिन उनकी बेटी जगदन बाई बड़ी होकर इस दलदल से बाहर आई और उसने कोठे को छोड़कर बाद में फिल्म इंडस्ट्री में अपने गीत का सिक्का जमा लिया, संगीतकार बन गई क्योंकि वो बचपन से ही गाती थी और डांस की दीवानी थी तो जगदन बाई खुद म्यूजिक भी compose किया करती थी और उन्होंने ही बेटी नर्गिस को बहुत छोटी उम्र में फिल्मों में उतार दिया था।

अब बात करते हैं नीतू कपूर की जी हाँ इस लिस्ट में नीतू कपूर का नाम भी है उनका भी तवायफ से नाता रहा है उनकी नानी हरजीत सिंह को अह मजबूरन कोठे पर जाना पड़ा था। माता-पिता की मौत के बाद हरजीत के चाचा-चाची ने property के लालच में उन्हें कोठे पर भेज दिया जहाँ के मुताबिक उनका बिकना शुरू हो गया इस संघर्ष के बीच उनकी बेटी राजी सिंह का जन्म हुआ जो कि नीतू सिंह की माँ थी राजी को भी चौदह साल की उम्र में ही धंधे में धकेल दिया गया था लेकिन वो यहाँ रुकी नहीं बाईस साल की उम्र में वो घर से भाग गई इस बीच राजीव की मुलाकात दर्शन सिंह नाम के एक लड़के से हुई जिससे उन्होंने शादी कर ली और बेटी हरनीत सिंह को जन्म दिया

हरनीत सिंह को ही हम नीतू सिंह के नाम से जानते हैं राजी शुरू से ही हीरोइन बनना चाहती थी लेकिन उनकी उम्र जा चुकी थी ऐसे में अपनी बेटी को हीरोइन बनाने उन्होंने संघर्ष किया और उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दिला दी अब बात करते हैं सायरा बानो की बॉलीवुड एक्ट्रेस सायरा बानो का भी नाता रहा है उनकी नानी पर नानी और माँ कोठे पर रहा करती थी यहाँ तक कि उनकी माँ और नानी का दिल्ली में अपना **** था लेकिन उनका इतिहास जरा पुराना है वो इस पेशे में मजबूरी में आई थी.

कहानी की शुरुआत करते हैं जुम्मन बाई से जो कि सायरा बानो की पर नानी थी जब वो सात साल की थी तो उनके पिता ने ही उन्हें हसनपुर के कोठे में बेच दिया था इसकी वजह ये वो लड़कियों से नफरत किया करते थे। जुम्मन बाई अक्सर भागने की कोशिश करती थी तो कोठे की मालकिन ने उन्हें दिल्ली भेज दिया था जिसके बाद वो कोठे की गलियों में ही कैद होकर रह गई।

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यहाँ उन्होंने अठारह साल की उम्र में एक बेटी को जन्म दिया जो कोठे में ही काम करने वाली रतन सिंह की बेटी थी उसी बच्ची का नाम शमशाद रखा गया। अब सवाल ये है कि शमशाद कौन थी? तो वो सायरा बानो के जन्म के बाद उनकी नानी बनी। शमशाद बचपन से एक खूबसूरत थी जब वो बारह-तेरह साल की हुई तो उनकी माँ ने उन्हें कोठे पर बैठा दिया।

यहाँ वो छमिया बाई के नाम से मशहूर हुई उनकी खूबसूरती के दीवाने दूर-दूर के नवाब और अंग्रेज अफसर हुआ करते थे यहाँ तक कि एक बार तो छमिया बाई के लिए अब्दुल वाहिद रहमान जो कि हसनपुर के रईस थे उनकी बहस एक अंग्रेज अफसर से हो गई उन्होंने कहा था कि छमिया बाई उनके अलावा किसी के सामने नहीं नाचेंगी वहीं इस पर शर्त रखी गई कि जो सबसे ऊंची बोली लगाएगा छमिया बाई उसकी हो जाएंगी इस बोली में वाहिद खान ने ऊंची बोली लगाकर छमिया बाई को जीत लिया

इसके बाद वो अपने बंगले पर उन्हें लेकर आ गए यहां उन्होंने एक जन्म दिया जिसे रोशन आरा नाम दिया गया लेकिन बाद में वो नसीम बानो के नाम से मशहूर हुई नसीम बानो बॉलीवुड की popular अभिनेत्री थी छमिया बाई कुछ सालों के बाद बेटी नसीम के साथ मुंबई चली आयी नसीम को बचपन से ही heroine बनने का शौक था मुंबई आने के बाद वो अपनी माँ के साथ शूटिंग देखने के लिए जाती थी इसी बीच एक दिन सौरव मोदी की नजर नसीम पर पड़ी उस समय वो ग्यारहवीं क्लास में पढ़ रही थी वो उन्हें फिल्म ऑफर करना चाहते थे

ऐसे में किसी तरह से माँ छमिया को उन्होंने मना लिया हमने कई हिट फिल्मों में उसके बाद काम किया और इंडस्ट्री में ही उन्हें बाद में नसीम बानो के नाम से जाना गया वो इंडियन सिनेमा की सफल अभिनेत्री रही उन्हें the first queen of Indian cinema का टैग भी दिया गया था अब सायरा बानो नसीम बानो की ही बेटी है और नसीम ने उस जमाने में एहसान उलहक से शादी की थी तो ये है बॉलीवुड का तवायफों के खानदान से connection।

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टाइगर श्रॉफ को घर बुलाकर काम दिया

जिस नेपोकिट का कोई नहीं उसका तो करण जौहर है यारों। जी हाँ, एक बार फिर करण जौहर ने इस बात को साबित कर दिया है कि जिस नेपो किट को काम नहीं मिलेगा, वो उसके दरवाजे पर जाएंगे और उसको काम देंगे। अब ये बात कही जा रही है, टाइगर श्रॉफ के बारे में। कुछ दिन पहले खबर ये आई थी कि टाइगर श्रॉफ के पास काम नहीं है, फिल्में नहीं है।

