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उस दिन के बाद बर्बाद हो गई आशिकी गर्ल अनु अग्रवाल | Aashiqui girl Anu Aggarwal was ruined after that day

उस दिन के बाद बर्बाद हो गई आशिकी गर्ल अनु अग्रवाल | Aashiqui girl Anu Aggarwal was ruined after that day

आज आपको कहानी सुनाएंगे आशिकी girl के नाम से मशहूर रही अनु अग्रवाल की। अनु अग्रवाल का एक वक्त ऐसा भी था जब फिल्म आशिकी super hit हो गई थी producers इनके घर पहुंचा करते थे नोटों से भरे बैग के साथ और इन्हें sign करना चाहते थे लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि इनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई एक accident हुआ चेहरा बिगड़ा और फिर जिंदगी पहले जैसी नहीं रही। बॉलीवुड की बोलती खबरों से लेकर पुराने सितारों के राज़ कहानियों तक।

बात दुनिया के रहस्यों की हो या हैरान करने वाली घटनाओं की। यूट्यूब का सबसे रंग-बिरंगा content. मेरे साथ सिर्फ उज्जवल त्रिवेदी टॉक्स पर। आज हम आपको उनकी कहानी सुनाने जा रहे हैं, हम आपको बता दें, ग्यारह जनवरी को हर साल अरुण अग्रवाल अपना बर्थडे मनाती हैं।

इस बार वो पचपन साल की हो गई हैं और अगर अनुग्राल की हम बात करें तो इनका जन्म हुआ था, eleventh जनवरी nineteen sixty-nine के दिन उनकी परवरिश दिल्ली में हुई और अनु ने अपने स्कूल के दिनों से ही acting करना भी शुरू कर दिया था। जब वो eighth class थी तो एक थिएटर ग्रुप का हिस्सा बनी उसमें उन्होंने एक्टिंग की, डायरेक्शन किया और टेंथ तक आते-आते तो वो स्क्रिप्ट भी लिखने लगी लेकिन बोर्ड एग्जाम के चलते उन्हें ये सब छोड़ना पड़ा।

लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि ये स्कूल के स्तर पर शुरू हुआ ड्रामे का कार्यक्रम एक बहुत बड़ी सुपरहिट फिल्म के तौर पर लोगों के सामने आएगा। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में पढ़ाई की जिसमें वो गोल्ड मेडलिस्ट थी, इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग शुरू कर दी।

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वो पार्ट टाइम बतौर वीजे भी काम किया करती थी, इस उन्हें दूरदर्शन के एक टीवी सीरियल बहाने में काम मिल गया ये nineteen eighty eight की बात है इसी दौरान महेश भट की नजर भी उन पर पड़ गई और उन्होंने उन्हें आशिकी फिल्म offer कर दी। एक interview में अनु अग्रवाल ने फिल्म आशिक़ी में cast होने के बारे में बात की थी उन्होंने बताया था कि एक young लड़की के तौर पर मैं बहुत कुछ करना चाहती थी

मैंने nineteen eighty eight के आस-पास दिल्ली छोड़ दिया था मैं मुंबई शिफ्ट हो गई थी और मैं यहाँ अकेली रहती थी मेरे पापा ने कहा था अगर तुम्हें अपनी लाइफ तुम्हें हर चीज के लिए जिम्मेदार होना पड़ेगा मुंबई में मुझे इंडिया की पहली सुपर मॉडल के तौर पर एक society नाम की जो magazine है उसके कवर पर छपने का मौका मिल गया इस खबर के लिए मुझे मिला-जुला response मिला था।

मैं मॉडलिंग के लिए पेरिस जाने ही वाली थी कि उसी दिन अचानक महेश भट्ट ने एक पार्टी में मुझे देखा और अपनी फिल्म आशिकी मुझे offer कर दी तब मैं जुहू में पृथ्वी थिएटर के पास paying guess के तौर पर रहा करती थी जिस दिन आशिकी release हुई उस दिन की सुबह एक मेरे लिए surprise पार्टी जैसी थी लोग मेरे फ्लैट की बिल्डिंग के आसपास की हर जगह, हर खिड़की, हर बालकनी से मेरा नाम अनु, अनु, अनु कहकर पुकार रहे थे।

मेरे घर की तरफ देख रहे थे। रातों-रात मेरी जिंदगी बदल चुकी थी और ऐसा लग रहा था कि अब जिंदगी हमेशा खुशनुमा रहेगी लेकिन कोई नहीं जानता था कि इतनी बड़ी शुरुआत होने के बावजूद अनु अग्रवाल की जिंदगी में एक दिन ऐसा भी आएगा। जो उनका काला स्याह दिन बन जाएगा, जिसके बाद उन्हें अपनी फिर से पहचान बनानी होगी क्योंकि उनकी जो पहचान है, उनका जो चेहरा वो मिट जाएगा।

