शाहबाज खान जिनका जन्म हुआ था tenth मार्च nineteen sixty सिक्स के दिन हिंदुस्तानी classical music के एक बहुत बड़े नाम हुए हैं उस्ताद अमीर खान जो इंदौर में रहा करते थे उनके घर इनका जन्म हुआ और उस वक्त मैं आपको बता दूँ कि हिंदुस्तानी classical music की सेवा करने के लिए उस्ताद अमीर खान को पद्म भूषण award भी मिला था। संगीत नाटक अकादमी award भी मिला था।
जैसे ही था शहबाज खान का जन्म हुआ इसके कुछ ही दिनों बाद इनके जो पिता थे उस्ताद अमीर खान जिनका मैं जिक्र कर रहा हूँ वो अपने पूरे फैमिली के साथ उस वक्त बॉम्बे कहते थे आजकल मुंबई कहते है यहाँ शिफ्ट हो गए और इसीलिए ये जो शाहबाज खान है इनकी शुरुआती पढ़ाई मुंबई शहर में ही पूरी हुई शाहबाज खान जब करीब छह या सात साल के रहे होंगे उसी वक्त उस्ताद अमीर खान साहब का कोलकाता में जो अब कोलकाता कहलाता है वहां कार दुर्घटना में निधन हो गया अब इतनी छोटी उम्र में पिता के निधन के बाद इनकी माँ रईसा बेगम इन्हें लेकर नागपुर चली गई।
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तो इनकी आगे की पढ़ाई जो थी वो उन्होंने नागपुर कैंट का एक सेंट जोसेफ स्कूल है अह सेंट जोसफ जोसफ स्कूल कैंप्टी वहां से इन्होंने पूरी की। इसके बाद नागपुर शहर के हिस्लोप कॉलेज से इन्होंने अपना ग्रेजुएशन किया और यहां आपको ये भी बता दें कि शाहबाज खान का जो असल में नाम रखा गया था पहले वो हैदर अमीर है। लेकिन ये हुए शहबाज खान के नाम से। असल में फिल्मों में आने के बाद इन्होंने अपना नाम हैदर अमीर से बदलकर शहबाज खान रख लिया था। हालांकि शुरुआत में फिल्म इंडस्ट्री में ये एक सिंगर के तौर पर काम करना चाहते थे जाहिर है इनके पिता भी बहुत आला दर्जे के सिंगर रहे थे।
लेकिन जब ग्रेजुएशन इन्होंने पूरा किया। उसके बाद शाहबाज खान ने होटल मैनेजमेंट का एक कोर्स किया। और फिर उन्होंने एक बार में कुछ दिनों तक काम किया लेकिन अब काम में इनका मन नहीं लग रहा था तो आखिरकार एक दिन इन्होंने नौकरी छोड़ दी और वो शहर है ना बॉम्बे वहाँ चले आए, नागपुर छोड़ कर ये साल था nineteen eighty nine का और ये समझिए कि कभी सिंगर बनने का ख्वाब देखने वाले शाहबाज खान को इस समय तक ये एहसास हो चूका था कि वो तो actor बनने के लिए पैदा हुए हैं।
यानी शुरुआती रुझान रहा सिंगिंग की तरह होटल मैनेजमेंट भी हो गया, नौकरी भी हो गई, पढ़ाई भी हो गई लेकिन असल में इनको लगा कि मैं तो actor बनना चाहता हूँ अब खुद शाहबाज खान की जो माँ रईसा बेगम थी उनसे कहा था कि अह तुम इतना अच्छा गा नहीं पाते हो लेकिन भई तुम्हारे पिता का इतना नाम था लेकिन तुम इतना अच्छा गा नहीं पाते हो इसीलिए बेहतर है कि तुम सिंगर बनने का ख्वाब तो छोड़ दो शाहबाज ने कहा कि बस अब मेरे मन की बात मेरी माँ ने सुन ली है और उन्होंने सिंगर बनने का इरादा तो साइड में रख दिया और एक्टिंग में कैरियर बनाने की जो तैयारी थी उन्होंने शुरू कर दी और ये स्कूल कॉलेज के दिनों से अह काफी कोशिश किया करते