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जावेद और शबाना के रिश्ते का अधूरा सच! | The incomplete truth of Javed and Shabana’s relationship!

जावेद और शबाना के रिश्ते का अधूरा सच! | The incomplete truth of Javed and Shabana’s relationship!

शबाना आज़मी भारतीय सिनेमा की वो अभिनेत्री जिन्होंने commercial फिल्मों से लेकर आठ फिल्मों तक अपनी acting का लोहा हर किसी से मनवाया। अपने दौर के महान शायर कैफी आज़मी के घर जन्म लेने वाली शबाना आज़मी ने केवल सिल्वर स्क्रीन ही नहीं बल्कि थिएटर और टेलीविज़न पर भी अपने हुनर का जलवा बिखेरा। पहली ही फिल्म के लिए national फिल्म award हासिल करने वाली शबाना आज़मी ने एक रिकॉर्ड बनाया है। पूरे पांच दफा ये कारनामा कर दिखाया है जब उन्हें national फिल्म award से सम्मानित किया गया हो। आज हम आपको उन्हीं की कहानी सुनाने जा रहे हैं।

बॉलीवुड की खबरों से लेकर पुराने सितारों के राज खोलती कहानियों तक बात दुनिया के रहस्यों की हो या हैरान करने वाली घटनाओं की यूट्यूब का सबसे रंग बिरंगा कॉन्टेंट मेरे साथ सिर्फ उज्जवल त्रिवेदी टॉक्स पर शबाना आजमी का जन्म हुआ था अठारह सितंबर उन्नीस सौ पचास के दिन हैदराबाद में इनके पिता कैफी आज़मी एक जाने-माने उर्दू शायर थे आजादी के बाद भारत में उर्दू भाषा के प्रचार प्रसार में कैफी आज़मी के योगदान को काफी सराहा जाता है वहीं शबाना आजमी की माँ शौकत कैफी आज़मी भी अपने दौर की दिग्गज अभिनेत्री थी कहा जा सकता है कि कला और का माहौल शबाना को बचपन में ही मिल गया था लेकिन ये भी सच है कि कला के क्षेत्र के दो बड़े नाम होने के बावजूद भी शबाना आजमी के माता-पिता कोई खास अमीर नहीं थे। जी हाँ कैफी आज़मी communist पार्टी के member थे और एक छोटे से कमरे में रहकर अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा वो पार्टी को दान कर दिया करते थे। अपने परिवार के साथ ये जिस बिल्डिंग में रहती थी वहां कई परिवार रहा करते थे।

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पूरी बिल्डिंग में केवल एक ही टॉयलेट था और एक ही बाथरूम था। शबाना आजमी जब थोड़ी बड़ी हुई तब इनके पिता ने इन्हें मुंबई के गोवंडी स्थित के सरकारी स्कूल में दाखिल करा दिया लेकिन शाबाना हाज़मी को वो स्कूल जरा भी पसंद नहीं था वो रोते हुए वहाँ जाया करती थी exams हुए तो इनके पिता को मालूम चला कि इन्हें हर विषय में जीरो मिले हैं। इसके बाद इनके पिता ने फैसला कर लिया कि चाहे जितनी भी मेहनत क्यों ना करनी पड़े वो इन्हें एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाएंगे।

इनके पिता ने इनका दाखिला queens marry स्कूल में कराने का सोचा लेकिन इसमें एक परेशानी थी और वो ये कि स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों के माता-पिता को आनी जरुरी थी। जबकि शबाना के माता-पिता का अंग्रेजी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। तब कैफी आजमी के एक दोस्त अपनी पत्नी के साथ शबाना को अपनी बेटी बताकर स्कूल ले गए और उनका दाखिला उस स्कूल में करवाया। acting की शुरुआत शबाना ने अपने बचपन में ही कर दी थी ये स्कूल में होने वाले नाटकों में हिस्सा लेने लगी थी फिर कॉलेज में उन्होंने थिएटर्स में हिस्सा लेना भी शुरू कर दिया।

