गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब तेरह किलोमीटर दूर एक गाँव है डिंगूचा नाम से वैसे तो इस गाँव की जनसंख्या तीन हजार लोगों के आस-पास है। लेकिन आधे से ज्यादा घरों पर यहाँ ताले लगे पड़े हैं। बताया जाता है कि अठारह सौ के करीब गाँव वाले अब डिंकूचा में नहीं रहते ये लोग ना सिर्फ अपना गाँव बल्कि देश भी छोड़कर चले गए। लोगों को job नहीं मिलती थी इससे
अच्छा तो प्रदेश में अच्छा रहेगा। अमेरिका नहीं जाएंगे तो मेरे की लाइफ इधर है नहीं आज भी में जगह-जगह पर ऐसे posters लगे हैं study in UK Canada free application offer letter in three days सबसे ज्यादा add अगर आपको इस गाँव में किसी चीज की दिखेगी तो वो है यूएस और कनाडा वीजा लेने की। कई ऐड्स में तो सीधा लिखा गया है कि आपको वीजा मिल
जाएगा बिना कोई exam दिए जनवरी दो हजार बाईस की बात है अपने गाँव में बाकी लोगों को अमेरिका जाता देख के एक परिवार ने यही करने का फैसला किया। उनतीस साल के जगदीश अपनी पत्नी और दो बच्चों के कनाडा की फ्लाइट पकड़ते हैं। अपने गांव में पहले ये एक टीचर की नौकरी किया करते थे और बाद में अपने भाई के गारमेंट बिजनेस में हाथ बटाते थे। लेकिन
इनकी कमाई पूरे परिवार की महीने की कमाई सिर्फ नौ से दस हजार रुपए हो पाती थी। जाहिर सी बात है पैसों की कमी के चलते और बेरोजगारी की वजह से इन्होंने ये फैसला लिया। बड़ी मुश्किल से पैंसठ लाख रुपए इकट्ठे कर पाते हैं, एक एजेंट को देने के लिए जो इन्हें अमेरिका तक लेकर जाएगा। donkey process के through इनकी पत्नी वैशाली का सपना था कि वो
अमेरिका में जाकर एक beauty salon में काम करें और जगदीश अपने बच्चों को बेहतर education देना चाहते थे। इस आखिरी उम्मीद में ये अपना गांव छोड़ते हैं और बारह जनवरी को टोनोटो की फ्लाइट पकड़ते हैं। इस डोंग की process का मतलब था कि इनका एजेंट इन्हें यूएस कनाडा बॉर्डर के पास तक drop कर देगा और बाकी रास्ता इन्हें पैदल चलकर जाना
होगा। और अमेरिकन border illegally cross करना होगा और टोनाटो में land करने के बाद करीब एक हफ्ता ही बीता था कि पुलिस को पूरे परिवार की लाशें मिलती है बॉर्डर से सिर्फ बारह मीटर दूर. इन चारों ने बेहद बर्फीले मौसम में दम तोड़ दिया था ये शायद इस बात से अनजान थे कि यहाँ पर minus thirty five degree celsius की ठंड में इन्हें बॉर्डर cross करना
पड़ सकता है। एक बहुत ही दर्दनाक अंत इस कहानी का लेकिन जगदीश का परिवार इकलौता नहीं है ऐसा। हर साल हजारों की संख्या में इंडियंस कोशिश करते हैं illegally यूएस, यूके जैसे देशों में जाने की इस डोंकी process के जरिए। और इनमें से कई सारे अपनी जान गवा देते हैं इस कोशिश में। यही कारण यूएस border को world’s most dangerous border कहा जाता
है। इसी मुद्दे पर एक नई फिल्म आई है राजकुमार हिरानी और शाहरुख खान की डंकी नाम से तो मैंने सोचा ये एक अच्छा मौका होगा इस process को ढंग से समझने का आइए जानते हैं इस Dunki की process की असलियत आज के इस article में ये जो पूरा process है दोस्तों बिना visa के किसी देश में जाने का back door illegal entry करने का इसे donkey flight या
donkey process का नाम दिया जाता है। शुरुआत में इस शब्द को सिर्फ UK के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कई Indians UK तक इस तरीके से जाने के लिए पहले यूरोप की shengon zone में जाते थे। ये सत्ताईस European देशों की एक zone है जहाँ पर सिर्फ एक visa की जरूरत होती है। इनमें से किसी भी देश का visa हो तो बिना दूसरे देश के visa के border
