Article 370 मूवी रिव्यू हिंदी

Article 370 मूवी रिव्यू हिंदी

धारा 370 को हटाने का मुद्दा भाजपा का एक तरह से कह सकते हैं जब से भाजपा का जन्म हुआ है तब से है। नरेंद्र मोदी जी की तस्वीरें धारा तीन सौ सत्तर हटाओ आंदोलन की कितनी पुरानी-पुरानी वायरल है ये हम सभी जानते हैं। ऐसे में धारा तीन सौ सत्तर जब हटाई गई तब जाहिर सी बात है ये पूरे देशवासियों के लिए हर्षोल्लास का सब्जेक्ट था।

हालाँकि ये बात अलग है कि देश में कई सारे ऐसे लिबरल्स भी मौजूद थे जो कि ना तो तब उससे खुश थे और ना ही आज हम बात करने वाले हैं आर्टिकल three seventy Movie की जिसको कि निन्यानवे रुपए की टिकट का भी बहुत फायदा मिला है। लेकिन इस क्या वाकई में दिलों के ऊपर लोगों की छाप छोड़ी है? क्या ये वाकई में कोई अच्छी Movie है या एक propaganda मात्र है?

क्या इस movie में वाकई हमको कुछ ऐसी चीज देखने के लिए मिलेगी जो हम नहीं जानते है तो इन सब चीजों का जवाब आपको इस artic में मिल जाएगा लेकिन आगे बढ़ने से पहले आपको एक चीज बता दूँ कि इस Movie में वाकई में आपको वो चीज देखने के लिए मिलेगी जिससे आपको पता चलेगा कि इस धारा तीन सौ सत्तर को हटाने के पीछे का फैसला आखिर लिया कैसे गया था?

भक्षक मूवी रिव्यू हिंदी | Bhashak Movie Review Hindi

दरअसल Article three seventy का Trailer देखने के बाद सबसे पहली बात दिमाग में ये आई थी कि सरकार के फैसलों की गाथा गाने वाली एक और फिल्म शायद हमको देखनी पड़ेगी। और ऐसा feel होने में अब दर्शकों की कोई खास गलती भी नहीं है पिछले कुछ समय में इस तरह की इतनी फिल्में आ चुकी है कि Bollywood खुद अपना एक राजनीति शास्त्र विभाग बना सकता है खैर भारी risk के साथ में ये film देखी गयी और जब मैंने इस film को देखा तो मुझे समझ में आया कि अगर Political फैसले पर based film की अगर बात की जाए तो शायद हमको Article three seventy को थोड़ा Side में रख देना चाहिए दरअसल Engage करने में ये movie हर एक Point पर कामयाब रहने वाली है Producer Aditya Dhar की ये film बिलकुल उसी zone में operate करती है जिसमें उनकी खुद की Direct करी गयी film पूरी Surgical strike थी article Three seventy सरकार के उस ऐतिहासिक फैसले को ग्राउंड पर लागू करने वाले लोगों उस फैसले के पीछे की planning और बिना किसी को कानों कान खबर हुए उसे कामयाबी तक लेकर जाने की कहानी को celebrate करता है जैसे Surgical strike खबरों में बहुत Popular चीज थी मगर हुई कैसे किस तरह से ये हुई किसी को पता नहीं था अब यहाँ पर विक्की कौशल की उरी आयी तो लोगों के imagination को दो तस्वीरें मिल गयी जो खबरों में छपे शब्द reality की तरह दिख रही थी।

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हालांकि थी वो एक डायरेक्टर की imagination और ठीक इसी तरह article three seventy भी audience को एक ऐतिहासिक घटना के visuals देने का काम करती है। सबसे अच्छी चीज जो मुझे इस मूवी में लगी वो ये कि इसकी शुरुआत बुरहान वानी से होती है। वो बुरहान वानी जिसको कि आंतकवादी होने के बावजूद भी घाटी में पोस्टर बॉय बना दिया गया था। दूसरे बच्चों को या दूसरे जवान लड़कों के दिमाग को ख़राब करने के लिए। यामी वतन की इस मूवी को डायरेक्टर आदित्य सुहास जामले ने चैप्टर वाले स्टाइल में ट्रीट किया है।

ये चैप्टर वाले episode से शुरू होते हैं और पुलवामा वाले हमले से होते हुए आगे बढ़ते हैं। आखिरकार ये वहाँ पहुँचते हैं जहाँ भारत सरकार का एक फैसला कश्मीर की तकदीर बदलने के लिए तैयार है। article three seventy शुरू होती है intelligence Officer जूनी मतलब की यामी गौतम के एक मिशन से जिसमें उनके Mission पर जूनि का operation कश्मीर में बवाल खड़े कर देता है, इसके बाद उसे दिल्ली बुला लिया जाता है। इधर दिल्ली में पीएमओ की high rank official राजेश्वरी स्वामीनाथन कश्मीर के हालात को लेकर active है। वो सीधा और गृहमंत्री के कश्मीर Vision को reality में लाने पर काम कर रही है। फिल्म में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम तो नहीं लिए गए हैं मगर दोनों किरदारों को देखकर ही आप समझ जाएंगे कि आखिर ये कौन है? राजेश्वरी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए जूनी को वापस कश्मीर भेजती है।