इतना ही नहीं उससे कहा गया है कि अपनी फीस को आप seventy परसेंट तक घटा दीजिए, यानी जो आप तीस करोड़ ले रहे हैं, उसको आप नौ करोड़ पर ले आएं, तो शायद आपको काम मिल जाए, लेकिन अब जो ताजा खबर आ रही है, वो ये है कि करण जौहर ने finally घर बैठे nepo kid को घर पे जाकर काम दे दिया है। दो हजार पच्चीस में फिल्म release होगी करण जौहर फिल्म बनाएंगे।

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टाइगर श्रॉफ के साथ और खबर ये भी आ रही है कि रोहित शेट्टी की फिल्म एसीपी सत्या जो कि उनकी कॉप यूनिवर्स वाली एक और फिल्म होगी उसमें भी टाइगर श्रॉफ दिखेंगे। दोस्तों आप सोच सकते हैं कि बॉलीवुड से या करण जौहर से या इन nepo kids को बार-बार काम दिए जाने से आप कौन सा सबक सीख सकते हैं तो मैं आपको बता दूँ कि इनसे अगर आपको एक सबक सीखना है तो ये सीखिए कि हमारे देश में जो नफरत की राजनीति होती है जहाँ एक दूसरे से लोग एक दूसरे को भिड़ाने में लगे रहते हैं

ऐसे में ये जो करण जौहर हैं या जो नेपोकिट को बार-बार मिलता हुआ काम हैं वो हमें इस बात का एक संदेश देते हैं कि अगर मिलजुल कर रहे तो नालायकों को भी काम मिल जाता हैं लायकों की तो फिर बात ही क्या करे दोस्तों भाईचारा क्या होता हैं ये शायद हमें बॉलीवुड से सीखने की जरूरत हैं क्योंकि हमारे देश में जिस तरह से नफरत की राजनीति चल रही हैं एक से अलग करने की कोशिशें रहती है political पार्टीज की ताकि उनका उल्लू सीधा होता रहे ऐसे में अगर करण जौहर से हम कुछ सीख सकते हैं या बॉलीवुड से कुछ सीख सकते हैं तो वो ये कि हमें कैसे आपस में भाईचारा कायम रखना चाहिए.

मतलब दुनिया जानती है कि टाइगर श्रॉफ को बिल्कुल एक्टिंग नहीं आती टाइगर श्रॉफ एक्सप्रेशनलेस फेस के मालिक हैं तब भी उन्हें एक्टिंग के प्रोफेशन में बार-बार काम दिया जा रहा है सिर्फ इसलिए क्योंकि वो इंडस्ट्री के बच्चे हैं यानी कोई है जिसे इस की फिक्र है कि हाँ ये हमारी industry का बच्चा है, इसको काम मिलना चाहिए, इनके पिताजी तो बच्चा-बच्चा करते रहते हैं, अब इनको भी बच्चा-बच्चा कहकर कोई गोद में खिलाने वाला मिल गया है,

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करण जौहर, करण जौहर ने स्टूडेंट ऑफ द इयर टू भी इनके साथ बनाई थी तो कुल मिलाकर मामला ये है कि करण जौहर एक नालायक actor को फिर से actor बनाने में तुले हुए हैं और इस पर करोड़ों रुपया भी खर्च करेंगे और ये सब तब हो रहा है जबकि हमारे देश में बहुत सारे ऐसे actors हैं जिन्हें acting आती है जो बहुत अच्छी acting कर सकते हैं लेकिन उनके पास कोई popular surname है इसलिए करण जौहर इस बात को साबित कर रहे है कि अगर आप industry के बच्चे है तो हम आपको काम देंगे सिर्फ इसलिए क्योंकि आपके नाम के आगे श्रॉफ लगा है

बाकी तो दुनिया जानती है कि टाइगर श्रॉफ ने ना तो पहले कभी एक्टिंग की ना आगे कभी कर सकते है क्योंकि पिछले कई सा लो से उन्हें सिर्फ relaunch किया जा रहा है, हर फिल्म में वो फीके साबित होते है सिवाय बॉडी दिखाने के टाइगर श्रॉफ के पास कोई भी गुण नहीं है जिस वजह से उन्हें स्क्रीन पर देखा जाना चाहिए लेकिन ये सारी खबर मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ ताकि समझ सकें। कि बॉलीवुड में किस तरीके से नालायक actors को भी काम मिलता है। अगर इससे भी हमें कुछ सीखना है तो ये सीखिए कि भाईचारे से रहना किसे कहते हैं। शायद हमारे देश के लोग इससे कुछ सबक सीख सकें और इस बात को समझ सकें कि भाईचारे में कितनी ताकत होती है? मतलब आप नालायक व्यक्ति को भी काम दे सकते हैं।

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गजनी में सलमान खान थे पहली पसंद! | Salman Khan was the first choice in Ghajini!

सुपरहिट फिल्म गजनी के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन गजनी के बारे में एक बहुत मजेदार बात इसी फिल्म में काम करने वाले प्रदीप रावत ने एक interview के दौरान बताई है वो बताते हैं कि इस फिल्म में पहले सलमान खान होने वाले थे जी हाँ असल में जिनकी गजनी फिल्म तमिल में बहुत बड़ी सुपरहिट हो गई थी और फिर जब उन्होंने हिंदी में इस फिल्म को बनाने का प्लान किया तो उन्होंने discussion किया इसी फिल्म के actor प्रदीप रावत से प्रदीप रावत इसके तमिल version में भी काम कर चुके हैं और उन्होंने हिंदी version में भी काम किया था उन्होंने ये कहा कि मैं हिंदी बनाना चाहता हूँ गजनी लेकिन मैं सलमान खान के साथ बनाना चाहता हूँ तो प्रदीप रावत ने कहा कि देखिए आप सलमान खान के साथ काम कर नहीं पाएंगे।

