शेखर सुमन ने क्यों फेंक दी भगवान की मूर्ति | Why did Shekhar Suman throw away the idol of God?

शेखर सुमन ने क्यों फेंक दी भगवान की मूर्ति | Why did Shekhar Suman throw away the idol of God?

शेखर सुमन का एक इंटरव्यू इस समय काफी चर्चा में है जिसमें उन्होंने बताया है कि उनका जब बड़ा बेटा ग्यारह साल का आयुष वो एक बहुत ही गंभीर बीमारी की वजह से चल बसा उसके बाद उनका भगवान से विश्वास उठ गया था उन्होंने वो पूरा किस्सा बताया उस इंटरव्यू में एक बार बहुत तेज बारिश हो रही थी और उन्हें एक शूटिंग पर जाना था लेकिन उनके बेटे आयुष की बहुत तबियत खराब थी उसकी उम्र उस वक्त ग्यारह साल थी उनका बेटा उनका हाथ पकड़कर उनको रोकता रहा लेकिन डायरेक्टर ने कहा कि आप प्लीज आ जाइए बहुत नुकसान होगा,

पहले तो शेखर सुमन ने मना किया लेकिन उन्होंने कहा कि जब डायरेक्टर ने बहुत request किया तो मैं चला गया और उसके बाद मेरे बेटे की जान चली गई और मैंने अपने बेटे को खो दिया, बड़े बेटे आयुष को शेखर सुमन कहते हैं कि उसके बाद मेरा भगवान से विश्वास ही उठ गया, मुझे लगा कि जिस भगवान ने मुझसे मेरा बेटा छीन लिया, मैं उसके पास अब कभी नहीं जाऊंगा, उन्होंने कहा मैंने भगवान की मूर्ति घर से फेंक दी, मंदिर को बंद कर दिया।

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उस बच्चे की हालत इतनी ज्यादा खराब होती थी कि अक्सर उनकी पत्नी ये दुआ मांगती थी कि ईश्वर अपने पास बुला लें क्योंकि उनसे तकलीफ देखी नहीं जाती थी तो शेखर सुमन ने इस पूरे वाक्य का जिक्र उस इंटरव्यू में किया है और शेखर सुमन की वो जो तकलीफ है वो उनकी आँखों में दिखती है जिस वक्त वो बयां कर रहे हैं लेकिन दोस्तों मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि क्या कभी आपके जीवन में ऐसा मौका आया है जहाँ पे आपको लगा हो कि ईश्वर ने आपके साथ अन्याय किया, ईश्वर ने आपकी बात नहीं सुनी जहाँ ईश्वर से आपका भरोसा उठ गया हो और फिर आपको ये पता चला हो कि ये जो हमारे साथ हुआ ये शायद ही किसी बुरे कर्म का फल था?

या हमें कोई सीख मिलनी थी? या ईश्वर कुछ सिखाना, बताना चाहता था या फिर आपको ये लगा हो कि हाँ, इस दुःख के जरिए हमने जीवन में एक नई सीख हासिल की, तो कभी कुछ ऐसा अगर आपके जीवन में हुआ है, तो मेरे वीडियो के नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर कीजिए क्योंकि ऐसा अक्सर होता है, हमारे साथ जीवन में कई परिस्थितियां आती हैं, जिसमें हम ईश्वर को काफी बुरा, बुरा भला कहते हैं, बहुत सारे लोग ये कहते हैं कि हमारे साथ ठीक नहीं हुआ, अन्याय हुआ, तो मैं जानना चाहता हूँ कि जिस तरह से शेखर अपनी बात साझा की है और ये बताया है कि उस वक्त उन्हें ये लग रहा था कि ये बहुत गलत हुआ और ऐसा नहीं होना चाहिए था तो क्या आपके जीवन में भी ऐसे मौके आए हैं क्या आपको किसी समय पर लगा है कि ये जो हुआ ये ठीक नहीं था?

या नहीं होना चाहिए था? या फिर ऐसा भी हो सकता है कि आपको उस वक्त जो ठीक ना लगा हो उसके कई सा लो के बाद या लंबे समय के बाद आपको पता चला हो कि हाँ ये कमी या ये गलती या ये अन्याय हमारे साथ इसलिए हुआ क्योंकि हमें इसके जरिए ये सीखना था आप लोग इस पर अपनी क्या राय रखते हैं मेरे इस video के नीचे जरूर share कीजिए, दोस्तों मेरी कोशिश होती है कि जो मशहूर हस्तियां हैं जो टीवी पर आज उनको आप देखते रहे हैं फिल्मों में देखते रहे मैं उनकी जिंदगी के उस हिस्से को आपके सामने रखूं जो हिस्सा आपको ये बताएं कि वो कोई बहुत खास इंसान नहीं है वो भी बिल्कुल हमारे आपके जैसे हैं उनके जीवन में भी उतने ही दुख, दर्द, तकलीफें, challenges, चुनौतियां होती हैं उन्हें भी उस सबसे होकर गुजरना पड़ता है क्योंकि बहुत सारे लोगों के मन में आता है कि जो मशहूर हैं टीवी पर आते हैं बहुत सा पैसा होगा, बहुत सी सुविधाएं होंगी। उनका जीवन बड़ा ऐशो-आराम में होगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है।

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