हीरा मंडी के बाद मेरे मन में कुछ सवाल आ रहे हैं। जो यहाँ मैं आपके सामने रखने जा रहा हूँ nepotism की वजह से अपनी भांजी शर्मिंद सहगल को हीरा मंडी की आलम जेब बनाने वाले भंसाली क्या खुद को कभी माफ़ कर पाएंगे? क्या एक शो में श्रमिन को जबरदस्ती हीरोइन बनाने वाले भंसाली वाकई अपने मकसद में कामयाब हो गए? क्या आज शर्मिंद को साइन करने के लिए उनके घर के बाहर प्रोड्यूसर्स की लंबी लाइनें लगी हैं? क्या नेटफ्लिक्स को अपनी गलती का एहसास हुआ है?
क्या नेटफ्लिक्स आने वाले समय में ये नियम बनाने जा रहा है? कि नेपोटिस्म के नाम पर कोई भी फिल्म मेकर उनके प्रोजेक्ट के लिए अपने रिश्तेदारों को कास्ट नहीं करेगा? क्या नेटफ्लिक्स के इस समय खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं? क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आपके भरोसे कई सारे रईसजादों का career चमकाने की बेशर्म कोशिशें की जा रही हैं? जब शर्मिंद ने अपने सोशल मीडिया account पर कमेंट्स को ऑफ किया तो क्या आपको ये लगा कि वो गलती करने के बाद भी उसे मानने तक को तैयार नहीं है?
क्या सनी देओल ने श्री राम को धोखा दिया! | Did Sunny Deol betray Shri Ram?
क्या भंसाली ने उस actress के साथ नाइंसाफी की है? जिसे उन्होंने पहले आलम जेब के रोल के लिए sign किया? और फिर कई महीनों की ट्रेनिंग के बाद उसे अचानक मंडी से निकालकर अपनी भांजी को सिर्फ इसलिए हेरोइन बना दिया क्योंकि वो कर सकते थे। भंसाली पर अपनी इस चॉइस के लिए जो उंगलियां उठी उन सभी बातों को बुरी तरह इग्नोर कर दिया गया। क्या अब कभी भी भंसाली फिर से शर्मिंद को किसी प्रोजेक्ट में cast कर पाएंगे? ये सारे सवाल इसलिए पूछे जा रहे हैं क्योंकि एक फिल्मकार के तौर पर पिछले कई सालों के दौरान भंसाली ने हमारा जो भरोसा जीता था, उसके साथ छल हुआ है।
क्या भंसाली की फिल्मों के दर्शक रहे करोड़ों लोगों को सवाल पूछने का हक नहीं है कि उन्होंने ये धोखा क्यों दिया? बॉलीवुड में जब भी nepotism पर बहस होगी ये सवाल पूछे जाएंगे। ये सवाल कड़वे हैं, कानों में चुभते भी हैं लेकिन गलती करने वाला इन सवालों से बचकर नहीं भाग सकता, खासकर जबकि उसने कई करोड़ों लोगों का भरोसा तोड़ा हो। यहाँ एक बात मैं ये भी कहना चाहूंगा कि वो लायक बच्चे जो nepoced होने के साथ-साथ लायक भी हैं, भविष्य में बॉलीवुड में आने वाले हैं, उनके लिए भी ये खतरनाक है।
सिर्फ दर्शकों के साथ ही नहीं बल्कि भंसाली ने कहानी के साथ भी अन्याय किया है जबकि उन्होंने एक non actor को इसके लीड रोल में cast कर लिया। हो सकता है कोई भंसाली से बेहतर स्टार कास्ट के साथ हिरा मंडी बना था लेकिन अब वो मौका भी भंसाली ने एक खराब शो बनाकर हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। जब भी आप गलती करते हैं, आप एक साथ कई संभावनाओं को हमेशा के लिए खत्म कर देते हैं, भंसाली ने ऐसा किया क्योंकि वो कर सकते थे। क्या आप जब भी भंसाली अपना अगला प्रोजेक्ट करेंगे वो दर्शकों से मिले response का ख्याल रखेंगे जो उन्हें हीरा मंडी के जरिए मिला?
