1999 में इंडियन एयरलाइन्स का एक विमान आईसी eight one four उसका अपहरण हो गया था और अब इसी पर अनुभव सिन्हा की एक वेब series आई है आईसी eight one four उसको लेकर कई सारे विवाद चल रहे हैं और अब एक बयान सामने आया है इसी फ्लाइट में अपने पति के साथ यात्रा करने वाली चंडीगढ़ की पूजा कटारिया का एक टीवी चैनल है टीवी nine भारतवर्ष उनके साथ उन्होंने एक इंटरव्यू किया है और उस प्लेन हाईजैक में क्या हुआ था वो पूरा सच पूजा कटारिया ने खुद बताया है। पूजा ने बताया कि प्लेन हाईजैक के वक्त अंदर क्या चल रहा था और उस वक्त जो आज की वेब series में दिखाई गई है वो सच से कितनी दूर है या सच से कितनी पास है।
इस web series में hijackers के नामों को लेकर भी विवाद चल रहा है जिस पर पूजा कटारिया ने कहा कि series को लेकर जो विवाद खड़ा किया जा रहा है वो बिल्कुल बेवजह है और hijackers के नाम बाहर कुछ और थे लेकिन प्लेन के अंदर वो खुद को भोला, शंकर, बर्गर, चीफ इसी नाम से बुला रहे थे और series के अंदर ये वही नाम दिखाए गए हैं जिन नामों से वो एक दूसरे को बुला यानी विमान के अंदर जो भी नाम उन्होंने लिए वही series में दिखाए गए है पूजा ने ये भी कहा कि hijackers यात्रियों को इस्लाम कबूल करने के लिए प्रेरित कर रहे थे और कई motivational speech भी दे रहे थे यात्रियों को कहा गया कि वो इस्लाम धर्म कबूल कर ले पूजा ने कहा कि एक बार के लिए कई यात्री ऐसे भी थे जो hijackers के भाषण सुनकर प्रभावित भी हो गए थे और उन्हें लगा कि जान बचाने के लिए उन्हें इस्लाम धर्म कबूल कर लेना चाहिए।
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ये खुद पूजा ने बताया है जो कि उस hijack प्लेन में थी पूजा ने ये भी बताया कि एक hijacker ने उन्हें gift किया था shawl जी हाँ पूजा बताती है कि Amritsar में सरकार को ah विमान को रोकने के लिए operation करना चाहिए था और यात्रियों को उम्मीद थी कि इस तरह का कोई operation किया जाएगा क्योंकि वहाँ पर Amritsar में विमान करीब पैंतालीस minute तक रुका हुआ था लेकिन ऐसा हुआ नहीं पूजा ने बताया कि जिस दिन plane hijack हुआ उस दिन उनका जन्मदिन था जिसमें burger नाम का एक hijacker था उसने उन्हें अपनी पहनी हुई shawl gift की और shawl के ऊपर एक संदेश भी दिया जिसे पूजा ने आज तक संभाल कर रखा है वाकई इस तरीके का birthday कौन imagine कर सकता है कि वो hijack plane के अंदर होगा।
अब पूजा ने hijack के दौरान plane में यात्रियों को दिया गया सामान अब तक संभाल के रखा है वो कहती है पूजा ने अपनी इस बातचीत में plane hijack के समय हुई पूरी घटना का सच बताया उन्होंने बताया कि किस तरह से plane को hijack किया गया और किस तरह वो वहाँ से निकल पाने में कामयाब हुए उन्होंने कहा कि ये series entertainment के तौर पर ही लेना चाहिए, series के अंदर प्लेन में हुई घटनाओं के साथ ही कुछ राजनैतिक गतिविधियां भी दिखाई गई हैं और ये series पूरी तरह से सत्य घटनाओं पर आधारित है और इसे इसी आधार पर देखा जाना चाहिए। अब आप सोचिए एक यात्री जो वहां मौजूद था वो खुद इस बात को कह रहा है।