जिस कॉलेज में शबाना आजमी पढ़ती थी उसी में फारुख शेख भी पढ़ा करते थे। फारुख इनसे एक साल सीनियर थे। फारुख और बीच में कॉलेज के दिनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी कॉलेज में ये साथ में ही नाटकों में हिस्सा लिया करते थे बाद में कुछ फिल्मों में भी इन्होंने साथ में काम किया। शबाना ने मुंबई के सेंट जेवियस कॉलेज से साइकोलॉजी में अह डिग्री ली और फिर ये फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट पुणे आ गई, एक्टिंग का इन्होंने विधिवत प्रशिक्षण लिया। और फिर पुणे से जब इन्होंने अपना एक्टिंग कोर्स पूरा कर लिया तो इन्हें ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म फासला में काम करने का मौका मिला।

इसी के साथ ही कांतिलाल राठौड़ की फिल्म के लिए भी इन्हें साइन कर लिया गया लेकिन श्याम बेनीगल की फिल्म अंकुर इनके करियर की पहली released फिल्म बनी। इस तरह अंकुर इनकी पहली फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म में शबाना आजमी ने बड़ा ही शानदार काम किया था। इनके जबरदस्त काम के चलते इन्हें पहली ही फिल्म से नेशनल award हासिल हो गया इनकी प्रतिभा का कायल होकर सत्यजीत रे जैसे महान फिल्मकार ने भी कहा था कि शबाना आजमी भारतीय सिनेमा का उज्जवल भविष्य है। अपने कैरियर में शबाना आजमी ने बेहतरीन parallel

फिल्मों में भी काम किया लेकिन साथ ही साथ इन्होंने commercial फिल्मों में भी खुद को सक्रिय रखा अपने दौर के हर बड़े star के साथ ये दिखती रही शबाना आजमी की निजी जिंदगी की तरफ अगर रुख करें तो इन्होंने मशहूर शायर जावेद अख्तर से शादी की हालांकि एक दौर ऐसा भी था जब मीडिया में उनके और शेखर कपूर के affairs की अह चर्चाएं होती थी लेकिन बाद में वो महज एक कोरी अफवाह ही निकली जावेद अख्तर और शबाना आजमी की प्रेम कहानी काफी controversial रही जहाँ जावेद अख्तर पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे थे वहीं शबाना आजमी कुंवारी थी और उनके पिता कैफी आजमी नहीं चाहते थे कि शबाना आजमी जावेद अख्तर के साथ शादी करें।

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शबाना और जावेद की नजदीकियां उस वक्त बढ़ी जब शबाना के पिता कैफी आजमी के पास जावेद अख्तर लिखने की कला सीखने के लिए आते थे जब हनी रानी को शबाना और जावेद के रिश्ते की खबर लगी तो उन्हें बेहद बुरा लगा। हनी और जावेद के बीच काफी खटपट रहने लगी लेकिन एक दिन रोज-रोज के इन झगड़ों से हनी रानी परेशान हो गई और उन्होंने जावेद को शबाना के पास जाने की इजाजत दे दी इसके बाद जावेद ने हनी से तलाक ले लिया। इस तलाक के बाद जावेद और शबाना की आधी मुश्किलें खत्म हुई अभी भी शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी इस रिश्ते से कतई खुश नहीं थे।

उन्हें लगता था कि उनकी बेटी शबाना की वजह से जावेद और हनी का तलाक हुआ है और वो कतई नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी किसी शादीशुदा इंसान से शादी करें लेकिन जब शबाना ने अपने पिता को भरोसा दिलाया कि उनकी वजह से जावेद और हनी का रिश्ता नहीं टूटा है तब जाकर कैफी आजमी ने जावेद और शबाना की शादी को हरी झंडी दिखाई। शबाना आजमी के करियर की प्रमुख फिल्मों की अगर बात करें तो अमर अकबर एंथनी, चोर सिपाही, एक ही रास्ता, हिरा व पत्थर, किस्सा कुर्सी का खेल खिलाड़ी का, स्वामी, विश्वासघात, देवता, जुनून स्वर्ग, नर्क, लहू के दो रंग, अमरदीप, बगुला भगत, हम पाँच, थोड़ी-सी बेवफाई, स्पर्श, ज्वालामुखी, एक ही भूल, अर्थ, रास्ते प्यार के, नमकीन, अवतार, मंडी, लिबास, रखवाला, mother, मृत्युदंड और ऐसी तमाम फिल्में हैं जिनमें दो सौ से ज्यादा करीब फिल्में इसमें इन्होंने काम किया। कुछ इनकी फिल्में इंटरनेशनल फिल्में भी रही हैं जहाँ इनका काम काफी सराहा गया।

जावेद और शबाना के रिश्ते का अधूरा सच! | The incomplete truth of Javed and Shabana's relationship!

