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बॉलीवुड की बर्बादी की कहानी | The story of the downfall of Bollywood

बॉलीवुड की बर्बादी की कहानी | The story of the downfall of Bollywoodबॉलीवुड की बर्बादी की कहानी | The story of the downfall of Bollywood

क्या बॉलीवुड की हालत वाकई इतनी ख़राब है कि प्रोड्यूसर्स के ऑफिस बिक रहे हैं? क्या बॉलीवुड पहली बार ऐसी आफत का सामना कर रहा है? क्या बॉलीवुड में ऐसा कोई नहीं है जो पहले से ये predict कर पाता कि ये सब होने जा रहा है? क्या आपने पिछले कई सालों के दौरान कभी साउथ के सिनेमा को इतना ऊपर जाते हुए देखा है? क्या आपने पिछले कई सा लो के दौरान कभी मल्टीप्लेक्सेस को सिनेमा डे सेलिब्रेट करते हुए देखा है? क्या पिछले कई सा लो के दौरान आपने कभी नोटिस किया कि फिल्मों के टिकट एक के साथ एक फ्री दिए जा रहे हों?

ये तमाम बातें हाल के कुछ सा लो में हुई है खासकर तब से जब से हमारे देश में कोरोना का लॉकडाउन हुआ, जब से हमारे देश में multiplexes आए, जब से सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मृत्यु हुई, जब से nepotism पर बहस शुरू हुई और जब से अनुराग कश्यप फरहा खान और करण जौहर जैसे लोगों ने सामने आकर ये कहना शुरू किया कि ये जो हीरोज है ये इतनी बड़ी-बड़ी फीस लेते हैं कि अब हम मुश्किल में हैं कि इनका इनका जो लाव लश्कर इनके साथ आता है। इनके साथ इनका बावर्ची आता है, इनके साथ fitness trainer आता है इनके साथ इनका hair dresser जो आता है इनका makeup artist जो आता है और इनके लिए तरह-तरह के खाने इधर-उधर के five star hotel से मंगाए जाते हैं ये हम पर भारी पड़ने लगे हैं।

फिर मुश्किल में फसे संजय दत्त, बादशाह, जैकलीन | Sanjay Dutt, Badshah, Jacqueline in trouble again

ये सब पहले क्यों नहीं हुआ और अभी क्यों हो रहा है और अभी ये क्यों कहा जा रहा है कि बॉलीवुड जो है वो लगभग बिकने के मुहाने पर पहुँच चुका है। वो बात अलग है कि अभी थोड़ी देर पहले का एक स्टेटमेंट आया है जिसमें उन्होंने ये कहा है कि मेरा दफ्तर बिका नहीं है वो तो हम डेढ़ साल पहले से प्लान कर रहे थे हम उस दफ्तर की जगह एक रिहायशी इमारत बना रहे हैं वो ही project है और हम अपने दफ्तर को एक और जगह लेकर जा रहे हैं देखिए तमाम बातें कही जाएंगी की जाएंगी सब जानते हैं बड़े मियां छोटे मिया को लेकर ने क्या कहा था साढ़े तीन सौ करोड़ की पिक्चर है मैं एक हजार करोड़ बनाऊंगा लेकिन वो फिल्म साठ करोड़ भी नहीं बना पाई तो पैसा तो कहीं गया ना और उसके बाद ही ये सारी चीजें हुई देखिए सामने आकर कोई नहीं कहता है कि मैं बर्बाद हो गया क्योंकि एक ब्रांड वैल्यू की भी बात होती है कल को जो financers होंगे वो उनसे मीलों दूर रहेंगे अब कहने के लिए सारी बातें कही जाती सब जानते हैं कि जैकी भगनानी का वो करियर फिक्स नहीं कर पाए।

जैकी भगनानी की शादी हुई, उसमें एक अच्छा खासा खर्च हुआ और अगर हम पिछले कुछ सालों के दौरान बात कर लें, चाहे वो बेल बॉटम हो, गणपत हो या मिशन रानीगंज हो या अब ये बड़े मियां, छोटे मियाँ हो, लगातार इतनी बड़ी-बड़ी फिल्मों का फ्लॉप होते जाना और इसमें से तीन में तो अक्षय कुमार बेल बॉटम में अक्षय कुमार बड़े मियां, छोटे मियां में अक्षय कुमार मिशन रानीगंज में अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ दो में गणपत में और बड़े मियां में तो लगातार फैसले तो गलत हुए हैं लेकिन यहाँ हमें ये भी समझना पड़ेगा कि अगर हम ये सारे आरोप heroes पर लगाते हैं,

ये इतना सारा पैसा charge करते हैं देखिए charge करने को तो कोई कुछ भी charge करेगा, लेकिन आप देते क्यों हैं? क्या ये जो producers हैं, इनकी जो association है, वो आपस में ये समझौता नहीं कर सकती कि हम किसी भी फिल्म के बजट के हिसाब से हीरो को पेमेंट करेंगे, अगर हम प्रोडक्शन पे इतना पैसा खर्च कर रहे हैं, उसका certain percentage जाएगा, ये बहुत आसान है इन सभी के लिए। इन सभी के लिए ये बहुत आसान है, एक साथ साथ बैठना और ये तय कर लेना।

