बॉलीवुड का एक और काला सच जो निकल कर आया है मुकेश छाबड़ा के interview में जिसमें उन्होंने बताई है एक ऐसी बात जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे, मुकेश छाबड़ा बताते हैं कि बॉलीवुड में ऐसे कई सारे actors हैं, जो बड़े लोगों की मैयत पर यानी जब कोई किसी का देहांत हो जाता है। किसी की शोक सभा होती है, वहां सिर्फ इसलिए जाते हैं ताकि वो अपनी networking कर सकें।
मुझे आ रहा है मधु भंडारकर की फिल्म page three का एक scene जिसमें वाकई ऐसा होते हुए दिखाया गया था लेकिन अब तो मुकेश छाबड़ा ने जो कि industry के जाने-माने casting डायरेक्टर है उन्होंने साफ तौर पर एक interview में कहा है कि जी हाँ ये सच है बॉलीवुड में कई ऐसे actors हैं जो बड़े लोगों की मैयत पर सिर्फ इसलिए जाते हैं ताकि वहाँ networking हो सके और वहां पर भी वो काम मांगने से जी हाँ मैं repeat कर रहा हूँ किसी की मैयत पर भी वो काम मांगने से पीछे नहीं हटते मुकेश छाबड़ा ने है कि कई ऐसे मौकों पर वो मौजूद रहे हैं जहाँ किसी का देहावसान हो गया था, किसी की अंतिम यात्रा थी।
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किसी का अंतिम संस्कार था। और वहाँ कुछ actors ने उन्हें approach किया और उनसे काम माँगा। दोस्तों ये है बॉलीवुड की असलियत कि यहाँ लोग अपने स्वार्थ के लिए, अपने मतलब के लिए जगह भी नहीं देखते, मौका भी नहीं देखते। ये भी नहीं सोचते कि वो वहाँ किस लिए आए हैं, किस मकसद से आए हैं, वो अक्सर बस किसी के सामने पड़ना चाहते हैं ताकि network चलती रहे। और इस networking के जरिए काम मिलता रहे।
सभी जानते हैं कि बॉलीवुड एक ऐसी जगह है जहाँ आपको आपकी networking skills के आधार पर काम मिलता है। इसीलिए यहाँ पर nepotism जैसे वर्ड पनपते हैं या फिर favoritism जैसे वर्ड पनपते हैं क्योंकि यहाँ सब close circle होकर काम करते हैं और एक दूसरे से मिलते-जुलते रहना एक-दूसरे के सामने पड़ते रहना। मौका चाहे कोई भी क्यों ना हो, भले ही कोई इस दुनिया से रुखसत क्यों ना कर गया हो, भले ही कोई इस दुनिया को अलविदा क्यों ना कह गया हो लेकिन ऐसे actors इन मौकों का भी इस्तेमाल अपने मतलब के लिए करने से नहीं चूकते।
ये है बॉलीवुड की काली असलियत दोस्तों आप जानते हैं कि मैं बॉलीवुड के हर उस पहलू से पर्दा उठाता रहता हूँ जिसके बारे में बात करने की कोई हिम्मत नहीं करता लेकिन हाँ आज भी industry में कई ऐसे लोग हैं जो industry में रहते हुए भी वहां की काली करतूतों को लोगों के सामने उजागर करने से पीछे नहीं हटते हैं। मुकेश छाबड़ा भी इनमें से एक है और उन्होंने खुद इस बात को मिश्रा के interview में कहा है कि हाँ ऐसे कई मौके रहे हैं, जब वो हैरान रह गए ये देखकर कि एक actor उन्हें approach कर रहा है, कहाँ? जहाँ सब लोग विलाप कर रहे हैं।
जहाँ सब लोग रो रहे हैं, किसी के जाने का दुख मनाया जा रहा है, लेकिन वो शख्स अपनी अगली फिल्म के बारे में बात करना चाहता है, वो शख्स चाहता है कि उसे काम मिले, उसे कामयाबी मिले और एक बार फिर से वो बॉलीवुड की जो रंगीन दुनिया है, उसमें खो जाए और इसलिए वो ऐसे मौकों को भी चूकता नहीं है। सोचिए दोस्तों जो लोग इस तरह का काम करते होंगे उनकी फितरत कैसी होती होगी? क्या उनके जहन में कभी किसी सुख-दुःख के लिए कोई गुंजाइश होगी?
और आप माँ आप जो काम मांग रहे हैं, वो acting का है, acting आपकी करते हैं? मानवीय संवेदनाओं की, emotional हमारे जो decisions होते हैं, हमारे जो moments होते हैं, उनकी आप acting परदे पर करते हैं, लेकिन खुद अपनी असल जिंदगी में क्या रहे हैं, खुद अपनी असल जिंदगी में एक ऐसे मौके का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि असल में किसी के दुख का मौका है।
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