कंगना मैडम को अभी राजनीति में गए हुए जुम्मा-जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुए कि उनके जो बयान सामने आ रहे हैं उसमें वो याद कर रही हैं फिल्म इंडस्ट्री को और सीधे तौर पर उनका ये कहना है कि फिल्मों में काम करना तो बहुत आसान है ये राजनीति बड़ी मुश्किल चीज है ये वही कंगना है जिन्होंने ये कहा था कि एक बार अगर सांसद बन गई राजनीति में आ गई तो सिर्फ एक ही काम करूंगी फिल्में पूरी तरह से छोड़ दूंगी लेकिन सांसद बनने के हफ्ते भर के अंदर ही ये बयान आ जाता है कंगना का कि भाई राजनीति बड़ी मुश्किल चीज है
हालांकि ये जो हिमाचल podcast है जिसमें वो interview दे रही थी उसमें उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि जब उनकी पहली फिल्म आई थी शुरुआती दिन थे गैंगस्टर के बाद तो उन्होंने कहा कि मुझे उस वक्त भी offer हुआ था कि मैं राजनीति में आ जाऊँ क्योंकि मेरे परदादा तीन बार विधायक रह चुके हैं। और अगर आप किसी ऐसी फैमिली से ताल्लुक रखते हैं फिर थोड़ा सा फेमस हो जाते हैं तो जो स्थानीय नेता हैं वो आ जाते हैं आपके घर पे ये कहने कि अब आप चुनाव में खड़े हो जाइए।
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फिर कंगना कहती हैं कि जिस मेरी बहन रंगोली पर एसिड अटैक हुआ और वो बच गई उसके बाद मेरे पिता से भी कई लोगों ने संपर्क किया और ये कहा कि अपनी बेटी को आप राजनीति में भेज दीजिए ये अच्छा candidate बन जाएगी हमारे लिए लेकिन उस वक्त फैसला नहीं लिया गया रंगोली को लेकर बाद में अ दो हजार उन्नीस में भी कहती है कंगना कि उन्हें ऑफर था लेकिन उन्होंने नहीं लिया लेकिन फिर उन्होंने राजनीति को अपना जिंदगी का हिस्सा बनाने के बारे में सोचा अब ये मेरा आकलन है कि कंगना ने क्यों सोचा होगा दो हज़ार उन्नीस के बाद क्योंकि दो हज़ार उन्नीस के बाद हमने जैसे देखा कि कंगना की फिल्में लगातार फ्लॉप होती चली गई
उन्हें बार-बार ये लग रहा था कि अब जनता उन्हें उस तरह से नहीं स्वीकार रही है जैसे कि स्वीकारा करती थी उनकी लास्ट रिलीज फिल्म की बात करें तेजस की बात करें तो वो भी कोई खास नहीं चली तीन दिन में उसको अह सिनेमा घर से उतरना पड़ा था उस फिल्म को पंगा भी कोई खास नहीं चली अगर देखा जाए तो मणिकर्णिका के बाद से ऐसी कोई फिल्म नहीं आई है कंगना की जिसने कमाल किया हो और कंगना की उम्र भी बढ़ रही थी ऐसे में कंगना को ये लगा कि शायद अब राजनीति को ही अपना नया मुकाम बनाया जा सकता है
क्योंकि जाहिर है फिल्मी अभिनेत्रियों के साथ एक थोड़ा प्रॉब्लम ये हमेशा से रहा है कि एक खास उम्र निकल जाने के बाद उनका उस इंडस्ट्री में उस तरह से टिके रहना लीड रोल मिलते रहना ये बड़ा मुश्किल हो जाता है फिर कंगना ने अपने पंगे भी बहुत सारे ले लिए थे चाहे ऋतिक रोशन वाला मामला हो, चाहे जावेद अख्तर वाला मामला हो, चाहे करण जौहर वाला मामला हो, इधर फिल्में भी पीटने लगी, तो कहीं ना कहीं कंगना को ये लगा कि अब मेरी राह जो है वो राजनीति में है और उन्होंने बड़े सही समय पर राजनीति को चुना।
