विद्या बालन का इंटरव्यू शुरू होने से पहले उन्होंने होश से ये कहा कि आप कुछ भी पूछिएगा लेकिन राजनीति नहीं। तो उन्होंने पूछा कि राजनीति से आखिर आपको इतनी समस्या क्या है? उन्होंने कहा देखिए हमारे ऊपर बहुत सारा पैसा लगा होता है, फिल्में रिलीज़ पर होती हैं, हम कुछ बोल देते हैं और लोग उसका मतलब समझे बिना हमारा बॉयकॉट करने लगते हैं और बहुत सारा पैसा ऐसा होता है जिसका नुकसान होने का डर रहता है इसलिए मैंने अब राजनीति पर बात बंद कर दिया है।
अगला सवाल ये आया कि क्या शुरू से ऐसा था या पिछले कुछ समय से ऐसा हो गया है? तो विद्या पालन ने कहा कि जी नहीं पहले ऐसा नहीं था, हम बहुत बेबाक तरीके से बात किया करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से जब से सोशल मीडिया पर लोगों की आवाजाही बढ़ी है तब से हमें सोच समझकर बोलना पड़ता है, जब विद्या बालन ये कह रही थी, तब मुझे एक शख्स याद आ रहा था,
उस शख्स का नाम है अमिताभ बच्चन जिसकी हमारे देश में पहचान angry young man के तौर पर और उस वक़्त अमिताभ बच्चन जो popularity के ग्राफ पर चढ़ रहे थे उसका सबसे बड़ा कारण ये था कि अमिताभ बच्चन की फिल्मों में जो आम आदमी का दर्द है आम आदमी का संघर्ष है उसको नौकरी नहीं मिलती उसको रोटी नहीं मिलती उसको घर मकान नहीं मिलता उसको तमाम जो challenges होते है और उसके अंदर उस बात को लेकर जो गुस्सा है एक वो रूप हमने सिनेमा पर देखा और उस सिनेमा के पर्दे पर दिखने वाले शख्स के साथ connect होते चले गए और यही वजह है कि बॉलीवुड बहुत लोगों के बीच अपनी popularity को बना के रख पाया क्योंकि वहां हमें आम आदमी का जिक्र मिलता था।
अंतिम संस्कार पर भी काम मांगते है बॉलीवुड एक्टर
आम आदमी उस हीरो में अपने स्वरूप को देखता था और यही वजह है कि सिनेमा एक बहुत popular medium रहा है ना सिर्फ मनोरंजन देने का बल्कि संदेश देने का भी और किसी हद तक अपनी बात कहने का भी लेकिन पिछले कुछ सा लो के दौरान ये स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है।
अब क्या होता है अब होता ये है कि अलग-अलग agendas हैं, अलग-अलग पार्टीज हैं उनके लोग सोशल मीडिया पर बैठे हैं जैसे ही आपने उनके एजेंडा के खिलाफ कोई बात कही और अगर आप एक पॉपुलर एक्टर हैं अगर आप एक किसी बड़ी फिल्म को लेकर आ रहे हैं उसके आसपास आपने ऐसा बोला है तो सीधा प्रहार आपकी फिल्म पर हो जाता है और आपकी फिल्म को बायकॉट कर दिया जाता है ऐसे समय में कुछ लोग ये भी शिकायत करते हैं कि पहले तो फिल्म स्टार्स बात किया करते थे जब पेट्रोल की कीमतें ऊपर जाती थी जब डॉलर अह महंगा हो जाता था जब रुपए की कीमत गिरती थी तमाम तरह की बातें उस वक्त होती हैं अह गैस सिलेंडर की प्राइस पर सड़कों पर बैठते थे बहुत सारे लोग और उनके समर्थन में ट्वीट्स आते थे।
