हीरामंडी द डायमंड बाजार वेब सीरीज रिव्यू: संजय लीला भंसाली की कहानी में कॉमन रहती है ग्रैंडनेस

हीरामंडी द डायमंड बाजार वेब सीरीज रिव्यू: संजय लीला भंसाली की कहानी में कॉमन रहती है ग्रैंडनेस

तो बात ऐसी है कि मैंने एक ऐसा शो देखा है जिसको देखने के बाद मुझे ये सीरीज दुनिया की सबसे लंबी सीरीज लगने लग गई है। बात करते हैं नेटफ्लिक्स पर आए नए शो हीरा मंडी की।  संजय लीला भंसाली जिन्होंने आज तक जितनी भी फिल्म्स हमारे सामने रखी है, उसमें हमेशा एक चीज कॉमन रहती है ग्रैंडनेस और यहाँ ग्रैंडनेस सिर्फ फिल्म के विसुअल्स में नहीं, एपिसोड के ड्यूरेशन एंड लेंथ से भी पता चल रहा था.

8 एपिसोड एंड हर एक पचास मिनट के आस-पास. कुछ-कुछ तो यार एक घंटे की भी है. बट दिस इज हाउ वेब सीरीज शुड बी. सो पूरे आठ घंटे की ये सीरीज है पकड़ के चलो. जिसको देखने के बाद आई आस्क तो माय सेल्फ के क्यों? इसकी जरूरत क्या थी? वो भी इतनी लंबी सीरीज क्यों?

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तो बेसिकली आपको स्टोरी लाइन बता दूँ कि यहाँ तीन आस्पेक्ट्स रखे गए हैं. एक pre independence era के दौर में जब बंटवारा वगैरह नहीं हुआ था तब लाहौर में हीरा मंडी नाम की जगह मशहूर थी जहाँ तवायफ वहां के नवाबों को खुश करने का काम करती थी अपने हुनर से नाच गाने से अदाएकी से और तो दूसरा aspect है इस शो का आजादी कि कैसे तवायफ भी चाहती थी आजादी और तीसरा aspect है प्यार और मोहब्बत तो इन तीनों को blend करके संजय लीला भंसाली ने एक ऐसा शो बनाया है जिसमें grandness तो आप जरूर महसूस करोगे चाहे sets में हो, actors में हो, actors के costume में हो, jewelleries में हो, even dialogues में यार dialogues तो एक से एक थे, औरत के असली दुश्मन तो उनके ख्वाब होते हैं, कमरे से भाग गई, किस्मत से कैसे भागोगी?

हीरा के लड़कियों की किस्मत हाथों की लकीरों में नहीं पैरों में होती है वगैरह वगैरह लेकिन again जब आप एक episode देखकर पूरा कर लोगे तो आपको अंदर से ये महसूस नहीं होगा कि आगे का episode भी देख ही लेते हैं नहीं you will be like ah आज के लिए बहुत हो गया next episode दो दिन बाद देखो तो भी चल जाएगा so I mean to say कि ah कहीं पर भी wow वाला moment आप नहीं देखोगे even इसको बहुत simple settle रखा गया है एकदम plain हाँ देखने सब कुछ अच्छा लग रहा है colour tone set designs actress के acting but story line बहुत ही ज्यादा straty सी लगने लगती है

एक point पर आकर और ये उनको पसंद आ सकती है जिनको लंबे लंबे drama serials वगैरह देखना पसंद है starting में जिस तरह से story line दिखाई जाती है वो आखरी episode में totally change हो जाती है जिसको actually episode wise gradually change किया गया है but इससे आपको अंदर से ये महसूस होने लगेगा कि कहाँ start हुई थी story भाई और इधर कैसे चली गयी but again ये इस की बुराई नहीं है ये अपने पॉइंट को सामने रखने के लिए कुछ ज्यादा ही टाइम लगा देती है

क्योंकि ये एक pre independence era and नवाबों के एरा की सीरीज है तो इसमें उर्दू वर्ड्स का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हुआ है कुछ एक तो मेरे सिर के ऊपर से चले गए एंड सीरीज हिंदी में होने के बावजूद मैंने करके रखे थे सीरीज में गालियां वगैरह नहीं है एंड एडलट कंटेंट है पर न्यूडिट ही नहीं है बाकी किसके साथ देखना है किसके साथ नहीं वो आप खुद ही डिसाइड कर लेना.

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