जाहिर है इससे पहले जब भी ऑफर आए थे, उस उनकी acting की दुकान बढ़िया चल रही थी और उन्हें लगा कि ऐसा करना ठीक नहीं होगा। फिर उन्होंने इसके लिए बाकायदा लॉकडाउन में घर बैठकर माहौल बनाया। बयान बाजियां करनी शुरू की फिर उद्धव ठाकरे के बारे में भी बयान उन्होंने दिया। जब उनका ऑफिस और घर का कुछ हिस्सा तोड़ा गया तो कुल मिलाकर फिर माहौल बनता चला गया उसके बाद उन्हें अह सुरक्षा भी मिल गई तो उन्हें लगने लगा कि हाँ भाई मैं एक एक पायदान तो मैंने क्रॉस कर लिया है। लेकिन एक बात जो समझ में नहीं आ रही है वो ये है कि कंगना अब ऐसा क्यों सोचती हैं कि ज्यादा मुश्किल है।
क्योंकि ये वही कंगना है जो ये कह रही थी कि एक बार बस सांसद बन जाऊँ फिर तो मैं राजनीति की हो जाऊँगी फिल्मी दुनिया पूरी तरह से छोड़ दूँगी। अब वो कह रही है मेरे लिए एक ब्रेक की तरह है तो क्या कंगना हफ्ते भर के अंदर ही इस बात को सोचने लगी है कि मैं फुल टाइम पॉलिटिशियन बन पाऊँगी या नहीं या अब उन्हें फ़िल्मी दुनिया की याद सता रही है लेकिन अब याद भी करेंगी तो कैसे याद करेंगी?
उनकी एक फिल्म जो है emergency जो सिर्फ इसीलिए रुकी हुई है क्योंकि कंगना फिल्म पर विश्वास नहीं है। कंगना को ये लग रहा है कि अगर ये फिल्म रिलीज हुई है अभी और उसका तेजस जैसा हाल हो गया तो मेरी तो बहुत पीट जाएगी इसलिए उन्होंने इस फिल्म की रिलीज को दो बार टाला है। इस समय देखा जाए तो कंगना दो नांव की सवारी कर रही है। एक तरफ फिल्म इंडस्ट्री को वो छोड़ना तो चाह रही है।
लेकिन छोड़ नहीं पा रही है। राजनीति में आ गई है वो राजनीति मुश्किल लग रही है और एक ऐसी अभिनेत्री जिसने चार बार नेशनल अवार्ड जीता हो उसकी फिल्म अगर तीन दिन के अंदर सिनेमा घरों से उतर जाए तो जाहिर है धक्का तो लगा ही होगा कि मेरे साथ ये क्या हो गया मुझे ऐसा लगता है कि कंगना बहुत ज्यादा भटक गई confuse हो गई उन्होंने अपने विचारों को बहुत गलत तरीके से समझ लिया उसे गलत तरीके से गलत जगह express कर दिया जिसके बाद उनकी एक इमेज खास तरह के अह व्यक्ति की बनती चली गई जिसके लिए शायद बॉलीवुड में कोई जगह नहीं बची है।
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और अब उन्हें राजनीति में अपनी नई जमीन तलाशनी होगी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ने और जीतने तक तो ठीक है जैसे उन्होंने बयान दिए कि दो हजार चौदह में हमारे देश को आजादी मिली थी या उन्होंने बयान दिया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री थे या फिर उन्होंने जिस तरीके से पंजाब में प्रदर्शन कर रहे अह दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में जो बयान दिए उसको लेकर जो है उसकी हीट उन्हें अभी भी झेलनी पड़ रही है आपने देखा है कि चंडीगढ़ में क्या हुआ जो भी हुआ बड़ा दुखद था लेकिन कुल मिलाकर ये समझा जा सकता है कि कंगना अभी अपनी जमीन तलाश रही है कुछ हद तक वो confused भी है
उनको ये भी समझ में कि उन्होंने सही किया है, नहीं किया है, जो करना था अह क्या वो कर पाई है? और जो वो करना चाहती हैं, कर पाएंगी कि नहीं? इसे शायद समझने में लंबा वक्त लगेगा, खैर अगर सब कुछ ठीक-ठाक चला तो कम से कम पांच साल तक तो सांसद रहेंगी ही, आगे देखते हैं, क्या होता है? इस दौरान उम्र भी बढ़ेगी तो खास तरह के रोल भी फिल्मों में ऑफर नहीं होंगे और देखते हैं कि आगे किस तरीके से उनकी राजनीति चलती है और किस तरह से वो खुद को बचा कर रख पाती हैं?