या फिर भंसाली इतने ही नॉन expression वाले किसी दूसरे चेहरे को भी cast कर लेंगे, वो भी लीड रोल में एक तरह से भंसाली ने शर्मिंद के सामने आने वाली संभावनाओं को भी हमेशा के लिए खत्म कर दिया क्योंकि अब कोई भी उनको साइन करने का जोखिम नहीं लेगा। अगर वाकई शर्मिंद को एक actor बनाने का ख्वाब भंसाली देख रहे थे, तो वो उनको ट्रेनिंग देने में कुछ महीने या साल लगा सकते थे,
लेकिन वो तो सच में मामू बन गए याद आ रहा है कपिल शर्मा के शो में जब हिरा मंडी की पूरी स्टार कास्ट आई थी उस वक्त कपिल शर्मा ने जैसा उनका लहजा है मजाक-मजाक में पूछा कि आपको ये रोल क्या इसलिए मिला कि वो आप उनकी भांजी है तो शर्मिल ने कहा कि नहीं मेरे तो कई सारे स्क्रीन टेस्ट हुए और वहाँ भी बात-बात में बात निकली कि ये क्या आपने उन्हें मामू बना दिया खैर उसको फिर कपिल ने थोड़ा संभाला और सीधे वो अर्चना पूरन सिंह पर इस joke को ले गए और ये कहने लगे कि अगर अर्चना जी वहाँ होती तो धमका के ले लेती खैर वो बात हंसी की थी लेकिन आप सोचिए कि लोग सच में शर्मिंद सहगल पर हँसते रहे और शर्मिंद से ज्यादा लोग संजय लीला भंसाली पर हँसते रहे क्योंकि शर्मिंदगी तो लोगों के बीच कोई पहचान ही नहीं थी उन्हें तो कोई जानता ही नहीं था हालांकि वो एक फिल्म में काम कर चुकी है मलाल जो कब आई और कब गई किसी को पता नहीं जाहिर है नहीं है तो पता कैसे चलता?
लेकिन लोगों को शक हुआ भंसाली की काबिलियत पर अब आप सोचिए इतने लंबे करियर के बाद अगर आपके एक गलत फैसले से किसी को आपकी काबिलियत पर शक होने लगे तो आपका पूरा का पूरा करियर दांव पर लग जाता है भंसाली की कई फिल्में हिट रही है कई फिल्में फ्लॉप रही है लेकिन कभी भी उनकी काबिलियत पर सवाल नहीं उठाए गए लेकिन ये पहला मौका था हीरा मंडी के वक्त जब वो खुद का शिकार हुए। आंख पर पट्टी बंध गई। और एक नॉन एक्टर को वो लीड स्टार बनाकर ले आए।
और ये सब उन्होंने अपने खर्चे पर नहीं किया ये सब उन्होंने तब किया जब उसमें पैसा लग रहा था नेटफ्लिक्स का तो यहां दो तरह के दर्शक टूट गए हैं। एक तो वो जो भंसाली की पिछली फिल्मों को देखकर उन पर भरोसा करते आए कि वो कैसा भी कंटेंट बनाए लेकिन हम उनके काम में कोई खोट नहीं निकाल सकते। जैसा मैंने पहले कहा कि भंसाली की बहुत सी फिल्में फ्लॉप हुई है लेकिन उनके काम पर कभी उँगलियाँ नहीं उठी लेकिन ये पहली बार है जब उनके काम पर उँगलियाँ उठी और इसमें साथ में आ गया नेटफ्लिक्स भी क्या नेटफ्लिक्स अब ये नियम बनाएगा कि अगले किसी प्रोजेक्ट में कोई अपनी रिश्तेदारी दोस्ती के चलते उनके प्रोजेक्ट का बेडा गर्क ना कर दे।
राजनीति में क्यों फ्लॉप रहते हैं सुपरस्टार?