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तो मृग दास ने पूछा कि ऐसा क्यों? तो उन्होंने कहा देखिए आपको ना तो अच्छे से हिंदी आती है और ना ही अंग्रेजी आती है। सलमान खान का जो गुस्सा है बहुत तेज है हो सकता है आपका उनके साथ झगड़ा हो जाए आप उन्हें कोई scene समझा रहे हैं और ना समझा पाएं इसलिए आप कोशिश कीजिए और आप approach कीजिए आमिर खान को और उसके बाद उन्होंने आमिर खान को approach किया और आप जानते ही हैं गजनी कितनी बड़ी सुपरहिट फिल्म बनी।

लेकिन अब एक मामला ये है कि दोस जो है उनका सपना पूरा हो रहा है सलमान खान को direct करने का सिकंदर में जो सलमान खान की अगली आने वाली फिल्म है जो अगले साल ईद पर release होगी उसमें सलमान खान को direct कर रहे है और ये कहा जाता है कि दोस जब पहली बार आमिर खान से मिलने पहुंचे थे अह गजनी के बारे में narrate करने के लिए तो वो बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह behave कर रहे थे अभी आमिर खान ने हाल ही में कपिल शर्मा के interview में ये बात बताई उन्होंने कहा कि जब उनसे मिलने आए तो बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह बैठे थे बहुत ज्यादा excited थे और उन्होंने ये भी कहा कि एक ऐसे इंसान है

जिनके दिमाग में कोई फ़िल्टर नहीं है वो जो सोचते हैं बिल्कुल वैसा ही बोल देते हैं बिना ये सोचे कि सामने वाले को अच्छा लगेगा या बुरा दोस्तों ये एक अच्छी क्वालिटी भी होती है और ये खराब क्वालिटी भी होती है क्योंकि अक्सर आपसे लोग झगड़ा करने लगते हैं तो मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि आप अगर किसी ऐसे इंसान से मिले जिसके दिमाग में और जुबान के बीच में कोई फ़िल्टर ना हो जो जैसा सोचे वैसा बोल दे तो एक आप इसे अच्छी आदत कहेंगे या खराब कहेंगे।

बाकी इतना है कि हाँ सिकंदर में जब सलमान खान को direct कर रहे हैं तो का ये काम देखने का इंतजार रहेगा। मुझे याद है आमिर खान का मैंने दो हजार आठ में जब interview किया था गजनी release होने के बाद उस वक्त उन्होंने ये कहा था कि मैंने बहुत बड़ा risk लिया के साथ काम करके क्योंकि को उस वक्त कोई जानता ही नहीं था। हिंदी फिल्म industry में फिर भी आमिर खान को लगा कि ये एक ईमानदार व्यक्ति है। अपने काम के प्रति ईमानदार है।

तो ये एक बहुत अच्छा सिनेमा लेकर आएंगे और जाहिर है कजनी जिस तरह hit हुई थी सब जानते है तो दोस्तों मैं जानना चाहता हूँ कि film industry में जहाँ पर बहुत से ऐसे कम बहुत ही कम लोग है ऐसे जो जैसा सोचते है वैसा बोल देते है ऐसी industry में अगर कोई व्यक्ति सफल है फिल्मकार है और वो इतना दिल का सच्चा है.

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राजकुमार राव ने बताया किस नेपो किड ने छीनी फ़िल्म ? | Rajkumar Rao told which Nepo Kid snatched the film?

राजकुमार राव ने एक किस्सा शेयर किया है जिसमें वो बता रहे हैं कि एक वक्त ऐसा था जब उन्हें एक फिल्म के लिए sign किया गया लेकिन बाद में उन्हें इस फिल्म से निकाल दिया गया क्योंकि उस फिल्म में उनकी जगह एक स्टार किड को ले लिया गया था। वो बात अलग है कि वो फिल्म कभी बनकर तैयार ही नहीं हुई लेकिन आप सोचिए कि राजकुमार राव जब ये किस्सा सुनाते हैं। तो वो इस मुकाम पर खड़े हैं कि आज वो बॉलीवुड के एक जाने पहचाने अभिनेता हैं।

अब आप सोचिए उन लोगों के बारे में जिनके साथ ऐसा हुआ होगा, जिन्हें sign किया गया होगा, किसी फिल्म के लिए किसी स्टार किट के लिए निकाल दिया गया होगा। और वो किस्से आप तक कभी पहुंचे ही नहीं क्योंकि उन्हें सुनाने वाले ही अब मौजूद नहीं है। लेकिन आज राजकुमार राव के मुंह से ये किस्सा सुनना कि इंडस्ट्री में ऐसा होता है पहले आपको साइन किया जाता है फिर किसी स्टार किट के लिए आपको बाहर निकाल दिया जाता है।

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सोचिए ना जाने कितने लोगों की जिंदगियां और कैरियर इस तरह से बर्बाद हुए होंगे और सबसे बड़ी बात ये है कि उन किस्सों को सुनाने के लिए आज वो लोग आपके बीच मौजूद भी नहीं है क्योंकि शायद वो लोग उस इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना जो आए थे struggle करने किसी तरह जगह बनाई थी लेकिन बाद में उन्हें निकाल दिया गया किसी को ले लिया गया और उनके किस्से हमेशा के लिए उनके सीने में दफन होकर रह गए

ये काला सच जो है बॉलीवुड का ये आपको मैं इसलिए बता रहा हूँ कि इस इंडस्ट्री में ऐसे बहुत से चेहरे हैं ऐसे बहुत से लोग हैं जो यहाँ अपनी पहचान बनाने के लिए आए थे लेकिन यहाँ जो nepotism का चलन है जो बड़े-बड़े स्टार किट्स अपनी किस्मत बार-बार आजमाना चाहते हैं कई बार फ्लॉप होने के बाद उन्हें बार-बार रिलॉन्च जाता है उनकी वजह से बहुत से मेहनतकश अभिनेता इस इंडस्ट्री में अपना नाम नहीं बना पाते, उन्हें काम करने का मौका नहीं मिलता और उन्हें आपके सामने अपनी कला को प्रदर्शित करने की कोई अवसर नहीं दिए जाते।