असल में आशिकी के बाद बहुत ज्यादा चर्चा में आ गई twenty third जुलाई nineteen ninety का वो दिन जब आशिकी release हुई अस्सी लाख रुपए में बनी उस जमाने की ऐसी फिल्म थी जिसने पांच करोड़ रुपए कमाए थे। इसमें नौ गाने थे और सारे गाने कहीं ज्यादा सुपर हिट थे।

आशिकी की release के बाद अनु को लेकर फैंस में काफी craze था जिसकी गवाह एक बार अनु खुद बनी थी उन्होंने एक interview में कहा था कि एक बार मैं मरीन ड्राइव की रही थी वहां बहुत जाम लगा हुआ था मुझे देख-देखते ही भीड़ अचानक से रुक गई सिग्नल ग्रीन होने के बावजूद भी भीड़ हटी नहीं अचानक लोगों की भीड़ मेरी कार की तरफ दौड़ने लगी उस दिन मैं कार में अकेली थी और मेरा ड्राइवर भी छुट्टी पर था अचानक लोग मेरी कार की window पर हाथ मारने लगे ये देखकर मैं बेहद डर गई मुझे लगा कि कहीं भीड़ से मेरी कार को नुकसान ना हो जाए और दोस्तों ये वो दौर था

जब ये फिल्म स्टार्स अपने आस-पास bouncers नहीं रखा करते थे आजकल आप देखते हैं बड़े सारे bouncers चलते हैं लेकिन वो दौर कुछ अलग था अनु कहती है हजारों लोग मेरी कार को पीट रहे थे, उनका हाथ मुझ पर पड़ जाता तो ना जाने क्या होता ये ऐसा पागलपन था, मैं किसी तरह कार के दूसरे दरवाजे से निकली, दौड़कर टैक्सी पकड़ी और अपनी कार वहीं छोड़कर भाग गई।

कहती हैं मैं उस दिन होटल ताज में डिनर के लिए जा रही थी, वहां मेरी मीटिंग थी, बाद में मेरे ड्राइवर ने मेरी कार को वहां से पिक किया। अनुग्रापाल की जब फिल्मों की बात कर लें, तो आशिकी सबसे पहले आती है, जिससे उन्हें इतनी बड़ी पहचान मिली, फिर गजब तमाशा, खलनायका, king अंकल, कन्यादान, बीपीएल ओए, return of the cloud door जाहिर है nineteen ninety सिक्स के बाद अनु अग्रवाल फिल्मी दुनिया से गायब हो गई क्योंकि उनकी किसी भी फिल्म ने इतना कमाल नहीं मचाया जितना कि आशिकी ने मचाया था

यानी वो एक तरह से one फिल्म wonder बनकर रह गई अनु ने इस बारे में एक interview में कहा था कि nineteen ninety four में मैंने फिल्में sign करनी बंद कर दी थी मैं विदेश चली गई थी और nineteen ninety सिक्स में एक हॉलीवुड एजेंसी मुझे साइन करने वाली थी मैं बहुत excited थी लेकिन मैं अपने self develop पर भी focus कर रही थी इसलिए मैंने nineteen ninety seven में बिहार स्कूल of योगा ज्वाइन कर लिया उससे मेरी लाइफ transform हो गई।

असल में nineteen ninety nine में एक accident हुआ अनु का जिसके बाद अनु की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। मुंबई में एक road accident हुआ जिससे अनु की लाइफ बदल गई पूरी तरह से साथ ही करीब ये उन्तीस दिन कोमा में रही फिर अपनी याददाश्त इनकी चली गई, ये खुद को पहचान नहीं पा रही थी, एक तरह से तीन साल तक ट्रीटमेंट चला। कह सकते हैं कि पुनर्जन्म हुआ और फिर वो मौका हुआ कि अनु खुद को और खुद की जिंदगी को फिर से शुरू कर पाएं।

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अनु कहती हैं कि ये समय मेरे लिए सिर्फ टफ ही नहीं था बल्कि उस दौरान जीने और मरने का सवाल उठने लगा था, मैं कोमा में थी, सवाल recovery का नहीं बल्कि इस बात का था कि क्या मैं survive कर पाऊँगी और अगर मैं बच भी गई तो कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझे paralysis हो जाए, ऐसा भी डॉक्टर्स ने अंदेशा जताया था और कहा ये गया कि twenty nine days एक महीने में एक दिन कम इतने दिन कोमा में रहने के बाद अनु बाहर तो आ गई कोमा लेकिन चमत्कार ही था, आधी बॉडी paralyze हो चुकी थी,

