कंगना रनौत ने एक बेहद डराने वाला ऐलान कर दिया है। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वो शो बिज छोड़ देंगी यानी चुनाव होने से पहले उन्होंने ये दिन में सपना देख लिया है कि वो चुन ली गई है और उन्होंने बॉलीवुड को पूरी तरह से छोड़ने का मन बना लिया है हाल ही में एक interview उन्होंने एक टीवी चैनल को दिया और वहाँ उनसे पूछा गया कि भाई आप कैसे manage करेंगी?
फिल्मों को और राजनीति को तो सीधे बोलती है कि मैं छोड़ दूंगी। exactly क्या बोल रही है? वो पूछा गया कि फिल्म और राजनीति को आप एक साथ कैसे मैनेज कर पाएंगी? इस पर वो कहती है मैं फिल्मों में भी पक जाती हूँ मैं रोल भी करती हूँ, निर्देशन भी करती हूँ वैसे आपकी फिल्में देखकर लोग भी पक जाते हैं इसीलिए आपकी बहुत सारी फिल्में फ्लॉप हो गई खैर ये उन्होंने नहीं कहा ये मैं कह रहा हूँ फिर कहती हैं अगर मुझे राजनीति में संभावना दिखती है संभावना मतलब सीट दिखती है।
अरेंजमेंट दिखता है क्योंकि जनसेवा करनी होती है जैसे वो सीट नहीं दिखता इनका संभावना का मतलब है सीट संसद में सीट दिखती है। तो लोग इससे जुड़ हैं तो फिर मैं राजनीति ही करूंगी। मुझे लगेगा कि वो लोग मुझसे जुड़ गए हैं और ideally मैं एक ही काम करना चाहूंगी।
जाहिर है आप एक ही काम कर रही थी तभी तक ठीक थी जब आपने दो काम करने शुरू किए यानी फिल्मों के साथ ऐसी बयानबाजी तो आपकी फिल्मों का क्या हश्र हुआ आप जानती है ये कहती है अगर मुझे लगता है कि लोगों को मेरी जरूरत है तो फिर मैं उसी दिशा में जाउंगी। लोगों को आपकी जरूरत है। देखिए आपको राजनीति की जरूरत है क्योंकि आपका बॉलीवुड करियर फ्लॉप हो गया है।
बातों को घुमाकर कहना छोड़िए कंगना जी तो ये कहती है कि मुझे लगता लोगों को मेरी जरूरत है तो मैं फिर उसी दिशा में जाऊँगी। मैं अगर मंडी से जीत जाती हूँ तो फिर मैं राजनीति ही करूंगी। मुझे कई फिल्म मेकर कह रहे हैं कि राजनीति में मत जाओ, आपको लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए। मेरी निजी महत्वाकांक्षा की वजह से लोग सफर कर रहे हैं, तो ये अच्छा नहीं है, मैंने privileged लाइफ जी है। अगर अब लोगों के साथ जुड़ने का मौका मिल रहा है, तो उसे भी पूरा करूंगी।
मुझे लगता है, सबसे पहले लोगों की आपसे जो उम्मीदें हैं, आपको उसके साथ justice करना चाहिए। कंगना जी, आप जैसे लोग क्या करते आपने बहुत अच्छा काम किया, आपने अपना सपना पूरा किया, आप अभिनेत्री बनना चाहती थी, आप बन गई, आपने नेशनल अवार्ड भी जीते, अच्छा काम किया, सराही गई, सब कुछ हुआ, फिर आपने उसको टूल बना लिया। अपने एक्टिंग के करियर को। आपने उसे टूल बनाया। फिर आपने अपनी बयानबाजियां शुरू की।
आपने लोगों के सामने कुछ ऐसी बातें रखनी शुरू की, जो आमतौर पर लोग कम बोलते हैं, ठीक है, वहां तक भी आप ठीक थी। फिर आपको लगा कि आपकी फिल्में लगातार गिर रही हैं, फ्लॉप हो रही हैं। पंगा हो, धाकड़ हो। कितनी फिल्में आपकी फ्लॉप हुई, कट्टी-बट्टी हो, बहुत फिल्में फ्लॉप हुई। उसके बाद आपको लगा अब मुझे अपना arrangement कर लेना चाहिए।
तेजा साहब की फ्लॉप हुई तो फिर आपने अह emergency की रिलीज़ को टाल दिया क्योंकि आपको लग रहा था लगातार ये इतनी सारी फिल्में फ्लॉप होंगी तो बिल्कुल ही मामला चौपट हो जाएगा फिर आपने उसकी रिलीज़ डेट कहाँ रखी जून में ताकि चुनाव जब हो चुके हों।