cross किया जा सकता है। हालाँकि UK कभी भी shangon zone का हिस्सा नहीं रहा लेकिन यूरोप काफी पास आ जाता है UK के लोग अलग तरीकों से यूरोप के through होते हुए UK घुसने की कोशिश करते थे। कुछ लोग ट्रकों में travel करते,
कुछ लोग गाड़ियों में तो कुछ लोग पैदल चलकर घंटों-घंटों तक ये सफर तय करते हैं। migration policy institute की एक statistic बताती है कि आज से दस साल पहले भी हर महीने करीब डेढ़ सौ Indians को deport किया जाता था UK से
लेकिन आज के दिन ये donkey, donkey process हर तरीके की back door entrance के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर लोग आज के दिन UK की जगह America जाने की सोचते हैं, इस donkey process के जरिए हजारों visa agencies और companies है जो ये काम करवाती है इन companies में जो agents लोगों को इधर से उधर transport करने का काम करते है
इन्हें donkers कहा जाता है सबसे ज्यादा illegal immigrants export करने के लिए India में दो states बहुत famous है Gujarat और Punjab लेकिन recent years में बढ़ती बेरोजगारी के चलते हरियाणा भी इस मुकाबले में काफी आगे निकल गया है कितना price ये agencies charge करती है ये depend करता है कि अब इनका कौन सा package लोग है मजाक
नहीं कर रहे इनके सही में packages होते deluxe travel package जिसमें आपके लिए fake documents बनवाएंगे travel में आपको assist करेंगे एक economy package अगर ज्यादा pay नहीं करना आपको तो ये आपको border के पास लाकर drop कर देंगे और उसके बाद आपको पूरा रास्ता खुद पैदल चल के जाना है depending upon the package
पच्चीस से साठ लाख रुपए तक की रकम मांग सकते हैं बहुत से लोग जो इन companies के जाल में फंसते हैं वो या तो realize नहीं करते कि regular visa की fees कभी इतनी ज्यादा नहीं होती या फिर वो लोग ऐसे होते हैं जो regular visa अपने लिए लगवा ही नहीं पाते कोई ना कोई वो meet नहीं कर पाते visa लगवाने की इसलिए उन्हें लगता है कि इतनी बड़ी
रकम देने के अलावा उनके पास कोई और option नहीं बचा है क्योंकि ये काम illegally किया जाता है तो regular visa की applications को bypass कर लिया जाता है और लोग इतना पैसा इकट्ठा करने के लिए अक्सर अपने खेत बेच देते है अपने घर बेच देते है और कई बारी तो पूरी life savings इसी एक उम्मीद पर लगा देते है कुछ दोष इन companies और
agencies पर भी जाता है क्योंकि बहुत सी बारी ये companies लोगों को गुमराह करती है झूठे वादे सुनाकर ये कहती है कि हम ना सिर्फ आपको बड़ी से अमेरिका तक पहुंचा देंगे बल्कि वहां पर ढेर सारी job opportunities भी मिलेंगी आपको और जो असली मुसीबतें आएँगी इस सफर में और जो legal processes का आपको सामना करना पड़ेगा। इन सब चीजों को
छुपाकर रखते हैं। जो लोग इन चीजों के बारे में ज्यादा जानते नहीं वो इस जाल में फंस जाते हैं, यहाँ एक information gap है, जिसे exploit किया जा रहा है, इन companies के द्वारा। लेकिन आज के दिन chat GPT जैसे AIIMS software की मदद से सारी चीजें आप खुद से जान सकते हैं। किसी और पर depend होने की जरूरत नहीं। अलग-अलग देशों के immigration
processes कैसे काम करते हैं? उनकी क्या visa होती हैं, travel से related क्या expenses आते हैं? ये सारी knowledge आपको chat जीपीटी समझा सकता है, आसान हिंदी भाषा में exactly कैसे इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना है अपने फायदे के लिए, इसी के लिए मैंने एक साढ़े चार घंटे का chat जीपी पर कोर्स बनाया है पूरा हिंदी में। इसमें step by