बॉलीवुड की बर्बादी की कहानी | The story of the downfall of Bollywood

कि हम यहाँ पर rate card fix कर रहे हैं तो आखिर ये क्यों नहीं करते हैं? असल में ये झूठ और दिखावे की दुनिया है। यहाँ बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। जब तक कुछ बड़ा नहीं कहा जाएगा। तब तक ऐसा लगेगा ही नहीं कि फिल्म बन रही है। जब ये कहते हैं हमने पांच सौ करोड़ की फिल्म बनाई है तो लोगों को लगता है पता नहीं क्या कमाल होगा? आधे पुरुष का हाल देख लिया आपने। मनोज मुंदेश्वर ने जो डायलॉग्स लिखे थे, मुँह छुपाने की नौबत आ गई है और आज तक मनोज मुंदेश्वर किसी को मुंह दिखाने काबिल नहीं है। क्यों? क्योंकि बड़ी-बड़ी बातें।

क्या कंगाल हो गया बॉलीवुड? | Has Bollywood gone bankrupt?

फिल्म इंडस्ट्री में बड़ी-बड़ी बातें करके ही कुछ बड़ा किया जाता है। आज जितने डायरेक्टर सामने आकर कह रहे हैं कि हम ये बड़े-बड़े स्टार्स की बड़ी फीस नहीं दे सकते इनसे पूछो आप देते क्यों हो? क्या आप पर किसी की जोर जबरदस्ती है? क्या करण जौहर से किसी ने कहा है कि आप इतनी मोटी फीस दीजिए? क्या फराह खान से किसी ने कहा है? क्या अनुराग कश्यप से किसी ने कहा है आज ये ऐसी पोजीशन में है कि नए लोगों को लांच कर सकते हैं? नए writers को मौका दे सकते हैं? नए talent को मौका दे सकते हैं?

और जितने लागत की ये फिल्में बनाते हैं, उससे दस-बीस परसेंट की लागत में यानी सौ करोड़ की फिल्म ना बना के पंद्रह करोड़ और बीस करोड़ की फिल्म बना सकते हैं नए लोगों को लेकर और मुनाफा भी डबल कमा सकते हैं लेकिन ये नहीं कर रहे हैं ये सिर्फ रोना रो रहे हैं। ये आती हुई मुसीबत को देख रहे हैं और चिल्ला रहे हैं लेकिन कर कुछ नहीं रहे हैं। और यही नतीजा है कि आज हमने ये खबर सुनी है। अब ये इस तरीके के clarifications बहुत आएंगे। नहीं मेरा दफ्तर नहीं बिका है।

मेरे स्टाफ को salary मिल रही है। हमने किसी को निकाला नहीं है। तमाम बातें आएंगी क्योंकि कोई कैमरे के सामने आकर मीडिया के सामने आकर ये थोड़ी ना स्वीकारेगा। कि हमने अपनी ही मूर्खता से अपनी वाट लगा ली है। मुंबई की भाषा में कहते हैं अपना खुद का नुकसान कर लिया है ये कोई जाकर नहीं कहेगा बड़ी-बड़ी बातें कैमरे के सामने कहते हैं हम स्टार्स के को पैसा नहीं देंगे हम उनके बावर्ची का पैसा नहीं देंगे खाने का नहीं देंगे उनके उनके उनको चार-चार, पाँच-पाँच वैनिटी चाहिए होती है हम नहीं देंगे अरे तुम journalist के सामने बैठकर ये सारे बयान दे रहे हो actual हकीकत में करते क्यों नहीं?

आप interview में बैठकर बोल देते हैं। कि मैं स्टार को इतनी फीस नहीं दूंगा लेकिन असल में आप कर तो वही रहे होते हैं। अगर इन सारी चीजों पर पहले ध्यान दिया गया होता तो पहले बॉलीवुड की हीरोइनें ये कहकर नहीं रोना रो रही होती कि हमको तो बहुत कम पैसे मिलते हैं। ये प्रोड्यूसर्स ही हैं जो तय करते हैं कि हमें हीरो को इतना पैसा देना है अगर सारे प्रोड्यूसर्स मिलकर तय कर लें कि हमारे बॉलीवुड का एक रेट कार्ड होगा। ए category को हम इतना देंगे, ए प्लस category को इतना देंगे।

बी ग्रेड तो कोई होता नहीं हमारे यहाँ सब खुद को ए ए प्लस, ए प्लस, प्लस कहते हैं, मैंने ये भी देखा है अगर किसी बॉलीवुड वाले के साथ बैठ जाओ, आप पूछो भाई ये इसमें कौन है? बोले सभी है। उसमें categories क्या है? ये ए है, ये ए प्लस है, ए प्लस प्लस है। चलिए आप सब को कर दीजिए लेकिन उसके हिसाब से सबका मेहनताना तो तय ये कीजिए। लेकिन ये जो बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, ये जो फिल्म के तीसरे दिन कह देते हैं, सौ करोड़ हो गए फिर वो ये कैसे कहें, किस मुँह से कहें कि हम घाटे में हैं।