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ये सच जो राजकुमार राव ने बताया है, वो सिर्फ एक कहानी नहीं है, सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि ऐसा न जाने कितनों के साथ हुआ होगा। और वो सारी कहानियां भी आपके लिए सुनना बाकी हैं। धीरे-धीरे करके आने वाले समय में ऐसे बहुत से चेहरे आएंगे जो आपको इंडस्ट्री का काला सच बताएंगे।

तो ये industry जहाँ पर एक बहुत छोटी सी शुरुआत करने के लिए भी बहुत सा लो का संघर्ष लगता है वहाँ अगर कोई सिर्फ अपने surname के बल पर आपसे जीत जाए तो दिल में कसक तो रह ही जाती है Rajkumar Rao कहते है कि जिस फिल्म से उन्हें निकाला गया था वो फिल्म कभी बन नहीं पाई। वो कहते है ये है कर्मा। लेकिन आप सोचिए कि आज राजकुमार राव ने अगर इतनी बड़ी बात बताई है तो अकेले नहीं है वो जिनके साथ ऐसा हुआ है ऐसे बहुत से लोगों के साथ अब तक होता रहा है और शायद वो कहानियां हम तक कभी पहुंचेगी भी नहीं है.

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सहारा स्कैम नाम पर सीरीज बनाने वाले हंसल मेहता को नोटिस | Notice to Hansal Mehta, who made a series on Sahara Scam

फिल्म maker हंसल मेहता की upcoming series scam twenty ten द सुब्रत रॉय सागा को लेकर सहारा इंडिया परिवार की तरफ से एक स्टेटमेंट जारी किया गया है स्टेटमेंट में कहा गया है कि सुब्रत रॉय के नाम से series की announcement करना अपमानजनक है और ये एक ओछी हरकत है इसके लिए वो series बनाने वाले प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के खिलाफ legal action लेने वाले हैं स्टेटमेंट में ये भी कहा गया है कि सुब्रत रॉय का केस अभी कोर्ट में pending है ऐसे में बिना आए उन्हें नेगेटिव तौर पर कैसे दिखाया जा सकता है।

मेकर्स ने एक ऐसे आदमी का reputation खराब करने की कोशिश की है जो अपना पक्ष रखने के लिए अब इस दुनिया में मौजूद नहीं है। आपको बता दें कि दो दिन पहले डायरेक्टर हंसल मेहता ने स्कैम सीरीज के तीसरे पार्ट की घोषणा की थी मोशन पोस्टर में बताया गया कि इस बार कहानी सुब्रत रॉय के घोटाले की दिखाई जाएगी।

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इसी को लेकर सहारा इंडिया परिवार ने कड़ी आपत्ति जताई है। मेकर्स ने चीफ पब्लिसिटी के लिए सुब्रत रॉय के नाम किया है सबको पता है कि अभी सहारा का सेवी के साथ केस चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट भी अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है तो बिना किसी फैसले के इस पर सीरीज का announcement करना खुद ही कोर्ट की अवमानना है ऐसा मानना है।

सहारा इंडिया परिवार का फ्रीडम of स्पीच और expression के नाम पर किसी की छवि के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। वो भी उस व्यक्ति के साथ जो कि अपना पक्ष रखने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं है। सीरीज में का इस्तेमाल सहारा के लिए करना एक आपराधिक कृत्य है। सहारा इंडिया परिवार ने किसी के साथ कोई चीटिंग नहीं की है ऐसा कहना है सहारा इंडिया परिवार का हंसल मेहता ने सोलह मई के दिन series के तीसरे पाठ का ऐलान किया था उन्होंने ट्वीट के जरिए बताया कि इस बार वो सुब्रत रॉय सहारा की कहानी आप सबके लिए लेकर आ रहे हैं।

हंसल ने दो हजार बीस में इस camp series की शुरुआत की थी पहले पाठ में उन्होंने हर्षद मेहता की स्टोरी दिखाई वहीं दूसरे पार्ट में stories जो थी वो स्टैम्प अह जो स्कैम हुआ था उसके मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी पर आधारित थी सुबुत रॉय सहारा ने nineteen seventy eight में सिर्फ दो हजार रुपए के साथ अपना बिजनेस शुरू किया था देखते ही देखते उन्होंने अरबों का साम्राज्य खड़ा कर दिया एक समय में सहारा देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक थी लोग इस कंपनी में अपना पैसा इन्वेस्ट किया करते थे दो हजार चौदह में सुप्रीम कोर्ट ने सुबूत रॉय सहारा को चौबीस हजार चार सौ करोड़ रुपए निवेशकों को लौटा कहा था चौदह नवंबर दो हजार तेईस के दिन सुभ्रत रॉय का मुंबई में निधन हो गया उनकी कंपनी में काम करने वाले लोग उन्हें सहारा श्री के नाम से पुकारते थे

आज भी बहुत सारे लोग हैं जिनका पैसा सहारा में अटका है वापस नहीं मिला है और आज भी वो लोग वर्षों से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें उनकी मेहनत की कमाई वापस मिलेगी ऐसे में हंसल मेहता ने जब स्कैम की घोषणा की कि वो सुब्रत रॉय सहारा पर बना रहे हैं तो बहुत से लोगों को उम्मीद जगी थी कि शायद की कहानी लोगों के सामने आएगी लेकिन अब जब ये नोटिस का जवाब देंगे हंसल मेहता तभी पता चलेगा कि आगे ये शो की ये जो series है सुब्रत रॉय सहारा पर आधारित क्या वो वाकई बन पाएगी या नहीं।