step मैंने सिखाया है कि कैसे अलग-अलग कामों में आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, इसकी बात मैंने पिछले वीडियोज में भी कई बार करी है लेकिन एक चीज जो शायद आप नहीं जानते हो कि इस कोर्स में एक specific lesson है studying abroad के ऊपर। अगर आपको बाहर पढ़ने जाना है, तो consultant पर depend होने की जरूरत नहीं। कैसे आप chart
जीपीटी का इस्तेमाल कर सकते हैं? वो information जानने के लिए। एक specific lesson है travel planning के ऊपर। अगर आपको बाहर घूमने जाना है तो किसी travel agent पर depend होने की जरूरत नहीं। खुद से आप अपनी planning कर सकते हैं। इसके अलावा अलग-अलग chapters हैं जो students पर focus करते हैं employees पर, business
owners पर या घर के कामों में। हजारों लोग जिन्होंने अभी तक इस course को लिया है, उन्हें बहुत useful लगाया है, उनके reviews आप स्क्रीन पर देख सकते हैं। और अगले महीने मैं एक बड़ा अपडेट भी लाने वाला हूं, इस कोर्स पर। तो अगर आपने अभी तक ज्वाइन नहीं किया है, नीचे इसका में link मिल जाएगा या फिर आप इस क्यूआर code को scan कर सकते हैं।
और आप में से पहले चार सौ लोग जो coupon code इस्तेमाल करेंगे Don forty DUN fourty उन्हें forty percent off भी मिलेगा। तो जरूर जाकर check out करना। Patel परिवार जिनकी बात मैंने की शुरू में करी थी उनकी कहानी पर वापस आए तो उन्होंने ज्यादा लोगों को बताया नहीं था कि वो कहाँ जा रहे हैं। बारह जनवरी को Toronto पहुंचने के बाद वो
Canada के money तोबा province में गए जोकि करीब दो हजार एक सौ किलोमीटर दूर है Toronto से एक हफ्ते बाद उन्हें Emercind Town के drop किया गया ये एक छोटा सा town है आप नक्शे पर देख सकते हैं अमेरिकन बॉर्डर के दूसरी तरफ नॉर्थ डकोटा और मिनिसोटा के पास जब इनकी bodies पाई गई तो उनके आसपास कोई गार्डिया वैन का नामोनिशान
तक नहीं था इसका मतलब था कि ये काफी समय से चल रहे थे। और same दिन जब इनकी bodies मिली तो कैनेडियन साइड पर एक सैंतालीस साल के यूएस सिटीजन स्टीव शैंड को भी अरेस्ट किया गया इमेरसन से करीब आठ किलोमीटर दूर ये एक पंद्रह सीट वैन ड्राइव कर रहे थे जिसमें दो गुजराती बैठे थे passengers के तौर पर बाद पांच और गुजराती पाए गए जो
अमेरिका के चार सौ मीटर अंदर मिले। जब authorities ने इन्हें पकड़ा तो इन्होंने बताया कि ये ग्यारह घंटे से चले जा रहे थे। इन पांच लोगों में से एक के पास बैग पैक था जिसमें बच्चों के dive पर खिलौने और बच्चों के कपड़े थे। इन्होंने बताया कि ये बैग इनका नहीं है, इन्होंने कहा कि हमारे साथ चार और लोग थे जो रास्ते में कहीं भटक गए। ये बैग उसी परिवार का है। इवन दो ये
प्लान फेल रहा लेकिन ये सात गुजराती लोग कम से कम survive तो कर गए। बाद में इन्हें और उस अमेरिकन citizen को arrest कर लिया गया, अमेरिकन के द्वारा। अमेरिका का ये नॉर्थन बॉर्डर जो कनाडा के साथ मिलता है यहाँ पर minus thirty five minus forty degree celsius तक ठंड हो सकती है। सोचकर लगेगा कि सदन बॉर्डर से अमेरिका में घुसना बेहतर
होगा लेकिन नीचे का जो बॉर्डर है यूएस से मेक्सिको का वो और भी खतरनाक है। जो लोग वहां का रास्ता अपनाते हैं इस डोंग की process के दौरान उन्हें और भी मुश्किलों से जूझना पड़ता है। भाई हम अमेरिका डोंग की खातिर आए थे भाई चार जने बचे भाई हम। भूखे पेट पांच दिन हो गए भाई मेक्सिको के भाई ऐसा है देख पता पैंतीस चालीस लाख रूपए दे रखे है माँ बाप ने दो
