आपने भी पढ़ी होगी कि ऑस्ट्रेलिया की संसद को संबोधित करेंगे करण जौहर और रानी मुखर्जी आखिर इसका पूरा सच क्या है और ये जो प्रचार किया जा रहा है वो ऐसे क्यों किया जा रहा है ये सारी बातें मैं आपको इस article में बताने जा रहा हूँ.
अब आपको बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की parliament में होता क्या है, देखिए ऑस्ट्रेलिया की parliament आम लोगों के लिए हमेशा खुली रहती है, यानी जब तक सेशन चलता है, सेशन चलता है, इसके अलावा आप इस parliament में जाकर अपने परिवार की शादी कर सकते हैं कोई पार्टी आयोजित कर सकते हैं, बाकायदा अंदर restaurant हैं, cafe हैं, central hall है, dining hall है, तमाम चीजें हैं और इसको वो बहुत अच्छे से भी करते हैं। अगर आप उनकी वेबसाइट पर जाकर इसको बुक कराना चाहेंगे तो आप आराम से बुक करा सकते हैं और मैं आपको रेट्स भी बता दूँ।
ये सब कुछ शुरू होता है पैंतीस चालीस हजार रूपए से जी हाँ शायद मुंबई के five स्टार hotels इससे महँगे होंगे लेकिन इन parliament में जाकर अभी कुछ समय पहले की बात है। ऑस्ट्रेलिया में कई तरह के अह ब्यूटी पेजेंट्स होते हैं मिस इंडिया ऑस्ट्रेलियाई वहां पे चार तरह से होती है इसकी जो ऑर्गेनाइजर है रीना उनकी शादी भी इसी पार्लियामेंट के अंदर हुई थी और इस में साल के पचास से साठ फंक्शन तो प्राइवेट फंक्शन होते रहते हैं।
जाहिर है हर कोई चाहता है कि जो पार्लियामेंट की लोकेशन है उसको enjoy करें। पास में ही एक मेट्रो स्टेशन है आपको बहुत अच्छी पार्किंग की भी जरूरत नहीं पड़ती। बहुत सारे लोग वहां पर पहुंच जाते हैं और ये जो खबर बॉलीवुड में इस तरह से पेश की जा रही है कि पार्लियामेंट में करण जौहर का सेशन आप खुद जरा दिमाग पर जोर डालकर मुझे ये बताइए कि करण जौहर की कितनी फिल्मों की शूटिंग मेलबर्न में या ऑस्ट्रेलिया में हुई है। अगर इतना ही ऑस्ट्रेलिया के प्रति दीवाना है तो वहां पर हिंदी फिल्मों की शूटिंग क्यों नहीं होती?
मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा शाहरुख खान की अगर मैं फिल्म की बात करूं तो चकदे की शूटिंग हुई थी ऑस्ट्रेलिया में और उस दौरान एक बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ था रेसिज्म के नाम पर इस पर मैं पहले ही वीडियो कर चुका हूं आप मेरे चैनल पर उज्जवल त्रिवेदी पर जो ऑस्ट्रेलिया प्ले लिस्ट है उसको देख सकते हैं। साथ ही मैं आपको बता दूं कि ये जो इंडियन फिल्म फेस्टिवल मेलबर्न होता है ये एक बहुत बड़ा घोटाला समय से चल रहा है, पहले ये कहा गया कि हम बॉलीवुड को लेकर आ रहे हैं ऑस्ट्रेलिया में ताकि हमें इंडियन लोगों के votes मिले क्योंकि वहाँ भारी तादाद में इंडियंस भी रहते हैं, आप जानते ही हैं। फिर ये भी कहा गया था कि भारत के साथ संबंध मजबूत होंगे। फिर ये भी कहा गया कि जो भारतीय छात्र आते हैं, उनकी आवक बढ़ेगी।
आज तो आलम ये है कि ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय छात्रों को तो वीजा देना ही बंद कर दिया है। तो कुल मिलाकर ये जो बड़ी-बड़ी खबरें छापी जाती हैं कि ऑस्ट्रेलियाई संसद में करण जौहर का संबोधन ये कर सकते हैं, ये ठीक ऐसा है कि मैं आपको राजधानी दिल्ली में बुलाऊँ इंडिया गेट पर और आपके गले में फूलों का हार डालूँ और कहूँ कि आपका राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सम्मान हुआ यही काम मैं लाल किले के सामने भी कर सकता हूँ और यही काम मैं कुतुबमीनार के सामने भी कर सकता हूँ तो ये जो पीआर किया जाता है जो बड़े-बड़े शब्दों में खबरें छपवाई जाती हैं वो सिर्फ एक इमेज बनाने के लिए होती है मैं आपको ये भी बता दूँ कि जो बड़ी-बड़ी ख़बरें आती हैं कि बुर्ज खलीफा पर शाहरुख खान की फिल्म का ट्रेलर चला आप जानते हैं कुछ ऐसा देकर आप अपने यूट्यूब चैनल का भी ट्रेलर वहाँ पे चला सकते हैं।
जो बड़ी-बड़ी ख़बरें आती हैं न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर पर होर्डिंग पर ये दिखाया गया फलां फिल्म की ट्रेलर दिखाई गई ये भी आप कुछ पैसे खर्च करके कर सकते हैं यानी ये सारी चीजें बिकाऊ हैं सेलिबल हैं मार्किट की जाती हैं। लेकिन उनको पेश ऐसे किया जाता है कि जैसे पता नहीं क्या हो गया हो। इसी मौके पर एक और खबर ये भी आ रही है कि डार्क टिकिट जारी किया गया है। यश चोपड़ा साहब का आप जानते हैं हमारे देश में आप कुछ पैसा देकर अपने नाम का डाक टिकट छपवा सकते हैं लेकिन सवाल ये है कि उस डाक टिकट का होगा क्या?