मैं अभी की बात कर रहा हूँ कुछ साल पहले की लेकिन अब ऐसा नहीं होता। ऐसा होने और ना होने के बीच का जो अंतर है, उसके बीच में आता है, सोशल मीडिया, जहाँ पर बहुत कुछ चलता है। और विद्यापालन का कहना बिल्कुल सही है कि अगर आप एक पॉपुलर एक्टर हैं और आपने अपनी बुद्धि के हिसाब से अपने अह सूझ-बुझ के हिसाब से अगर कोई लाइन बोल दी और वो किसी पर्टिकुलर एजेंडा चलाने वाली पार्टी के against चली गई तो उसके जितने supporters बैठे हैं सोशल मीडिया पर supporters कहें या उनका आईटी सेल कहें वो आपके पीछे पड़ जाते हैं और फिर आप अपने साथ-साथ बहुत सारे लोगों के लिए खतरे की वजह बन जाते हैं क्योंकि आपके ऊपर बहुत से लोगों का पैसा लगा होता है, दोस्तों ये जो डर बढ़ता जा रहा है, इस डर ने आम आदमी की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं।
देखिए, पहले आम आदमी की बात कौन करता था? देश का करता था। लेकिन देश का मीडिया अब बिका हुआ है, गोदी मीडिया बन चुका है। वो एक ही तरीके का राग अलापता है। देश में विपक्ष की हालत क्या है, आप जानते हैं पिछले कुछ सा लो से देश में विपक्ष ना के बराबर है। ले देकर फिल्में और ये फिल्मी हस्तियां और जो बड़े popular celebrities होते हैं, ये होते थे कि ये आम आदमी की बात कर लें, लेकिन अब इन्हें भी डर सताने लगा है कि अगर हमने भी ऐसी कोई बात की तो हमारा धंधा पानी ही चौपट हो जाएगा।
ऐसे में अब बस कुछ गिने चुने मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं कंटेंट क्रिएटर हैं जो अपने रिस्क पर बहुत सारे सच बोलते हैं और उसके बाद देश की कुछ तस्वीर सामने आ पाती है कि आम आदमी की आम व्यक्ति की स्थिति इस समय क्या है दोस्तों ये बहुत खराब दौर से होकर गुजर रहे हैं जहाँ पर हर वो शख्स जो आवाज उठा सकता है चाहे कोई वो मशहूर खिलाड़ी हो, मशहूर फिल्मकार हो, कोई पत्रकार हो, विपक्ष का नेता हो जितने भी पब्लिक प्लेटफार्म यहाँ पर एक अलग तरह का माहौल है। यहाँ ये है कि अगर आपने एक एजेंडा को आगे बढ़ने में रोका जो खास बातें हैं उनको आपने अगर ऊपर उठाया, अगर आपने बेरोजगारी का जिक्र किया, आपने महंगाई का जिक्र किया, किसी राज्य में कुछ हो रहा है, जैसे मणिपुर में हुआ था, लद्दाख में हुआ था, उस पर अगर आपने कुछ बोला तो फिर आपके चारों तरफ एक घेरा आ जाता है, ट्रोलर्स आ जाते हैं, आपको ट्रोल करने लगते हैं।
यानी किसी तरीके से की जुबान खामोश हो जाए इसकी कोशिश होने लगती है और ये एक ऐसा प्रैक्टिस हमने हाल के दिनों में देखा है जिसका सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को हुआ है तो वो लोग हैं जो अपनी बात कह नहीं पाते। जो उच्च वर्ग है वो अपना काम पैसे से निकाल लेता है। जो बिल्कुल निम्नतम स्तर पर है। उनको अपने रोजमर्रा के संघर्षों से फुर्सत नहीं है कि वो इस बारे में सोचें और जो बीच का मध्यम वर्ग है वो फंस कर रह गया है। आज मध्यम वर्ग की बात ना विपक्ष करता है, ना मीडिया करता है।
देश के नेताओं को मित्रों को धनवान बनाने से फुर्सत नहीं और ये जो इंटरव्यू जिसकी मैं बात कर रहा हूँ विद्या बालन का इंटरव्यू जो मैं देख रहा था ऐसे तमाम इंटरव्यूज होते हैं और इनमें कई बार कोशिश होती है कि ये जो बड़े नाम है सो कॉल्ड पॉपुलर है इनके पीछे बहुत सारी पब्लिक है यानी इंस्टाग्राम पे लोग मिलियंस में फॉलो करते हैं ट्विटर पर फॉलो करते हैं शायद ये कुछ बोलते हैं लेकिन ये भी चुप हो जाते हैं क्योंकि इनको चुप करा दिया जाता है।
राजनीति में क्यों फ्लॉप रहते हैं सुपरस्टार?