महीने हो गए हमारे माँ बाप ते बात भी नहीं करी बात कहना चाहूँ भाई donkey में कोई ना भाई एक number में चले जाओ भाई South America से शुरू होने वाले ये donkey route Ecuador या Brazil में शुरू होता है ये दो ऐसे देश जहाँ पर Indians के लिए visa लेना comparatively ज्यादा आसान है Ecuador में तो दो हजार उन्नीस से पहले visa की जरूरत
भी नहीं होती थी यहाँ पहुँचने के बाद एक हजारों kilometre लंबा सफर तय करना पड़ता है एक ऐसा सफर जो ऊपर देश फिर पनामा देश से होते हुए Mexico में जाता है यहाँ एक बहुत घना जंगल है सौ kilometre से ज्यादा बड़ा इसे the darian gap कहा जाता है इस area में कोई सड़कें नहीं है सिर्फ पहाड़ और जंगल झाड़ियाँ और नदियाँ कोई सरकारी authority भी
present नहीं है इस area में और इसे one of the most dangerous areas में इसे consider किया जाता है दुनिया के क्योंकि यहाँ पर drug cartils और गोरिल्ला groups अक्सर इस रास्ते को इस्तेमाल करते है जो लोग इस रास्ते को अपनाते है वो अक्सर इन gangs के through मारे भी जाते है भाई एक भाई की मौत हो गई भाई। डोंकर ने गोली मार दी उसके और भाई
उसकी लाश पड़ी मिली थी भाई की भाई एजेंट के एजेंट ने पैसे नहीं आ गए डोंगर के पूरे तो डोंकर के गोली मार दी डोंकर ने बालक इतने मरे हैं भाई न्यूज़ मैंने सुनी है भाई जंगल में तीन-तीन महीने इस जंगल को क्रॉस करने के बाद मेक्सिको का रेगिस्तान आता है जहाँ पर बहुत जबरदस्त गर्मी पड़ती है और फिर आती है ये दीवार ये ऊंची सी दिवार जिसे डोनाल्ड ट्रम्प के समय में
बनाया mostly इसे क्रॉस कर पाना भी एक बहुत बड़ा चैलेंज है और ये रास्ता इतना खतरनाक है। कि दो हजार इक्कीस के इस आर्टिकल को देखिए। इसे एक साल में छह सौ पचास से ज्यादा लोग मारे गए इस यूएस मेक्सिको बॉर्डर को क्रॉस करते हुए। जाहिर सी बात है, यहां पर सवाल उठता है, ये रास्ता इतना खतरनाक जानलेवा होने के बावजूद भी लोग इस डोंग की process
में क्यों लाखों रुपए खर्च करते हैं? और जान दांव पर लगाते हैं। मोटे-मोटे तौर पर देखा जाए तो तीन कारण है इसके पीछे। सबकी बात करते हैं एक-एक करके। सबसे पहला और सबसे बड़ा कारण है economic opportunities. ये वो लोग हैं जो देश के बाहर जाना चाहते हैं, बेहतर opportunities के लिए, बेहतर जिंदगी के लिए, ये लोग अक्सर अमेरिकन ड्रीम के सपनों
से बड़ा प्रभावित होते हैं, इन्हें लगता है कि एक बारी अमेरिका पहुंच गए, तो हमारी जिंदगी बदल जाएगी। आमतौर पर जो लोग upper class या upper middle class से होते हैं, वो लोग भी अक्सर same reasons की वजह से देश से बाहर जाना लेकिन उनके पास legal तरीके बहुत होते हैं, उनकी अच्छी नौकरियां होती हैं तो वो बाहर अच्छी नौकरियों के लिए apply कर
सकते हैं। या फिर उनकी educational qualifications होती हैं कि वो स्टूडेंट के तौर पर बाहर जाकर universities में पढ़ाई कर सकें। लेकिन जो lower middle class के लोग होते हैं। उनके पास ये legal रास्ते लेने के या तो पैसे नहीं होते या qualifications नहीं होते। हितेश त्रिवादी एक ऐसे ही इंसान जो तीस साल पहले इंडिया छोड़कर कनाडा गए, बीबीसी को बताते
हैं कि ये एक highly educated इंजीनियर थे इंडिया में लेकिन ये ऊपर नहीं उठ पा रहे थे। I was born lower class if I had state I would have died lower middle class साल दो हजार में इन्हें एक anadian citizenship मिल गई थी और अब ये profitable restaurant चलाते हैं कनाडा में। ऐसे कई मितेश त्रिवेदी देश के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते हैं।