मुझे तवायफ पसंद है: संजय लीला भंसाली | I like courtesans: Sanjay Leela Bhansali

मुझे तवायफ पसंद है: संजय लीला भंसाली | I like courtesans: Sanjay Leela Bhansali

संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्मों में कई बार तवायफों या फिर सेक्स workers के किरदार शामिल किए हैं। फिल्म सांवरिया में रानी मुखर्जी हो या देवदास में माधुरी दीक्षित गंगू बाई काठियावाडी में आलिया भट्ट हो या फिर हिरा मंडी के कई सारे अलग-अलग किरदार संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्मों के जरिए तवाइफों के किरदारों का एक अलग ही पहलू दुनिया के सामने रखा है।

अब ये जो भंसाली साहब हैं ये इस बात का ऐलान कर रहे हैं कि उनका सेक्स workers से आखिर इतना लगाव क्यों है? इतना रुझान क्यों है? ओटीटी platform release हुई अपनी वेब series हिरा मंडी द डायमंड बाजार के दुनिया भर में popular होने के बाद उन्होंने एक स्टेटमेंट दिया है एक interview में जिसमें वो कहते हैं कि मुझे लगता है कि ये वो औरतें हैं जिन्होंने अपने भीतर बहुत से रहस्यों को छुपा कर रखा है उनके किरदारों में कई परतें हैं तवायफें या फिर वैश्याएं ये सब अलग-अलग हैं।

लेकिन इन सभी के भीतर एक अलग तरह की ताकत होती है जिसमें मेरी बहुत दिलचस्पी है मुझे वो power बहुत आकर्षित करती है कि महिलाएं कितनी दिलचस्प हैं वो कहाँ हैं, कहाँ नाचती हैं, वो कहाँ खुद को बयान करती हैं? उनके नृत्य और गाने में उनका दर्द झलकता है।

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संजय लीला भंसाली ने बताया कि उन्हें जीने की कला आती है। जी हाँ, वो कहते हैं तवायफों और वेश्याओं को जीने की कला आती है, उन्हें शिल्प कला आती है, उन्हें कढ़ाई-बुनाई आती है और जिस तरह की वो ज्वेलरी पहनती है। वो कुछ अलग ही है। वो कहते हैं हम लोग क्या हैं?

हम लोग आर्टिस्ट लोग हैं। हमको आप और चाहे कुछ भी भांड बोल सकते हैं, आप हमें कुछ भी बोल सकते हैं लेकिन मुझे तो तवायफों में ही interest है और भंसाली कहते हैं मैंने उस चीज की रचना की है जो अपने आप में रहस्यों से भरी है, भंसाली ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे ये चेहरे यानी ये वेश्याएं बहुत आकर्षित करती हैं, वहाँ पर जो राशन की लाइन में चार middle class housewife खड़ी होती हैं, मुझे वो आकर्षित नहीं करती, मुझे तो ये तवाइफ़ें ही आकर्षित करती हैं।

संजय लीला भंसाली ने आजम में मधुबाला और अदालत में तत्व को लेकर प्रभावित रहने की बात भी बताई है, उन्होंने कहा कि वो वी शान्तराम की फिल्मों से भी प्रभावित रहे हैं और खास तौर पर उन्हें अह ऋत्विक घटक की मेघे ढाका से भी काफी प्रभावित होने का मौका मिला, उनका ये कहना है कि मेरे जो किरदार हैं ये इसीलिए उस असल जिंदगी से आते हैं, जिससे मैं प्रभावित होता हूँ

और संजय लीला भंसाली साफ तौर पर कहते हैं कि राशन की लाइन में लगी चार middle class housewife उन्हें प्रभावित नहीं करती जबकि तवायफें उन्हें आकर्षित करती हैं क्योंकि उनके किरदार में कई परतें होती हैं तो ये उन लोगों के लिए जवाब है जो अक्सर पूछते हैं कि संजय लीला भंसाली को आखिर तवाइफों में इतना interest क्यों है वो कहते हैं कहानीकार के मौके के तौर पर मुझे मौका मिलता है उनकी कहानियाँ आप तक पहुँचाने का.

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अक्षय कुमार ने राजकुमार राव को एक्टिंग क्लास शुरू करने की सलाह

श्रीकांत में राजकुमार राव की एक्टिंग देखकर अक्षय कुमार ने उन्हें सलाह दी है कि वो एक्टिंग क्लासेज लेनी शुरू कर दें। बहुत अच्छी बात है कि अक्षय कुमार ने इस बात की जरूरत महसूस की कि हाँ इस industry में किसी को acting सिखाने की भी जरूरत है और बहुत हद तक अक्षय कुमार को भी एक्टिंग सिखने की जरूरत है क्योंकि अक्षय कुमार जब भी कोई फिल्म करते हैं वो अक्षय कुमार बनकर ही करते हैं जैसे उन्होंने पृथ्वीराज की थी जिसमें वो पृथ्वीराज लग ही नहीं पाए क्योंकि वो सिर्फ अक्षय कुमार ही लग रहे थे।

जब आप जल्दबाजी में कोई फिल्म खत्म करते तो आप उसके character की स्किन में नहीं जा पाते। और वहां पर आपको लगता है कि हाँ आपको एक्टिंग सीखने की जरूरत है तब जबकि आप किसी दूसरे एक्टर को एक बेहतरीन फिल्म में काम करते हुए देखते हैं।

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दोस्तों मुझे लगता है कि अक्षय कुमार को सबसे पहले राजकुमार राव से वाकई एक्टिंग की ट्रेनिंग लेने की जरूरत है और वाकई राजकुमार राव को एक्टिंग सिखानी चाहिए ताकि ये जो हमारे करोड़ों रुपए लेने वाले सो कॉल्ड बड़े-बड़े नाम है जो hundred करोड़ clubs के member समझे जाते हैं उनके अंदर थोड़ी बहुत एक्टिंग जो गुण है वो दिखाई देने लगे, वाकई श्रीकांत देखकर आए सभी लोगों ने राजकुमार राव की काफी तारीफ की है और मुझे लगता है।

