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नेशनल अवार्ड लेने का मन नहीं था, सैफ अली खान | I did not want to accept the National Award: Saif Ali Khan

नेशनल अवार्ड लेने का मन नहीं था, सैफ अली खान |  I did not want to accept the National Award: Saif Ali Khanनेशनल अवार्ड लेने का मन नहीं था, सैफ अली खान | I did not want to accept the National Award: Saif Ali Khan

किसी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अगर किसी भी एक्टर के लिए भारत में बहुत शान की बात होती है लेकिन हमारे सैफ अली खान जो छोटे नवाब है उनका ये कहना है कि दो हजार पांच में जब उन्हें हम तुम्हारे लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया तो उनका उस पुरस्कार समारोह में आने का मूड नहीं था। उन्हें लग रहा था कि वह वक्त लंदन में मौजूद है और पांच लाख रुपए का टिकट लेकर उन्हें बिजनेस क्लास या फर्स्ट क्लास में वापस जाना होगा।

वो उसी वक्त लंदन पहुंचे थे अचानक उन्हें किसी ने फोन पर बताया कि उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहा है तो उन्होंने कहा कि मुझे क्या करना चाहिए, मतलब सोचिए कि राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा हुई है, आपका नाम आया है और जिस अभिनेता का नाम आया है, वो भारत से दूर लंदन में बैठा है और ये सोच रहा है कि मैं जाऊँ भी या नहीं।

राष्ट्रीय पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। एक अलग ही शान, एक अलग ही बात होती है, आपके करियर में चार चांद लग जाते हैं, आप कई जगह बड़े शान से कह सकते हैं कि मैं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हूं लेकिन सोचिए कि सैफ अली खान का उस वक्त रिएक्शन क्या था?

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असल में जूम को इंटरव्यू दे रहे थे सैफ अली खान उन्होंने उस विवाद का भी जिक्र किया क्योंकि ये दो हजार पांच की बात है और उस दौरान उनकी मां शर्मिला टैगोर सेंसर बोर्ड से जुड़ी हुई थीं और उस वक्त ये कहा जा रहा था कुछ अखबारों में गॉसिप थी कि क्या सैफ अली खान को इस अवॉर्ड दिलवाने में उनकी मां शर्मिला टैगोर की भूमिका निभा रही है।

दोस्तों ये तो बात एक तरफ अलग रह रही है, भूमिका रह रही है या नहीं रह रही है, हालांकि सैफ अली खान इससे नकारते हैं और वो कहती हैं कि अरे मेरी माँ अगर मुझे मेरे लिए कुछ करना चाहती हैं, कुछ कर सकती हैं, तो पुरस्कार क्यों? उन्होंने कहा कि कहीं कुछ बेहतर और बढ़ा देती है तो उन्होंने एक तरह से उस राष्ट्रीय पुरस्कार के पूरे दृश्य को अपने जीवन में पहले बहुत ही छोटा बताया तो वो ये कहते हैं कि मुझे लगा ही नहीं कि हम तो मैं एक ऐसी फिल्म थी जिसके लिए मुझे मिल सकता है

राष्ट्रीय पुरस्कार ये बात भी उनकी सही है कि हम तो बहुत शानदार फिल्म थी और उसमें ऐसा कोई किरदार भी नहीं था उनका हां वो बात अलग है कि यार ओंकारा के लिए मिला होता तो वो एक जबरदस्त किरदार था लेकिन फिर भी अगर राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा हुई है, तो आप ये कैसे नहीं कह सकते कि मेरा जाने का मन नहीं था मुझे लगा कि मुझे पांच लाख रुपए की टिकट खरीदनी होगी या फिर से वापस भारत? क्या इस तरह का जवाब सैफ अली खान की तरफ से आ रहा है?

नेशनल अवार्ड लेने का मन नहीं था, सैफ अली खान |  I did not want to accept the National Award: Saif Ali Khan

और इधर बातें चल रही हैं उस जमाने में दो हज़ार पांच में कि क्या ये उनकी माँ की वजह से उन्हें मिला है? फिर उस इंटरव्यू में वो काफी कुछ बताते हैं कि मेरे पिता और मेरी माँ दोनों ऐसे रहे हैं कि वो बिल्कुल ही स्वाभाविक रूप से कमजोर हैं, उनके मन में कभी ये ख्याल नहीं आता कि हमारे बच्चे हैं, इसलिए हम उनके लिए थोड़ा सा आंशिक हो जाए और मेरे पिता दस साल तक भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान इसीलिए रहे क्योंकि वो हमेशा बहुत सही फैसला लेते थे,

वो किसी तरफ झुकते नहीं थे, तमाम बातें उन्होंने की हैं। लेकिन इस बातचीत में एक बात जो मुझे खटकती है, वो ये कि अगर आपके नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा भारत की सरकार ने की है, उस जूरी ने किया है, तो आपको सिर्फ पुरस्कार लेना होगा और आप वह पुरस्कार लेने जाएंगे।

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को इतना छोटा बना रहे हैं, कि अरे कौन होगा? जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? मैं क्यों जाऊँ, इतना महंगा टिकट मुझे लेने दूँगा, आप सोचते हैं कि ये सैफ अली खान है वो बता तो रहे थे कि जो विवाद हुआ था कि मेरी माँ की वजह से मुझे अवॉर्ड मिला ऐसा नहीं है लेकिन वो का जवाब देते-देते उन्होंने कहा एक इतनी बड़ी खुद ही खड़ी कर दी कि उनका मन नहीं था।

ये वे लग रहे थे कि बहुत छोटी सी चीज है। अब आप सोच रहे होंगे कि अक्सर ऐसा होता है, हालांकि कुछ लोगों ने ये भी कहा कि वो वक्त स्वदेश था और उसमें शाहरुख खान थे और उस वक्त शाहरुख खान का वो रोल काफी पसंद भी किया गया था। इनफेक्ट सुरेश मिश्रा जो कि उस जूरी में थे, उन्होंने ये बात सैफ अली खान से कही थी, उन्होंने इस इंटरव्यू में बताया कि कई बार उन्हें नेशनल अवॉर्ड इसलिए नहीं मिलता कि वह बहुत महान परफोर्मेंस दी हैं।

कई बार आपको ये मिल जाता है कि उस साल आप सबसे बेहतर थे। तो ये बात भी उन्होंने कही है यानी एक तरह से उन्होंने बताया है और आप खुद सोचते हैं कि अगर आपने देखा होता तो सैफ अली खान का प्रदर्शन इतना महान नहीं था कि उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल जाए। लेकिन फिर भी दिया गया और जब दिया गया तो बड़े नखरे दिखाते हुए सैफ अली खान पहुंचे और साथ में यह विवाद जुड़ गया कि कहीं उन्हें उनकी मां की वजह से तो नहीं मिला। क्या आप सैफ अली खान के इस रवैये के बारे में सोचते हैं या राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहा है? वे जाऊं कि दिलवा में नहीं थे, उनके लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी, बहुत छोटी बात थी, फिर भी उन्हें मिला।

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