जब ऐसे successful cases अपने परिवार और दोस्तों को अपनी कहानियाँ सुनाते हैं तो उनके अंदर भी उम्मीद जागती है और धीरे-धीरे करके और लोग motivate होते हैं इसी रास्ते को अपनाने में। इन successful cases की कहानियाँ सुनकर इन परिवारों में अक्सर एक societyal pressure या family pressure वाला angle भी आ जाता है। अगर किसी गाँव से दूसरा इंसान देश से बाहर अमेरिका में जा रहा है तो कुछ लोगों को लगता है कि भाई इज्जत का सवाल है हमारे परिवार में से भी एक
ना एक तो होना चाहिए जो देश के बाहर जाकर अमेरिका में settle नहीं तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारे परिवार की हमारे गाँव में मतलब में अगर बच्चा पैदा हुआ है तो America जाएगा हाँ बस वो थी खेती कोई व्यापार धंधा America इसके अगर आप डाटा देखोगे तो बहुत shocking है, इस chart को देखिए। यूएस customs और बॉर्डर protection के अनुसार कितने
Indians actually में illegally अमेरिकन बॉर्डर्स में घुसे? साल भर साल ये नंबर कितनी तेजी से बढ़ता गया है, दो हजार तेरह में ये नंबर negligible होता था, लेकिन दो हजार सत्रह और in fact दो हजार उन्नीस के बाद से देखिए कितना बड़ा यहाँ पर increase देखने को मिला? दो हजार बीस से लेकर इक्कीस के बीच में तीस हजार से ज्यादा Indians ने ये किया। दो हजार
इक्कीस, बाईस में double हो गया ये sixty three thousand nine hundred twenty seven तक पहुँच गया और latest data point आपको इस graph में नहीं दिख रहा वो इससे भी ऊपर है October दो हजार बाईस और September दो हजार तेईस के बीच में ये number ninety-six thousand पर पहुँच चूका है almost एक लाख Indians एक साल में
America में illegally घुसने की कोशिश कर रहे है इस साल के ninety-six thousand nine hundred seventeen Indians में से करीब तीस हजार Canada के through पकड़े गए और forty-one thousand Mexico के पास पकड़े गए ये problem सिर्फ India की नहीं है बाकी कई सारे देशों के लोग भी इस don की process का इस्तेमाल करने की कोशिश
करते है अमेरिका में घुसने के लिए और मैक्सिकन की संख्या और भी ज्यादा है Indians जाहिर सी बात क्योंकि मेक्सिको बॉर्डर पर पड़ता है अमेरिका लेकिन एशियन countries में इंडिया नंबर one पर आता है center for migration studies दो हजार पंद्रह का data इंडिया से करीब साढ़े चार लाख लोग undeocumented अमेरिका में पाए गए चाइना का ये नंबर इंडिया से थोडा-सा कम है। almost चार लाख पर और बाकी और देशों के numbers आप स्क्रीन पर देख सकते हो। अब बात करते
हैं दूसरे कारण की जिसकी वजह से लोग ये कर रहे हैं। जो कि है बढ़ती देश में यही कारण है जिसकी वजह से बहुत से Haryanvi लोगों ने पिछले कुछ सालों में ये किया है क्योंकि center for monitoring Indian economy September दो हजार बाईस की report के अनुसार Haryana का unemployment rate देश में number one पर है Haryana में
highest unemployment देखने को मिलती है thirty-seven point three percent लोग बेरोजगार है जो कि चार गुना ज्यादा है national average और ये of course rural Haryana में शहरों के बाहर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है ये लोग अपनी असल जिंदगी में अपने देश में इतनी बुरी हालतों में है कि इन्हें लगता है कि इस जानलेवा रास्ते को चुनना अभी के
हालातों से तो बेहतर होगा हजारों गाँव में बेरोजगार लोग अपने परिवार की जमीन बेच रहे है सोना बेच रहे है ताकि इस काम के लिए पैसे इकट्ठे किए जा सके धाट रथ Morkhi और Kalwa कुछ गाँव है Haryana के Jind district में जो Donki Sikars का hub बन गए ये लोग अक्सर एक और रास्ता अपनाते है Dubai जाना tourist visa पर और Shirdi hotels में रुकना बिना