आज ना करण जौहर कह सकते हैं, ना फरा खान कह सकते हैं, ना अनुराग कश्यप कह सकते हैं, कोई नहीं कह सकता कि साहब मेरी फिल्म बहुत बकवास चली है और मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं है। इनको सबके सामने दिखाना भी होता है कि फिल्म तो बहुत चल रही है, बहुत पैसा आ रहा है। लेकिन जब ऐसे दिन देखने पड़ते हैं, जब दफ्तर बंद करने की नौबत आ जाए, जब आपके employees सोशल मीडिया पे जाकर लिखने लगे कि आपको पैसा नहीं मिला, तो क्या होता है?

आज अगर फिल्में चल रही होती तो कंगना राणावत को राजनीति में आने की जरूरत नहीं थी राजनीति में आने की जरूरत इसलिए पड़ी है कंगना राणावत क्योंकि फिल्में पिट रही है जो सच है वो सच है बतौर एक्टर सच बोलना नहीं चाहते बतौर प्रोड्यूसर सच बोलना नहीं चाहते, बतौर डायरेक्टर सच बोलना नहीं चाहते, हाँ जब किसी के podcast में जाएंगे, interview में जाएंगे तो बैठकर बोलेंगे हाँ देखो ये इतना पैसा लेते हैं, अरे लेते तो आपके घर में डकैती थोड़ी डालते हैं वो, आपके घर में कोई डकैती नहीं डालता है, आप अपने हाथ से sign करते हैं, आप अपने हाथ सिग्नेचर करते हैं कि हम आपको इतने करोड़ देंगे।

अगर अक्षय कुमार गलती कर रहे हैं, करोड़ों रूपए लेकर फ्लॉप फिल्में दे रहे हैं, तो अक्षय पर रोक लगा दें। अक्षय को हम पैसा नहीं देंगे, अक्षय को हम इतनी फीस नहीं देंगे या टाइगर श्रॉफ अगर एक्टिंग नहीं कर पाते हैं, जबरदस्ती कर रहे हैं क्योंकि वो श्रॉफ हैं एक तो उनको अहसास कराया जाए। हालांकि खबरें बीच में आई थी कि टाइगर श्रॉफ से कहा गया कि आप अपनी फीस कम करिए जो उन्होंने नहीं की, नहीं की तो अपने घर पर बैठे हैं, उनको कोई साइन ना करें लेकिन होता क्या है ये सब के सब वहां पहुंच जाते हैं क्योंकि ये अपने घुटने टेकते हैं, क्योंकि ये अपनी कमजोरी दिखाते हैं क्योंकि ये अपनी मजबूरी दिखाते हैं या ये जाने क्या दिखाते हैं। इसलिए ये नौबत आती है। आज अगर हम प्रोड्यूसर्स के लिए रोना रो रहे हैं कि अरे प्रोड्यूसर सारे अह कंगाल हो गए, बिक गए, बॉलीवुड तो बिकने की कगार पर आ गया है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

कोई बाहर से लोग थोड़ी ना आए हैं। इन्हीं प्रोड्यूसर्स ने पैसा दिया है ना? इनके घर में किसी हीरो ने डाका तो नहीं डाला था ना? या कोई हीरो पहुंच गए हो कि मैं डाका डालूंगा? आपके तिजोरी में जितना पैसा मेरे को दो। आप ही तय करते हो। आप ही कहते हो इतनी बड़ी फिल्म हमने बना ली है, फिर आप ही कहते हो, पिट गई है, अब हमारे पास पैसे नहीं है। तो ये जो स्थिति आई है, इसके लिए जिम्मेदार वही लोग हैं, जो हीरोज को के पैसा दे रहे थे, जो उनके आगे compromise कर रहे थे।

क्या आपको नहीं लगता कि बॉलीवुड की बर्बादी का कारण ये ही बड़े प्रोड्यूसर्स हैं, जो इतना सारा पैसा इन हीरोज पे खर्च करते हुए थे, ये जानते हुए कि ये हिट की गारंटी नहीं लेकर आते हैं, वरना सलमान खान की फिल्में फ्लॉप नहीं होती, शाहरुख खान की फिल्म फ्लॉप नहीं होती? आमिर खान की फिल्म फ्लॉप नहीं होती, अक्षय कुमार की फिल्म फ्लॉप नहीं होती, अनिल कपूर की फिल्म फ्लॉप नहीं होती, रणबीर कपूर की फिल्म फ्लॉप नहीं होती। कौन सा ऐसा एक्टर है, हीरो है जिसकी फिल्म फ्लॉप नहीं होती? अजय देवगन की फिल्में फ्लॉप हुई है, सबकी फ्लॉप हुई है?

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