शबाना हाजमी को मिले awards की अगर बात करें तो भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा है। इसके अलावा अह अंकुश, अर्थ, खंडहर, पार और गॉड मदर जैसी फिल्मों के लिए इन्हें नेशनल फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वहीं फिल्म केयर पुरस्कारों की अगर बात करें तो सन उन्नीस सौ अठहत्तर फिल्म स्वामी के लिए, उन्नीस सौ चौरासी में अर्थ के लिए उन्नीस सौ पचासी में भावना के लिए इन्हें बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड से सम्मानित किया गया था, इसके अलावा दो हजार छह में इन्हें फिल्मफेयर ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा है।

इतना ही नहीं, दो हजार सत्रह में इन्होंने फिल्म नीरजा के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के फिल्मफेयर अवार्ड को भी जीता है। शबन आजमी की उम्र अब सत्तर साल की हो चुकी है, और इस उम्र में भी वो विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखती रहती हैं। कहा जा सकता है, कि शबाना आजमी भारतीय सिनेमा का एक चलता-फिरता स्कूल है और मैं आपसे यही कहना चाहूँगा दोस्तों कि बहुत कम ऐसे फिल्म industry में लोग हैं जो फिल्म की दुनिया में successful होने के बाद जो आम जिंदगी के लोग हैं उनसे वास्ता रखें।

शबाना आजमी वाकई में एक ऐसी शख्सियत हैं जो ना सिर्फ फिल्मों के जरिए popular हुई फिल्मों के जरिए इन्होंने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई बल्कि एक बड़ा मकाम हासिल करने के बाद भी ये आम जिंदगी से जुड़े लोगों के बारे में बात करती हैं उनपर ध्यान देती हैं और उनपर की गई टीका टिप्पणियों की वजह से अक्सर ट्रोल भी होती है। जावेद अख्तर को भी अगर हम समझे जो इनके शौहर है वो भी अक्सर कई दफा बिल्कुल आम जिंदगी से जुड़े लोगों के बारे में बात करते है और शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि ये दोनों ही बहुत आम सी जिंदगी जी कर आए है और उसके बाद उन्होंने अपना इतना बड़ा मकाम बनाया है, बहुत गिने चुने ऐसे लोग इस समय बॉलीवुड में मौजूद है जो बहुत कड़ा संघर्ष करके आए हो, इतनी बड़ी जगह हासिल की हो, उसके बाद भी वो आम लोगों से जुड़े रहे हों। यही वो खूबसूरती है जो जावेद अख्तर और शबाना आजमी को बहुत खास बनाती है।

मुझसे अगर कभी पूछा जाता है कि बॉलीवुड में आपके one of the favorite couple कौन से हैं? तो मैं शबाना आजमी और जावेद अख्तर का नाम इसीलिए लेता हूँ क्योंकि ये आज भी ज्वलंत मुद्दों पर मुखर होकर बोलते हैं। याद रखिए जावेद अख्तर वही हैं जो पाकिस्तान की सरजमीं पर जाकर और उन्हीं को सुनाकर आए हैं। और अक्सर जावेद अख्तर के बारे में कहा जाता है कि वो सही मायने में अह धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और ये बिलकुल सही बात है उनके लिखे गानों को देखिए उनके उन्होंने जिस तरीके से अपनी अह रचनात्मक शैली को develop किया है उन्होंने भगवान कृष्ण के लिए आरती भी लिखी है

और कुछ ऐसी गाने भी लिखे हैं जिन्हें सुनकर ये लगता ही नहीं कि ये किसी अह नॉन हिंदू ने लिखे हैं, तो ये बहुत बड़ी बात है कि अपनी रचनात्मकता को इन दोनों ही, दोनों ही लोगों ने चाहे जावेद अख्तर हो या शबाना आज भी हो बहुत अच्छे पंख दिए हैं, मुझे लगता है हमें ऐसे लोगों से सीखने की जरूरत है कि हमारा देश पहले है। धर्म बाद में है सबसे पहले हम अच्छे भारतीय बने एक अच्छे शहरी बने और कहीं ना कहीं ये दोनों ही हमें इस बात का संदेश देते हैं आप लोग शबाना आजमी और जावेद अख्तर के बारे में अपनी क्या राय रखते हैं।

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