proper खाने के और secret containers में बैठ के एक से दूसरे देश में जाना ऐसे ही बीस इक्कीस साल के Haryanvi लड़के Nishch Sharma ने अपनी कहानी सुनाई कि वो पढ़ाई में कमज़ोर होने के चलते student या job visa लेकर बाहर
नहीं जा सकता था तो इसलिए उसने donkey flight का रास्ता अपनाया इसके अनुसार ये बड़ा lucky था पाँच महीने के अंदर अंदर ही पहुँच गया California गया नौ अलग अलग देशों को पार करते हुए कभी जंगलों से तो कभी extreme weather से
गुजरते हुए ये कहता है कि कई बारी इस journey को करने में दो साल तक का समय लग सकता है बहुत से लोगों को मारा जाता है lockup में डाल और कई तो मारे भी जाते हैं इस रास्ते में। हरियाणवी youth का कहना है कि वो परेशान हो गए हैं इस joblessness की toxic cycle से और entrance exam के पेपर leaks की खबर सुनकर। लेकिन बहुत से लोग सही
मायनों में ये realize नहीं करते कि इस रास्ते को अपनाना कितना खतरनाक हो सकता है। फिर आता है दोस्तों तीसरा कारण donkey बनने के पीछे जो कि है escaping political prosecution. जो लोग अपने देश से भागते हैं क्योंकि उनके खिलाफ
अत्याचार हो रहा था या discrimination हो रही थी। अब technically देखा जाए तो पेट्रोल के अनुसार ये सबसे बड़ा reason है, जो लोग रिपोर्ट करते हैं। लेकिन क्या actually में ये सबसे बड़ा कारण है donkey फ्लाइट लेने के पीछे। यहाँ एक
interesting बात आपको बताना चाहूँगा, जो लोग डोंकी का रास्ता अपनाते हैं, वो लोग border cross करने के बाद क्या करते हैं, कभी सोचकर देखा है? क्या वो पुलिस से छुपते घूमते हैं और छुप-छुप कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं,
ऐसा नहीं है, ज्यादातर लोग खुद ही अपने आप को बॉर्डर पेट्रोल के हवाले कर देते हैं। border cross करते ही जो guards खड़े होते हैं, खुद ही अपने उनके साथ चले जाते हैं उनसे भागने की बजाय और इसके पीछे कारण है asylum seek करना।
asylum क्या होता है? United nations की refugee agency के अनुसार asylum एक protection का तरीका है। जब आप किसी देश में asylum seek करते हो तो वो देश आपको protect करता है कि आप उस देश में रह सकते हो। क्योंकि अगर आप अपने देश में रहोगे तो आप खतरे में हो। कैसा खतरा कोई political खतरा हो सकता है? कोई आपको मार दे या फिर कोई religious या racial discrimination हो सकती है? तो जो लोग इस रास्ते को अपनाते हैं वो border petrol
के पास जाकर कि वो साएलम सीख कर रहे हैं। तो यहाँ पांच-छह अलग-अलग categories हैं persecution की। एक हो गया religious persecution अगर किसी धर्म से आप belong करते हो और उसकी वजह से आपको discriminate किया जाता है, आपके खिलाफ अत्याचार होता है। एक हो गया political persecution. किसी को उनकी political beliefs की
वजह से उन्हें खतरा पहुँचता है, किसी की ethnic या regional identity की वजह से उनको खतरा पहुँचता है, उनके खिलाफ अत्याचार होते हैं। एक हो गया कास्ट based persecution, किसी की कास्ट की वजह से उनके खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं। या फिर एक हो गया अगर आप किसी सोशल group का हिस्सा हो जिसके खिलाफ violence देखने को मिल रहा है जैसे
औरतें या एलजीबीटी community तो technically काफी सारे कारण हो सकते हैं और जो लोग illegally इस रास्ते को अपनाते हैं वो इनमें से कोई भी कारण बता सकते हैं लेकिन actually में ये कारण सही है justified है या नहीं है। ये decide करने के लिए एक immigration जज होता है तो जो लोग बॉर्डर पार करने के बाद asylum के लिए apply करते हैं उन्हें