कि अगर बॉलीवुड के बाकी के so called बड़े स्टार्स। जिनकी हकीकत ये है कि वो एक्टिंग से कोसों दूर रहते हैं, ज्यादातर hundred clubs वालों का यही हाल है, आप सलमान खान को ले लें, अक्षय कुमार को ले लें, ये एक्टिंग से हमेशा दूर रहें हैं। इन्होंने अपने स्टारडम को इस्तेमाल करने की कोशिश की है, लेकिन वाकई जब कोई एक्टर आकर पर्दे पर एक्टिंग करता है, तो ये बगले झांकने लगते हैं, कि अरे इसे कहते हैं एक्टिंग,

शायद यही एहसास अक्षय कुमार को हुआ होगा और इसीलिए उन्होंने इतना बड़ा स्टेटमेंट दिया कि राजकुमार राव को अब एक्टिंग सिखानी शुरू कर देनी चाहिए इसकी अगली लाइन ये होनी चाहिए कि अक्षय कुमार को अब एक्टिंग सीखनी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि फिल्मों में एक लंबी पारी खेल लेने का मतलब ये नहीं कि आप एक्टर बन गए हैं।

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आपने लगातार कई फिल्में फ्लॉप दी हैं और उसकी वजह ये है कि आप कई बार पैसा छापने के लिए फिल्में करते हैं लेकिन नतीजा फिर बड़े मियां छोटे मियां जैसा होता है जिसको बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नसीब नहीं हुआ मिलाकर राजकुमार राव अगर acting सिखाने का फैसला करते हैं, तो शायद सबसे पहले उस स्कूल में दाखिला अक्षय कुमार को लेने की जरूरत है, जिन्हें वाकई ये समझने की जरूरत है कि फिल्मों में आप जब कोई character करते हैं, तो आपको वो character बन जाना होता है, ना कि आप वो नाम रह जाएं, जो कि आप हैं।

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बॉलीवुड में अब काम नहीं मिलेगा! – टाइगर श्रॉफ

लोग nepotism के नाम पर बॉलीवुड को गालियां क्यों देते हैं? इसका सबसे बड़ा उदाहरण है खुद टाइगर श्रॉफ। जिन्हें इंडस्ट्री में सिर्फ इस वजह से काम मिलता है क्योंकि उनके नाम के आगे श्रॉफ लगा है। वही श्रॉफ जो जैकी के आगे लगा है यानी जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ जिनके acting skills poor हैं। जो डायलॉग्स नहीं बोल सकते और जिनके अंदर एंटरटेनमेंट करने की कोई महारथ नहीं है उन्हें इतने सा लो से काम मिल रहा है अब नौबत ये आ गई है कि उनके पास काम नहीं हाल ही में उन्होंने सबसे बड़ी फ्लॉप दी है BMCM बड़े मियाँ छोटे मियाँ और इस फ्लॉप फिल्म में उन्होंने जो काम करने की फीस ली वो करीब तीस करोड़ रूपए थी

अब उनसे कहा जा रहा है कि अगर आपको सरवाइव करना है तो आप अपनी फीस को सत्तर फीसदी से ज्यादा घटा दीजिए तब आप उम्मीद कीजिए कि आपको कोई फिल्म देगा वरना यूँ ही ठनठन गोपाल बैठे रहिए कुल मिलाकर मामला ये है कि पिछले काफी समय से लगातार फ्लॉप फिल्म में दिए जा रहे टाइगर श्रॉफ के पास अब काम नहीं है और अब बाकी प्रोड्यूसर्स को भी ये समझ में आने लगा है कि popular surname आगे लगे होने से public आपको देखने नहीं आती है।

बड़े मिया छोटे मिया बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 7 दिन | Bade Miya Chote Miya Box Office Collection 7 Days

अगर ऐसा होता तो लोग इरफ़ान खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपई, इनकी फिल्में देखने नहीं जाते क्योंकि इनके आगे लगा हुआ surname किसी popular बॉलीवुड family का नहीं है। ये उन लोगों के लिए भी सबक है, जो सिर्फ इसलिए फिल्म इंडस्ट्री में आ जाते हैं, क्योंकि उनके घर वाले इस इंडस्ट्री में काम करते हैं, भले उनके अंदर कोई गुण हो या ना हो। टाइगर श्रॉफ इस का जीता जागता example है।

अगर वो किसी और field में चले जाते तो शायद थोड़ी बहुत success मिल जाती बजाय फ्लॉप हीरो होने के क्योंकि फ्लॉप एक्टर भी उन्हें कहा नहीं जा सकता क्योंकि ये एक्टिंग की बेइज्जती होगी, एक्टिंग शब्द की बेइज्जती होगी अगर उन्हें जैकी श्रॉफ के साथ जोड़ा जाए वहां तक तो ठीक है लेकिन जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ के साथ आप एक्टिंग शब्द को नहीं जोड़ सकते।

क्योंकि आज तक किसी ने भी टाइगर श्रॉफ को एक्टिंग करते हुए नहीं देखा। कैमरे के सामने वो दो-चार उछल कूद करते हैं, थोड़े बहुत फाइट सीन्स करते कुल मिलाकर अपनी बॉडी दिखाने के लिए डांस करते हैं लेकिन उनके अंदर ना तो कोई एक्टर है और ना ही उन्हें डायलॉग डिलीवरी आती है और यही वजह है कि अब कोई भी प्रोड्यूसर उन पर पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं है, नौबत ये आ गई है कि टाइगर श्रॉफ को अब अकेले में बैठकर सोचना पड़ेगा कि उनको आगे करना क्या है?