थे अह नाटकों में हिस्सा लेने की तो एक्टिंग का थोड़ा बहुत तजुर्बा जो स्कूल-कॉलेज के level पर होता है वो इन्हें मिल गया था शाहबाज ने मुंबई के एक स्कूल एक्टिंग में भी इन्होंने शुरुआत में दाखिला लिया। और क्योंकि अच्छी personality थी इसलिए इन्हें काम के लिए ज्यादा इंतजार करना नहीं पड़ा ये acting अभी सीख ही रहे थे कि कुछ ही हफ्ते के अंदर इनके पास एक बहुत शानदार रोल का offer आया असल में ये वक्त था जब संजय खान अपना एक बहुत बड़ा project the soul of टीपू सुल्तान आपने देखा होगा दूरदर्शन पर बचपन में वो शुरू कर रहे थे। इस शो के लिए संजय खान कुछ नए चेहरों को तलाश रहे थे।
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एक दिन संजय खान की शाहबाज खान पर पड़ गई और उन्होंने तुरंत शाहबाज को टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली का रोल ऑफर कर दिया इस समय शहबाज खान की जो उम्र थी वो सिर्फ तेईस साल की थी यानी सिर्फ तेईस साल की उम्र में ये टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली के रोल के लिए संजय खान को जम गए अब कमाल की बात ये है कि शाहबाज ने इस शो में सोलह साल के हैदर अली से लेकर उस हैदर अली का भी किरदार निभाया जो अंग्रेजों से लोहा लेता है और हो जाता है।
शाहबाज खान को हैदर अली के रोल में खूब पसंद किया गया और आपके जहन में भी जो इनकी पहली याद है वो टीपू सुल्तान के हैदर अली के रूप में ही जरूर होगी उसके बाद इनका फिल्मी career भी शुरू हुआ। कहते हैं कि टीपू सुल्तान एक हिट शो रहा और उसके बाद इन्हें फिल्मों के offers भी आने लगे और साल उन्नीस सौ इक्यानवे में एक फिल्म आई नाचने वाले गाने वाले इस फिल्म में ये बतौर हीरो नजर आए। वैसे तो इस फिल्म में कादर खान और शक्ति कपूर भी थे लेकिन फिर भी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही।
अब ये पहली और आखरी फिल्म थी जिसमें शाहबाज बतौर हीरो नजर आए थे। इसके बाद वो किसी भी फिल्म में फिर कभी बतौर हीरो नहीं दिखाई दिए इनके करियर की दूसरी फिल्म थी मेरी आन ये nineteen ninety three में रिलीज हुई इस फिल्म में ये शेर खान बने थे वही धरतीपुत्र नाम की फिल्म में ये अनवर खान बने अब इनकी टीवी पर वापसी होनी बाकी थी क्योंकि फिल्मों में इनका सिक्का चल नहीं रहा था acting में पसंद आने लगे थे नामचीन चेहरा बन चुके थे लोग इन्हें पहचानते थे फिर nineteen ninety four में एक बार फिर शाहबाज खान की तरफ लौटे और संजय खान की एक और बेहद लोकप्रिय टीवी शो the ग्रेट मराठा में ये महाद्वीजी शिंदे के किरदार में नजर आए इनके इस किरदार को लोगों ने काफी पसंद किया लेकिन दो बड़े टीवी shows और कुछ फिल्मों में काम करने के बाद भी शाहबाज खान को लग रहा था कि इन्हें वो stardom नहीं मिला है