immigration कोर्ट में जाकर अपनी justification और reasoning देनी होती है। और कोर्ट के साबित करना होता है कि जो वो कह रहे हैं वो सच है। जाहिर सी बात है बहुत से लोग झूठ बोलते हैं क्योंकि उनका असली कारण कुछ और होता है, पहले दो कारणों में से होता है। तो ऐसे cases में लोगों को वापस deport कर दिया जाता है। यानी लाखों रुपए जो खर्च किए पूरा पैसा
बर्बाद। और अगर आप झूठ बोलते हुए पकड़े गए, ऊपर से ban और लगा दिया जाता है कि आज के बाद आप जिंदगी में कभी अमेरिका में legally travel नहीं कर पाओगे। लेकिन यहाँ ये चीज भी mention करनी जरूरी है, कुछ genuine लोग भी होते हैं, जिनका असली में यही कारण होता है, donkey flight लेने के पीछे। उदाहरण के तौर पे है, हमारे पास रहने वाले जश्नप्रीत
सिंह की कहानी, इस रिपोर्ट में mention किया गया है, जशन एक चौबीस साल के openly gay इंसान थे, जो जालंधर में रहते थे, इन्हें daily basis पर discrimination और harassment face करनी पड़ती थी, चाहे आसपास के पड़ोसी हो या दूर के कोई जानने वाले लेकिन हालात एक दिन इस कदर बिगड़ गए कि गालियों से आगे बढ़कर मारा-पीटा भी जाने लगा इन्हें।
ये बताते हैं कि एक बार इन पर पंद्रह-बीस लोगों ने हमला कर दिया और इन्हें जान से मारने की कोशिश करी गई, इसकी वजह से इनका एक हाथ इन्होंने किया कि ये शहर से बाहर निकलकर किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो जाते हैं। लेकिन इन्हें इस चीज का डर था कि इंडिया में शायद कहीं भी culture इतना open minded नहीं है gay लोगों को लेकर फिर इन्होंने फैसला लिया कि
ये donkey का रास्ता अपनाएंगे टर्की और फ्रांस के through होते हुए कि किसी तरीके से मेक्सिको बॉर्डर तक पहुंचे जिसके through ये अमेरिका में enter किए। वहां इन्होने border cross करने के बाद Assylum के लिए apply किया और इन्हें grant कर दिया गया। एक सवाल आपके मन में आएगा कि ये करने के लिए donkey का route अपनाने की क्या जरूरत थी
और इसकी simple reason ये है कि asylum उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो actually में उस देश में मौजूद होते हैं। यूएसए के rules के अनुसार अमेरिका में अगर आपको asylum करना है तो अमेरिकन soil पर आपको होना चाहिए। लेकिन ऐसे cases बहुत कम होते हैं और यहाँ पर ये भी याद रखने वाली बात है कि economic migration को asylum की
category में consider नहीं किया जाता। बहुत से लोग इसी कोशिश में महीनों तक सा लो तक investigation के under रहते हैं अक्सर torture उन्हें सहना पड़ता है। एक asylum की application को process कई बारी सा लो तक का समय लग सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि आप कई साल तक अमेरिका में रह लिए लेकिन उसके बाद वो decide करते हैं
कि आप तो झूठे थे यहाँ पर और उसके बाद आपको deport किया जाता है। और यहाँ ये भी बात याद रखने वाली है कि जैसे ही आप बॉर्डर क्रॉस करते हो ऐसा नहीं है कि immediately आपको immigration court के सामने पेश कर दिया जाता है। सबसे पहले detention centers में डाला जाता है लोगों को जहाँ पर हालत काफी ख़राब होती है।
अक्सर कुछ detention centers ऐसे हैं जहाँ पर ढेर सारे लोगों को एक छोटे से कमरे के अंदर बंद करके रखा गया है। और तो महीनों तक वो वहीं पड़े रहते हैं जब तक पुलिस वाले बोलते नहीं कि अब आपका नंबर आ गया एन्ड में मैं एक सिंपल सी चीज कहना चाहूंगा याद रखिए जान है तो जहान है कभी भी अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर ऐसे रास्ते चुनने का कोई फायदा नहीं है।
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