आज स्थिति जो है वो ये है कि अमेरिका में अमेरिकन प्रेसिडेंट ट्रंप के विरोध में भी पचास celebrities उतर कर आ गए थे हॉलीवुड के। जब उन्हें लगा था कि हाँ ट्रम्प ने जो किया वो गलत किया। लेकिन आज ऐसी स्थिति हिंदुस्तान में नहीं है। दोस्तों क्या आप लोग इसके बारे में कभी सोचते हैं कि ये जो बड़े-बड़े फिल्म अभिनेता हैं जो पहले बड़ी-बड़ी बातें करते थे। कई बार सरकार पर सवाल उठाते थे, सिस्टम पर सवाल उठाते थे, आम आदमी की दुःख, तकलीफ, दर्द पर बात करते थे, कम से कम महंगाई, बेरोजगारी ऐसे मुद्दों पर बात करते थे, ग्लोबल वार्मिंग पर बात करते थे।
तमाम चीजों पर बात करते थे, लेकिन अब इनको चुप करा दिया गया है। क्या आपको भी लगता है कि ये माहौल बदल रहा है? आप लोग इस पूरे मामले पर अपनी जो भी राय रखते हैं, मेरे इस वीडियो के नीचे खुलकर रखिए, बिना ये सोचे कि आप किस राजनैतिक विचारधारा के हैं, आज एक पार्टी की सरकार है, कल को किसी दूसरी पार्टी की सरकार आएगी, लेकिन जो माहौल बना दिया गया है। इस माहौल को कौन बदलेगा?
उम्मीद है, आप मेरी बात समझ रहे होंगे और बहुत सूझ-बुझ के साथ मेरे इस वीडियो के नीचे अपने कमेंट्स लिखेंगे, मैं हमेशा इस बात की कोशिश करता हूँ कि बहुत न्यूट्रल तरीके से आपके सामने बातें रखूं, खासकर वो बातें जिनके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है एक व्यक्ति के मुँह से निकली हुई बात अक्सर पूरी fraternity के बारे में बता देती है जैसे मैंने video के शुरुआत में कहा कि विद्या बलन ने ये कहा कि मैं राजनीति पर बात नहीं करुँगी क्योंकि अगर मैंने राजनीति पर बात की और किसी को समझ में नहीं आया मेरा विरोध शुरू हो गया तो मेरा छोड़ो मेरे ऊपर जो पैसा लगा है जो फिल्में बन रही है जिसमें बहुत सारे लोग involve है उन सबका नुकसान होगा,
ये अकेली विद्या बलन का कहना नहीं है, ये शायद आज के दौर में हर फिल्म अभिनेता या एक इस बात को कहना चाहता है कि भाई आजकल हम कोई भी बात कह कर बच नहीं सकते, कुछ भी कहते हैं तो सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग बैठे हैं जो हमें ट्रोल करते हैं, हमारे पीछे पड़ जाते हैं, हमारे काम को उससे जोड़कर उसका बॉयकॉट करना शुरू कर देते हैं, जबकि हमारी कही हुई बात का हमारे काम से कोई ताल्लुक नहीं होता, कोई लेना-देना नहीं होता, वैसे हमने पिछले कुछ समय में देखा भी, बहुत सारा अह बॉयकॉट, बॉलीवुड हुआ।
लेकिन बॉलीवुड अभी भी अपने ट्रैक पर है, आज भी बारहवीं फैल जैसी फिल्म छह महीने पूरी करती है तो कुल मिलाकर मामला ये है कि content तो अपनी जगह पर चल रहा है लेकिन कुछ लोग हैं जो माहौल बिगाड़ देते हैं, सोशल मीडिया patrolling शुरू करके बहुत सारे अच्छे कामों को रोक देते हैं क्योंकि उनका मकसद होता है, एक खास तरह का एजेंडा परोसना और अगर कोई भी उसके आड़े आता है तो ये उसको किसी भी तरीके का सलूक करने से चूकते नहीं।
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