अब आप खुद सोचिए, जो लोग बहुत समय से हीरा मंडी पर बनने वाली कहानी को देखने का इंतजार कर रहे थे, उनके दिल पर क्या बीती होगी? बहुत साल पहले मैंने महेश भट्ट जी के साथ एक इंटरव्यू किया था, जिसमें उन्होंने इच्छा थी कि वो हिरा मंडी पर फिल्म बनाना चाहते हैं सोचिए ये मैं बात कर रहा हूँ कम से कम सोलह-सत्रह साल पुरानी तब से ये चल रहा था कि हीरा मंडी पर एक फिल्म बनेगी और हमारे आसपास जो subjects होते हैं उनमें कुछ subject ऐसे होते हैं जिनसे जुड़ी कहानियां लोग देखना चाहते हैं हीरा मंडी भी उसमें से एक था और लोगों की उम्मीदें और आशाएं और बढ़ गई जब भंसाली ने कहा कि हम इस पर बनाएंगे लोगों को लगा कि पता नहीं क्या कमाल बनेगा लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो lead actor के तौर पर एक चेहरे को introduce कर देंगे जिसे एक्टिंग नहीं आती ये वो लोग कहेंगे जो उनके आम दर्शक हैं।
और जिस वक्त कमेंट्स को ऑफ किया गया वो अपने आप में इस बात को बताता था कि उनके अंदर सच को सुनने की ताकत नहीं है। जब भी हम परफॉर्मिंग आर्ट्स में होते हैं, पब्लिक फिगर होते हैं, लोगों के सामने जाते हैं, जहाँ हमारा काम लोगों द्वारा सराह जाता है या फिर लोगों द्वारा उस पर रिएक्ट किया जाता है। वहां अगर हम कमेंट्स ऑफ कर रहे हैं, इसका मतलब ये है कि हम अपने कान बंद कर रहे हैं, यानी हम सिर्फ अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं, अगर हमें पता है हमने काम खराब किया है और कान बंद कर लेते हैं, इसका मतलब ये है कि हमने सुधार की सारी गुंजाइशों को खुद ही खत्म कर दिया है।
बहुत अफसोस की बात है कि संजय लीला भंसाली के एक इतने बड़े प्रोजेक्ट से जो लोगों के बीच छाप बनी वो ये बनी कि भाई ये भी nepotism करते हैं। बेहद दुःख की बात है, संजय लीला भंसाली की बहुत respect है, वो जो काम करते हैं, जो उनका क्राफ्ट है। उसके प्रति लोग एक ऐसी भावना रखते हैं, कि हाँ हमें भंसाली जी से सीखना चाहिए, ना जाने कितने लोग होंगे, जो भंसाली की फिल्में देखकर सीखते हैं। लेकिन ये आया है वो भी उनके करियर के इस मक़ाम पर. आप सोचिए अगर वाकई भंसाली को सेब्लिश करना था शर्मिंद को एक एक्ट्रेस के तौर पर एक साल, दो साल, तीन साल की ट्रेनिंग दे सकते थे.
मैं मानता हूँ और जानता भी हूँ कि ट्रेनिंग देने से कोई एक्टर नहीं बनता लेकिन कम से कम कुछ समय तो खर्च किया होता। लोग ये तो ना कहते कि इनके हर सीन में एक ही जैसे एक्सप्रेशन है। अब आप सोचिए कि वो लोग जो अपना कीमती समय देकर आपके अह आपके शो को देख रहे हैं उनके दिल से आवाज़ आ रही है कि आपको तो काम ही नहीं आता, ये बहुत बड़ा विषय है अपने आप में क्योंकि अब इसको देखकर बहुत सारे लोग सीखेंगे।
जैसे भंसाली ने किया, हम भी कर सकते हैं ये ना सिर्फ उन्होंने अपनी craft के प्रति अपराध किया अपने दर्शकों के प्रति अपराध किया बल्कि आने वाली पीढ़ी के सामने भी एक गलत मिसाल रखी है कि हाँ अगर आप बड़े हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि आपका नाम बिकता है। याद रहे नाम बनाने में सालों लगते हैं। और एक पल में वो चला जाता है। अपने दिल पर हाथ रखकर मुझे ये बताइए कि अगला project जब संजय लीला भंसाली का announce होगा तो क्या आपके जेहन में ख्याल नहीं आएगा कि कहीं ये दोबारा ये वाली गलती तो नहीं करने जा रहे? क्या भंसाली ने पर भी इस बात का भरोसा दिलाया है कि वो ऐसी गलती नहीं करेंगे क्योंकि वो बार-बार कहते रहे कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है।
उनके उनके किसी भी बयान में ये बात निकलकर सामने नहीं आई जहाँ उन्हें भी लगा हो कि हाँ ये गलती हो गई है। तो गलती करना एक गलती है और गलती को ना मानना ना समझना ना स्वीकारना दूसरी बड़ी गलती है और तीसरी सबसे बड़ी गलती है कि जो लोग बरसों से आप पर उम्मीद लगाए बैठे हैं उनके विश्वास को छलनी कर देना।