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शायद इसीलिए उन्होंने वो गुटखे का एड किया है, क्योंकि वो जानते हैं कि कैमरे के सामने रहना है, तो कभी गुटका बेचना पड़ेगा, कभी साबुन बेचना पड़ेगा, क्योंकि कोई फिल्म में तो उनको लेने से रहा क्योंकि फिल्म एक बहुत बड़ा बिजनेस है, आप पर बहुत सा पैसा लगता है उसके बाद उम्मीद ये की जाती है कि आप कुछ लोगों को उनके घरों से खींचकर सिनेमा हॉल तक लाएंगे लेकिन टाइगर श्रॉफ के अंदर वो काबिलियत नहीं है अब ये बॉलीवुड को बात धीरे-धीरे समझ में आने लगी है और शायद इसी तरह बॉलीवुड को बहुत कुछ ये भी समझ में आएगा कि एक पॉपुलर सरनेम वाले किसी हीरो को या हीरोइन को ले लेने से फिल्में नहीं चलती।

लोगों के पास पुख्ता वजह होनी चाहिए कि वो उस फिल्म को देखने क्यों जा रहे हैं? जो शायद टाइगर श्रॉफ अब नहीं दे सकते। आज टाइगर श्रॉफ का करियर जिस हद से होकर गुजर रहा है उसमें जरूरत है उन्हें अकेले बैठकर ये वाकई वो सिर्फ फिल्मों में ही काम करना चाहते हैं या कुछ और रोजगार भी तलाश सकते हैं। बेहतर होगा कि अगर वो कोई और काम करने की कोशिश करें जो वो अच्छे से कर पाएं क्योंकि फिल्मों में वो कैसा काम करते हैं ये हमने देख लिया। अकेले उनके बल पर फिल्म हिट हो जाए, चल जाए, ये संभव नहीं।

अक्षय कुमार जैसे के साथ आए वहां भी फ्लॉप तो कुल मिलाकर अब टाइगर श्रॉफ को ब्रेक लेने की जरूरत है, डांस अच्छा करते हैं, कहीं डांस इंस्ट्रक्टर बन जाए, फाइट सीन अच्छे कर लेते हैं, कहीं एक्शन डायरेक्टर बन जाए, या बॉडी अच्छी बना कहीं किसी को जिम में ट्रेनर हो जाए। लेकिन क्या वो वाकई एक्टिंग करना चाहते हैं? ये उन्हें रुक कर खुद से पूछना होगा।

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“चंदू चैंपियन” एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है

फिल्म “चंदू चैंपियन” की कहानी कार्तिक आर्यन के लिए एक अनूठा अनुभव रहा होगा। जब उन्होंने इस कहानी को सुना, तो वह अपने अंतर्दृष्टि में समाहित हो गए। इस फिल्म ने उन्हें विचार करने पर मजबूर किया कि कैसे एक व्यक्ति की संघर्ष और समर्पण उसे अद्वितीय उपलब्धियों तक पहुँचा सकते हैं।

“चंदू चैंपियन” एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है, जो हर किसी के लिए अलग होता है। कार्तिक आर्यन ने भी इस कहानी को अपने अपने तरीके से अनुभव किया। उन्हें लगा कि चंदू के किरदार की यात्रा और उनकी संघर्षों ने उन्हें एक नई दिशा में ले जाने की क्षमता दी।

कहानी में, चंदू एक सामान्य लड़का है जो क्रिकेट में अपनी पहचान बनाना चाहता है। लेकिन उसकी राह में कई चुनौतियाँ हैं। वह अपने सपने की प्राप्ति के लिए असंख्य परिश्रम करता है और अपनी मेहनत और संघर्ष में उत्साहित रहता है।

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कार्तिक आर्यन को इस कहानी में चंदू के किरदार की जीवनी में सहानुभूति मिली। उन्होंने उसके उत्साह, उन्नति और आत्म-समर्पण से प्रेरित होकर अपने अपने जीवन में भी नए दृष्टिकोण देखे। उन्हें यह भी अनुभव हुआ कि हर किसी का सफलता का माप समान नहीं होता है और हर किसी के पास अपनी कहानी होती है।

चंदू की कहानी ने कार्तिक आर्यन को यह भी सिखाया कि विफलता या सफलता का माप उसके परिश्रम और संघर्ष पर निर्भर करता है, न कि उसकी आउटवर्ल्ड के मानकों पर। उन्होंने भी यह समझा कि विफलता केवल एक नतीजा है, न कि अंत है। चंदू की कहानी ने कार्तिक को एक नई दृष्टिकोण दिया और उन्हें आत्म-समर्पण की भावना से प्रेरित किया।

चंदू की कहानी में उन्हें एक संदेश मिला कि सफलता की दिशा में जाने का मार्ग विशेष होता है, और वह उसे अपने अंतर्दृष्टि से ढूंढना पड़ता है। यह कहानी उन्हें सिखाती है कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए संगीन और संघर्ष की आवश्यकता होती है, और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।

कार्तिक आर्यन ने चंदू की कहानी से विचारशीलता, समर्थन, और संघर्ष की महत्वपूर्णता को समझा। उन्हें यह भी सिखाया कि कोई भी सपना साकार करने के लिए समर्पितता और परिश्रम आवश्यक होता है। उन्होंने इस फिल्म के माध्यम से एक नया उत्साह प्राप्त किया और अपने अंतर्दृष्टि को मजबूत किया।

चंदू चैंपियन ने कार्तिक आर्यन के द्वारा एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया, जो उन्हें अपने सपनों की प्राप्ति के लिए नई ऊर्जा प्रदान करता है। यह कहानी उन्हें सिखाती है कि जीवन में असफलता और संघर्ष का सामना कैसे किया जाए और अंत में सफलता की प्राप्ति कैसे की जाए।

चंदू चैंपियन की कहानी ने कार्तिक आर्यन को नई प्रेरणा और उत्साह प्रदान किया। इस कहानी ने उन्हें एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया और उन्हें सिखाया कि किसी भी मुश्किल परिस्थिति में आत्म-समर्पण और संघर्ष से कैसे निकला जाए।

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कोर्ट का फैसला जैकी श्रॉफ की नकल करने वालों को होगी जेल!