जिसकी ख्वाहिश इन्हें थी मगर जब शाहबाज खान को लोगों ने नीरजा गुलेरी के बेहद लोकप्रिय टीवी शो चंद्रकांता में कुंवर वीरेंद्र के किरदार में देखा तो सब के सब हैरान रह गए। शायद यही वो success थी, यही वो शोहरत थी, जिसका इंतजार शाहबाज कर रहे थे और असल में इन्हें चंद्रकांता ने बेहद मशहूर कर दिया। इनकी dialog delivery और इनका acting style जो था, वो लोगों को बहुत पसंद आया और देखते ही देखते शाहबाज खान पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए।
नब्बे के दशक में जिन घरों में टीवी होता था, वहां चंद्रकांता सीरियल का बड़ी बेसब्री से इंतजार होता था कि कुंवर विक्रम आएंगे और सब उनको टीवी पर देखना चाहते थे संडे के दिन सुबह के समय और आखिरकार इसी शो के साथ शाहबाज खान को वो stardom मिल गया जिसकी तलाश में वो अपने घर से निकलकर मुंबई तक आए थे। दो सालों तक चंद्रकांता सीरियल ने दूरदर्शन पर अपनी धाक जमा कर रखी। कुंवर वीरेंद्र विक्रम सिंह यानी शाहबाज खान और राजकुमारी चंद्रकांता यानी शिखा स्वरूप की romantic chemistry उस वक्त ये समझिए कि लोगों को पूरे इंतजार रहता था कि Sunday का दिन कब आएगा जब वो इस romantic chemistry को टीवी पर देख पाएंगे।
चंद्रकांता के बाद बड़े पर्दे पर ना सही लेकिन छोटे परदे पर शाहबाज खान जरूर एक सुपरस्टार बन चुके थे इन्हें एक से बढ़कर एक टीवी shows मिलते रहे इनके प्रमुख टीवी shows की बात करें तो ये नजर आए युग नियत बेताल पचीसी मैं दिल्ली हूँ द्रौपदी, आम्रपाली, सीआईडी आहट महाराजा रंजीत सिंह, नागिन, अफसर बिटिया, का वीर पुत्र महाराणा प्रताप राम सिया के लवकुश और फिर लौट आई नागिन। ऐसे कई टीवी shows में कहा जा सकता है कि दूरदर्शन के जमाने से टीवी पर active रहे शाहबाज खान आज भी जो है television industry से जुड़े हुए बड़े चेहरे हैं और ऐसा नहीं कि इन्होंने सिर्फ टीवी shows में काम किया शाहबाज खान ने बाद में कई और फिल्मों में भी काम किया इनके प्रमुख फिल्मों को अगर हम याद करें तो जय विक्रांता, जिद्दी, किला, मेहंदी, अर्जुन पंडित, हिंदुस्तान की कसम बादल चल मेरे भाई राजू चाचा हम किसी से कम नहीं जानी दुश्मन, द हीरो, जाल, मस्ती, टैंगो चाली लुटेरी दुल्हन, agent विनोद और रक्तधर जैसी फिल्में शामिल है, इनकी आखरी जो release हुई फिल्म है, वो रिस्कनामा है जो दो हजार उन्नीस में release हुई और इस फिल्म में ये अरुण नागर के रोल में दिखाई दिए,
शाहबाज खान ने कुछ तमिल, तेलगु, कन्नड़ गुजराती, पंजाबी और मराठी फिल्मों में भी काम किया है इन्होंने दो हजार अठारह में release हुई Chinese फिल्म Dying To survive में भी काम किया है और कहा ये जा रहा है कि वो फिर से अपनी फिल्मों में come back की तैयारी कर रहे हैं। दोस्तों उम्मीद है शाहबाज खान के बारे में मेरे साथ इस तरह जानना आपको बहुत अच्छा लगा होगा आपकी जो चंद्रकांता की यादें हैं जो आपकी the sword of टीपू सुल्तान की यादें हैं वो ताजा हो गई होंगी। और आप जल्दी से मुझे बताइए कि और ऐसे कौन से चेहरे हैं जिन्हें आप बचपन से देखते आए हैं और आप उनके बारे में जानना चाहते हैं कि वो कहाँ हैं? क्या कर रहे हैं? उनकी जिंदगी की कहानी क्या है?