Choreographer से फिल्म maker बनी फरहा खान ने बॉलीवुड में हावी स्टार कल्चर पर खुलकर बात की है। उन्होंने पिछले बीस सालों में फिल्म industry में जो बदलाव आए हैं। उन पर खुलकर अपनी बात रखी है साथ ही उन्होंने stars की ऊल-जलूल demands पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे producers पर काफी load पड़ता है
क्योंकि stars की टीम पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं यानी स्टार तो आता ही है स्टार की जो टीम आती है साथ में उनके चट्टे-बट्टे चट्टे-बट्टों को भी बहुत सारा क्रीम लगाना पड़ता है और उस क्रीम लगाने में बहुत पैसा खर्च होता है जिसकी वजह से क्या होता है कि जो पैसा फिल्म पर लगना चाहिए फिल्म के marketing पर लगना चाहिए promotion पर लगना चाहिए वो हीरो हीरोइन की टीम पर लग जाता है और उससे फिल्मों का जो बिजनेस है ये घाटे में जा रहा है एक interview में फराह खान कहती है कि फिल्म का बजट बढ़ता ही इसलिए है क्योंकि स्टार स्कूल जरूर डिमांड करते हैं
एक actors के साथ नौ-नौ लोगों की team आती है एक actors के साथ आठ लोग आते हैं और फिर ये एक तरह से resources की बर्बादी भी पर लगने वाले पैसे से फिल्म को कोई फायदा होता ही नहीं है। फरहान ने आगे कहा कि इनके साथ आने वाले स्पॉट बॉय का एक दिन का खर्च पच्चीस-पच्चीस हजार रुपए तक होता है।
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पर्सनल सिक्योरिटी का एक दिन का चार्ज पंद्रह हजार और स्टाइलिश का एक दिन का चार्ज एक लाख रुपए तक होता है इस तरह एक स्टार की प्रतिदिन की कॉस्टिंग बीस से बाईस लाख रुपए तक किया जाती है तो अगर सत्तर दिन फिल्म की शूटिंग चले तो पंद्रह-बीस करोड़ रुपए का जो एक्स्ट्रा खर्चा है ये स्टार्स पर ही हो जाता है और इसे कम किए जाने की जरूरत है ये सब पर बहुत भारी पड़ता है मैं चाहती हूँ कि बॉलीवुड में ये चीज बदले।
फरहा खान सबसे पहले अपने मित्र शाहरुख़ खान को समझाइए सबसे पहले अपने मित्र सलमान खान को समझाइए। फिर आप बड़ी-बड़ी बातें कीजिएगा खैर फराह खान ने बॉलीवुड में आए अच्छे बदलावों पर भी बात की उन्होंने कहा कि अच्छी बात ये है कि industry अब पहले से ज्यादा organize हो गई है लोग समय पर आते हैं सारे contract proper होते हैं किसी का पैसा कोई खा नहीं सकता बुरी बात ये है कि पहले industry संबंधों पर चलती थी तो अगर मुझे कुछ चाहिए होता था तो मैं डायरेक्टर के तौर पर सीधे एक्टर से बात कर लेती थी
लेकिन अब ऐसा नहीं मुझे पहले manager के भी sub manager से फिर उसके manager से फिर उसकी एजेंसी से मिलना पड़ता है और सब कुछ बहुत clinical हो गया है इससे लोगों के आपसी संबंध बचे ही नहीं है। फरहा खान ने तीन दशक में करीब अस्सी से ज्यादा फिल्मों में choreography की है। छह फिल्म fair जीते है एक national award जीता है। फरहा ने अपने carrier में चार फिल्मों का निर्देशन भी किया है इनमें से तीन फिल्में हिट रही है।
फिल्म मैं हूँ ना आपको याद होगी दो हजार चार में आई थी यहाँ से फरहा खान का जो डायरेक्टर वाला कैरियर था वो शुरू हुआ था उसके बाद उन्होंने ओम शांति ओम दो हजार सात में फिर तीस मार खां आई जो बुरी तरह फ्लॉप हुई। और हैप्पी न्यू ईयर का हाल तो आप सब जानते ही हैं। मैं हूँ ना के लिए उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था।
साल दो हजार बारह में रिलीज हुई फरात की तो निकल पड़ी के जरिए उन्होंने बतौर actress debut किया था लेकिन मैं फरा खान से ये कहना चाहता हूँ कि वो जो इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं क्या वो शाहरुख़ खान के सामने जाकर ये कह सकती हैं कि क्या वो सलमान खान के बारे में जाकर सामने जाकर उनसे कह सकती हैं कि भाई अपनी इतनी बड़ी टीम मत लेकर आया करो इतने सैकड़ों करोड़ों रुपए मत लिया करो अक्षय कुमार से आप कह सकती हैं जिनके साथ आपने इतनी फिल्में की हैं। तो ये में जाकर ऐसे-ऐसे बोल देना ठीक है लेकिन क्या आप छाती ठोककर स्टार के सामने बैठकर ये बात कह पाएंगी?