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लेकिन इस बार नई power के साथ। इस बार जब नई Power के साथ जूनी को मिशन दिया गया है कि कश्मीर में anti इंडिया गतिविधियों और लोगों को काबू करना ताकि इधर सरकार अपने फैसले बिना किसी चिंता के ले सके। और फिल्म की एकदम शुरुआत में ही ये साफ हो जाता है कि जूनी इस तरह के काम में किसी भी तरह तो पड़ने वाली नहीं है। एक तरफ आपको जूनी की नजर से कश्मीर के हालात वहां की politics और Bureaucracy पर commentary मिलती है। दूसरी तरफ राजेश्वरी दिल्ली की राजनीति का जायका आप तक पहुंचाती है। second half में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की Entry के बाद फिल्म का माहौल ही बदल जाता है।

ऐसा लगता है कि सारा focus अब उन पर ही गया है। लेकिन ये तो होना ही था। आखिर वो किरदार ही ऐसे हैं। देखिए भारत के गृहमंत्री अमित शाह की एक Parliamentary speech को इस तरह से recreate किया गया है। वही कश्मीर का हिस्सा कश्मीर भारत का जो पूरा seen है। वो फिल्म के Narrative असरदार है। किरण कर्माकर ने अपने किरदार में मतलब वाकई में जान फूंकने का काम किया है। और ठीक इसी तरह अरुण गोगल ने प्रधानमंत्री के किरदार को बेहतरीन संजीदगी के साथ पेश किया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हर मूवी अच्छी होती है या यूँ कहें कि इस मूवी में कोई बुराई है ही नहीं।

हालाँकि सरकार के एक अच्छे फैसले की बात कर रही है लेकिन है तो आखिर में मूवी तो ऐसा है कि Article three seventy reality और fiction के बीच की लकीर पर बड़ी चालाकी से बनाई गई movie है। political समझ और असल घटनाओं को पूरे facts के साथ देखने वाले लोगों को फिल्म में बहुत सारी गलतियां मिल सकती हैं। मगर ये तो जानते ही हैं कि इस तरह की फिल्मों में फैक्ट्स को आखिरी चीज के तौर पर फोकस में लिया जाता है। लेकिन आर्टिकल three Seventy की खासियत यही है कि इसका पूरा ड्रामा बड़ी कलाकारी के साथ रचा गया है और तरीके से आगे बढ़ता है। यानी गौतम का काम इस फिल्म में वाकई में इतना दमदार है कि आर्टिकल three Seventy को उनके career की best Performance के तौर पर देखा जा सकता है।

Close ups में उनकी आंखें चेहरे के expression और आवाज बेहतरीन असर डालते हैं। राजेश्वरी के रोल में प्रियामणि भी बहुत ज्यादा दमदार लगती है। उनका फैन तो वैसे में काफी पुराना रहा हूँ चाहे आप जवान की बात कर लें, family man की बात कर लें। वहीं वैभव तत्ववादी और राज अर्जुन की performance भी याद करने वाली है। article three Seventy के पूरे narrative को एक Background score से बहुत ज्यादा Help मिली है। cinematography, Sound और production के मामले में ये एक technically solid और Sound movie है। और बहुत असरदार तरीके से अपने narrative को आगे बढ़ाती है। इसलिए दर्शकों के तौर पर ये समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिरकार पर्दे पर दिखाई जा रही कहानी fiction है, fact नहीं।

कोई makers भी इस बात को लेकर काफी ज्यादा extra alert थे। और शायद इसीलिए उन्होंने फिल्म की शुरुआत में एक बहुत लंबा disclaimer दिया है। इस दौर में political लकीर पर बनती फिल्मों की एक सिनेमाई याद ये लंबे-लंबे disclaimer भी बनते जा रहे हैं। कुल मिलाकर article Three seventy reality के बेहद करीब वाले fiction को facts से थोड़ा सा दूर ले जाकर एक काफी Thrilling तरीके से पेश करती है। यानि गौतम और बाकी सारे actors की दमदार performance फिल्म को Engageing बनाती है। बीच-बीच में संविधान की technical चीजों को समझाने की कोशिश narrative को थोड़ा सा धीमा कर जरूर करती है मगर reality की पोटली में बंधा Fiction इससे काफी होता है। यही वजह है कि फिल्म दो घंटे चालीस मिनट का लंबा रन टाइम होने के बावजूद भी attention hold करने में काफी कामयाब है। अगर Political फिल्मों को पचा पाने में आप कामयाब होते हैं तो Article three seventy को आप मिस करना afford नहीं कर सकते।

मैडम वेब मूवी रिव्यू हिंदी। Medam web movie review Hindi