इस जहाज के कैप्टन देवी शरण थे, जिनको उस वक्त मीडिया ने विलेन बना दिया था और टेलीग्राफ अखबार को देवी शरण ने एक इंटरव्यू दिया है। जो हैं कि सीरीज में दिखाया गया है कि विदेश मंत्री हमें सलामी देते हैं ऐसा दिखाया गया लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं था। उन्होंने बस एक इशारा किया था, इशारे के जरिए हमारे प्रयासों की सराहना की थी इसके अलावा एक सीन में ये भी दिखाया गया है कि देवी शरण ने plumbing lines अपने आप ठीक की थी क्योंकि plumbing lines खराब हो गई थी इतने सारे लोग इतने समय से बाथरूम का इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन असलियत में तालिबान के जो अधिकारी थे उन्होंने कर्मचारी भेजा था plumbing lines ठीक करने के लिए और देवी शरण उस कर्मचारी को अपने साथ लेकर विमान के होल्ड में गए थे क्योंकि उसे ये नहीं पता था कि लाइनें कहाँ पर हैं।
असल में जब से इस series पर विवाद शुरू हुआ है सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग हैं जो बहुत कुछ लिख रहे हैं इस पूरे विवाद पर रविश कुमार का भी एक ट्वीट चर्चा में आ गया है और मैं आपको बताता हूँ कि exactly अह रवीश कुमार ने इसमें लिखा क्या है। रवीश कुमार लिखते हैं क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जितने लोग अभी-अभी आंतरिक सुरक्षा के expert निकल कर आ गए हैं वो मणिपुर पर भी उसी तरह रिपोर्ट करें। ठीक वह एआईसी ऐट वन फोर के समय किया करते थे जब भारत रत्न वाजपेयी की सरकार ने आतंकवादियों को छोड़ा था कम से कम उनके कौशल से पता तो चले कि मणिपुर में चल क्या रहा है कहाँ चूक हो रही है और कौन जिम्मेदार है? मणिपुर भी तो आंतरिक सुरक्षा का ही मामला है। अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज के बहाने ये पता तो चल ही जाता है कि उसी पत्रकार को पहले कितना पता होता था? सरकार में क्या चल रहा है? आंतरिक सुरक्षा से जुड़े अफसरान क्यों confuse हैं वगैरह-वगैरह?
क्या अब वो ऐसा कर सकते हैं? तो पुरानी के साथ आज की भी कोई ऐसी रिपोर्ट tweet कर देते कहाँ गई वो सब जानकारियां जो off record के रास्ते निकल कर आया करती थी जिनके सहारे सरकार के ऑन रिकॉर्ड को challenge किया जाता था आज तो जो hand आउट थमा दिया जाता है वही फाइनल मान लिया जाता है। अब तो off record ही ऑन रिकॉर्ड है और ऑन रिकॉर्ड कुछ भी नहीं। अच्छी बात है कि वेब series देखकर ये सब याद आ रहा है। सवाल है कि इसी अधिकार और निरंतरता से Manipur पर कब लिखेंगे जब Anubhav Sinha कोई नई web series बनाएँगे तब भारत का third class और **** मुख्य धारा का गोदी media अपने आपको प्रासंगिक बनाए रखने के लिए मौका खोजता रहता है वो अपनी स्मृतियों के सहारे पत्रकार होने की छवि और उससे मिलने वाले सम्मान को हासिल करना चाहता है उसका वर्तमान खंडहर है और उसके हाथ स्याही की जगह खून से रंगे है एक अच्छे पत्रकार और एक दो अच्छी स्टोरी बस इसी के दम पर गाड़ी खींच रहा है। आज उनकी reporting या संपादकीय का स्तर आप देख सकते हैं। जो पच्चीस साल पहले की यादों में तरबूज का जूस हो रहे हैं। उन्हें ठीक से पता है कि उनके पास कौशल तो है मगर वैसी reporting नहीं कर सकते।
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कितनी reporting ऐसी आती है जो सरकार के भीतर से निकलती है। नेताओं के बयान पर ही खेलकर और दिल्ली में कुछ फालतू लोगों के interview से इन TV की शामे भरी जाती है ये फालतू लोग जिन्हें interview देने और debate में जाने का रोग है एक महीने के लिए अगर शहर से चले जाए तो debate की शाम भरभराकर दोपहर की तरह जलने लगेगी इस media का नाम interview उद्योग रख देना चाहिए ये लिखते है बहरहाल Anubhav Sinha की web series IC eight one four ने इतना तो बता दिया कि गुलामी के दस साल जीने के बाद भी गोदी media के पत्रकारों के भीतर पत्रकारिता करने की चाह है उन्हें है कि सम्मान मोदी मोदी करने से नहीं किसी अच्छी