एक टीवी एक्टर हैं, नाम है संजय गांधी और ये, ये रिश्ता क्या कहलाता है में दद्दा जी का रोल किया करते थे, लेकिन चलते शो से इन्हें बाहर कर दिया गया, आज इनकी हालत ये है कि इनके पास काम नहीं है। दोस्तों से पैसा उधार मांगकर इनका काम चल रहा है।
मुंबई के अंधेरी इलाके में ये किराए पर रहते हैं, इनका अपना घर मीरा रोड में है, जिसे अब गिरवी रखने की नौबत आ चुकी है और इनका ये कहना है कि हमारी जो टीवी कलाकार है, उनकी जिंदगी ऐसी ही होती है। अचानक सब छिन जाता है। इन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले मैंने जनक नाम का टीवी शो join किया था मुझे कहा गया कि इसमें आपका काफी काम होगा और बड़ा मेजर रोल होगा इसलिए मैंने और कहीं काम देखा नहीं और फिर अचानक से अब मुझे इससे भी निकाला जा रहा है।
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कुल मिलाकर मामला ये है कि एक बार फिर से टीवी इंडस्ट्री से एक ऐसी कहानी बाहर आई है जिसे सुनकर छोटे शहरों में रहने वाले वो लोग जो टीवी पे आने का सपना देखते हैं उनको ये संदेश मिलेगा कि टीवी कलाकारों की जिंदगी को एक अच्छी होती नहीं है। आपको लगता है कि आप अपने घर में बैठे इनको टीवी स्क्रीन पर देखते हैं तो इनके पास बहुत सा पैसा होगा, बहुत सी सुविधाएं होंगी, लेकिन अगर आप मुंबई आकर देखेंगे, तो वो कलाकार जो किसी तरह बस अपना काम चला रहे हैं, उनकी स्थिति ज्यादा अच्छी होती नहीं है।
हाल ही में आपने देखा कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा में सोढ़ी जी का किरदार निभाने वाले गुरुचरण का क्या हाल हुआ? इतने पैसे उधार उन्होंने ले रखे थे मार्केट से कि उसके बाद उन्हें मुँह छुपाने के लिए एक यात्रा जाना पड़ा या ना मालूम उनको ले जाया गया क्या हुआ उनके साथ कोई नहीं जानता बहरहाल वो वापस तो आ गए हैं लेकिन इतना जरूर है कि ये जो टीवी पर काम करने वाले कलाकार होते हैं ये उतनी अच्छी जिंदगी नहीं गुजार पाते।
जब तक कि ये बहुत बड़ा नाम ना बन जाए किसी शो के लीड ना बन जाए ये जो supporting कास्ट होती है जो supporting stars होते हैं ये बड़े जाने-पहचाने चेहरे तो होते हैं लेकिन अगर आप इनके आर्थिक हालात जानना चाहें तो स्थिति ये होती है कि काम के नब्बे दिन बाद इनको पैसा मिलता है। यानी वो सीरियल जो आज शूट हो रहा है जिसे शायद आप अगले हफ्ते या दस-पंद्रह दिन में देख लेंगे।
उसके telecast के नब्बे दिन बाद इनको पैसा मिलता है और ये मुद्दा मैंने पहले भी उठाया था कि ये जो फिल्म इंडस्ट्री और टीवी इंडस्ट्री है ये freelancers से भरी हुई है। इनका मेहनताना अक्सर इन्हें उस वक्त भी नहीं मिलता जिस वक्त आप इनके द्वारा की गई मेहनत से खुद का मनोरंजन कर रहे होते हैं यानी आप तो अपने घर में बैठकर इनका शो देख रहे होते हैं।
लेकिन उस वक्त इनकी जेब में पैसा नहीं होता। इन्हें इंतजार करना पड़ता है और अगर इनके पास बहुत ज्यादा काम नहीं है तो कई बार भूखों मरने की नौबत तक आ जाती है, ये सारी बातें हर कोई खुलकर नहीं कहता क्योंकि मैं बहुत सारे लोगों के साथ उठता-बैठता हूँ और मैंने इस industry को बहुत नजदीक से देखा है, इसलिए आपको पूरा सच बता रहा हूँ, आज ये संजय गांधी वाला किस्सा आया तो मुझे लगा मैं आपको एक बार फिर से याद दिला दूँ, कि टीवी industry ये एक ऐसी industry है, जहाँ आज भी कई सारे ऐसे अभिनेता हैं, कई सारे ऐसे कैमरा हैं, editor हैं, crew members हैं जो आज भी अपने पुराने पैसे के लिए प्रोड्यूसर्स के घर के चक्कर काट रहे हैं या प्रोड्यूसर के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं या जिन्होंने एसोसिएशन में अपना मामला डाला हुआ है
लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं है और ये खुलकर सबके सामने आ भी नहीं सकते क्योंकि असल में उन्हीं लोगों के पास उन्हें फिर से काम मांगने जाना है तो सोचिए जिनसे आप रेगुलर बेसिस पे काम मांगते हैं वही आपका पैसा मारने लगे तो आप कुछ ज्यादा कह भी नहीं सकते क्योंकि अगर आप ज्यादा कहेंगे लड़ेंगे दुश्मनी हो जाएगी तो अगला काम भी नहीं मिलेगा दोस्तों ये सारी बातें सामने आना इसलिए जरूरी होती है क्योंकि जो perception हमारे दिमाग में बना हुआ है ना अरे फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड अब तो सब बहुत अच्छा होगा ऐसा है नहीं,
मैं चाहता हूँ कि छोटे शहरों से जो लोग आ जाते हैं बड़े-बड़े सपने लेकर और उनको लगता है सब कुछ बहुत आसान हो जाएगा मुंबई आते ही एक दो सीरियल मिल गया एक दो लाइन का रोल मिल गया तो हमारी किस्मत चमक गई ऐसा कुछ होता नहीं है दोस्तों अगर आप किसी बहुत अच्छे कैरियर को छोड़कर आ रहे हैं किसी बहुत अच्छी पढ़ाई लिखाई वाले किसी लाइन को छोड़कर आ रहे हैं तो प्लीज मत आइए। क्योंकि यहाँ पर बहुत से ऐसे हैं जो पहले से ही धक्के खा रहे हैं।
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