क्योंकि राजनीति वाकई उन्होंने सही कहा कि मुश्किल है और कंगना जैसों के लिए राजनीति में मुश्किल इसलिए भी हो जाती है क्योंकि जब आप बिना सोचे समझे बयान देने लगते है तो फिर आप लोगों के बीच घिरने भी लगते है controversy में आने लगते है और controversy में आने के बाद क्या होता है कि आप जो अच्छा या बुरा काम कर रहे है वो notice में नहीं आता आपके बयान notice में आने लगते है जैसा कि इनके साथ पहले भी हुआ कि इन्होंने जितना अच्छा काम किया चार बार national award जीता लोग वो भूल गए
लेकिन इनके जो भड़काऊ बयान थे वो लोगों को याद रह गए और उसको लेकर इन्हें troll किया गया एक बार ट्विटर पर ये ban भी हो गई इन सारी चीजों को कंगना को समझना होगा। कि जनसेवा के लिए अगर उतनी है तो जनसेवा ही करें, फिर बवाल ना करें। हो सकता है, इस तरह के बवाल करना, इस तरह के भड़काऊ बयान देना, उनके लिए टूल रहा हो, राजनीति में आने का जिसकी वजह से वो चर्चा में भी आई, जाहिर है, लोगों ने उनके बारे में पढ़ना और जानना शुरू किया, लेकिन जैसा कि हमने देखा कि भड़काऊ बयान देने के बाद कंगना की फिल्मों को कोई सफलता नहीं मिली।
उनके भड़काऊ बयान सोशल मीडिया पर सुर्खियां पा गए। उन्हें ट्रोल किया गया, चर्चा में आ गई, सुर्ख़ियों में बनी रही, लोग उनका जिक्र करते रहे। लेकिन फिल्मों को इसका फायदा नहीं हुआ, ठीक वैसे ही अगर आप इस तरह के भड़काऊ बयान देते हैं, इस तरीके के अह ऐसे कोई स्टेटमेंट देते हैं, जिसको लेकर बवाल हो, तो इससे क्या वाकई राजनीति को फायदा होगा? नहीं होगा, ये तो समय बताएगा, लेकिन हाँ, इतना जरूर है कि लोगों के बीच बने रहने के लिए कंगना को कुछ ठोस काम करने होंगे।
और इसके फैसले उन्हें अभी लेने होंगे कि वो ये करने में interested हैं या नहीं क्योंकि उन्होंने अभी से जब कहना शुरू कर दिया है कि राजनीति चीज है। ऐसे में ये समझना बहुत मुश्किल हो रहा है कि क्या वो राजनीति में लंबे समय तक टिकना चाहती हैं? या उनको लगता है कि ये उनके लिए बस एक ब्रेक की तरह है क्योंकि जिस podcast की मैं बात कर रहा हूँ हिमाचल podcast में उन्होंने साफ कहा है कि मेरे लिए एक अच्छा ब्रेक है।
और इस बात पर जोर देना कि मुझे पहले भी राजनीति में काम करने का मौका ऑफर हुआ था लेकिन उस वक्त मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि जाहिर है कंगना की priority शुरुआत में तो जब वो young थी और फिल्म इंडस्ट्री में आई थी तो अपना अपनी पहचान बनाना था एक अभिनेत्री के तौर पर जो उन्होंने बनाई भी अब ये अभिनेत्री के तौर पर बनाई गई पहचान उनकी राजनीति वाले करियर में कितना साथ दे पाएगी,
नहीं दे पाएगी वो कितने समझदारी भरे फैसले करेंगी, नहीं करेंगी या फिर वो किस तरीके के बयान देंगी, आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना जरूर है जैसा कि कंगना ने खुद कहा है कि हाँ राजनीति वाकई मुश्किल है खासकर कंगना जैसे लोगों के लिए फिल्मों में काम करना आसान है, चार बार नेशनल अवार्ड जीत चुकी है, अभी भी समय है, बहुत कुछ decide किया जा सकता है.
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