रिपोर्ट की याद से मिलता है मगर इसमें भी एक नौटंकी है तो ये पूरा ट्वीट लिखा है रविश कुमार ने उधर दूसरी तरफ इस पूरे केस को लगातार देश के पहले न्यूज़ चैनल पर cover करने वाले जो Zee News के anchor थे उस वक्त में जिन्होंने इस पूरे case को cover किया था मानव गुप्ता उन्होंने भी एक tweet किया और उनका tweet भी ये काफी चर्चा में है वो लिखते हैं कि IC eight one four की hijacking मैंने लगातार दिन लाइव स्टूडियो से देखी और देश दुनिया को दिखाई थी तब मैं ज़ी न्यूज़ में बतौर anchor काम कर रहा था।
उस वक्त देश में सिर्फ दो ही न्यूज़ channel होते थे। ज़ी न्यूज़ और स्टार न्यूज़ सात दिन और सात रातें चौबीस घंटे की ये coverage थी चौबीस दिसंबर से इकत्तीस दिसंबर उन्नीस सौ निन्यानवे तक के वो सात दिन देश पर कितने भारी गुजरे इसका अंदाजा वही लगा सकता है जो उस दौर में होश संभाल चुका था। अभिनव सिन्हा की series आईसी eight one four बड़ी उम्मीद से देखी। ना तो उसमें वो गहराई महसूस हुई और ना ही उसमें देश और पीड़ितों के साथ न्याय किया गया है। उस समय की सरकार की नाकामी सही दिखाई गई है लेकिन उन आतंकवादियों में इंसानियत दिखाना बेईमानी है।
उनके असली मुस्लिम नाम अंत तक छुपाना और भी बड़ी बेईमानी है। हाँ वो code name थे पर आपकी जिम्मेदारी थी कि सारे तथ्य बताते शुरू से बताते आईएसआई को clean chit क्यों दी गई ये समझ से परे है सिर्फ इसीलिए कि लादेन ने वालों को बाद की पार्टी में नहीं बुलाया। उनके पाप धो दिए गए। तब के विदेश मंत्री जसवंत सिंह जी ने खुद लिखा था। कि आईएसआई वाले तीनों छुड़वाए गए आतंकियों मौलाना मसूद अज़हर, मुश्ताक अहमद जर्गर और अहमद उमर सईद शेख के परिवार वालों को कंधार ले गए थे। छोड़ने पर इन आतंकियों की पहचान करने के लिए पहचान के बाद ही हमारे यात्रियों को छोड़ा गया पूरा plot पाकिस्तान का ही था, पाकिस्तान ISI का पूरा सच पता नहीं क्यों नहीं बताया गया पाक के non state actors की थ्योरी को जानबूझकर बल दिया गया या अनजाने में ये भी सवाल पूछते हैं मानव गुप्ता और ये भी कहते हैं कि जब पूरी series में बार-बार कहानी का flow तोड़कर तथ्य और background बताने के लिए narrations का सहारा लिया गया है तो चीफ डॉक्टर बर्गर भोला और शंकर के असली नाम भी बताते आइए आपको बताते हैं कि चीफ का असली नाम था इब्राहिम अथहर। डॉक्टर का असली नाम था शाहिद अख्तर सईद।
बर्गर का असली नाम सनी अहमद काजी और भोला का असली नाम जहूर मिस्त्री था और शंकर का असली नाम शाकिर था। ये भी ढंग से बताते कि सारे के सारे hijackers पाकिस्तानी थे। उलटे आतंकियों को यात्रियों के साथ अंताक्षरी खेलते दिखाया गया यात्रियों की फिक्र करते और मदद करते भी दिखाया गया सेना को सामने आकर research करके तथ्यों पर हर सवाल का जवाब देना चाहिए, इस series में उपयुक्त बदलाव करने चाहिए ताकि आज और आगे की पीढ़ियाँ सही इतिहास जान सके पीड़ितों के बारे में भी थोड़ा सोचा होता बहुत कुछ ऐसा है जो नहीं बताया तो ये लिखते हैं मानव गुप्ता बहुत हद तक मैं भी इनसे इत्तेफाक रखता हूँ वाकई इस तरीके से नहीं दिखाया जाना चाहिए था कि वो अंताक्षरी खोल रहे हैं, खेल रहे हैं या वो पीड़ितों का ध्यान रख रहे हैं? और पूरे मामले में पाकिस्तान को तो एकदम इस तरह से दिखाया जैसे पाकिस्तान तो involve था ही नहीं। आप जानते ही हैं कि कांधार hijack जो है वो दिसंबर उन्नीस सौ निन्यानवे में भारत जाने वाली एक उड़ान के अपहरण पर आधारित है।