दिल्ली हाई कोर्ट ने जैकी श्रॉफ की याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है, कोर्ट ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति कंपनी या सोशल मीडिया साइट बिना जैकी श्रॉफ की permission के उनका नाम, उनकी तस्वीर या उनकी आवाज का इस्तेमाल नहीं कर सकता। कोर्ट का कहना है कि अपने व्यावसायिक लाभ के लिए यानी commercial फायदे के लिए जैकी श्रॉफ की पहचान का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।

जाहिर है जैकी श्रॉफ ने हाल ही में दिल्ली high court में एक याचिका लगाई थी जैकी की दलील थी कि कुछ सोशल मीडिया handles एआई की मदद से उनकी पहचान का इस्तेमाल करके खूब पैसा कमा रहे हैं, इसके अलावा उनसे कुछ नाम जैसे जैकी, भिड़ू और जंगू दादा का पब्लिक प्लेटफार्म पर मिस use किया जा रहा है। इसी को रोकने के लिए जैकी श्रॉफ ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने पंद्रह मई को सुनाए गए अपने फैसले में उन तमाम लोगों और कंपनियों को नोटिस जारी किया है। जो बिना परमिशन जैकी श्रॉफ की पहचान का इस्तेमाल करते आए हैं। कोर्ट ने माना है कि एक सेलेब्रिटी के तौर पर जैकी श्रॉफ के पास अपनी इमेज को protect करने के पूरे अधिकार हैं और अगर कोई उनके नाम का या उनक पहचान का इस्तेमाल करके गलत तरीके से पैसा कमाता है तो फिर जैकी श्रॉफ के पास पूरा का पूरा अधिकार है कि वो उसके खिलाफ एक्शन ले सकें।

जैकी श्रॉफ ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी तस्वीरों का उपयोग करके कई सारे आपत्तिजनक memes बनाए गए हैं और उनकी आवाज का भी इसी तरह दुरूपयोग किया गया है, इसके अलावा उनकी इमेज का उपयोग करके अश्लील कंटेंट भी बनाया जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले को तुरंत अपने संज्ञान में लिया था। मैं आपको बता दूँ कि personality rights को लेकर celebrities पहले से ज्यादा जागरूक हुए हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल अमिताभ बच्चन का नाम, आवाज और फोटो उनकी permission के बिना इस्तेमाल किए जाने पर रोक लगाई थी, कोर्ट ने ये अंतरिम आदेश उनकी याचिका पर दिया था। दोस्तों बॉलीवुड एक ऐसी जगह है, जहाँ हर कोई अपनी पहचान बनाने की कोशिश करता है, एक वक्त वो होता है, जब वो चाहते हैं कि लोग उनके नाम को जाने, उनके चेहरे को पहचाने और उनके नाम का चर्चा हर तरफ हो लेकिन बॉलीवुड में कामयाबी मिलने के बाद एक वक्त वो आ जाता है,

जब वही शख्स ये चाहता है कि मेरे नाम का इस्तेमाल ना हो, मेरे चेहरे का इस्तेमाल ना हो, मेरे नाम को कोई बार-बार इस तरह से ना पुकारे क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अब उनके नाम का फायदा चंद लोग अपने व्यावसायिक फायदे के लिए ले रहे हैं और ऐसे में ही जिक्र आता है, personality rights का जब आप अदालत के पास जाकर ये कहते हैं, कि मैंने जो इतनी मेहनत से अपना नाम बनाया है, अपने चेहरे को एक मशहूर चेहरा बनाया है।

अब लोग फायदे के लिए मेरे चेहरे का इस्तेमाल कर रहे हैं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। बाद में मुझे पता चलता है कि मेरा चेहरा मेरा नाम और मेरी बातें इस्तेमाल की जा रही है। कुछ ऐसे कामों के लिए जिसके जरिए सिर्फ पैसा कमाया जा रहा है और मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में कोर्ट उन लोगों को संरक्षण देता है और उनके साथ खड़ा होता है और ये कहता है कि हाँ, आप ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी नोटिस भेज सकते हैं, जो आपकी जानकारी के बिना आपके नाम का इस्तेमाल करके अपनी जेबें भर रहे हैं।

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तो ये उसी तरीके का मामला है जिस वक्त हम जैकी श्रॉफ का ये समाचार आपको सुना रहे हैं उस वक्त एक और समाचार है बहुत बड़ा जो इस समय छाया हुआ है। वो ये है कि जैकी श्रॉफ के जो सुपुत्र है टाइगर श्रॉफ उनके पास काम नहीं है क्योंकि उनकी पिछली कई फिल्में लगातार फ्लॉप रही है और अब उनको लेकर कोई काम नहीं करना चाहता मुझे लगता है कि ये सही वक्त है टाइगर श्रॉफ अपने घर में बैठे हैं और अपने पिताजी से ये सीखें कि जिस मेहनत से उन्होंने अपना इतना बड़ा नाम बनाया कि आज उसी नाम को बचाने के लिए उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी

टाइगर श्रॉफ अपने जीवन में ऐसा क्या करें कि उनका नाम भी इतना बड़ा बने क्योंकि इस समय तो फिलहाल उन्हें इस बात की का challenge आ चुका है कि कोई उन्हें काम offer करेगा या नहीं ये अपने आप में एक बड़ी खबर है जैकी श्रॉफ एक तरफ अपना नाम बचाने जाते हैं कोर्ट में और एक तरफ टाइगर श्रॉफ है जो बिकने वाला नाम बन जाए, एक मशहूर नाम बन जाए, इसके लिए वो अभी तक अपने जूते घिस रहे हैं।

फिर जिक्र आता है nepotism का और कहा ये जाता है कि जैकी श्रॉफ के बेटे हैं टाइगर श्रॉफ इसलिए उन्हें मौका मिला लेकिन कितने सारे मौके मिले उसके बाद भी खुद को prove नहीं कर पाए और आज नतीजा ये है कि उनको घर पर बैठना पड़ रहा है। खैर बात जैकी श्रॉफ की हो रही थी तो जैकी श्रॉफ का नाम गलत इस्तेमाल ना हो इसके लिए कोर्ट उनके साथ खड़ा है, कानून उनके साथ खड़ा है, देखते हैं आगे इस मामले में और क्या खबरें आती हैं और किस-किस के खिलाफ जैकी श्रॉफ नोटिस भेजते हैं.

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