बेहद ट्रामा में थी, किसी ने नहीं सोचा था कि अपने पैर पर खड़ी होंगी लेकिन ये positive बनी रही, ये कहती है कि जब मैं कोमा में थी तब मुझे बहुत अलग तरह के experiences हुए, मुझे अंदर से भरोसा था कि मैं survive कर पाऊँगी, मुझे याद है जब मैं कोमा से उठी तो मैं बिल्कुल एक new born baby की तरह थी अनु कहती है मुझे अह कहा गया कि कॉस्मेटिक सर्जरी करा लो क्योंकि तुम्हारा चेहरा बिगड़ गया है।

उस जमाने में कहा जाता था कि तुमने अपना जो मूल चेहरा है जिससे तुम्हें पहचान मिली थी, वो कहीं खो गया है, तो क्यों ना तुम इसकी अह सर्जरी करा उनका कहना है कि accident के बाद मेरी कई surgery already हो चुकी थी और मेरी कई हड्डियाँ टूटी थी मेरे body के proper फंक्शन के लिए ज़रूरी था ताकि मैं survive कर पाऊँ कोई भी surgery आपको trauma तो देती है

लेकिन किसी तरह मैं अपने चेहरे में कोई बदलाव नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने अपनी plastic surgery नहीं कराई आशिकी से मिली कामयाबी के बाद अनु ने बॉलीवुड में दोस्त तो नहीं बनाया और ना ही उन्हें बॉलीवुड पार्टियों में कोई खास दिलचस्पी थी वो एंग्लो Indian jazz music musician रहे हैं एक rick के साथ रिलेशनशिप में थी लेकिन आशिकी की रिलीज़ के बाद उनका ये रिश्ता भी टूट गया इस बारे में अनु ने एक बार कहा था कि हमारी शादी होने ही वाली थी लेकिन बॉलीवुड में आने के बाद कई की अफवाहों ने हमारे रिश्ते को तोड़ कर रख दिया।

हम अभी भी टच में हैं। अब उनसे पूछा गया कई बार कि क्या आपको single रहने का मलाल है इस पर कहती हैं हाँ कुछ मौकों पर लगता था लेकिन फिर मैंने self love practice किया और साथ ही मैं financially और emotionally अब independent हो चुकी हूँ जब मैं teenager थी तब लगता था और योगा ने मुझे सिखाया है कि आप इस दुनिया में अकेले आए हैं अकेले ही जाएंगे इसलिए बहुत ज्यादा दूसरों पर निर्भर ना रहे

1996 से कुछ हिट फिल्में करने के बाद इनका वर्ल्ड टूर करने का मन हुआ और इनकी ये बात सुनकर इनके असिस्टेंट को ये लगने लगा था कि इस वक्त आप करियर के पीक पर हैं और सब कुछ छोड़कर आप दुनिया घूमने निकलने निकलना चाहती हैं कहीं आपको कोई दिमागी खलल तो नहीं हो गया है कहा ये गया कि प्रोड्यूसर उस वक्त पैसा भर-भर के दे रहे थे और इनको लग रहा था कि जिंदगी बहुत होगी लेकिन ऐसा था नहीं। अनु कहती है मैं शुरू से ही बॉलीवुड टाइप की लड़की रही नहीं।

मुझे कभी कामयाबी के पीछे इतना भागना नहीं था। आजकल सब कान फिल्म फेस्टिवल की बात करते हैं। और मैं तो उस जमाने में अपनी फिल्म द क्लाउड डोर का शोकेस कर चुकी हूं कान फिल्म फेस्टिवल में जबकि मीडिया के जरिए लोगों को कान के बारे में इतना पता नहीं था।

लोग अक्सर गलत pronounce करते हैं अपने दर्शकों को बता दूँ कान्स फिल्म फेस्टिवल बोलते हैं असल में ये कान फिल्म फेस्टिवल है कान्स नहीं है। फ्रांस में कान नाम का है जहाँ ये होता है, खैर अनुग्रवाल की कहानी बहुत लंबी है और वो यही बताती है कि एक बहुत लंबा अरसा उन्होंने एक सन्यासन के तौर पर भी बिताया और उसके बाद जिंदगी ने उन्हें जितनी अलग-अलग चीजें सिखाई है,

उसके बाद उन्होंने नौ साल पहले योगा फाउंडेशन भी शुरू किया, ढाई लाख लोग इनसे जुड़े हुए हैं, बहुत सारे लोग इनकी जिंदगी से सीखना चाहते हैं, कि कई बार आप career के इतने चरम और मुकाम पर पहुंचते हैं, फिर वहां से किस्मत आपको नीचे फेंक देती है और आप फिर से उठते हैं, और एक अलग तरह की मिसाल खड़ी करते हैं।

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