एक नैरेटिव सेट हो चुका हो। उसके बाद आप अपनी फिल्म को रिलीज़ कर रही हैं जबकि ये फिल्म कई महीने पहले रिलीज़ होने वाली थी खैर अब उनसे ये भी पूछा गया कि फिल्मों के मुकाबले राजनीति की लाइफ एकदम अलग होती है। क्या ये सब उन्हें जच रहा है? उसके जवाब में कहती हैं कि एक झूठी सी दुनिया है, वो अलग वातावरण बनाया जाता है।
एक बबल बनाया जाता है, लोगों को आकर्षित करने के लिए। वैसे कंगना जी राजनीति में भी यही होता है, एक बबल ही तो बनाया जाता है, कुछ बातें ही तो कही जाती हैं, जुमले ही तो कसे जाते हैं। खैर, वो कहती हैं, कि राजनीति एक वास्तविकता है। लोगों के साथ उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना है, मैं नई हूँ पब्लिक सर्विस में बहुत कुछ सीखना है, मतलब आप सीखने के लिए सांसद बनी है। वाह! क्या बात है? क्या ट्रेनिंग ग्राउंड आपको मिला है? आप सांसद सीखेंगी लोग पता है राजनीति कहाँ से सीखते हैं?
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कार्यकर्ता बनकर, वर्कर बनकर, grass root level पर काम करके लेकिन इन मैडम को राजनीति भी सीखनी है तो संसद में बैठकर सीखनी है। ऐसी किस्मत भगवान सबको दे। खैर, हाँ, परिवारवाद पर तो बात करती हैं ये। परिवारवाद पर क्या बोलती हैं। कहती हैं स्वाभाविक है, मुझे लगता है, कहीं ना कहीं हमने परिवारवाद को फिल्मों और पॉलिटिक्स तक सीमित कर दिया है।
परिवारवाद सबकी दिक्कत है और होनी चाहिए, इसका दुनिया में कोई अंत नहीं है, आपको ममता से उभरकर बाहर आना होगा, जहाँ तक हम खुद को एक्सटेंड करते हैं, वो परिवार होता है, आज मुझे कहते हैं मंडी की बेटी ये मेरा परिवार है, ममता में कमजोर नहीं होना है। जहाँ तक मुझे याद आ रहा है कंगना जी का सारा काम उनकी बहन रंगोली जी देखती है।
और ऐसा होना भी चाहिए घर के किसी सदस्य को ही आपके साथ involve अगर हो रहा है तो उसमें कुछ गलत नहीं है। कंगना जी चाहे politics हो, चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो, कांग्रेस हो, शिवसेना हो कोई सी पार्टी हो, समाजवादी पार्टी हो, सब जगह परिवारवाद है, ये आप अच्छे से जानती हैं। और परिवारवाद के नाम पर किसी एक ही पार्टी को निशाना बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि अब परिवारवाद हर पार्टी में आ चुका है।
तो कुल मिलाकर अब बहुत बुरी तरीके से अह कंगना को ये गलतफहमी हो चुकी है कि वो मंडी की सीट जीत जाएँगी और उसके बाद बॉलीवुड को अलविदा कह देंगी, लेकिन आप सोचिए कि लोग किस तरह से याद रखेंगे कंगना को कि जब दस फिल्में पिट गई, तब इन्हें राजनीति का career सूझा और फिर ये राजनीति में आई। ऐसा नहीं कि अपने career में टॉप पर थी और फिर राजनीति में आई।
लगातार फिल्में पिट रही थी, जनता नकार रही थी, जनता में आपको नहीं देखना। और उन्हें अपनी कहीं तो कोई रोजी-रोटी चलानी थी उन्होंने सोचा कि चलो चुनाव में कूद जाते हैं। दोस्तों मेरा एक सवाल हमेशा रहा है बॉलीवुड के अभिनेताओं से खासकर कि हमारे देश का ये जो लोकतंत्र है इसकी जो राजनीति है क्या ये आपके लिए एक रिटायरमेंट प्लान है मैं पूछना चाहता हूँ सनी देओल से भी जो गुरदासपुर से सांसद बने और फिर वहां की जनता को ठेंगा दिखा दिया।