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क्योंकि हमने तो डाकखाने जाना ही छोड़ दिया है, हम तो पोस्ट ऑफिस पहुंचते ही नहीं है, हमारे तो सारे काम व्हाट्सएप्प और ईमेल पर हो जाते हैं, तो ऐसा पैसे देकर जो डाक टिकट छपवाया गया, उसका फायदा क्या? उसका फायदा ये होता है कि बड़ा-बड़ा पीआर किया जाता है, एक बहुत बड़ी पीआर मशीनरी को हायर करके पूरे विश्व में प्रचार किया जाता है, कि कितनी वाह वाही हो रही है, अगर इतनी वाहवाही हो रही होती तो आज पिछले सात महीने से एक अदद हिट को तरसा हुआ है, एक अदद हिट नहीं मिली है बॉलीवुड को, आज इतनी बुरी स्थिति है, अगर विदेशों में इतना सम्मान हो रहा है तो फिर दर्शक कहाँ है?
फिल्में चल क्यों नहीं रही? लोगों को अपने प्रोडक्शन हाउस बेचने की नौबत क्यों आ गई है? दर्शक ये क्यों कह रहे हैं, हम तो साउथ का सिनेमा देखेंगे? और हमने तो कभी नहीं देखा कि ऑस्ट्रेलिया का कोई प्रधानमंत्री या ऑस्ट्रेलिया से कोई बड़ा नेता भारत आया हो और उसने कहा हो कि हमें बॉलीवुड के लोगों से मिलना है? ये सारा का सारा घोटाला चल रहा है, बॉलीवुड के नाम पर, इंडिया के नाम और ये जो इंडियन फिल्म फेस्टिवल मेलबर्न है यहाँ पर ऐसे कई मौके हुए हैं जब जो फिल्में भारत में बैन है वहाँ दिखा दी गई। पाकिस्तान की फिल्में दिखा दी गई।
तमाम चीजें इस तरीके से होती हैं एक बिल्कुल बिजनेस नेटवर्क चलता है और आपके सामने तस्वीर पेश की जाती है कि हम तो बड़े महान है और बॉलीवुड का बड़ा नाम हो रहा है। असल में सारी चीजें पैसा देकर खरीदी जाती है, पैसा देकर बुक की जाती है, अगली बार अगर आप अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया जा रहे हो तो आप खुद जाकर वहां पर अपना कोई फैमिली फंक्शन भी कर सकते हैं, आप अपने बेटे-भतीजे की शादी कर सकते हैं और आपको वहाँ के लोकल लोग ही बता देंगे इनफैक्ट मैं आपको यहाँ पर स्लाइड भी दिखा रहा हूँ कि किस तरीके से ये बाकायदा बुक किए जाते हैं इंटरनेट पर वेबसाइट के जरिए आप भी बुक कर सकते हैं तो जो चीज पैसे देकर खरीदी जाती है या पैसे देकर खरीदी जा सकती है उसका ऐसा प्रचार क्यों?
इसकी झूठी तस्वीर क्यों? इसको इतने बड़े-बड़े शोरों में क्यों छापा जाता है ये बताने के लिए कि बहुत बड़ी आपको उपलब्धि हो गई। जो कि आप खुद पैसा खर्च करके आप ये काम करवा रहे पर तो बॉलीवुड की इसीलिए मैं पोल खोल करता हूँ क्योंकि मैं आपको इनकी अंदर की तस्वीर दिखाता हूँ आप पार्लियामेंट में सेशन शुरू होने से पहले उसके किसी हॉल में जाकर आप चार लोगों के साथ डिनर कर रहे हैं वहाँ कोई एमपी आ गया आपने फोटो खिंचा ली और आपने कहा देखिए ऑस्ट्रेलियन पार्लियामेंट में एमपी से मुलाकात हुई उन्होंने ये कहा वो कहा ये सारी की सारी पीआर ड्रिवेन खबरें हैं.
ये इसी तरीके से छापी जाती हैं आपके ऊपर एक बहुत बड़ा नाम थोपने के लिए करण जौहर के पास इस समय इस ये है कि वो अपने प्रोडक्शन हाउस का एक हिस्सा बेचने की तैयारी कर रहे हैं। फिल्में बड़े बजट की बन नहीं रही हैं, छोटे बजट की जो फिल्में आई हैं, इस साल आप जानते ही हैं, सब के सब औंधे मुंह गिरी हैं, बॉलीवुड की हालत बहुत ख़राब है, लेकिन आपके सामने तस्वीर बड़ी-बड़ी पेश की जाती है, ताकि झूठ को सच बनाकर ऐसे पेश किया जाए और आप कहे वाह! इतना नाम हो रहा है, इसकी जो असलियत होती है, जो जड़ में बातें हैं, वो मैंने आपको बता दी हैं.