ये flight काठमांडू से चलकर नई दिल्ली की ओर जा रही थी तभी इसे hijack कर लिया गया यात्रियों और चालक दल को सात दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया यात्रियों को छोड़ने के बदले में आतंकवादियों ने तीन high profile आतंकवादियों की रिहाई की मांग की थी जिसमें मौलाना मसूद अज़हर, अहमद उमर, सईद, शेख और मुस्ताक अहमद वगैरह शामिल थे। दोस्तों यहाँ एक और बात मैं कहना चाहूँगा कि ये बनाई तो बहुत अच्छी गई है अगर मैं एक फिल्म maker के angle से देखूं तो बहुत कसी हुई है अगर आप देखना शुरू करते हैं तो आप चाहते हैं कि आप इसको पूरा देखें अंत तक तो ये एक तारीफ है अनुभव सिन्हा की उन्होंने बहुत कसी हुई बनाई है हाँ उन्होंने जो पाकिस्तान को जितने हल्के ढंग से दिखाया है उस पर एक सवाल उठता है लेकिन यहाँ पर एक और बात उठती है कि इस वक्त right wing से जुड़े लोग इस series पर काफी सवाल उठा रहे हैं तो क्या वो इसलिए है क्योंकि जिस वक्त अमृतसर में land कराया गया था आईसी eight one four को वक्त अमृतसर में यानी पंजाब में भाजपा की सरकार थी, केंद्र में भी अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और पैंतालीस मिनट तक अमृतसर की जमीन पर वो जहाज खड़ा रहा लेकिन negotiation शुरू नहीं किए गए, bargaining नहीं की गई, उनसे बात करने की कोशिश नहीं की गई, इसके बाद वो विमान उड़ता है, दुबई जाता है, कांधार जाता है। तो दोस्तों ये सारी बातें लाहौर के रास्ते जाता है।
ये सारी बात है कि हाँ, ये भी उस वक्त की सरकार की कमजोरी बताती है कि उस वक्त सरकार की इतनी बड़ी कमजोरी थी कि जब आपकी जमीन पर खड़ा था जहाज। और सिर्फ कुछ ही घंटे हुए थे हाईजैक हुए। आप उसी वक्त bargaining कर सकते थे, उसी वक्त negotiation शुरू कर सकते थे, बातचीत शुरू कर सकते थे, जो आपने नहीं की और फिर आपने कांधार जाकर की इसमें सात दिन भी लगे और जान भी गई, लोगों को सफर भी करना पड़ा और पूरी दुनिया में थू-थू भी होती रही, तो दोस्तों ये उस वक्त की सरकार पर प्रश्नचिन्ह तो लगता है, तो क्या वो लोग जो इस series पर प्रश्न उठा रहे हैं, क्या उन्हें ऐसा रहा है कि series के बहाने उस वक्त की वाजपेयी सरकार पर प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं, इसलिए चलिए हम कुछ निकालते हैं, हाँ जिस चीज को देखकर मैंने भी series देखी है, एक बात जरूर है कि इस series में अह पाकिस्तान और आईएसआई के पक्ष को उतना दिखाया नहीं गया है, जितना कि दिखाया जाना चाहिए था, क्योंकि सारा प्लान जो था वो पाकिस्तान का था, सारा प्लान जो था वो आईएसआई का था।
दूसरी बात ये है कि जहाँ तक नाम का सवाल है, देखिए नाम में कुछ नहीं रखा है। अह इस हाईजैक प्लेन में जो सवार थी जो अह interview दे चुकी हैं टीवी nine भारतवर्ष को वो खुद कह रही हैं कि इसी नाम से वो बुला रहे थे एक-दूसरे को तो अगर आप कहानी कह रहे हैं तो आपको वही नाम लिखने पड़ेंगे हाँ आपको disclaimer में वो नाम लिखने चाहिए थे जो शायद मुझे लगता है कि अह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से फटकार पढ़ने के बाद उन्होंने वो नाम रख दिए हैं अह disclaimer में तो कुल मिलाकर मामला ये है कि कहानी तो अच्छी कही गई है देखनी सबको चाहिए लेकिन सवाल जरूर उठते हैं कि उस वक्त की सरकार अमृतसर में negotiate क्यों नहीं कर पाई थी पैंतालीस मिनट सरकार का क्या आपस में agencies के साथ मेल नहीं था या आपसी दलों के बीच तालमेल नहीं था और क्या इन सबसे ऊपर नहीं थी उन फंसे हुए लोगों की जान.
रोहित शेट्टी की अपनी फिल्मों में कामुक सीन ना रहने की वजह शाहरुख की फिल्म से जुड़ी है